(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-376/2011
राजेश चन्द्र पुत्र बलदेव प्रसाद
बनाम
केनरा बैंक द्वारा ब्रांच मैनेजर लोहा बाजार, पीलीभीत तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 20.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-03/2005, राजेश चन्द्र बनाम केनरा बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, पीलीभीत द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.8.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री साकेत मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि परिवादी द्वारा संचालित किराना की दुकान में आग लगने के कारण नुकसान कारित हुआ है, जबकि ऋण इस कार्य के लिए स्वीकृत नहीं हुआ था। ऋण साईकिल स्टोर चलाने के लिए स्वीकृत हुआ था, इसलिए आग लगने पर क्षतिपूर्ति देय नहीं है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि दिनांक 11.11.2002 को किराना स्टोर चलाने के लिए अंकन 60,000/-रू0 का ऋण प्राप्त किया गया था और माल क्रय करने के लिए बैंक द्वारा मैसर्स शांती भारद्वाज ट्रेडर्स गल्ला मण्डी, पीलीभीत को चेक भेजा था। मैसर्स
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शांती भारद्वाज ट्रेडर्स द्वारा किराना का सामान उपलब्ध कराया कराया था और इसी सामान का मूल्य बैंक से चेक द्वारा प्राप्त किया था। विपक्षी सं0-1, बैंक द्वारा विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी से बीमा कराया गया था, परन्तु दस्तावेज अपने पास रखे गए और दुकान में आग लगने के बाद जब बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया तब ज्ञात हुआ कि बीमा पालिसी में किराना के व्यापार के स्थान पर साईकिल स्टोर अंकित कर दिया गया है।
4. परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि इसी ट्रेडर्स को चेक भेजा गया था और इसी ट्रेडर्स से परिवादी ने किराना स्टोर का सामान क्रय किया था। चूंकि बैंक द्वारा किराना स्टोर का सामान क्रय करने के लिए मैसर्स शांती भारद्वाज ट्रेडर्स गल्ला मण्डी, पीलीभीत को चेक भेजा गया था। अत: यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी का उद्देश्य किराना की दुकान चलाने का था, उसके द्वारा किराना का सामान क्रय किया गया था और इसी किराना की दुकान में अग्निकाण्ड की घटना घटित हुई है। सर्वेयर द्वारा मौके पर पहुँचकर रिपोर्ट तैयार की गई।
5. बैंक का यह कथन है कि जिला उद्योग केन्द्र पीलीभीत से प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत अंकन 01 लाख रूपये का ऋण परिवादी द्वारा साईकिल स्टोर खोलने के लिए लिया गया था। जिला उद्योग केन्द्र की सिफारिश पर अंकन 70,000/-रू0 का ऋण स्वीकृत हुआ। बैंक द्वारा अंकन 55,000/-रू0 का ऋण साईकिल की दुकान खोलने के लिए दिए गए थे। परिवादी ने जिला उद्योग केन्द्र की अनुमति के बिना साईकिल स्टोर के स्थान पर परचून की दुकान स्थापित कर ली और ऋण की शर्तों का उल्लंघन किया गया। इसी आधार पर विपक्षी संख्या-2, बीमा कंपनी द्वारा बीमा क्लेम निरस्त किया गया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में किराना स्टोर चलाने के लिए अंकन 60,000/-रू0 ऋण लेने का कथन किया है। परिवाद पत्र में कहीं पर भी प्रधानमंत्री रोजगार योजना के
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अंतर्गत जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से ऋण स्वीकृत कराने का उल्लेख नहीं है। परिवादी द्वारा बैंक के कथनों का कोई खण्डन भी नहीं किया गया है, इसलिए जाहिर होता है कि स्वंय परिवादी द्वारा बैंक के साथ धोखा कारित किया गया है। यदि बैंक द्वारा कोई चेक जारी भी किया गया है तब बैंक के साथ कारित धोखे का ही परिणाम है। परिवादी द्वारा मूल संविदा साईकिल स्टोर चलाने के लिए की गई है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2