Uttar Pradesh

Hamirpur

CC/6/2015

RAM KRAPAL - Complainant(s)

Versus

BUNDELKHAND AUTO MOBILES AND OTHER - Opp.Party(s)

RAVINDRA KUMAR DIXIT

06 Oct 2016

ORDER

FINAL ORDER
DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
HAMIRPUR
UP
COURT 1
 
Complaint Case No. CC/6/2015
 
1. RAM KRAPAL
VILL- CHHANI KHURD,THANA BIVAR,
HAMIRPUR
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. BUNDELKHAND AUTO MOBILES AND OTHER
KANPUR ROAD MAHOBA
MAHOBA
UTTAR PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MRS. HUMERA FATMA MEMBER
 
For the Complainant:RAVINDRA KUMAR DIXIT, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 06 Oct 2016
Final Order / Judgement

दायरा तिथि- 06-01-2015

                                            निर्णय तिथि- 06-10-2016

  समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)

   उपस्थिति-   श्री रामकुमार                    अध्यक्ष,

              श्रीमती हुमैरा फात्मा              सदस्या                         

 परिवाद सं0-06 सन 2015 अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

राम कृपाल पुत्र रघुनाथ निवासी ग्राम छानी खुर्द थाना बिंवार जिला हमीरपुर।                                                    

                                                        .....परिवादी।

                        बनाम

  1. श्रीमान प्रबंधक महोदय बुन्देलखण्ड आटो मोबाइल प्रा0लि0 कानपुर रोड़ महोबा जिला महोबा।
  2. श्रीमान प्रबंधक महोदय चोला मण्डलम एम0एस0 जनरल इन्श्योरेन्स क0लि0 हेड आफिस जारी हाउस सेकेण्ड फ्लोर नं0 2 एन0एस0सी0 बोस रोड चेन्नई।
  3. श्रीमान प्रभारी अधिकारी, बुन्देलखण्ड आटो मोबाइल प्रा0लि0 कानपुर महोबा रोड़ शाखा हमीरपुर जनपद हमीरपुर।                                                      

                                                    ........विपक्षीगण।

                       निर्णय

द्वारा- श्री, रामकुमार,पीठासीन अध्यक्ष,

       परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद मु0 320000/- ( विपक्षी सं0 3 से मु0 50000/- रू0 व विपक्षी सं0 2 से मु0 270000/- रू0) ब्याज सहित दिलाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत किया है।

        परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि उसने विपक्षी सं0 1 की शाखा विपक्षी सं0 3 से एक गाड़ी लैम्पर वैन खरीदी थी जिसका इंजन नं0 GSD4H85325 व चेचिस नं0 MA1RU2GHKD3J5087 तथा रजिस्ट्रेशन नं0 यू0पी0 91 टी 2495 है। परिवादी ने गाड़ी खरीदने के बाद दि0 23-08-13 को मु0 50000/- रू, दि 24-10-13 को मु0 50000/- रू0, दि0 01-11-13 को 150000/- रू0 तथा दि0 04-05-13 मु0 16323/- रू0 शाखा हमीरपुर के अधिकृत अधिकारी ए0के0 निगम को प्राप्त कराए थे, जिस पर विपक्षी के अधिकारी ने उक्त गाड़ी का बीमा भी कराया  था। अब विपक्षी ए0के0 निगम को अपना अधिकृत अधिकारी मानने से इंकार कर रहे है। उक्त गाड़ी का लोन विपक्षी सं0 3 द्वारा मैग्मा फिनकार्प लि0 कानपुर से करवाया था। विपक्षी सं0 3 ने मु0 150000/- रू0 मैग्मा कम्पनी को दिये थे।उक्त गाड़ी का आंकलन 550000/- रू0 किया गया था और उक्त गाड़ी का लोन मु0 400000/- रू0 8.50 प्रतिशत वार्षिक की दर से लिया गया था। परिवादी की गाड़ी दि0 30-01-14 की दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिसकी सूचना विपक्षीगण को फोन  से दी  गई। दि0 16-04-14 व  02-08-14 को  रजिस्टर्ड  डाक से  नोटिस भी अधिवक्ता के माध्यम से  दी गई। लेकिन  विपक्षीगण  द्वारा कोई

                                                                  (2)

कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी की गाड़ी मरम्मत का खर्च मु0 150000/- तथा गाड़ी खड़ी रहने के कारण मु0 120000/- का नुकसान हुआ। जिसके लिए विपक्षीगण जिम्मेदार है। दि0 20/08/14 को जब परिवादी विपक्षीगण के आफिस गया तो उसे वहां से भगा दिया और क्लेम देने से साफ इंकार कर दिया। इस कारण परिवादी को यह वाद फोरम में दायर करना पड़ा।

विपक्षी सं0 1 व 3 ने अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी को लैम्पर वैन बेचना, दि0 24-10-13 को मु0 50000/- रू0,  दि0  01-11-13 को 150000/- रू0 तथा दि0 04-05-13 मु0 16323/- रू0 जमा करना स्वीकार किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी को उक्त गाड़ी नवम्बर 13 में सभी औपचारिकताए पूर्ण करके विक्रय की गई थी  जिसका फाइनेन्स स्वयं  वादी द्वारा  ही कराया गया था। दि0 23-08-13 को मु0 50000/- रू जमा करना सरासर झूठा और गलत तथ्य है। जिसकी कोई रसीद परिवादी ने विपक्षी को उपलब्ध नहीं कराई है। विपक्षी का कर्मचारी ए0के0 निगम बहुत पहले नौकरी छोड़कर जा चुका है। जिसकी जिम्मेदारी विपक्षी की नहीं है। परिवादी द्वारा गाड़ी की दुर्घटना की सूचना विपक्षीगण को नहीं दी गई। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। तथा परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

विपक्षी सं0 2 ने कोई जवाबदावा व शपथपत्र पेश नहीं किया है।

परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची न0 3 से 14 अभिलेख, सूची कागज सं0 37 से 4 अभिलेख तथा साक्ष्य में स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 31 दाखिल किया है।

      विपक्षी सं0 1 व 3 ने अभिलेखीय साक्ष्य में प्रकाश श्रीवास्तव  मैनेजर बुन्देलखण्ड आटो मोबाइल्स प्रा0लि0 का शपथपत्र कागज सं0 38 दाखिल किया है।

      परिवादी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।

उपरोक्त के विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी सं0 1 बुन्देलखण्ड आटोमोबाइल प्रा0 लि0 महोबा की शाखा हमीरपुर जो विपक्षी सं0 3 है से नबम्वर 2013 में एक महिन्द्रा कैम्पर वैन खरीदा था। विपक्षी सं0 1 व 3 ने अपने जबावदावा के पैरा सं0 7 मे इस तथ्य को स्वीकार किया है कि परिवादी ने उक्त वाहन खरीदने के लिए दि0 24-10-13 को 50000/- रू0 दि0 01-11-13 को 150000/- रू व दि0 04-05-13 को 16323/- रू0 उनकी एजेन्सी में जमा किया था। जमा करने के पश्चात धनराशि प्राप्ति की रसीद परिवादी को तुरन्त उपलब्ध करा दी गई थी। जबकि परिवादी का यह कथन है कि उसने  उक्त  धनराशि के  अतिरिक्त दि0 23-10-13 को 50000/- रू विपक्षी सं0 3 की एजेन्सी  हमीरपुर के

                          (3)

अधिकारी ए0के0 निगम को उक्त वाहन क्रय करने के लिए दिया था। श्री ए0के0 निगम ने 50000/- रू0 प्राप्त करके अपने हस्तलेख व हस्ताक्षर में सादे कागज पर रसीद तैयार करके निर्गत की थी क्योंकि उस समय उनके पास छपी रसीद उपलब्ध नहीं थी। विपक्षी सं0 3 ने अपने जवाबदावे में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि श्री ए0के0 निगम उनकी एजेन्सी में कर्मचारी ही हैसियत से तैनात थे लेकिन वह काफी पहले नौकरी छोडकर जा चुके है। यदि उनके द्वारा परिवादी से कोई धनराशि प्राप्त की गई है तो उसके लिए एजेन्सी उत्तरदायी नहीं है। क्योंकि श्री ए0के0 निगम ने उक्त धनराशि एजेन्सी के खाते में जमा नही किया है। विपक्षी सं0 1 व 3 के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क से फोरम सहमत नहीं है। प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षी सं0 3 की हैसियत एजेन्सी की है। तथा श्री ए0के0 निगम की हैसियत उसके अभिकर्ता की है। अभिकर्ता द्वारा अपकृति के सम्बन्ध में संविदा अधिनियम में दिये गये प्राविधानों के अनुसार ऐसा व्यक्ति जो अभिकर्ता द्वारा कारबार करना पसन्द करता है। कुछ परिस्थितियों में अभिकर्ता द्वारा की गई अपकृतियों के लिए दायी ठहराया जा सकता है। कारबार के अनुक्रम में अभिकर्ता की अपकृतियों  के लिए मालिक  को दायी ठहराने के लिए श्रेष्ठ व्यक्ति उत्तरदेय ( रेस्पोन्डेन्ट सुपीरियर) वाला सिद्धान्त लागू किया जायेगा अर्थात जैसा कि आमतौर से कहा जाता है कि अपकृति उस समय की गई जबकि अभिकर्ता व्यापार के अनुक्रम में या अभिकरण के क्षेत्र में कार्य कर रहा था। इस तरह से श्री ए0के0 निगम ने परिवादी से 50000/- रू0 लेकर एजेन्सी में जमा नहीं किये और उक्त धनराशि का उन्होने गबन कर लिया। इसके लिए विपक्षी सं0 3 उत्तरदायी है। क्योकि उन्होने श्री ए0के0 निगम द्वारा जारी रसीद को फर्जी नहीं कहा है। केवल यह बचाव लिया है कि श्री ए0के0 निगम एजेन्सी की नौकरी छोडकर जा चुके है।

पत्रावली पर दाखिल अभिलेखीय साक्ष्य से यह विदित है कि परिवादी द्वारा प्रश्नगत वाहन खरीदने के लिए विभिन्न तारीखों पर कुल 266323/- रू0 जमा किये गये। विपक्षी सं0 3 ने उक्त धनराशि जमा होने पर मैग्मा फिनक्राप लि0 कानपुर से 400000/- रू0 का लोन 8.50 प्रतिशत वार्षिक की दर से कराया तथा गाडी का आंकलन 550000/- रू0 पर किया गया। विपक्षी सं0 3 ने परिवादी की गाडी का बीमा विपक्षी सं0 2 के एजेन्ट से कराया जो कि उनकी एजेन्सी में गाड़ी खरीदते समय मौजूद था। विपक्षी सं0 1 व 3 का यह कथन कि परिवादी ने स्वयं वाहन खरीदने का फाइनेन्स मैग्मा फिनक्राप लि0 कानपुर से कराया था तथा उसी ने गाडी का बीमा भी चोला मण्डलम एम.एस. जनरल इं0 क0 से कराया था। परिवादी का यह कथन इस सही प्रतीत होता है क्योंकि व्यवहारिक रूप से जो एजेन्सी वाहन का विक्रय करती है उन्ही के कार्यालय में फाइनेन्स कम्पनी के एजेन्ट व बीमा कम्पनी के एजेन्ट मौजूद रहते है। इन सब का रैकैट चलता है। जो  अपना लाभांश  लेकर

                        (4)

फाइनेन्स करते है तथा वाहन का बीमा करते है। परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन रजिस्ट्रेशन न0 यू.पी. 91 टी 2495 से सम्बन्धित रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र, बीमा पालिसी की फोटो प्रतिलिपि पत्रावली पर  दाखिल किया है।  उक्त  पालिसी दि0 01-11-13 से 31-10-14 तक वैध एवं प्रभावी है।

परिवादी ने अपनी बुलेरों कैम्पर गाडी रजिस्ट्रेशन न0 यूपी 91 टी 2495 की दि0 30-01-14 को शाम 6.00 बजे हुई दुर्घटना के सम्बन्ध में थानाध्यक्ष विवांर जिला हमीरपुर को दी गई टाइपसुदा तहरीर दि0 09-10-14 की फोटो प्रतिलिपि कागज सं0 12 तथा उक्त तहरीर के आधार पर थाना विवांर मे किता की गयी जी0डी0 न0 23 समय 13.00 बजे दि0 09-02-14 की फोटो प्रतिलिपि कागज सं0 13 दाखिल किया है। उक्त तहरीर के अनुसार पर जब परिवादी अपनी गाडी लेकर छानी से विवांर जा रहा था तभी  रास्ते में जंगली जानवर के आ जाने से उपरोक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षी सं 3 को जरिए टेलीफोन दिया तथा दि0 02-08-14 को बीमा क्लेम विपक्षी स0 3 को इस आशय से प्रस्तुत किया कि उक्त वाहन की बीमा धनराशि विपक्षी सं0 2 से दिलवाना सुनिश्चित करें तथा विपक्षी सं0 1 व 2 को भी दि0 16-04-14 को सूचना जरिए नोटिस दिया। परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई सुनवाई न करने पर उक्त वाहन में मरम्मत में हुए खर्च मु0 150000/- तथा 2 महीने तक गाडी क्षतिग्रस्त हालत में खडी रहने से आमदनी में हुई क्षति 120000/- कुल धनराशि 270000/- रू0 दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत परिवाद न्यायालय में पेश किया है। पत्रावली पर दाखिल प्रश्नगत वाहन की बीमा पालिसी से विदित है कि उक्त वाहन घटना वाले दिन बीमित था तथा उक्त धनराशि के भुगतान करने का दायित्व विपक्षी सं0 2 का है। विपक्षी सं0 2 बाद तामीली भी फोरम में  उपस्थित नहीं  आये। इसलिए उनके  विरूद्ध दि0 21-08-15 को एकपक्षीय कार्यवाही सम्पादित की गई।

अब प्रश्न यह है कि परिवादी को कितनी धनराशि दिलाया जाना न्याय संगत होगा। इस सम्बन्ध में परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत के सम्बन्ध में मुन्ना आटो गैरिज काली देवी मन्दिर राठ रोड़  मैन स्टैण्ड बिवार हमीरपुर द्वारा जारी 4 कैश मेमो क्रमशः रू0 45755/-, 40645/-, 45000/- 15900/- कुल मु0 147300/- रू0  दि0 17-03-14 पेश किया है। उक्त कैश मेमों में गियर आयल, कूलेन्ट, गाडी को खोलने व बांधने की मजदूरी डेन्टिंग व पेन्टिंग की मजदूरी को भी सम्मिलित किया गया है। जवकि बीमा कम्पनियां ईधन, गियर आयल, कांच, रबर आइटम तथा डेन्टिंग व पेन्टिंग आदि की पूरी धनराशि का भुगतान नहीं करती है।

 

                        (5)

इसलिए उक्त धनराशि में से अनुमानित धनराशि 80,000/- रू0 का भुगतान बीमा कम्पनी से दिलाया जाना न्याय संगत होगा।

परिवादी यह साबित नहीं कर पाया कि उक्त वाहन के चालू हालत में वह प्रतिदिन कितनी धनराशि की कमाई कर लेता है। अतएव क्षतिग्रस्त हालत में वाहन के खड़े रहने का प्रतिकर दिलाये जाने का पर्याप्त आधार नहीं है।

      उपरोक्त के विवेचन के पश्चात फोरम इस मत का है कि परिवादी को विपक्षी सं0 2 व 3 से वांछित अनुतोष दिलाया जाना न्याय संगत होगा। विपक्षी सं0 1 के विरूद्ध दावा निरस्त किये जाने योग्य है।

                        -आदेश-

परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 2 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के बीमित वाहन में हुई मरम्मत के एवज मे मु0 80,000/- रू0 तथा विपक्षी सं0 3 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मु0 50,000/- रू0 क्षतिपूर्ति व वाद व्यय 3000/- रू0 अदा करें। आदेश का अनुपालन अंदर 30 दिवस हो अन्यथा क्षतिपूर्ति की धनराशि पर विपक्षी सं0 2 उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत ब्याज तथा विपक्षी सं0 3 देय धनराशि 50000/- पर 9 प्रतिशत ब्याज अदा करेंगे। अन्यथा परिवादी को यह अधिकार हासिल है कि वह फोरम के माध्यम से उक्त धनराशि की वसूली कर ले।

विपक्षी सं0 3 को यह अधिकार हासिल है कि परिवादी को उक्त धनराशि भुगतान करने के पश्चात वे अपने कर्मचारी श्री ए0के0 निगम से उनके द्वारा गबन की गई धनराशि 50000/- रू0 की वसूली नियमानुसार कर लें। विपक्षी सं0 1 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है।

 

         (हुमैरा फात्मा)                               (रामकुमार)                         

           सदस्या                                    अध्यक्ष 

       यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।

 

         (हुमैरा फात्मा)                                (रामकुमार)                         

            सदस्या                                    अध्यक्ष 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. HUMERA FATMA]
MEMBER

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