दायरे का दिनांक: 15.04.2010
दर्ज किये जाने का दिनांक: 19.04.2010
निर्णय का दिनांक: 24.04.2017
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद।
उपस्थित:-
- श्री पवन कुमार जैन .............. अध्यक्ष।
- श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ...... सामान्य सदस्य।
परिवाद संख्या- 87/2010
श्रीमती निर्दोष पत्नी रामपाल सिंह आयु 30 वर्ष नि0 ग्राम शेखूपुरी तहसील सम्भल जिला मुरादाबाद। .......परिवादिनी।
बनाम
- मुख्य चिकित्साधिकारी, कार्यालय जिला चिकित्सालय सिविल लाइन्स, मुरादाबाद।
- डा0 अमिला जैन,सर्जन ) सम्बद्ध कार्यालय मुख्या
- राजेश्वरी, ए0एन0एम0 ) चिकित्साधिकारी, पंडित
- लीलावती ‘’ आशा’’ ग्राम शेखपुरी ) दीन दयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद। .......विपक्षीगण।
निर्णय
द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादिनी ने यह अनुरोध किया है कि अवांछित बच्चे के पालन-पोषण हेतु विपक्षीगण से परिवादिनी को 5,00,000/-रूपया बतौर क्षतिपूर्ति दिलाऐ जाऐं। परिवाद व्यय परिवादिनी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी एक विवाहित महिला है उसके एक पुत्र, दो पुत्रियां हैं, तीसरा बच्चा दिनांक 11/11/2007 को हुआ था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवादिनी और बच्चा नहीं चाहती थी। विपक्षी सं0-3 एवं विपक्षी सं0-4 की उत्प्रेरणा और परामर्श से दिनांक 18/1/2008 को परिवादिनी ने अपनी नसबन्दी कराई। नसबन्दी विपक्षी सं0-2 ने की जो विपक्षी सं0-1 के अधीन कार्यरत है। परिवादिनी के अनुसार नसबन्दी होने के बावजूद वह नसबन्दी के लगभग डेढ़ वर्ष बाद वह गर्भवती हो गई। कई माह तक जब उसे मासिक धर्म नहीं हुआ तो उसने दिनांक 5/12/2009 को अल्ट्रासाउन्ड कराया तो पता चला कि परिवादिनी को चार माह का गर्भ है। परिवादिनी का आरोप है कि नसबन्दी हो जाने के बावजूद उसका गर्भवती हो जाना विपक्षीगण की लापरवाही का धोतक है जिसके लिए चारों विपक्षीगण जिम्मेदार हैं। परिवादिनी के अनुसार उसने इस अवांछित बच्चे के पालन-पोषण हेतु विपक्षीगण को नोटिस भेजकर क्षतिपूर्ति के रूप में 5,00,000/-रूपये दिलाऐ जाने की मांग की, किन्तु विपक्षीगण ने नोटिस का कोई उत्तर नहीं दिया। परिवादिनी ने उक्त कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित करते हुऐ परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-2 दाखिल किया। इसके अतिरिक्त नसबन्दी होने पर विपक्षी सं0-2 द्वारा निर्गत लाभार्थी प्रमाण पत्र, तीसरे बच्चे के पैदा होने पर परिवादिनी को जारी जच्चा-बच्चा रक्षा कार्ड, नसबन्दी के बाद गर्भवती होने पर परिवादिनी द्वारा कराऐ गऐ अपने अल्ट्रासाउन्ड की रिपोर्ट तथा विपक्षीगण को भिजवाऐ गऐ कानूनी नोटिसों की नकलों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-4/1 लगायत 4/5 है।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/2 दाखिल हुआ जिसमें यह तो स्वीकार किया गया कि दिनांक 18/1/2008 को विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी की सहमति से सफलतापूर्वक नसबन्दी आपरेशन किया था, किन्तु शेष परिवाद कथनों से उन्होंने इन्कार किया। प्रतिवाद पत्र में यह भी कहा गया कि आपरेशन के समय नली में रिंग/छल्ला लगाया जाता है कभी कभार यह निकल जाता है। गर्भ से बचने के लिए परिवादिनी को गर्भ निरोधक साधनों की भी जानकारी दी गई थी जो परिवादिनी ने नहीं अपनाऐ। परिवादिनी को सम्पूर्ण जानकारियां दे दी गई थीं और यह भी बता दिया गया था कि नसबन्दी आपरेशन कभी कभार असफल भी हो जाता है। परिवादिनी द्वारा भिजवाऐ गऐ नोटिस का उत्तर परिवादिनी को भिजवा दिया गया था। परिवादिनी ने समय से अपना चिकित्सीय परीक्षण नहीं कराया और गर्भ को पलने दिया इस लापरवाही हेतु परिवादिनी स्वयं जिम्मेदार है। उत्तरदाता विपक्षीगण की ओर से कोई लापरवाही नहीं की गई। परिवादिनी ‘’ उपभोक्ता ‘’ की श्रेणी में नहीं आती। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- विपक्षी सं0-2 ने पृथक से भी अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/3 दाखिल किया जिसमें उसने लगभग वही कथन किऐ हैं जो विपक्षी सं0-1 एवं 2 के संयुक्त प्रतिवाद पत्र में थे। अतिरिक्त यह भी कहा गया कि नसबन्दी के आपरेशन हेतु परिवादिनी से कोई शुल्क नहीं लिया गया इस कारण परिवादिनी ‘’उपभोक्ता’’ नहीं है। विपक्षी सं0-2 ने अतिरिक्त यह कहते हुऐ कि उसने परिवादिनी की सेवा प्रदान करने में कोई कमी तथा आपरेशन में कोई लापरवाही नहीं बरती, परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। प्रतिवाद पत्र के साथ विपक्षी सं0-2 ने नसबन्दी आपरेशन से पूर्व परिवादिनी द्वारा भरे गऐ कन्सेन्ट लेटर की नकल दाखिल की जो पत्रावली का कागज सं0-12/5 लगायत 12/6 है।
- विपक्षी सं0-4 श्रीमती लीलावती ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0-26/1 लगायत 26/2 दाखिल किया जिसमें उसने कहा कि नसबन्दी के समय वह सरकारी अस्पताल, मुरादाबाद से सम्बद्ध ग्राम शेखपुरी थाना असमौली में बतौर ‘’आशा’’ कार्यरत थी। आपरेशन करने में उसकी सीधी कोई भूमिका नहीं थी अपने पद के अनुरूप उसने पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन किया, उसने परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-3 तामीला के बावजूद उपस्थित नहीं आई उसकी ओर से कोई प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं हुआ अत: फोरम के आदेश दिनांक 18/9/2012 के अनुपालन में विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र के विरूद्ध परिवादिनी ने रेप्लीकेशन कागज सं0-16/1 लगायत 16/2 दाखिल की जिसमें उसने परिवाद कथनों को पुन: दोहराते हुऐ अतिरिक्त यह भी कथन किया कि नसबन्दी से पूर्व परिवादिनी को यह नहीं बताया गया कि आपरेशन कभी कभार असफल भी हो जाता है। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से किऐ गऐ तत्सम्बन्धी कथन मिथ्या हैं। आपरेशन के दौरान नली में डाले गऐ रिंग अथवा छल्ले का कथित रूप से बाद में निकल जाना विपक्षीगण की लापरवाही को दर्शाता है।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-27/1 लगायत 27/2 दाखिल किया जिसके साथ उसने नसबन्दी के लाभार्थी प्रमाण पत्र, नसबन्दी होने के बावजूद गर्भ धारण होने पर कराऐ अपने अल्ट्रासाउन्ड तथा नसबन्दी के बाद पैदा हुऐ बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र की नकल को बतौर संलग्नक दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-27/3 लगायत 27/5 है।
- विपक्षी सं0-2 की ओर से साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/2 दाखिल हुआ जिसमें विपक्षी सं0-2 ने अपने प्रतिवाद पत्र के कथन को दोहराया और साथ ही साथ यह भी कहा कि यदि परिवादिनी बच्चा नहीं चाहती थी तो किसी स्वास्थ्य के्न्द्र पर जाकर उसे गर्भ समापन करा लेना चाहिए था जो उसने नहीं कराया और इस प्रकार वह स्वयं लापरवाह रही।
- परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-2 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई शेष पक्षकारों ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- बहस की तिथि पर विपक्षीगण की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हुऐ, किन्तु उन्होंने मौखिक तर्क प्रस्तुत करने से इन्कार किया और कहा कि उनकी लिखित बहस पहले से ही पत्रावली में दाखिल है।
- हमने पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भली-भॉंति अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि दिनांक 18/1/2008 को विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी का नसबन्दी का आपरेशन परिवादिनी की सहमती से किया था। उस समय विपक्षी सं0-2 मुख्य चिकित्साधिकारी, मुरादाबाद के अधीन महिला सर्जन के रूप में कार्यरत थी। नसबन्दी हेतु परिवादिनी को 600/-रूपया और लाभार्थी सर्टिफिकेट जिला परिवार कल्याण ब्यूरो, मुरादाबाद द्वारा प्रदान किया गया था। इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि नसबन्दी आपरेशन के लगभग डेढ़ वर्ष बाद परिवादिनी गर्भवती हो गई जिसका परिवादिनी को पता दिनांक 5/12/2009 को तब चला जब उसने अपना अल्ट्रासाउन्ड कराया। उस दिन परिवादिनी को सर्वप्रथम यह पता चला कि उसे लगभग चार माह का गर्भ है। परिवादिनी के यह आरोप है कि नसबन्दी कर दिऐ जाने के लगभग डेढ़ वर्ष बाद उसका पुन: गर्भवती हो जाना विपक्षीगण की चिकित्सीय लापरवाही को दर्शाता है। परिवादिनी ने नसबन्दी के बाद हुऐ बच्चे के पालन-पोषण, पढ़ाई इत्यादि की मद में 5,00,000/- रूपया दिलाऐ जाने की प्रार्थना की है।
- विपक्षी सं0-1, 2 एवं 4 की ओर से परिवादिनी के आरोपों का प्रतिवाद किया गया। विपक्षी सं0-2 की ओर से कहा गया कि नसबन्दी का आपरेशन परिवादिनी की लिखित सहमति से किया गया था और आपरेशन से पूर्व उसे बता दिया गया था कि आपरेशन कभी कभार असफल भी हो जाता है। परिवादिनी द्वारा सहमति दिऐ जाने के उपरान्त उसका सफलतापूर्वक नसबन्दी आपरेशन कर दिया गया था। परोक्ष उद्देश्यों की पूर्ति हेतु परिवादी ने यह परिवाद योजित किया है जो विपक्षीगण के अनुसार खारिज होने योग्य है।
- स्वीकृत रूप से परिवादिनी ने अपना नसबन्दी आपरेशन सरकारी अस्पताल की पी.एच.सी.में कराया था और इसके लिए उसने कोई फीस विपक्षी सं0-2 सरकारी अस्पताल में नहीं दी थी। नसबन्दी आपरेशन के समय विपक्षी सं0-2 सरकारी अस्पताल की पी.एच.सी. में महिला सर्जन के रूप में कार्यरत थी। चॅूंकि परिवादिनी ने नसबन्दी आपरेशन कराने हेतु कोई फीस अदा नहीं की थी ऐसी दशा में परिवादिनी ‘’उपभोक्ता‘’ की श्रेणी में नहीं आती। इस दृष्टि से वर्तमान प्रकरण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों से आच्छादित नहीं है और जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है।
- नसबन्दी आपरेशन से पूर्व परिवादिनी से लिखित सहमति पत्र लिया गया था जो पत्रावली का कागज सं0-12/5 लगायत 12/6 है। इस सहमति पत्र में अन्य के अतिरिक्त यह भी उल्लेख है कि ‘’………मैं यह भी जानती हॅूं कि यह आपरेशन कभी कभार असफल भी हो जाता है जिसके लिए उसके द्वारा या उसके सम्बन्धी अथवा अन्य कोई व्यक्ति, वह चाहें कोई भी हो, के द्वारा शासकीय अस्पताल, आपरेशन करने वाले शल्य चिकित्सक जिम्मेदार नहीं ठहराये जायेगें........’’ परिवादिनी द्वारा नसबन्दी आपरेशन से पूर्व दी गई लिखित सहमति के सापेक्ष उसका यह कथन स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि आपरेशन से पूर्व उसे यह बातें नहीं बताई गई थीं।
- परिवादिनी ने स्वयं स्वीकार किया है कि नसबन्दी के बाद गर्भवती हो जाने पर उसने कथित रूप से अवांछित गर्भ का समापन नहीं कराया बल्कि बच्चे को जन्म दिया जैसा कि परिवादिनी द्वारा दाखिल बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र कागज सं0-27/5 के अवलोकन से प्रकट है। गर्भ समापन न किया जाना परिवादिनी की स्वयं की लापरवाही का धोतक है।
19- IV (2014) सी.पी.जे. पृष्ठ-147 (एन.सी.), गर्वन्मेंट आफ एनसीटी आफ देहली व अन्य बनाम बबीता की निर्णयज विधि में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा निर्णय के पैरा सं0-12 में निम्न अभिमत दिया गया है:-
‘’ But , in this case on hand , Dr. Babita is a qualified Gynaecologist. There was no negligence in conducting the operation, it was laproscopic sterilization. The doctor who performed the surgery has not committed breach of any duty cast on her, as a surgeon. the surgery was performed by a technique nown and recognized by medical science. Therefore, in our opinion, failure due to natural causes, would not provide any ground for claim.it is for the woman who has conceived the child has to decide whether to go for medical termination of pregnancy or not. once, the woman misses the menstrual cycle, it is expected for the couple to visit the doctor and seek medical advice. A reference to the provisions of the medical termination of pregnancy act,1971 is apposite .having gathered the knowledge of conception in spite of having undergone sterilization operation , if the couple opts for bearing the child, it ceases to be an unwanted child. Cmpensation for maintenance and upbringing of such a child cannot be claimed. ‘’
उपरोक्त व्यवस्था वर्तमान मामले के तथ्यों पर पूर्णतया लागू होती है।
20- मामले के तथ्यों, परिस्थितियों एवं गर्वन्मेंट आफ एनसीटी आफ देहली व अन्य बनाम बबीता में पारित निर्णयज विधि में दी गयी व्यवस्था के दृष्टिगत परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
24.04.2017 24.04.2017
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 24.04.2017 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
24.04.2017 24.04.201
24 -04 -2017 निर्णय घोषित किया गया। आदेश हुआ कि ‘’ परिवाद खारिज किया जाता है। ‘’
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
24.04.2017 24.04.2017