Uttar Pradesh

StateCommission

A/331/2016

Mahesh Kumar - Complainant(s)

Versus

Canara Bank Employees S.E. Cooperative Society - Opp.Party(s)

Anil Kumar Mishra

11 Apr 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/331/2016
( Date of Filing : 23 Feb 2016 )
(Arisen out of Order Dated 05/01/2016 in Case No. C/578/2004 of District Meerut)
 
1. Mahesh Kumar
Meerut
...........Appellant(s)
Versus
1. Canara Bank Employees S.E. Cooperative Society
Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 11 Apr 2019
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या : 331/2016

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-578/2004 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-01-2016 के विरूद्ध)

  1. महेश कुमार पुत्र स्‍व0 श्री दया प्रकाश।
  2. श्रीमती ऊषा रानी पत्‍नी श्री महेश कुमार।
  3. श्रीमती शकुन्‍तला देवी पत्‍नी स्‍व0 श्री दया प्रकाश।
  4. मयंक पुत्र श्री महेश कुमार।
  5. निकुन्‍ज पुत्र श्री महेश कुमार।
  6. काकू ऊर्फ स्‍वाति पुत्री श्री महेश कुमार।
  7. कामिनी रानी पुत्री स्‍व0 श्री दया प्रकाश।
  8. श्रीमती आशा रानी पत्‍नी श्री अमर प्रकाश।
  9. सुरेश कुमार पुत्र स्‍व0 श्री दया प्रकाश।

10-श्रीमती शकुन्‍तला देवी (माता)

समस्‍त निवासीगण-144, शीश महल, मेरठ।

                                       .....अपीलार्थी/परिवादीगण

बनाम्

  1. दी सैन्‍ट्रल बैंक इम्‍पलायज एस0ई0 को-आपरेटिव सोसाइटी जैन नगर, मेरठ द्वरा रोहताश कुमार पुत्र श्री वेद प्रकाश निवासी-386-3, शास्‍त्री नगर, मेरठ।
  2. सुशील कुमार पाठक, कात्‍यान भवन 485-3, शास्‍त्री नगर, मेरठ।

                                             ...प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष  :-

1- मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,  अध्‍यक्ष ।

 

 

2

उपस्थिति :

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री अनिल कुमार मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-      कोई नहीं।

दिनांक : 28-05-2019

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय

        परिवाद संख्‍या-578/2004 महेश कुमार व अन्‍य बनाम् दी सेन्ट्रल बैंक इम्‍पलायज एस0ई0 को-आपरेटिव सोसाइटी व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 05-01-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

        आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है। जिससे क्षुब्‍ध होकर यह अपील परिवाद के परिवादीगण ने प्रस्‍तुत की है।

        अपीलार्थीगण की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित आये। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं आया है।

        मैंने अपीलार्थीगण के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

        अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी दी सेन्‍ट्रल बैंक इम्‍पलायज एस0ई0 को-आपरेटिव सोसाइटी के नाम से बैकिंग व्‍यवसाय करते है जिसके अन्‍तर्गत नियमानुसार अपने यहॉं ग्राहकों का रूपया बचत खाता, आर0डी0 खाता व एफ0डी0 खाता खोलकर जमा कराते हुए अपनी सेवाऍं प्रदान करते हैं।

       

3

     परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादीगण द्वारा कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के नियम के अनुसार जमा धनराशि भुगतान की तिथि से पूर्व कभी भी वापस लेने का प्राविधान है और जमा धनराशि का करीब 90 प्रतिशत ऋण दिये जाने का भी प्राविधान है।

     परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादीगण का कथन है कि परिवादी संख्‍या-1 ने एफ0डी0 के रूप में विभिन्‍न तिथि पर कुल अंकन 2,94,610/-रू0, परिवादी संख्‍या-6 ने एफ0डी0 के रूप में विभिन्‍न तिथि पर कुल अंकन 45,330/-रू0, परिवादी संख्‍या-5 ने एफ0डी0 के रूप में विभिन्‍न तिथि पर कुल अंकन 67,330/-रू0 परिवादी संख्‍या-3 ने एफ0डी0 के रूप में विभिन्‍न तिथि पर कुल अंकन 24,000/-रू0, परिवादी संख्‍या-4 ने एफ0डी0 के रूप में विभिन्‍न तिथि पर कुल अंकन 54,742/-रू0, परिवादी संख्‍या-2 ने एफ0डी0 के रूप में विभिन्‍न तिथि पर कुल अंकन 50,926/-रू0 जमा किया। इसके अतिरिक्‍त परिवादी संख्‍या-9 सुरेश कुमार द्वारा आर0डी0 खाते में कुल अंकन 14,800/-रू0 जमा किये गये। परिवादी संख्‍या-1 महेश कुमार द्वारा आर0डी0 खाते में कुल अंकन 55,000/-रू0  जमा किये गये। परिवादी संख्‍या-2 ऊषा रानी द्वारा आर0डी0 खाते में कुल अंकन 17,600/-रू0 जमा किये गये। परिवादीगण निकुन्‍ज कुमार व महेश कुमार प्रत्‍येक द्वारा आर0डी0 में कुल अंकन 11,000/-रू0 एवं परिवादीगण मयंक कुमार व महेश कुमार द्वारा आर0डी0 खाते में कुल अंकन 11,000/-रू0 जमा किये गये। इस प्रकार परिवादीगण द्वारा कुल अंकन 6,56,338/-रू0 की धनराशि विपक्षीगण की सोसाइटी में जमा की गयी।

          अपीलार्थी/परिवादीगण का कथन है कि परिवादीगण द्वारा विपक्षी से अंकन 65,000/-रू0 ऋण दिनांक 20-02-2004 को लिया गया, जिसकी प्रतिभूति स्‍वरूप परिवादीगण द्वारा अंकन 67,563/-रू0 की एफ0डी0आर0 विपक्षीगण को उनके ऋण संबंधी नियम के अनुसार जमा करा दी गयी जो कि उपरोक्‍त दर्शित एफ0डी0आर0 से पृथक है,

 

 

4

जिसका आंशिक भुगतान भी परिवादीगण द्वारा किया जा चुका है। परिवादी को एफ0डी0 से प्राप्‍त होने वाले ब्‍याज में से कुछ भाग अवधि अनुसार ऋण के ब्‍याज में समायोजित होने योग्‍य है, शेष धनराशि वापस होने योग्‍य है। परिवाद पत्र में कहा गया है कि विपक्षीगण ने नियमों के विपरीत अपने रिश्‍तेदारों को करोड़ों रूपया ऋण दे दिया तथा फर्जी नामों पर ऋण दिया है जो डूबने की कगार पर है, और ग्राहकों की जमा धनराशि वापस नहीं कर रहे है। विपक्षीगण ने परिवादीगण की धनराशि वापस न करके सेवा में कमी की है। 

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण जिला फोरम के समक्ष नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं आये है और न लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है। अत: उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की अनुपस्थिति में ही एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

     अपीलार्थीगण के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। जिला फोरम ने अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य पर सही ढंग से विचार नहीं किया है। जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय अपास्‍त कर अपीलार्थी/परिवादीगण द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

     मैंने अपीलार्थीगण के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

     परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादीगण ने निम्‍न अनुतोष चाहा  है :-

 

5

  • वादीगण को विपक्षी से जमा धनराशि जो कि वाद पत्र में दर्शित है विपक्षी द्वारा दिये जाने वाले ब्‍याज की दर के अनुसार अदायगी तक वापस दिलाया जावे।

ब- वादीगण को विपक्षी से लिये गये ऋण की राशि मय ब्‍याज समायोजित करके शेष ऋण खाते की बकाया राशि मय ब्‍याज अदायगी तक दिलाया जावे।

स- वादीगण को मानसिक उत्‍पीड़न व हर्ज-खर्च स्‍वरूप कम से कम 10,000/-रूपये व वाद व्‍यय रू0 5,000/- दिलाया जावे।

द- अन्‍य कोई प्रतिकर जो श्रीमान् जी की राय में उचित हो।

     परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादीगण का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने सोसाइटी के नियम के विपरीत अपने रिश्‍तेदारों को करोड़ों रूपये ऋण दिया है और फर्जी नाम से ऋण दिया है जो डूबने की कगार पर है। इसके विपरीत ग्राहकों की धनराशि वापस नहीं कर रहे हैं।

     परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादीगण ने यह भी कहा है कि विपक्षीगण ने उनकी जमा धनराशि वापस न कर सेवा में कमी की है। इस प्रकार परिवाद पत्र के कथन और याचित अनुतोष के आधार पर वर्तमान परिवाद में निस्‍तारण हेतु विचारणीय बिन्‍दु यह है कि क्‍या अपीलार्थी/परिवादीगण ने परिवाद पत्र में कथित धनराशि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की सोसाइटी में जमा किया है और यह धनराशि उन्‍हें वापस नहीं की गयी है यदि की गयी है तो उनकी कितनी धनराशि अभी प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के यहॉं अवशेष है।  परन्‍तु जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश के द्वारा इस बिन्‍दु पर विचार नहीं किया है। जिला फोरम ने परिवाद इस आधार पर निरस्‍त किया है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने जो रसीदें प्रस्‍तुत की हैं उनमें अधिकांश रसीदों की पुस्‍त पर रसीदी टिकट लगाकर संबंधित जमाकर्ता के

 

6

हस्‍ताक्षर है। कुछ पर बिना टिकट लगाये जमाकर्ता के हस्‍ताक्षर है। इस संदर्भ में जिला फोरम ने यह उल्‍लेख किया है कि  सामान्‍यत: संबंधित बैंक अथवा संस्‍था द्वारा सावधि जमा रसीद जारी करते हुए उसकी पुष्टि में रसीदी टिकट लगाकर जमाकर्ता के हस्‍ताक्षर नहीं कराये जाते हैं, ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने यह माना है कि परिवादीगण का केस संदिग्‍ध है और वह उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आये हैं और इसी आधार पर जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।  जिला फोरम का निर्णय अस्‍पष्‍ट और भ्रामक है। जिला फोरम ने मुख्‍य विचारणीय बिन्‍दु पर कोई निष्‍कर्ष अंकित नहीं किया है कि क्‍या परिवादीगण ने कथित धनराशि  विपक्षी के यहॉं जमा किया है और क्‍या अपीलार्थी/परिवादीगण प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से जमा धनराशि वापस पाने के अधिकारी है।

     अत: उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल नहीं है अत: इसे अपास्‍त कर परिवाद पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करने हेतु प्रत्‍यावर्तित किया जाना आवश्‍यक है।  

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम उभयपक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय और आदेश पारित करें।

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 23-07-2019 को उपस्थित हो।

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

प्रदीप मिश्रा, आशु, कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
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