जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री महेन्द कुमार झा पुत्र स्व. श्री पूरण चन्द झा, निवासी- ई- 350,षास्त्री नगर, अजमेर -305001
- प्रार्थी
बनाम
1. केनरा बैंक जरिए षाखा प्रबन्धक, एमजी मार्ग, मेन कचहरी रोड, अजमेर-305001
2. यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए मण्डलीय प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय, लोहागल रोड़, अजमेर-305001
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 09/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री एस.के.सेठी, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3.श्री जी.के.अग्रवाल,अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 06.10.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि वह अप्रार्थी संख्या 1 बैंक के जरिए अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी से अप्रेल, 2009 से मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी लेता रहा है और इसी क्रम में उसके द्वारा दिनंाक
2.5.2011 से 1.5.2012 तक की ली गई बीमा पाॅलिसी को दिनंाक 2.5.2012 से 1.4.2013 तक के लिए नवीनीकृत करवाने के लिए दिनंाक 7.4.2012 को उसने प्रीमियम राषि रू. 4786/- अप्रार्थी बैंक के यहां जमा कराए । जब उसे उक्त अवधि की बीमा पाॅलिसी प्राप्त नहीं हुई तो उसने अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से दिनंाक 3.7.2012 को सम्पर्क किया तो उसे बताया गया कि प्रीमियम राषि देरी से मिलने के कारण उसे मेडिक्लेम पाॅलिसी केन्सिल कर दी गई है । तत्पष्चात् अप्रार्थीगण से किए गए पत्राचार के बाद अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने दिनंाक 4.10.2012 को उसे अवगत कराया गया कि अप्रार्थी संख्या 1 बैंक द्वारा प्रीमियम राषि का डी.डी. 45 दिन बाद भेजने के कारण बीमा पाॅलिसी कालातीत हो गई है । अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी द्वारा उनके माध्यम से मेडिक्लेम पाॅलिसी लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि अप्रार्थी बैंक की निरन्तर मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी के प्रीमियम जमा कराने की जिम्मेदारी उसकी तब होती जब प्रार्थी उसे इस बाबत् निर्देष प्रदान करता । प्रार्थी ने दिनंाक 7.4.2012 को यूनाईटेड इण्डिया इंष्योंरेस कम्पनी के नाम डी.डी. बनाने हेतु चैक जमा कराया था और बैंक ने उसी दिन डी.डी. बना दिया था । दिनंाक 21.4.2012 तक भी जब प्रार्थी डी.डी. लेने नहीं आया तो अप्रार्थी बैंक ने उसे सूचित किया कि डीडी बन कर तैयार हो गया है । तब प्रार्थी ने उक्त डी.डी. को अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी को भिजवाने का निर्देष दिया तो उसने उक्त डी.डी. अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी को दिनंाक 21.4.2012 को प्रेषित कर दिया । जो अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी को दिनंाक 24.4.2012 को प्राप्त हो गया । तत्पष्चात् उत्तरदाता ने अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी को पाॅलिसी को रिन्यू कराने के लिए कहा किन्तु अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने पाॅलिसी रिन्यू करने से मना कर दिया । तदोपरान्त अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी द्वारा प्रीमियम राषि उत्तरदाता भिजवा दी और उसने उक्त प्रीमियम राषि प्रार्थी के खाते में जमा कर दी । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री रूपेष सांखला, वरिष्ठ षाखा प्रबन्धक ने जवाब को सत्यापित किया है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि उत्तरदाता द्वारा दिनांक 2.5.2.11 से 1.5.2.12 तक की प्रार्थी के पक्ष में जारी की गई मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी की वैधता अवधि दिनंाक 1.5.2012 को समाप्त हो जाने के बाद उसे रिन्यू कराने के लिए प्रीमियम राषि 45 दिन बाद अप्रार्थी संख्या 1 बैंक ने भिजवाई थी जो ब्वदजपदनवने तमदमूंस की परिधी में नहीं आने व प्रार्थी की आयु 65 वर्ष से अधिक हो जाने के कारण बीमा पाॅलिसी रिन्यू नहीं की गई । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय खारिज किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में चन्द्रकान्ता, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का षपथपत्र पेष किया है ।
4. प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क है कि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी से अप्रेल,2009 से लगातार मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी ली जाती रही हेै। पाॅलिसी की वार्षिक प्रीमियम राषि बीमा कम्पनी को समय समय पर भेजने की जिम्मेदारी अप्रार्थी बैंक की रही है । अंतिम मेडिकल बीमा पाॅलिसी 2.5.2011 से 1.5.2012 तक की अवधि की वैध एवं प्रभावी थी । दिनंाक 2.5.2012 से 1.3.2013 तक की अवधि के लिए उसके द्वारा दिनंाक
7.4.2.12 को उक्त पाॅलिसी को रिन्यू कराने हेतु अप्रार्थी बैंक में प्रीमियम की राषि रू. 4786/- जमा कराए थे जब उक्त अवधि की पाॅलिसी नहीं मिली तब बैंक से सम्पर्क करने पर उसे संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया है । बैंक द्वारा उसे बताया गया कि उक्त मेडिक्लेम पाॅलिसी प्रीमियम राषि देरी से मिलने के कारण केन्सिल कर दी गई है । प्रार्थी द्वारा जमा कराई गई प्रीमियम राषि उसे सूचित किए बिना उसके खाते में जमा करा दी । उसने बैंक को लिखित पत्र भेजकर भी सूचित किया । बीमा कम्पनी द्वारा उसे सूचित किया गया कि बैंक का दिनंाक 7.4.2012 का डी. डी. उन्हें 28.5.2012 को प्राप्त हुई है अर्थात बीमा अवधि समाप्त होने के बाद प्रीमियम राषि का डीडी प्राप्त हुआ है इसलिए समय पर पाॅलिसी रिन्यू नहीं हो पाई थी । बैंक ने प्रीमियम राषि का डी.डी. 45 दिन देरी से भिजवाया था । बीमा कम्पनी ने भी भरा गया फे्रष बीमा प्रस्ताव पत्र अधिक आयु होने के कारण खारिज कर दिया है । तर्क प्रस्तुत किया गया है कि बैंक द्वारा देरी से प्रीमियम राषि भिजवाए जाने के कारण पाॅलिसी रिन्यू नहीं की व अधिक उम्र होने का प्रतिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है क्योंकि इसमें प्रार्थी का कोई दोष नहीं है । बैंक द्वारा देरी से प्रीमियम राषि जमा करवाए जाने के कारण उक्त पाॅलिसी रिन्यू नहीं हो सकी है । उनका यह कृत्य सेवा में कमी का परिचायक रहा है । परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोष प्रदान किया जाना चाहिए ।
5. बीमा कम्पनी ने प्रीमियम की राषि देरी से प्राप्त होने के कारण पाॅलिसी को रिन्यू होने योग्य नहीं बताया तथा अधिक उम्र के कारण प्रार्थी को उक्त पाॅलिसी का पात्र नहीं होना अपने तर्को में कथन किया है ।
6. अप्रार्थी बैंक की ओर से खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया गया है कि बैंक के द्वारा वार्षिक प्रीमियम जमा कराने की जिम्मेदार उसकी तब बनती है जब प्रार्थी ने बैंक को मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी की प्रीमियम निरन्तर रूप से जमा कराने बाबत् निर्देष दिए हो । बैंक बिना अनुमति के उसके खाते से प्रीमियम पेटे राषि काट नहीं सकता । प्रार्थी ने दिनंाक 7.4.2012 को बीमा कम्पनी के नाम से डीडी बनाने हेतु चैक जमा कराया गया था । बैंक द्वारा बीमा कम्पनी के नाम से उसी दिन दिनंाक 7.4.2012 को डीडी बना दिया था । प्रार्थी ने बैंक को पाॅलिसी पेटे प्रीमियम जमा कराने बाबत् कोई निर्देष नहीं दिए थे । दिनंाक 21.4.2012 को जब प्रार्थी बैंक के पास डीडी लेने नहीं आया तब बैंक ने प्रार्थी को बताया कि डी.डी. तैयार है । प्रार्थी के निर्देष पर उनके द्वारा उक्त डी.डी. बीमा कम्पनी को भिजवा दिया गया था ।
7. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं और पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
8. हालांकि बैंक ने प्रार्थी द्वारा मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी पेटे प्रीमियम जमा कराने बाबत् ऐसे किन्हीं निर्देषों का नहीं होना बताया है किन्तु उनकी स्पष्ट स्वीकारोक्ति है कि दिनंाक 21.4.2012 तक जब प्रार्थी उक्त डीडी लेने नहीं आया था तो उन्होने बैंक को सूचित कर दिया था एवं प्रार्थी द्वारा उक्त डी.डी. बीमा कम्पनी को भेजने के निर्देष दिए जाने पर उनके द्वारा उक्त डी.डी बीमा कम्पनी को भेज दिया गया था । इस संबंध में बीमा कम्पनी की प्राप्ति रसीद दिनंाक
24.4.2012 इस तथ्य को सिद्व करती है कि उनके द्वारा उक्त प्रीमियम की राषि दिनंाक 24.4.2012 को ही प्राप्त कर ली गई थी व इस संबंध में उनके द्वारा यह जवाब भिजवाया जाना कि अप्रार्थी बैंक का दिनंाक 7.4.2012 की तिथि का डी.डी उन्हें दिनंाक 28.5.2012 को प्राप्त हुआ है, स्वयं ही असत्य हो जाता है । स्पष्ट है कि उन्हें यह राषि उक्त पाॅलिसी की नवीनीकरण की तिथि दिनंाक 2.5.2012 से बहुत पहले दिनंाक 24.4.2012 को प्राप्त हो चुकी थी । फलतः इसमें प्रार्थी का तो कोई दोष नहीं था साथ ही साथ बैंक का भी कोई दोष नहीं था व सम्पूर्ण जिम्मेदारी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की थी । चूंकि पाॅलिसी की अवधि दिनंाक 2.5.2012 से 1.5.2013 तक की अवधि बाबत् थी । अतः इस पाॅलिसी को रिन्यू कराने हेतु निर्देष दिया जाना मंच की राय में उचित नहीं है अपितु इस हेतु अप्रार्थी बीमा कम्पनी के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार व उनकी सेवा में कमी को ध्यान में रखते हुए उन पर क्षतिपूर्ति की राषि अधिरोपित करना न्याय के उद्देष्यों की पूति के समकक्ष रहेगा । मंच की राय में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे राषि रू. 1,00,000/- (अक्षरे रू. एक लाख मात्र) प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने के अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 06.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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