प्रकरण क्र.सी.सी./14/190
प्रस्तुती दिनाँक 17.06.14
बलवंत सिंह चंदेल, आ. स्व.काशी सिंह चंदेल, आयु-50, निवासी- मंडल किराना स्टोर्स के पास, मकान नंबर 82, वार्ड नंबर, 57, हरीनगर, कातुलबोर्ड, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - परिवादी
विरूद्ध
1. छत्तीसगढ़ सहकारी साख समिति मर्या, द्वारा प्रबंधक- पता- प्रधान कार्यालय छत्तीसगढ सदन सेक्टर -1, भिलाई नगर, तह व जिला- दुर्ग 490001
2. युनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि.मि., द्वारा मंडल प्रबंधक, पता-तारा काम्पलेक्स, पावर हाउस, जी.ई.रोड, भिलाई, तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
आदेश
(आज दिनाँक 13 जनवरी 2015 को पारित)
श्रीमती शुभा सिंह-सदस्य
1/ परिवादी द्वारा अनावेदक से समूह व्यक्ति दुर्घटना बीमा पालिसी अंतर्गत देय बीमा राशि 40,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
2/ प्रकरण में निर्विवादित तथ्य है कि परिवादी अनावेदक क्र.1 का सदस्य है अनावेदक क्र.1 द्वारा अनावेदक क्र.2 से व्यक्गित समूह बीमा योजना अंतर्गत बीमा प्रीमियम प्राप्त किया गया था जिसका समूह बीमा पाॅलिसी क्र 191500/42/12/03/00000070 था जिसके तहत खाता धारक को किसी प्रकार की चोट होनें के कारण अनफिट रहने पर बीमा धन राशि प्राप्त होती थी।
परिवाद-
3/ परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी अनावेदक क्र.1 का सदस्य है अनावेदक क्र.1 द्वारा अनावेदक क्र.2 से व्यक्गित समूह बीमा योजना अंतर्गत बीमा प्रीमियम प्राप्त किया गया था जिसका समूह बीमा पालिसी क्र 191500/42/12/03/00000070 था जिसके तहत खाता धारक को किसी प्रकार की चोट होनें के कारण अनफिट रहने पर बीमा धन राशि प्राप्त होती थी जो आवेदक को प्राप्त होना है दि 22.11.12 को अज्ञात वाहन के द्वारा परिवादी की सायकल पर ठोकर मार दी गई जिससे परिवादी दुर्घटनागस्त हुआ जिला चिकित्सालय दुर्ग में भर्ती किए जानें के पश्चात परिवादी भिलाई सेक्टर 9 अस्पताल मे भर्ती रहा था जिसके पश्चात 4 माह की अवधि के लिए परिवादी अपनी ड्यूटी में अनफिट होने से अनुपस्थित रहा उक्त घटना की सूचना परिवादी के द्वारा समस्त वांछित दस्तावेज सहित क्लेम फार्म भरकर अनावेदक क्र 1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 को प्रदान की गई अनावेदक क्र.2 के द्वारा परिवादी का दावा दि.23.09.13 को निरस्त कर दिया गया जिसकी सूचना अनावेदक क्र.1 के द्वारा दि.01.10.13 को पत्र के द्वारा परिवादी को दी गई। परिवादी के द्वारा समस्त प्रयासो के बावजूद भी अनावेदक क्र.2 के द्वारा बीमाधन परिवादी को प्रदान न कर सेवा मे कमी की गई अतः परिवादी को अनावेदकगण से व्यक्गित दुर्घटना पालिसी के तहत क्षतिधन राशि 40,000रू मय ब्याज मानसिक क्षति एवं वाद व्यय दिलाए जानें हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया।
जवाबदावाः-
4/ अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि आवेदक के द्वारा दुर्घटना के परिणाम स्वरूप शारीरिक क्षति एवं मेडिकल अनफिट रहनें संबंधी कथन को प्रमाणित करे अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा स्पष्ट अभिकथन है कि आवेदक घटना के समय नशे के प्रभाव में था तद्ानुसार बीमा पालिसी के अंतर्गत दावा भुगतान योग्य न होनें के कारण दावे को उचित आधार पर निरस्त कर ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया जो सेवा मे कमी की श्रेणी मे आता है। अनावेदक बीमा कंपनी नें आवेदक के बीमा दावे को बीमा पालिसी अंतर्गत भुगतान देय न होनें से निरस्त किया है इसलिए प्रस्तुत परिवाद हेतु कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं है। परिवादी के द्वारा असत्य आधारो पर परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है एवं वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया है। अनावेदक के द्वारा विशेष कथन मे अभिवचन किया गया कि बीमा दावा प्रस्तुत किए जानें पर उस पर विचार किया गया यह पाया गया कि आवेदक घटना के समय नशे के प्रभाव मे था जो बीमा पालिसी में वर्णित शर्त का उल्लंघन है बीमा पालिसी की शर्त के अनुसार इस पालिसी के अंतर्गत देय किसी भी राशि पर ब्याज राशि भुगतान न करने का प्रावधान न होनें से आवेदक ब्याज प्राप्त करनें का हकदार नहीं हैं।
5/ उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से बीमा राशि 40,000रू राशि मय ब्याज प्राप्त करनें का अधिकारी है? हाँ
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में क्षतिपूर्ति राशि. प्राप्त करनें का अधिकारी है? हाँ
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? परिवाद स्वीकृत
विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार
6/ प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
7/ परिवादी का तर्क है कि अनावेदक क्र.1 द्वारा अनावेदक क्र.2 से दुर्घटना बीमा प्राप्त किया गया था दि 22.11.12 को परिवादी को चोट लग जाने पर दुर्ग जिला चिकित्सालय मे भर्ती रहनें के पश्चात सेक्टर 9 अस्पताल मे भर्ती रहा था इस प्रकार परिवादी 4 माह तक अनफिट रहनें के कारण अपनी ड्यूटी में अनुपस्थित रहा था परिवादी द्वारा समस्त दस्तावेज अनावेदक क्र.1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 को प्रदान किया गया अनावेदक क्र.2 के द्वारा दि 23.02.13 को परिवादी का दावा खारिज कर दिया गया इस प्रकार अनावेदकगण के द्वारा सेवा में कमी की गई।
8/ अनावेदक का तर्क है कि परिवादी घटना के समय नशे के प्रभाव में था बीमा पाॅलिसी के अंतर्गत दावा भुगतान योग्य न होनें के कारण अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा दावे को उचित आधार पर निरस्त किया गया परिवादी के द्वारा वास्तविक तथ्यों का उल्लेख न कर असत्य आधार पर दावा प्रस्तुत किया गया बीमा पालिसी की शर्त के अनुसार देय राशि पर ब्याज राशि भुगतान करनें का प्रावधान न होनें के कारण आवेदक ब्याज राशि पानें का हकदार नहीं है।
9/ प्रकरण का अवलोकन करनें पर हम यह पाते है कि परिवादी के द्वारा छ.ग. साख सहकारी समिति के माध्यम से अनावेदक क्र2 युनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी प्रीमियम अनावेदक क्र.2 को प्रदान कर बीमा पालिसी प्राप्त की थी परिवादी के द्वारा दुर्घटना के उपरांत अनफिट रहनें पर अपनी ड्यूटी में अनुपस्थित रहा। परिवादी के द्वारा प्रस्तुत एनेक्सर 4 में परिवादी द्वारा प्रस्तुत लीव बुक से यह स्पष्ट हेाता है कि दि.22.11.12 से दि.29.03.12 तक परिवादी अपनी ड्यूटी मे अनुपस्थित रहा उक्त घटना की सूचना परिवादिनी के द्वारा अनावेदक क्र.1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 को प्रदान की गई। अनावेदक क्र.2 के द्वारा बीमा पाॅलिसी के अपवर्जन क्लाॅज़ जो पेज क्र.5 के कंडिका 5 ख के अनुसार बीमाधारक नशीले पेय या दवा के प्रभाव में हो ऐसी स्थिती में बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु उत्तरदायी नहंी होती का बचाव लेते हुए परिवादी के दावे को निरस्त कर दिया गया जिसमें परिवादी की चिकित्सा पर्ची दिनांक 23.11.12 को लिखी गई है जिसमें एल्कोहाॅलिक ब्रीथ प्रिजे़ंट एवं अल्कोहालिक स्मेल प्रिजेंट शब्दो का वर्णन है। अनावेदक क्र.2 बीमा कंपनी के द्वारा एक मात्र इस आधार पर कि घटना के समय Under the Influence of alcohol के आधार पर दावा निरस्त किया गया इसके अतिरिक्त परिवादी की ईलाज पर्ची में स्मेल आफ अल्कोहल लिखा गया है किंतु उक्त इंद्राज से यह स्पष्ट नहीं होता है कि परिवादी नशे के प्रभाव मे था मात्र श्वांस में अल्कोहालिक गंध होने से मत्तता की हालत में होने का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड विरूद्ध श्रीमती रैनी बाई 2007 (1) सी.जी.एल.जे. 5 (छ.ग. राज्य आयोग) एवं नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड विरूद्ध श्री विनोद कुमार 1986-2008 कंज्युमर 14325 (राष्ट्रीय आयोग) में प्रतिपादित न्यायदृष्टांत विशेष अवलोकनीय है, जिसमें यही मत प्रतिपादित किया गया कि मात्र अल्कोहल की स्मेल होने से मत्तता की हालत में होने का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। इस प्रकार परिवादी लगभग 17 सप्ताह तक दि.22.11.12 से दि.29.03.13 तक अपनें कार्य में अनुपस्थित रहा जिसकी पुष्टि एनेक्सर पी.3 एवं एनेक्सर पी.4 से होती है। बीमा पालिसी के नियम एवं शर्तो के तहत यदि बीमाकृत व्यक्ति को ऐसी चोट जिसके कारण वह लंबी अवधि तक अशक्त रहता है तो वह बीमा राशि प्राप्त करनें का अधिकारी है इस प्रकार अनावेदक क्र.2 द्वारा आवेदक का बीमा गलत आधारों पर निरस्त कर सेवा में कमी एवं व्यावसायिक कदाचरण किया जाना उपरोक्त विवेचन से सिद्व होता है। अतः अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध यह परिवाद निरस्त किया जाता है तथा अनावेदक क्र.2 के विरूद्ध यह परिवाद स्वीकार किया जाता है।
10/ अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और आदेशित करते है कि आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर:-
(अ) अनावेदक क्र.2 परिवादी को 40,000रू (चालीस हजार रूपये). प्रदान करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.2 द्वारा निर्धारित समय के भीतर आवेदक को उक्त राशि का भुगतान नहंी किए जानें पर अनावेदक क्र.2 परिवादी को उक्त राशि पर आदेश दिनांक से 7 प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करनें हेतु उत्तरदायी रहेंगे।
(स) अनावेदक क्र.2 , परिवादी को उपरोक्त कृत्य के कारण हुए मानसिक कष्ट के लिए 5,000रू. (पांच हजार रूपये) अदा करेंगे।
(द) अनावेदक क्र.2, परिवादी को अधिवक्ता शुल्क तथा वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करेंगे।