Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/50

Kapil Dev Verma - Complainant(s)

Versus

Canara Bank - Opp.Party(s)

Abhishek Singh

16 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/50
( Date of Filing : 14 May 2012 )
 
1. Kapil Dev Verma
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Canara Bank
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 May 2023
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

परिवाद सं0 :- 50/2012

Kapil Dev Verma, Aged about 30 years, Son of Heeral Lal Verma, Resident of Village-Karibahar, Post Jasapara, District-Sultanpur.

  1.                                                                                       .Complainant   

Versus

  1. Canara Bank, Jaisingpur Branch, Sultanpur, through its Branch Manager.
  2. Canara Bank, Main Branch Regional Office, Lucknow, through its Regional Manager.
  3.                                                                                       Opp. Parties

     समक्ष

  1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता:-  श्री अभिषेक सिंह

विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता:-  कोई नहीं

दिनांक:-13.06.2023 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           परिवादी द्वारा यह परिवाद उसकी हाईस्‍कूल मार्कसीट और बैंक के ऋण के संबंध में नो ड्यूज सर्टिफिकेट दिलाये जाने और परिवादी को हुए आर्थिक हानि के संबंध में 20,00,000/- तथा मानसिक क्‍लेश हेतु 10,00,000/-रू0 एवं शारीरिक तकलीफ हेतु 5,00,000/- क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
  2.           परिवादी के अनुसार परिवादी ने विपक्षी कैनरा बैंक से रूपये 25,000/- का ऋण प्रधानमंत्री स्‍वरोजगार योजना के अंतर्गत वर्ष 1999 में लिया था और इस ऋण के संबंध में प्रतिभूति के रूप में अपनी हाईस्‍कूल मार्कसीट रखी थी। उक्‍त योजना के अंतर्गत परिवादी को मिलने वाली धनराशि का 25 प्रतिशत केन्‍द्रीय सरकार द्वारा स‍ब्सिडी के रूप में दी जानी थी तथा धनराशि का 75 प्रतिशत ऋण ऋणी को दिया जाना था जो 25 प्रतिशत धनराशि एफ0डी0आर0 के माध्‍यम से ऋणदाता बैंक को प्राप्‍त होना था। उक्‍त एफ0डी0आर0 90 दिन के भीतर दिया जाना था, जिस कारण 75 प्रतिशत ऋण की धनराशि एवं एफडीआर की 25 प्रतिशत धनराशि परिवादी द्वारा अपनी हाईस्‍कूल की मार्कसीट के विरूद्ध समायोजित की जानी थी। परिवादी को दिये गये धनराशि रू0 25,000/- परिवादी ने वर्ष 2005 तक अदा कर दी, किन्‍तु बैंक द्वारा न तो अदेयता प्रमाण पत्र और न ही हाईस्‍कूल की मार्कसीट वापस की। इस प्रकार परिवादी बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयी, जिस कारण उपरोक्‍त परिवाद लाया गया।
  3.           विपक्षी बैंक की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी पर नोटिस की तामील आदेश दिनांकित 07.04.2016 के माध्‍यम से पर्याप्‍त मानी गयी, किन्‍तु उसके उपरान्‍त भी प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अत: परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक सिंह की बहस एकपक्षीय रूप से सुनी गयी।
  4.           परिवादी ने अपने परिवाद के तथ्‍यों को शपथ पत्र से समर्थित किया है, जिसमें साबित किया गया है कि परिवादी ने अपने हाईस्‍कूल की मार्कसीट ऋण की प्रतिभूति के रूप में प्रदान की थी। इसके संबंध में शपथ पत्र दिनांकित 26.09.2022 के साथ-साथ ऋण खाता दिनांकित 25.11.1999 की पासबुक की प्रतिलिपि कैनरा बैंक, जयसिंहपुर, सुलतानपुर को प्रेषित प्रार्थना पत्र अंतर्गत जनसूचना अधि‍कार अधिनियम की प्रतिलिपि शाखा प्रबंधक कैनरा बैंक जैसिंहपुर को प्रेषित परिवादी के पत्र की प्रतिलिपि एवं कानूनी नोटिस दिनांकित 10.01.2012 की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गयी है। इन दस्‍तावेजों एवं शपथ पत्र से स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने इस तथ्‍य को साबित किया है कि बैंक से ऋण लिए जाने के उपरान्‍त परिवादी ने अपनी मार्कसीट प्रतिभूति के रूप में बैंक के समक्ष रखी थी जो ऋण की अदायगी हो जाने के उपरान्‍त भी वापस नहीं की गयी है। वर्ष 1999 के उपरान्‍त अनेकों वर्ष व्‍यतीत हो चुका है। परिवादी ने इस तथ्‍य को साबित किया है कि वर्ष 2005 में उसके द्वारा समस्‍त ऋण अदा कर दिया गया था, जिसका खण्‍डन बैंक की ओर से उपस्थित होकर किसी पक्ष ने नहीं है। अत: परिवादी का यह तथ्‍य भी मानने योग्‍य है। इसके अतिरिक्‍त ऋण की अदायगी के तथ्‍य को भी परिवादी की ओर से साबित किया गया है, जिसका खण्‍डन बैंक की ओर से नहीं किया गया है। अत: समस्‍त साबित साक्ष्‍य को परिलक्षित करते हुए परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्‍त होने योग्‍य है।
  5.           परिवादी द्वारा 20,00,000/- रू0 आर्थिक एवं  5,00,000/-रू0 मानसिक क्‍लेश आदि की मांग की गयी है, किन्‍तु  यह धनराशि अत्‍यधिक है एवं उचित प्रतीत नहीं होती है, जहां तक हाईस्‍कूल सर्टिफिकेट की एवं अंक तालिका का प्रश्‍न है। परिवादी संबंधित शिक्षा बोर्ड से उक्‍त अंक तालिका तथा सर्टिफिकेट की डुप्लिकेट उचित फीस देकर एवं उचित प्रकार से प्राप्‍त कर सकते हैं,  यह अवश्‍य है कि इस प्रकार में उसको आर्थिक एवं मानसिक क्षति होगी, जिसके लिए परिवादी को क्षतिपूर्त किया जाना उचित है।
  6.           समस्‍त परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को रूपये 5,00,000/- क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है एवं तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है।  

आदेश

          परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 5,00,000/-रू0 (पांच लाख रू0 मात्र) बतौर क्षतिपूर्ति अदा करें। परिवादी संबंधित शिक्षा बोर्ड से नियमानुसार आवश्‍यक औपचारिकताएं पूर्ण करके अंक तालिका एवं हाईस्‍कूल सर्टिफिकेट की डुप्‍लीकेट कॉपी प्राप्‍त कर सकता है।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                                 

        (सुधा उपाध्‍याय)                       (विकास सक्‍सेना)

            सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

         संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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