Uttar Pradesh

StateCommission

A/1995/142

Mool Chandra - Complainant(s)

Versus

Canara Bank - Opp.Party(s)

R K Gupta

04 Nov 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1995/142
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mool Chandra
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Canara Bank
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 04 Nov 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-142/1995

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 577/1992 में पारित आदेश दिनांक 28.12.1994 के विरूद्ध)

श्री मूल चन्‍द्र उर्फ मूली पुत्र श्री मंगलीराम निवासी ग्राम सिकरोदा थाना फतेहपुर सीकरी तहसील किरावली जिला आगरा            

                              ...................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1. कनारा बैंक स्थित शाखा फतेहपुर सीकरी  जिला  आगरा  द्वारा          

   बैंक मैनेजर।

2. श्री अशोक कुमार पुत्र श्री गुलाब सिंह फर्म स्‍वामी अशोक  कुमार        

   एण्‍ड कं0 संतोष नगर फतेहपुर सीकरी जिला आगरा।

3. श्री ओमी पुत्र बदन सिंह निवासी डाबर  थाना  फतेहपुर  सीकरी         

   जिला आगरा               ................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विजय वर्मा, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक: 04-11-2016

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-577/1992 मूल चन्‍द्र उर्फ मूली बनाम ब्रांच मैनेजर, कैनरा बैंक व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, आगरा के दो सदस्‍यों द्वारा पारित बहुमत निर्णय एवं आदेश  दिनांक 28.12.1994 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के परिवादी मूल चन्‍द्र उर्फ मूली की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

-2-

आक्षेपित बहुमत निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

अपील की सुनवाई के समय उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया है और अपील बहुत पुरानी वर्ष 1995 की है। अत: अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर मेमो अपील व आक्षेपित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन कर किया जा रहा है।

उल्‍लेखनीय है कि परिवाद में अध्‍यक्ष ने अल्‍पमत निर्णय दिनांक 05.12.1994 पारित करते हुए आदेशित किया है कि विपक्षीगण परिवादी को निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर फर्म अशोक कुमार एण्‍ड कम्‍पनी से डीजल इंजन पम्‍पसेट व अन्‍य उपकरण अथवा 9000/-रू0 दिनांक 10.10.88 से 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से सूद सहित दिलायें और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो परिवादी ऋण की धनराशि 9000/-रू0 देने हेतु उत्‍तरदायी नहीं होगा और विपक्षी बैंक उक्‍त ऋण की वसूली परिवादी से करने का अधिकारी नहीं होगा। अध्‍यक्ष ने अपने अल्‍पमत निर्णय में यह भी आदेशित किया है कि परिवादी को 1000/-रू0 क्षतिपूर्ति भी अदा किया जाए, परन्‍तु दो सदस्‍यों के बहुमत निर्णय ने यह निष्‍कर्ष निकाला कि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। अत: परिवाद आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा निरस्‍त कर दिया गया है।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने कृषि कार्य हेतु डीजल पम्‍पसेट खरीदने के लिए विपक्षी संख्‍या-3 ओमी दलाल के माध्‍यम से विपक्षी संख्‍या-1 कैनरा बैंक फतेहपुर सीकरी में

 

-3-

ऋण हेतु आवेदन प्रस्‍तुत किया और विपक्षी संख्‍या-2 अशोक कुमार से कोटेशन प्राप्‍त कर प्रस्‍तुत किया। तत्‍पश्‍चात् उसे 9000/-रू0 का ऋण स्‍वीकार किया गया, जिसका भुगतान विपक्षी संख्‍या-2 अशोक कुमार को किया गया, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 अशोक कुमार ने परिवादी को डीजल इंजन पम्‍पसेट एवं अन्‍य उपकरण उपलब्‍ध न कराकर डीजल इंजन पम्‍पसेट व अन्‍य उपकरण विपक्षी संख्‍या-3 ओमी दलाल को दे दिया और परिवादी का कथन है कि उपरोक्‍त ऋण की वसूली विपक्षी संख्‍या-1 केनरा बैंक परिवादी से करने हेतु दबाव बना रहा है, जबकि परिवादी को डीजल इंजन पम्‍पसेट एवं अन्‍य उपकरण प्राप्‍त नहीं हुआ है।

विपक्षीगण ने जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवादी के उपरोक्‍त कथन का खण्‍डन किया है।

अपने बहुमत निर्णय में जिला फोरम के दोनों सदस्‍यों ने यह निष्‍कर्ष निकाला है कि परिवादी ने बैंक से उक्‍त ऋण प्राप्‍त किया है और ऋण से सम्‍बन्धित कागजात पर हस्‍ताक्षर किए हैं। बहुमत निर्णय में जिला फोरम के सदस्‍यों ने यह उल्‍लेख किया है कि परिवादी द्वारा अपराध संख्‍या-185/89 अन्‍तर्गत धारा 420, 468 आई0पी0सी0 का मुकदमा विपक्षीगण के खिलाफ किया गया था, जो विवेचना के उपरान्‍त झूठा पाया गया। अत: विद्वान मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने फाइनल रिपोर्ट स्‍वीकार कर ली।

बहुमत निर्णय में जिला फोरम के दोनों सदस्‍यों ने परिवादी का परिवाद अस्‍वीकार करने का जो कारण उल्लिखित किया है वह आधार रहित और विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है। परिवाद पत्र

-4-

के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने ऋण हेतु प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर उसे ऋण स्‍वीकार किया गया था। अत: ऐसी स्थिति में परिवादी को प्राप्‍त ऋण से क्रय किए गए डीजल इंजन पम्‍पसेट एवं अन्‍य उपकरण प्राप्‍त न होने पर परिवादी उसी समय अपनी शिकायत बैंक व अन्‍य सक्षम अधिकारियों से करता, परन्‍तु परिवादी ने ऐसी कोई शिकायत बैंक अथवा अन्‍य सक्षम अधिकारियों से नहीं की है। उसने ऋण की वसूली की कार्यवाही होने पर उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम के दो सदस्‍यों ने जो बहुमत निर्णय पारित किया है और परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया है वह उचित और विधिसम्‍मत है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

अत: अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है।

 

       (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)          (विजय वर्मा)      

           अध्‍यक्ष                    सदस्‍य                      

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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