राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण सं0- 265/2012
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा निष्पादनवाद सं0- 33/2010 में पारित आदेश दि0 19.04.2012 के विरूद्ध)
ओम प्रकाश धूसिया पुत्र स्व0 राम दयाल निवासी- 241, सैनिक नगर, लखनऊ।
……… पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
केनरा बैंक, रोहित भवन, 14, सप्रू मार्ग, शाखा- लखनऊ- 226001 द्वारा सीनियर मैनेजर।
………. विपक्षी
समक्ष:-
1.माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2.माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 13.04.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आये। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता को सुना और इजरावाद सं0- 33/2010 ओम प्रकाश धूसिया बनाम केनरा बैंक में जिला फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित आदेश दि0 19.04.2012 का अवलोकन किया। आक्षेपित आदेश दि0 19.04.2012 के अवलोकन से स्पष्ट है कि उपरोक्त इजरावाद के निर्णीत ऋणी ने जिला फोरम के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया कि उसने निष्पादन अधीन निर्णय का अनुपालन कर दिया है। इस पर जिला फोरम ने कार्यालय आख्या मांगी तो कार्यालय द्वारा सूचित किया गया कि निर्णीत ऋणी ने 98,936/-रू0 और 5,000/-रू0 दो ड्राफ्ट के द्वारा जमा किया है तब जिला फोरम ने डिक्रीदार से निर्णीत ऋणी के उपरोक्त प्रार्थना पत्र के विरूद्ध आपत्ति आमंत्रित की और निस्तारण हेतु दि0 14.05.2012 तिथि निश्चित की और इस बीच वसूली प्रमाण पत्र के निष्पादन पर रोक लगायी।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि कुल डिक्रीशुदा मुतालवा 8,49,504/-रू0 था। अत: जिला फोरम ने वसूली प्रमाण पत्र की कार्यवाही स्थगित कर अपने क्षेत्राधिकार के प्रयोग में त्रुटि की है।
विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
हमने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है कि आक्षेपित आदेश के द्वारा वसूली प्रमाण पत्र की कार्यवाही मात्र निश्चित तिथि दि0 14.05.2012 तक स्थगित की गई है और वर्तमान पुनरीक्षणकर्ता डिक्रीदार से आपत्ति आमंत्रित की गई है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश पूर्ण रूपेण अंतरिम और स्थायी आदेश है। अत: उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पुनरीक्षणकर्ता अपनी आपत्ति जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
उपरोक्त निर्णय के आधार पर वर्तमान पुनरीक्षण याचिका इस प्रकार से निस्तारित की जाती है कि पुनरीक्षणकर्ता अपनी आपत्ति आज से 15 दिन के अन्दर उपरोक्त इजरावाद में प्रस्तुत करे और पुनरीक्षणकर्ता द्वारा आपत्ति प्रस्तुत किये जाने पर जिला फोरम निर्णीत ऋणी के प्रार्थना पत्र और डिक्रीदार की आपत्ति पर विचार कर विधि के अनुसार 15 दिन के अन्दर आदेश अवश्य पारित करे तथा इजरावाद की अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार करे।
पुनरीक्षणकर्ता उपरोक्त इजरावाद में जिला फोरम के समक्ष दि0 01.05.2017 तक उपस्थित होकर अपनी आपत्ति प्रस्तुत करें।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह आशु0
कोर्ट नं0-1