Rajasthan

Jaipur-I

cc/1386/2008

rohit saad - Complainant(s)

Versus

bsnl - Opp.Party(s)

rajesh singhvi

18 Feb 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 1386/2008
रोहित साॅड पुत्र श्री बलवन्त मल साॅड, निवासी 11/241 कावेरी पथ, मानसरोवर, जयपुर Û
                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    भारत संचार निगम लि0 सरदार पटेल मार्ग, जयपुर जरिए सी.जी.एम.टी., श्री जी के अग्रवाल ओ एण्ड एम सर्किल आॅफिसर Û
2.    भारत संचार निगम लि0 अशोक मार्ग सी स्कीम जयपुर, जरिए जी.एम.मोबाईल ओ.एण्ड एम. सर्किल आॅफिसर 
3.    भारत संचार निगम लि0 सांगानेरी गेट, जयपुर जरिए मैनेजरÛ

              विपक्षी

अधिवक्तागण :-
श्री राजेश सिंधवी - परिवादी
श्री आर.एन.यादव - विपक्षी निगम
                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 22.12.08

                       आदेश     दिनांक: 18.02.2015

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षीगण से मोबाईल की सुविधा लेने हेतु दिनांक 28.05.2008 को प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत कर 9413333333 नंबर के लिए आवेदन किया । जिसके लिए विपक्षीगण के मंजूरी देते हुए 19.08.2008 को सैलवन की सिम के लिए 3371/- रूपए वेनेटी चार्ज के 1112/- रूपए इस प्रकार कुल 4483/- रूपए जमा किए । परिवादी का कथन है कि काफी समय बितने के बाद भी सैलफोन की सुविधाएं चालू नहीं की गई । विपक्षी से सम्पर्क करने पर वह आश्वासन देते रहे । परिवादी का कथन है कि उक्त नंबर बालोतरा में किसी अन्य व्यक्ति को एलोट कर दिया गया । जिसकी विपक्षी से शिकायत की परन्तु उसने कोई संतोष जनक उत्तर नहीं दिया । परिवादी का कथन है कि उसने अंतिम सात नंबर एक ही डिजिट के लेने हे लिए अतिरिक्त चार्ज जमा करवाया है क्योंकि जनरल नंबर 1112/- रूपए में ही एलोट हो जाता जबकि परिवादी  ने 1112/- रूपए की एवज में 4483/- रूपए जमा करवाए है।परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी ने सेवादोष किया है । परिवादी ने विपक्षी से कनेक्शन चालू नहीं होने से नुकसान के 25000/- रूपए, मानसिक व शारीरिक परेशानी का नुकसान 50,000/- रूपए, टेलीफोन व आने-जाने का खर्च 5000/- रूपए, परिवाद खर्च 5000/-रूपए , उक्त नंबर चालू नहीं करने तक 10,000/- रूपए प्रतिमाह दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से प्रश्नगत नंबर परिवादी के लिए रिजर्व करना स्वीकार किया गया है परन्तु विपक्षी का कथन है कि परिवादी के लिए निश्चित किया गया नंबर डी.एन.पी में कटा हुआ था इस कारण 180 दिन पूर्व उक्त नंबर किसी को भी आवंटित नहीं किया जा सकता था । परिवादी का कनेक्शन चालू नहीं हुआ उक्त तथ्य से परिवादी को अवगत करवा दिया गया था एवं परिवादी द्वारा जमा राशि वापिस कर दी गई थी । विपक्षी का कथन है कि 17.07.2008 को बालोतरा उपभोक्ता सेवा केन्द्र ने रूपए जमा कर महेन्द्र शर्मा को आवंटित कर दिए परन्तु इसकी सूचना बाडमेर सी.एस.सी. ने सी.एम.टी.एस. शाखा को नहीं दी इस कारण नंबर की दो जगह बुकिंग हो गई । विपक्षी मुख्यालय के आदेश से दिनांक 22.08.2008 के अनुसार उक्त नंबर नीलामी सूचि में डाल दिया गया है जिसे परिवादी नीलामी में भाग लेकर ले सकता था । विपक्षी की ओर से परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया गया है ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
विपक्षी की ओर से यह तथ्य स्वीकृत है कि परिवादी ने विपक्षी से मोबाईल सुविधा प्राप्त करने हेतु प्रार्थना-पत्र दिया था तथा उससे 9413333333 नंबर आवंटन करने की प्रार्थना की थी तथा जिस नंबर को उसे आवंटित कर दिया गया था उसके पेटे 4483/- रूपए जमा करवाए थे । इसके पश्चात उसे सिम कार्ड नंबर 8991597045112142904 आवंटित कर दिया गया था परन्तु इस सिम कार्ड को कभी भी चालू नहीं किया गया । जिसके लिए परिवादी ने बार-बार विपक्षी से निवेदन किया तथा परिवादी ने जब उक्त नंबर डायल किया तो वह नंबर किसी और व्यक्ति के यहां बोला जिसको कि वह आवंटित कर दिया गया था । परिवादी ने विपक्षी से शिकायत की तो विपक्षी ने उक्त नंबर नीलामी में डाल दिया और परिवादी के हक में चालू नहीं किया गया । इससे स्पष्ट है कि विपक्षीगण ने शुल्क प्राप्त करने, सिम कार्ड आवंटित करने व टेलीफोन नंबर भी आवंटित करने के उपरांत भी उक्त सिम कार्ड को चालू नहीं किया और बहाने बनाते रहे । विपक्षी का यह कथन है कि उक्त नंबर डी एन पी में काटा था इस कारण उक्त नंबर 180 दिन पूर्व किसी के चालू नहीं किया जा सकता था कोई मायने नहीं रखता है । इसके अलावा विपक्षी ने स्वीकार किया है कि उक्त टेलीफोन नंबर बालोतरा सेवा केन्द्र ने रूपए जमा कर महेन्द्र शर्मा को आवंटित कर दिया था परन्तु इसकी सूचना बाडमेर सी.एम.सी. ने सी.एम.टी.एस शाखा को नहीं दी इस कारण उक्त नंबर की दो जगह बुकिंग हो गई । इस प्रकार विपक्षीगण का सेवादोष नजर आता है । जब एक नंबर किसी केन्द्र पर आवंटित किया जा चुका था तब उसी नंबर को किसी से राशि प्राप्त कर आवंटित न करना और चालू न करना विपक्षीगण का सेवादोष दर्शाता है और इससे स्वभाविक है कि परिवादी को आर्थिक हानि व मानसिक संताप झेलना पड़ा है । इसके अलावा विपक्षी का यह कथन है कि सन् 2013 में परिवादी द्वारा जमा करवाई गई राशि उसे चैक द्वारा वापिस कर दी गई थी लेकिन परिवादी ने चैक का भुगतान नहीं लिया । इस कृत्य से विपक्षी का सेवादोष कम नहीं हो जाता है क्योंकि लगभग 8 वर्ष पश्चात राशि लौटाने का चैक जारी करना अपने आप में सेवादोष है । इसके अलावा विपक्षी की ओर से यह कहा गया है कि उक्त सिम के आवंटन पर उपभोक्ता मंच बालोतरा द्वारा रोक लगा रखी है परन्तु ऐसा कोई ओदश साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया गया है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर यही निष्कर्ष निकलता है विपक्षीगण ने अनफेयर ट्रेड प्रेेक्टिस अपना कर परिवादी को आर्थिक हानि व मानसिक संताप कारित किया है जिसके लिए उसे समुचित मुआवजा दिलवाया जाना उचित प्रतीत होता है ।
अत: परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी भारत संचार निगम लिमिटेड आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को उसके द्वारा जमा करवाई गई राशि 4483/-रूपए अक्षरे चार हजार चार सौ तियासी रूपए व इस राशि पर दिनांक 19.08.2008 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेगा । इसके अलावा परिवादी को कारित मानिसक संताप के पेटे उसे 10,000/- रूपए अक्षरे दस हजार रूपए व आर्थिक हानि के लिए 5000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए तथा परिवाद व्यय के 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  
निर्णय आज दिनांक 18.02.2015 को लिखाकर सुनाया गया।


( ओ.पी.राजौरिया )                     (राकेश कुमार माथुर)    
     सदस्य                          अध्यक्ष      

 

 

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