जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 503/2012
विमल कुमार मंत्री, निवासी मकान नंबर 166 राधा गोविन्द काॅलोनी, ढहर के बालाजी, सीकर रोड़, जयपुरÛ
परिवादी
ं बनाम
1. प्रधान महाप्रबंधक दूर संचार जिला जयपुर, भारत संचार निगम लि0 कार्यालय प्रधान महाप्रबंधक, दूरसंचार, जिला जयपुर Û
2. लेखा अधिकारी टेलीफोन राजस्व, विद्याधर नगर, सेक्टर 5 भारत संचार निगम लि0, जयपुर 302023
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री विश्वनाथ सिगची - परिवादी
श्री आर.एन.यादव - विपक्षी निगम
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक:20.04.12
आदेश दिनांक: 09.01.2015
परिवादी विमल कुमार मंत्री ने विपक्षीगण भारत संचार निगम लिमिटेड के विरूद्ध यह परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है । परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी का टेलीफोन नंबर पूर्व में 2230126 था जिसके खाते में 35856/- रूपए बकाया राशि विपक्षी विभाग द्वारा निकाल रखी थी जिस बाबत परिवादी द्वारा विभाग के सेटलमेंट स्कीम के तहत दिनांक 06.11.2009 को 6283/- रूपए नकद जमा करवा दिए थे जिसकी रसीद लेखा अधिकारी श्री मोहन जी ने हस्ताक्षरित कर परिवादी को दी थी। दिनांक 16.11.2009 को परिवादी ने मोडम भी जमा करवा दिया था जिसकी रसीद विपक्षी कार्यालय से परिवादी को प्रदान की गई । परिवादी ने दिनांक 03.12.2009 को टेलीफोन कनेक्शन लेने हेतु 500/- रूपए विपक्षी के यहां जमा करवाए थे जो जरिए रसीद सॅंख्या एन 317823 जमा करवाए गए । परिवादी का कथन है कि उसके यहां टेलीफोन नहीं लगाया गया और न ही 500/- रूपए की राशि वापिस लौटाई गई । परिवादी का कथन है कि दिनांक 30.11.2010 को विपक्षी के विद्याधर नगर कार्यालय में सम्पर्क किया तो डिफाल्टर नोटिस दिनांक 30.11.2010 जारी किया गया जिससे परिवादी को भारी हैरानी हुई क्योंकि विपक्षी ने पूर्ण सेटलमेंट स्कीम का विश्वास देकर परिवादी से बकाया टेलीफोन बिल के पेटे दिनांक 06.11.2009 को 6238/- रूपए प्राप्त किए थे तथा सम्पूर्ण चुकती का विश्वास देकर रसीद परिवादी को प्रदान की थी । परिवादी का कथन है कि दिनांक 21.02.2011 को जरिए अधिवक्ता नोटिस भी विपक्षीगण को दिया गया परन्तु उसका कोई जवाब विपक्षीगण ने नहीं दिया न ही उसके यहां टेलीफोन लगाया गया न ही 500/- रूपए की राशि वापिस लौटाई गई जिससे उसे मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षति कारित हुई । परिवादी ने जमा की गई राशि 500/- रूपए, मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए 50,000/- रूपए, परिवाद खर्चा व कानूनी फीस के 11000/- रूपए दिलवाए जाने की प्रार्थना की है।
विपक्षी की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी के टेलीफोन नंबर 2230126 की बकाया का निपटारा सेटलमेण्ट स्कीम के तहत हो गया था लेकिन परिवादी के दो और टेलीफोन नंबर 2232158, 2330737 मैसर्स एस.आर.प्रेसट्रेस इण्डस्ट्रीज के नाम से थे इन टेलीफोन बिलों की राशि 11551/- रूपए बाकी है जो जमा करवाए बिना परिवादी को नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है । दिनांक 03.12.2009 को 500/- रूपए जमा करवाया जाना विपक्षी ने स्वीकार किया है । एस.आर.प्रेसट्रेस इण्डस्ट्रीज के बिलों की बकाया राशि चूंकि परिवादी इस फर्म में पार्टनर था उसके टेलीफोन नं. 2230126 में जोड़ दी गई। विपक्षी का कथन है कि टेलीफोन नंबर 2230126 पर 35856/- रूपए इन्टरनेट एवं कनेक्शन के बकाया थे जिसके पेटे 6238/- रूपए में सैटलमेंण्ट किया गया था । परिवादी की भागीदारी फर्म के टेलीफोन नंबर 2232158, 2330737 की बकाया राशि 11551/- रूपए बाबत सेटलमेंट नहीं हुआ था । परिवादी की ओर से भेजे गए विधिक नोटिस का जवाब दिनांक 04.06.2011 को दे दिया गया था । विपक्षी का कथन है कि यह मामला उपभोक्ता मंच के क्षेत्राधिकार से बाहर है। विपक्षी की ओर से परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया गया है ।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी की ओर से बहस की गई है कि परिवादी ने टेलीफोन कनेक्शन प्राप्त करने के लिए विपक्षी भारत संचार निगम लिमिटेड के विद्याधर नगर कार्यालय में आवेदन किया था और शुल्क जमा करवाया था । परिवादी का टेलीफोन नंबर पूर्व में 2230126 था जिसके कंज्यूमर संख्या आरजेजेपी 20061075487 के खाते में 35856/- रूपए बकाया राशि होने के कारण परिवादी द्वारा सेटलमेंट स्कीम के तहत दिनांक 06.11.2009 को 6283/- रूपए जमा करवा दिए थे जिसकी रसीद भी विपक्षी के कार्यालय से प्रदान की गई थी । परिवादी द्वारा दिनांक 03.12.2009 को नया टेलीफोन कनेक्शन प्राप्त करने के लिए विपक्षी कार्यालय में जरिए रसीद सॅंख्या डी/एन नंबर एन 317823 रूपए 500/- जमा करवाए थे परन्तु विपक्षी निगम ने यह राशि प्राप्त होने के बाद भी नया कनेक्शन नहीं दिया ना ही जमा राशि 500/- रूपए वापिस लौटाई । जब विपक्षी के विद्याधर नगर कार्यालय में सम्र्प किया तो उन्होंने डिफाल्टर नोटिस दिनंाक 30.11.2010 नंबर एओ(टीआर)/वीडीएन/डिफाल्टर/वीडीएनए 2230126/411 जारी किया और कहा कि परिवादी को नया टेलीफोन कनेक्शन जारी नहीं किया जा सकता है जबकि परिवादी ने बकाया टेलीफोन बिल के पेटे सेटलमेंट स्कीम के तहत 6238/- रूपए 06.11.09 को जमा करवा दिए थे । इस प्रकार विपक्षी टेलीफोन कार्यालय द्वारा परिवादी को नया टेलीफोन कनेक्शन नहीं देकर सेवादोष कारित किया है जिससे परिवादी को मानसिक पीड़ा पहुॅंची है इसलिए परिवादी को विपक्षी से जमाशुदा राशि 500/- रूपए मय ब्याज दिलवाई जावे तथा क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई जावे ।
विपक्षी निगम की ओर से इस बारे में विवाद नहीं किया गया है कि परिवादी द्वारा नए टेलीफोन कनेक्शन हेतु 500/- रूपए की राशि जमा करवाई गई थी परन्तु उनकी ओर से यह कहा गया है कि परिवादी के टेलीफोन टेलीफोन नंबर 2230126 की बकाया का निपटारा सेटलमेण्ट स्कीम के तहत हो गया था लेकिन परिवादी के दो और टेलीफोन नंबर 2232158, 2330737 मैसर्स एस.आर.प्रेसट्रेस इण्डस्ट्रीज के नाम से थे जिनमें परिवादी की भागीदारी थी इन टेलीफोन बिलों की राशि 11551/- रूपए बकाया होने के कारण परिवादी को नया कनेक्शन नहीं दिया जा सका है । विपक्षी निगम की ओर से यह बहस भी की गई है कि परिवादी की भागीदारी फर्म के टेलीफोन नंबर 2232158, 2330737 की बकाया राशि 11551/- रूपए बाबत कभी कोई सेटलमेंट नहीं हुआ है इसलिए परिवादी को टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है तथा यह राशि जमा करवाने पर ही टेलीफोन कनेक्शन दिया जा सकता है । विपक्षी निगम की ओर से कोई सेवादेाष नहीं किए जाने का कथन करते हुए परिवाद खारिज करने बाबत निवेदन किया गया है ।
हमने उभय पक्षों के इन तर्को पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया ।
इस सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है कि परिवादी ने नया टेलीफोन कनेक्शन लेने के लिए दिनांक 03.12.2009 जरिए रसीद सॅंख्या डी/एन नंबर एन 317823 रूपए 500/- जमा करवाए थे । परिवादी का कथन है कि पूर्व के टेलीफोन नंबर 2230126 के विवाद का निपटारा सेटलमेंट स्कीम के तहत किए जाने पर परिवादी नेे 6283/- रूपए जमा करवा दिए थे जबकि विपक्षी टेलीफोन निगम की ओर से कहा गया है कि परिवादी की भागीदारी फर्म के टेलीफोन नंबर 2232158, 2330737 की बकाया राशि 11551/- रूपए जमा नहीं करने के कारण परिवादी को नया टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिया जा सका है । परिवादी ने इस तथ्य से इंकार नहीं किया है कि वह प्रेसट्रेस इण्डस्ट्रीज में पाटर्नर नहीं था । विपक्षी निगम ने फर्म की ओर बकाया टेलीफोन बिल को पेश किया है इससे स्पष्ट होता है कि फर्म के टेलीफोन नंबर 2232158, 2330737 की बकाया राशि किसी भागीदार द्वारा जमा नहीं करवाई गई है और परिवादी इस फर्म में भागीदार था । विपक्षी की ओर से भागीदार फर्म के सम्बन्ध में नियम पेश किए गए हैं जिसमें निम्न उल्लेख है कि:-
"The personal telephone of a partner can be disconnected if the part nership firm is in arrear of charges in respect of its own telephone. A partnership firm is not a legal entity distinct from its partners. The liability of a partnership firm is the joint and several liability of all its partners. Therefore, any payment which became due in respect of the telephone belonging to a partnership firm becomes the joint and several liability of its partners. The doctrine of distinct personality cannot be applied to exonerate the partners from the liability of telephone charges which are due from the firm."
इस प्रकार यदि किसी भागीदारी फर्म का कोई बकाया हेै तो उसके भागीदार का टेलीफोन सम्बन्ध बकाया के आधार पर विच्छेद किया जा सकता है । क्योंकि भागीदारी फर्म के भागीदारों की जिम्मेदारी संयुक्त तथा पृथक-पृथक बनती है ।
उपरोक्त समस्त विवेचन के अनुसार चूंकि परिवादी भागीदार फर्म में एक भागीदार था जिसके टेलीफोन बिलों की बकाया राशि जमा नहीं करवाई गई है इसलिए विपक्षी निगम द्वारा परिवादी को नया टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिए जाने में किसी प्रकार का सेवादोष कारित नहीं किया गया है परन्तु परिवादी ने जो नया टेलीफोन कनेक्शन प्राप्त करने के लिए राशि जमा करवाई वह 500/- रूपए वापिस लौटाए जाने के लिए प्रार्थना की है । हमारी राय में परिवादी की यह प्रार्थना स्वीकार किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को उसके द्वारा जमा करवाई गई राशि 500/- रूपए अक्षरे पाॅंच सौ रूपए परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर सहित अदा करेगा । आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 09.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष