राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-28/2022
(मौखिक)
1. श्रीमती सरिता सिंह जादौन पत्नी स्व0 श्री दिनेश सिंह सेंगर
2. श्री कुलदीप सिंह सेंगर उम्र लगभग 21 वर्ष पुत्र स्व0 श्री दिनेश सिंह सेंगर
3. कु0 शुभांगी सिंह उम्र लगभग 18 वर्ष पुत्री स्व0 श्री दिनेश सिंह सेंगर
सभी निवासीगण बालाजी हाइट के पास 212 ब्लाक-सी0, नारीमन प्वाइंट महालक्ष्मीनगर इन्दौर म0प्र0 452010 वर्तमान पता जरिये श्री बीरेन्द्र प्रताप सिंह म0 नं0 1612 अजनारी रोड रेलवे क्रासिंग के पास नया रामनगर उरई, जिला जालौन, उ0प्र0 पिन कोड 285001
......................परिवादीगण
बनाम
1. शाखा प्रबन्धक केनरा एच0 एस0 बी0 सी0 ओरिएन्टल बैंक ऑफ कार्मस लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि0, मान्या आरचेड प्लॉट नं0 6, फर्स्ट फ्लोर इंटर स्टेट बस टर्मिनल, होशंगाबाद रोड, भोपाल म0प्र0 462023
2. जनरल मैनेजर केनरा एच0 एस0 बी0 सी0 ओरिएन्टल बैंक ऑफ कार्मस लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि0, ऑर्चिढ बिजिनेस पार्क द्वितीय फ्लोर सेक्टर 48, सोहना रोड, गुरूग्राम-122018 हरियाणा।
........................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री प्रमेन्द्र वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 02.09.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 65,00,000/-रू0 बीमा क्लेम 18 प्रतिशत ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए तथा अंकन 2,15,000/-रू0 मानसिक प्रताड़ना के मद में और 30,000/-रू0 परिवाद व्यय के लिए प्रस्तुत किया गया है।
-2-
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी संख्या-1 के पति मृतक दिनेश सिंह सेंगर द्वारा एक बीमा पालिसी प्राप्त की गयी थी, जिसका प्रारम्भ दिनांक 09.05.2018 से हुआ था, परिपक्वता तिथि दिनांक 09.05.2041 थी तथा बीमित धनराशि 65,00,000/-रू0 थी तथा पत्नी के लिए अंकन 25,00,000/-रू0 की राशि का बीमा किया गया था। दिनांक 20.04.2019 को ड्राफ्ट के माध्यम से प्रीमियम का भुगतान किया गया था तथा पालिसी के नवीनीकरण का पत्र भी इसी तिथि को लिखा गया था, जिसे विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्राप्त कर लिया गया था और पालिसी नवीनीकरण करते हुए बैंक खाते में प्रीमियम जमा कर लिया गया था। प्रीमियम राशि दिनांक 09.06.2018 विपक्षी संख्या-1 के खाते में जमा हो चुकी थी, जो दिनांक 09.06.2019 तक की अवधि के लिए थी। दिनांक 22.04.2019 को दिनेश सिंह सेंगर की मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु से सम्बन्धित आपराधिक प्रकरण न्यायालय में लम्बित है। मृत्यु के पश्चात् बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि वार्षिक नवीनीकरण प्रीमियम दिनांक 09.06.2018 से प्राप्त नहीं हुआ है और यह पालिसी दिनांक 26.06.2018 से लैप्स है, इसलिए दिनेश सिंह सेंगर की मृत्यु तिथि दिनांक 22.04.2019 को पालिसी अस्तित्व में नहीं थी। अत: बीमा क्लेम देय नहीं है। इस निरस्तीकरण की सूचना प्राप्त होने पर शिकायत प्रकोष्ठ में शिकायत की गयी, परन्तु इस शिकायत को भी निरस्त कर दिया गया। अंकन 20,471/-रू0 आवेदक संख्या-1 के खाते में दिनांक 20.06.2020 को ट्रांसफर करने का एक मैसेज मोबाइल नं0 798552159 पर प्राप्त हुआ। प्रीमियम प्राप्त कर लेने के पश्चात् प्रीमियम धनराशि को वापस करने के कारण बीमा क्लेम अमान्य नहीं हो सकता, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3. इस परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा एनेक्जर-1 लगायत एनेक्जर-11 प्रस्तुत किये गये हैं।
4. इस परिवाद की ग्राह्यता के स्तर पर केवल परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया।
5. एनेक्जर संख्या-1 परिवादिनी संख्या-1 के पति मृतक दिनेश सिंह
-3-
सेंगर के नाम से पालिसी जारी होने का सबूत मिलता है। इस पालिसी के लिए प्रथम प्रीमियम रसीद भी जारी की गयी है, जो इस एनेक्जर के साथ संलग्न है। इस पालिसी का अगला प्रीमियम दिनांक 09.06.2018 को देय था। बीमा क्लेम नकारने का पत्र पत्रावली पर एनेक्जर संख्या-3 है। इसमें उल्लेख है कि दिनांक 09.06.2018 को प्रीमियम देय था और दिनांक 26.06.2018 से पालिसी लैप्स हो चुकी है क्योंकि प्रीमियम प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए दिनांक 22.04.2019 को पालिसी अस्तित्व में नहीं थी, इसलिए बीमा क्लेम स्वीकार नहीं किया जा रहा है। एनेक्जर संख्या-4 के साथ संलग्न दिनांक 21.09.2020 का पत्र जाहिर करता है कि पालिसी के नवीनीकरण के लिए पत्र दिनांक 23.04.2019 को प्राप्त हुआ है। साथ ही प्रीमियम राशि 20,471/-रू0 भी प्राप्त हुई है, परन्तु चूँकि नवीनीकरण आवेदन भरकर नहीं दिया गया, इसलिए नवीनीकरण न होने के कारण पालिसी टर्मिनेट कर दी गयी है और अंकन 20,471/-रू0 की प्रीमियम राशि एन0ई0एफ0टी0 के माध्यम से दिनांक 19.06.2020 को वापस कर दी गयी है।
6. परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जब एक बार प्रीमियम राशि प्राप्त कर ली गयी, तब इस राशि को एन0ई0एफ0टी0 के माध्यम से वापस लौटाने का कोई औचित्य नहीं था। मृत्यु की तिथि को पालिसी अस्तित्व में मानी जानी चाहिए।
7. शपथ पत्र में यह उल्लेख है कि मृतक दिनेश सिंह सेंगर ने अपनी मृत्यु के पूर्व बीमा पालिसी का देय प्रीमियम ड्राफ्ट नं0 504475 दिनांकित 20.04.2019 अंकन 20,471/-रू0 केनरा एच0एस0बी0सी0 ओरियन्टल बैंक ऑफ कार्मस लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 भोपाल के हक में जारी कराया था तथा नवीनीकरण आवेदन पत्र के साथ इसी तिथि को विपक्षी संख्या-1 को जरिये यह पोस्ट भेजा था और विपक्षी संख्या-1 द्वारा पालिसी नवीनीकरण करते हुए अपने बैंक खाते में जमा कर लिया था। इस शपथ पत्र से साबित है कि जो प्रीमियम दिनांक 09.06.2018 को देय था उसका भुगतान इस तिथि को नहीं किया गया, बल्कि दिनांक 20.04.2019 को एक ड्राफ्ट बनवाया गया तथा यह ड्राफ्ट विपक्षी संख्या-1 के पास भेजा
-4-
गया। ड्राफ्ट तथा नवीनीकरण आवेदन विपक्षी संख्या-1 को प्रेषित करने का तात्पर्य यह नहीं है कि बीमा कम्पनी द्वारा पालिसी का नवीनीकरण कर लिया गया, इसलिए परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क किसी भी दृष्टि से विधिसम्मत नहीं है कि प्रीमियम राशि का ड्राफ्ट भेजने मात्र से और यह ड्राफ्ट विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्राप्त कर लेने मात्र से लैप्स हुई बीमा पालिसी का नवीनीकरण हो जाता है। निर्धारित प्रारूप में नवीनीकरण आवेदन प्रीमियम के साथ प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी द्वारा नवीनीकरण के सम्बन्ध में एक सुनिश्चित आदेश पारित किया जाता है। इस आदेश के पूरा होने के पश्चात् ही पालिसी का नवीनीकरण समझा जा सकता है। अत: स्पष्ट है कि मृत्यु की तिथि दिनांक 22.04.2019 को पालिसी अस्तित्व में नहीं थी। इस अवसर पर यह उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि मृतक द्वारा प्रीमियम अदा करने के लिए ड्राफ्ट दिनांक 20.04.2019 को बनवाया गया और दिनांक 22.04.2019 को उनकी मृत्यु हो चुकी थी। अत: स्पष्ट है कि नवीनीकरण का आदेश पारित होने से पूर्व ही बीमाधारक की मृत्यु हो चुकी थी और मृत्यु के पश्चात् कभी भी पालिसी का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है, इसलिए यह उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1