जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 505/2012
श्रीमती सुमन मंत्री पत्नी श्री विमल कुमार मंत्री, निवासी मकान नंबर 166 राधा गोविन्द काॅलोनी, ढहर के बालाजी, सीकर रोड़, जयपुरÛ
परिवादी
ं बनाम
1. प्रधान महाप्रबंधक दूर संचार जिला जयपुर, भारत संचार निगम लि0 कार्यालय प्रधान महाप्रबंधक, दूरसंचार, जिला जयपुर Û
2. लेखा अधिकारी टेलीफोन राजस्व, विद्याधर नगर, सेक्टर 5 भारत संचार निगम लि0, जयपुर 302023
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री विश्वनाथ सिगची - परिवादी
श्री आर.एन.यादव - विपक्षी निगम
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक:20.04.12
आदेश दिनांक: 09.01.2015
परिवादिया सुमन मंत्री ने विपक्षीगण भारत संचार निगम लिमिटेड के विरूद्ध यह परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है । परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिया ने दिनांक 30.03.2012 को टेलीफोन कनेक्शन लेने हेतु 500/- रूपए नकद विपक्षी सॅंख्या 2 के यहां जमा करवाए थे जिस पर रसीद सॅंख्या 0000031048 प्रदान की गई । परिवादिया का कथन है कि बार-बार सम्पर्क करने पर भी उसके यहां टेलीफोन नहीं लगाया गया और न ही इस बाबत कोई संतोषजनक जवाब दिया गया न ही 500/- रूपए की राशि वापिस लौटाई गई । परिवादिया का कथन है कि दिनांक 21.02.2011 को जरिए अधिवक्ता नोटिस भी विपक्षीगण को दिया गया परन्तु उसका कोई जवाब विपक्षीगण ने नहीं दिया न ही उसके यहां टेलीफोन लगाया गया न ही 500/- रूपए की राशि वापिस लौटाई गई जिससे उसे मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षति कारित हुई । परिवादिया ने जमा की गई राशि 500/- रूपए, मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए 50,000/- रूपए, परिवाद खर्चा व कानूनी फीस के 11000/- रूपए दिलवाए जावें ।
विपक्षी की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि परिवादिया के पति विमल कुमार मंत्री के नाम एक टेलीफोन नंबर 2230126 एवं उनकी फर्म मैसर्स एस.आर.प्रेसरस के नाम दो टेलीफोन 2232158, 2336737 थे । परिवादिया के पति ने फर्म के नाम के टेलीफोन बिलों की राशि 11551/- रूपए जमा नहीं करवाए इस कारण टेलीफोन के बिलों की बकाया राशि 11,551/- रूपए परिवादिया के पति के फोन नंबर 2230126 में लेखा समायोजन के कारण जोड दी उक्त राशि बकाया होने के कारण परिवादिया को नया टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है । बकाया राशि 11551/- रूपए जमा करवा दिए जाने पर टेलीफोन कनेक्शन दे दिया जाएगा । विपक्षी की ओर से परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया गया है ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
इस सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है कि परिवादिया ने भारत संचार निगम लिमिटेड के विद्याधर नगर कार्यालय में दिनांक 30.03.2010 को टेलीफोन कनेक्शन प्राप्त करने के लिए 500/- रूपए जमा करवाए थे जिस पर विपक्षी दूर संचार निगम द्वारा रसीद सॅंख्या 0000031048 जारी की गई । परिवादिया द्वारा टेलीफोन कनेक्शन जारी किए जाने हेतु कार्यालय में सम्पर्क किए जाने पर उनके द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया न ही टेलीफोन लगाया गया न ही जमा करवाई गई राशि लौटाई गई जिससे परिवादिया को मानसिक संताप व आर्थिक हानि हुई । तत्पश्चात नोटिस दिए जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । इस प्रकार विपक्षी ने सेवादेाष कारित किया है इसलिए परिवादिया को विपक्षी से जमाशुदा राशि 500/- रूपए मय ब्याज दिलवाई जावे तथा क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई जावे ।
विपक्षी दूर संचार विभाग की ओर से यह बहस की गई है कि परिवादिया के पति विमल कुमार मंत्री के नाम टेलीफोन सॅंख्या 2230126 एवं उनकी फर्म मैसर्स एस.आर.प्रेसरस के नाम दो टेलीफोन 2232158, 2336737 थे । परिवादिया के पति ने अपने नाम के टेलीफोन की राशि को समझौता समिति की स्कीम के तहत जमा करवा दिया परन्तु फर्म के नाम टेलीफोन बिल की बकाया राशि 11551/-रूपए जमा नहीं करवाए इस कारण परिवादिया को टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिया गया । विपक्षी दूरसंचार निगम की ओर से यह बहस की गई है कि यदि परिवादिया बकाया राशि जमा करवा दे तो उसे तुरन्त टेलीफोन कनेक्शन दे दिया जाएगा । विपक्षी की ओर से कहा गया कि उनके द्वारा कोई सेवादोष कारित नहीं किया गया है ।
हमने उभय पक्षों के इन तर्को पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया ।
विपक्षी दूर संचार निगम ऐसे किसी नियम को बताने में असमर्थ रहा है कि पति की फर्म की ओर अगर कोई बकाया राशि हो और उसे जमा नहीं करवाया जाए तो पत्नि को टेलीफोन कनेक्शन जारी नहीं किया जा सकता है । किसी भी व्यक्ति/महिला को स्वतन्त्र रूप से कनेक्शन लेने की अधिकारिता है । इस प्रकार विपक्षी दूरसंचार निगम द्वारा परिवादिया को डिमाण्ड नोटिस की राशि 500/- रूपए जमा करवाए जाने पर भी टेलीफोन कनेक्शन नहीं दिया जाना सेवा में दोष के अन्तर्गत आता है परन्तु परिवादिया ने परिवाद के माध्यम से टेलीफोन कनेक्शन दिए जाने की प्रार्थना नहीं की है केवल जमा करवाई गई राशि 500/- रूपए वापिस लौटाए जाने के लिए प्रार्थना की है । हमारी राय में परिवादिया की यह प्रार्थना स्वीकार किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादिया का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादिया को उसके द्वारा जमा करवाई गई राशि 500/- रूपए अक्षरे पाॅंच सौ रूपए परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर सहित अदा करेगा । इसके अलावा परिवादिया को परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 09.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष