जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थितिः (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
परिवाद सं0- 67/2009
श्री हरी शंकर गुप्ता पुत्र स्व0 कुंज बिहारी निवासी मो0 गौरा पट्रटी नियावां थाना कैन्ट शहर व जिला फैजाबाद। .................... परिवादी।
बनाम
1- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला चिकित्सालय फैजाबाद ।
2- डा0 आर0 पी0 राय जिला चिकित्सालय फैजाबाद। ................. विपक्षीगण।
निर्णय दि0 09-08-2016
उद्घोषित द्वारा-चन्द्र पाल, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध मेडिकल नेग्लीजेन्स के सम्बन्ध में दखिल किया है। संक्षेप में परिवादी का केश इस प्रकार है। परिवादी की लड़की पूजा गुप्ता की तबियत सख्त खराब थी, जिसके इलाज के लिए परिवादी ने अपनी लड़की पूजा गुप्ता को दिनांक 13-10-08 को डा0 आर0 पी0 राय को ओ0 पी0 डी0 में दिखाया , जिन्होंने दवा लिखकर और पुनः दो दिन बाद दिखाने को निर्देश दिया, दिनांक 15-10-2008 को पुनः परिवादी की पत्नी अपनी लड़की पूजा गुप्ता को दिखाने के लिए डा0 आर0 पी0 राय से मिली जिन्होने रोगी का एक्सरे कराने का निर्देश दिया तथानुसार परिवादी ने एक्सरे की फीस 41=00 रूपया जमा करके एक्सरे कराकर उसकी रिपोर्ट डा0 आर0 पी0 राय को दिखाया जिस पर डा0 आर0 पी0 राय ने फेफड़े में पानी होना बताया डा0 आर0 पी0 राय ने उसी दिन दिनांक 15-10-08 को रोगी के फेफड़े से सिरेन्ज द्वारा पानी निकालकर उसकी जांच कराके रिपोर्ट एवं रोगी को दिखाने को कहा, परिवादी ने उक्त फेफड़े से निकाले गये पानी की जांच चंदन डायग्नोस्टिक सेंटर में उक्त पानी को जांच हेतु दे दिया जिसके लिए 300=00 रूपया फीस जमा करके जांच करवाया। परिवादी ने अपनी रोगी लड़की को दिनांक 16-10-08 को पुनः डा0 आर0 पी0 राय को दिखाया जिन्होंने रोगी को देखकर उसे तुरन्त भर्ती कराने की सलाह दी जिसे डाक्टर के
2
निर्देशानुसार परिवादी ने उसी समय प्रातः 10ः20 मिनट पर निर्धारित फीस 35=00 रूपया परिवादी द्वारा जमा किया गया जिसके जमा होने पर परिवादी की लड़की को मेडिकल वार्ड में बेड नम्बर 30 पर उपचार हेतु भर्ती किया गया। डा0 आर0 पी0 राय को उसी दिन फेफड़े से निकाले गये पानी की जांच रिपोर्ट दिखाया जिसे देखकर डाक्टर ने यथा शीघ्र खून चढ़ाने की सलाह दिया थोड़ी देर बाद उक्त मेडिकल वार्ड की उपस्थित नर्स ऊषा सिंह ने परिवादी को बुलवाया परिवादी के अनुपस्थिति में परिवादी के रिस्तेदार अवधेश कुमार ने जाकर वार्ड की स्टाफ नर्स उपरोक्त से मुलाकात किया तो स्टाफ नर्स ने डा0 आर0 पी0 राय द्वारा हस्ताक्षरित ब्लड रिक्यूजिट फार्म इसववक तमुनमेज वितउ देकर कहा कि खून की व्यवस्था करे कुछ देर बाद परिवादी अपने रिश्तेदार अवधेश कुमार के साथ उपरोक्त स्टाफ नर्स से पूछताछ किया कि किस ग्रुप का खून चाहिए तो फार्म देखकर नर्स ने बताया कि डाक्टर ने इस पर कुछ भी नहीं लिखा है, इसके लिए डाक्टर से बात करो। परिवादी की लड़की पूजा गुप्ता की हालत एकाएक रात में लगभग 10 बजे खराब हो गई, तत्कालीन नर्स ने रोगी के पीड़ा को गम्भीरता से न लेकर सामान्य रूप से लेकर सम्भव तथा दर्द निवारक इन्जेक्शन दे दिया, परन्तु रोगी की छटपटाहट बढ़ती गई और तीव्र दर्द एवं अतिसय पीड़ा के कारण रोगी ने तत्कालीन नर्सो के समक्ष अपना दम तोड़ दिया। इस वाद का कार्यकारण दिनांक 18-10-08 को विपक्षीगणो द्वारा की गई लापरवाही से परिवादी की लड़की की असमयिक मत्यु हो जाने के कारण हर समय उत्पन्न है।
विपक्षी संख्या-2 ने अपने जवाब दावे में परिवादी के केश से इन्कार किया है, जो इस प्रकार है। विपक्षी ने लड़की का ओ0 पी0 डी0 जिला चिकित्सालय में भर्ती कर इलाज करना स्वीकार किया है। जांच हेतु रोगी का सैम्पल दिया जाना स्वीकार है। असलियत यह है कि दिनांक 16-10-2008 को फेफड़े से निकाले गये पानी की जांच रिपोर्ट देखने के पश्चात उत्तरदाता/विपक्षी ने अविलम्ब मरीज के साथ आये हुये तामीरदार से बताया कि मरीज क्षय रोग से ग्रसित है, और इसका इन्द्राज बेड हेड टिकट पर किया और उसके फेफड़े से निकाले गये पानी की जांच रिपोर्ट के साथ टी0 बी0 चिकित्सालय जाने की सलाह दी और क्षय रोग से संबंधित दवा लाने के लिए कहा। दिनांक 16-10-08 को यथा शीघ्र खून चढ़ाये जाने का कथन निराधार है। असलियत यह है कि रोगी के रिश्तेदार को खून चढ़ाने का फार्म दिया गया। रिक्यूजीशन फार्म में यदि रोगी का ब्लड ग्रुप पहले से पता हो तो उल्लेख किया जाता है, जिस रोगी का ब्लड ग्रुप पता न हो तो अंकन का प्रश्न ही नही उठता है। ब्लड बैंक द्वारा ब्लड की व्यवस्था हेतु अपने टेक्निशियन को रोगी के
3
पास भेज कर रक्त का नमूना लिया जाता है, उस नमूने से ब्लड ग्रुप मैच करने के उपरान्त रोगी के रिश्तेदारांे का ब्लड ग्रुप एवं क्रास मैच किया जाता है। यदि रोगी के रिश्तेदार का ब्लड ग्रुप न मैच करे तो ब्लड बैंक में उपलब्ध ब्लड से क्रास मैच करके उसके रिश्तेदार के खून से बदल कर स्टाक में उपलब्ध ब्लड रोगी के रिश्तेदार को दिया जाता है, अन्यथा और रिश्तेदारों को ग्रुपिंग एवं क्रास मैचिंग हेतु बुलाया जाता है। चंूकि रोगी का एच0बी0 रिपोर्ट 9ण्4 ग्राम के अनुसार रोगी को तत्काल ब्लड चढ़ाने की आवश्यक्ता नही थी, इसलिए अर्जेन्ट नही लिखा गया। रोगी पूजा गुप्ता को दिनांक 18-10-08 को 11 पी0एम0 पर स्थिति गम्भीर होने पर अविलम्ब इ0एम0ओ0 द्वारा आक्सीजन दी गयी तथा जीवन रक्षक दवाओं का प्रयोग किया गया परन्तु सम्पूर्ण प्रयास के बावजूद भी रोगी को बचाया न जा सका और उसकी मृत्यु रात 11 बजकर 5 मिनट पर हो गयी। रोगी की मृत्यु खून की कमी से नही हुई है, बल्कि उसकी मृत्यु का कारण क्षय रोग से ग्रसित होना था।
मचं द्वारा विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी पत्रावली में अवलोकन किया। परिवादी की लड़की पूजा गुप्ता का जिला चिकित्सालय फैजाबाद में विपक्षी संख्या-2 द्वारा इलाज करना स्वीकार किया गया है। पूजा गुप्ता के फेफड़े में पानी आ गया दिनांक 16-10-08 को फेफड़े के पानी का जांच रिपोर्ट विपक्षी संख्या-2 द्वारा देखी गयी, विपक्षी संख्या-2 द्वारा पूजा गुप्ता को छय रोग से पीड़ित होना बताया गया। खून चढ़ाने की बात से विपक्षी संख्या-2 ने इन्कार किया है। विपक्षी संख्या-2 ने पूजा गुप्ता की बी0एच0टी0 की छायाप्रति प्रेषित किया है। दिनांक 16-10-2008 को ए0आई0टी लिखा है। विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि टी0बी0 के इलाज के सम्बन्ध में पूजा गुप्ता को कहा गया, इसी प्रकार पैथालोजी रिपोर्ट 11/ख के अनुसार पूजा गुुप्ता का हिमोग्लोविन 9ण्4 था। एक्सरे आदि की सलाह भी दी गयी लेकिन पूजा गुप्ता को टी0बी0 के इलाज के लिए परिवादी द्वारा टी0बी0 अस्पताल में नही ले जाया गया। परिवादी तथा पूजा के लापरवाही के कारण मृत्यु हो गयी।
इस परिवाद में दो बिन्दुओं को देखना अति आवश्यक है।
बिन्दु-1 विपक्षीगण सरकारी अस्पताल के चिकित्सक है, परिवादी ने विपक्षीगण के इलाज के लिए डाक्टर की कोई फीस नही दिया जांच की जो फीस दी गयी है वो डाक्टर की फीस के दायरे में नही आती। सम्मानीय सर्वेच्च न्यायालय ने इण्डियन मेडिकल एशोसियेशन बनाम वी0पी0 तथा अन्य 3 1995 सी,पी,जे 1 एस,सी, में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया है कि जहां पर सरकारी डाक्टर मुुुुुुफ्त में इलाज करता है,
4
परिवादी वहां पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1)(डी) मेें उपभोक्ता की श्रेणी में नही आता। इस प्रकार परिवादी उपभोक्ता नही है।
बिन्दु-2 क्या विपक्षी संख्या-2 ने इलाज में लापरवाही बरती है। विपक्षी संख्या-2 ने पूजा गुप्ता के फेफड़े से निकले पानी की जांच किया तो जांच में पूजा गुप्ता के छय रोग पाया गया। छय रोग के इलाज के लिए डाक्टर ने पूजा गुप्ता को कहा लेकिन पूजा गुप्ता ने छय रोग का इलाज नही किया। यह चिकित्सक की लापरवाही नही मानी जायेगी। रोगी की लापरवाही के आधार पर चिकित्सक को दोषी नही ठहराया जा सकता है। जैसा कि सम्मानीय सर्वेच्च न्यायालय ने तारा चन्द्र जैन बनाम सर गंगाराम अस्पताल तथा अन्य 2006(2)जे,सी,एल,आर,476 एस,सी, में उक्त सिद्धान्त प्रतिपादित किये है। इस प्रकार चिकित्सक की कोई लापरवाही नही है।
परिवादी ने अपने परिवाद में पूजा गुप्ता के खून की कमी होने के कारण मृत्यु हो जाने को कहा है। पैथालोजी रिपोर्ट के अनुसार पूजा गुप्ता का हिमोग्लोविन 9ण्4 है जो कम है। खून मरीज के तभी चढ़ाया जायेगा जब डाक्टर को मरीज के ब्लड ग्रुप की जानकारी हो। परिवाद में पूजा गुप्ता के ब्लड ग्रुप के विषय में नही लिखा है, और न कोई साक्ष्य दाखिल किया गया है। बिना ब्लड ग्रुप के डाक्टर खून चढ़ाने के लिये नर्स को आदेश नही दे सकता है। पूजा गुप्ता की मृत्यु खून की कमी के कारण हुई इसकी कोई जांच रिपोर्ट या पोस्टमार्टम रिपोर्ट पत्रावली में नही है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर मै इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि विपक्षी संख्या-2 ने पूजा गुप्ता के इलाज में कोई लापरवाही नही किया है, बल्कि लापरवाही मरीज की ओर से की गयी है। मंच द्वारा इस परिवाद में बल नही पाया गया। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
( माया देवी शाक्य ) ( चन्द्र पाल )
सदस्या अध्यक्ष
5
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 09ण्08.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
( माया देवी शाक्य ) ( चन्द्र पाल )
सदस्या अध्यक्ष