छत्तीसगढ़ राज्य
उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, पंडरी, रायपुर
अपील क्रमांकः FA/14/785
संस्थित दिनांक : 09.12.2014
नारायण प्रसाद केशरवानी पिता कौशल प्रसाद केशरवानी,
आयु-52 वर्ष,
निवासी-एल.आई.जी.-241,
महाराण प्रताप नगर, कोरबा,
जिला-कोरबा (छ.ग.) ..............अपीलार्थी/परिवादी.
विरूद्ध
छ.ग. राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित कोरबा,
जिला-कोरबा,
द्वारा-कार्यपालन अभियंता (नगर) संभाग,
छ.ग. राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित कोरबा,
जिला-कोरबा (छ.ग.) ...........उत्तरवादी/अनावेदक.
समक्षः
माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस.शर्मा, अध्यक्ष.
माननीया सुश्री हिना ठक्कर, सदस्या.
माननीय श्री डी. के. पोद्दार, सदस्य.
पक्षकारों के अधिवक्ता
अपीलार्थी की ओर से श्री ए. दीवान, अधिवक्ता।
मौखिक आदेश
दिनांकः 07/02/2015
द्वाराः-माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस. शर्मा, अध्यक्ष
अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, के अंतर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, कोरबा (छ0ग0) (जिसे आगे संक्षिप्त में ‘‘जिला फोरम’’ संबोधित किया जाएगा) के प्रकरण क्रमांक-14/ 02 में पारित आदेश दिनांक-11.11.2014 जिसके द्वारा अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्त किया गया है, से दुखित होकर प्रस्तुत किया है।
02. अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्युत विभाग द्वारा केवल एफ.आई.आर. अपीलार्थी/परिवादी के विरूद्ध दर्ज कर दिया गया है परन्तु दो वर्ष तक उस एफ.आई.आर. पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया और ना ही कोई परिवाद सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया और हर माह बिल प्रेषित किया जाता रहा है और अपीलार्थी/परिवादी द्वारा भुगतान किया जाता रहा है और अपीलार्थी/परिवादी को नया कनेक्शन प्रदान किया गया है और ऐसी स्थिति में प्रथम सूचना-पत्र दर्ज कर लेना मात्र ही यह साबित नहीं करता है कि अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्ता नहीं है। जिला फोरम का आदेश विधि विपरीत है। अपीलार्थी/परिवादी की अपील सुनवाई योग्य है, अतः अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार किया जावे।
03. हमने जिला फोरम के आलोच्य आदेश का परिशीलन किया।
04. उत्तरवादी/अनावेदक द्वारा एक लिखित शिकायत पुलिस चैकी रामपुर आई. टी. आई. कोरबा में अपीलार्थी/परिवादी के विरूद्ध किया गया है जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अवैध रूप से ग्रिप निकालने के बाद भी 5 के. डब्ल्यू. भार का विद्युत उपभोग किया है। उत्तरवादी/अनावेदक की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों का भी परिशीलन किया गया। दस्तावेजों के परिशीलन से यह पाया जाता है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अवैध रूप से विद्युत ऊर्जा प्राप्त किया है और ऐसी स्थिति में U.P. Power Corpotation Ltd. & Ors. Vs. Anis Ahmad, III (2013) CPJ (SC)1, के न्याय दृष्टांत के परिप्रेक्ष्य में जिला फोरम को इस परिवाद की सुनवाई के संबंध में क्षेत्राधिकार नहीं है और फलस्वरूप जिला फोरम ने जो आदेश पारित किया है वह विधि सम्मत है। उक्त आदेश पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
05. अतः अपीलार्थी/परिवादी की अपील गुण-दोष पर सुनवाई योग्य नहीं होने से सुनवाई के लिए ग्रहण नहीं किया जाता है और प्रारंभिक अवस्था में ही अपील निरस्त किया जाता है।
(न्यायमूर्ति आर.एस.शर्मा) (सुश्री हिना ठक्कर) (डी. के. पोद्दार)
अध्यक्ष सदस्या सदस्य
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