जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 126/2014
मदनलाल पुत्र श्री मंगाराम, जाति-माली, निवासी- ताउसर बास सेखसर, तहसील व जिला नागौर (राज)। -परिवादी
बनाम
1. महाप्रबन्धक, भारत संचार निगम लिमिटेड, कार्यालय दूरसंचार, जिला-नागौर।
2. लेखाधिकारी (राजस्व) भारत संचार निगम लिमिटेड, कार्यालय दूरसंचार, जिला-नागौर।
3. कनिष्ठ अभियंता, भारत संचार निगम लिमिटेड, नागौर।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री विमलेश प्रकाश जोशी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री गोविन्द प्रकाश सोनी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 07.05.2015
1. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में निम्न प्रकार हैं कि परिवादी ने ग्राम ताउसर बास सेखसर में अप्रार्थीगण से एक लैण्डलाइन टेलीफोन कनेक्शन लिया हुआ है, टेलीफोन नम्बर 243879 है। प्रार्थी के मुताबिक उसका टेलीफोन बार-बार खराब होने पर अप्रार्थीगण को शिकायत की गई। दिनांक 08.11.2013 को एक शिकायत नम्बर 1016393469 की गई, परन्तु टेलीफोन सही नहीं किया गया उन्हें दिनांक 18.03.2014, 04.04.2014 व दिनांक 07.04.2014 को शिकायत की गई। दिनांक 23.04.2014 को पीजी प्रकरण भी पंजीकरण हो रखा है। इसके बावजूद भी अप्रार्थीगण परिवादी से देय बिल अनुसार वसूली कर रहे हैं। परन्तु टेलीफोन सुविधा नहीं दे रहे ह,ैं जिससे परिवादी को समय, श्रम, आर्थिक नुकसान हो रहा है। दिनांक 23.05.2014 को आला अधिकारी को अपनी समस्या बताई, शाम तक टेलीफोन सही करवाने का आश्वासन दिया परन्तु अभी तक ठीक नहीं हुआ है, मजबूर होकर परिवाद प्रस्तुत करना पडा है अतः टेलीफोन तुरन्त ठीक करवाया जावे। बंद रहने की अवधि में लिया गया तमाम शुल्क ब्याज सहित दिलाया जावे। मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति पेटे 51,000/- रूपये दिलाये जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से संक्षेप में जवाब निम्न प्रकार हैः-प्रार्थी का टेलीफोन ठीक करने का प्रयास हमेंशा किया गया। खराब रहने की अवधि में किराये में छूट प्रदान की गई। भूमिगत केबल लगभग 700 मीटर सडक निर्माण व पानी की पाईप लाइन डालने के दौरान तथा अन्य एजेंसियों द्वारा विकास कार्य करने के कारण पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गई है इसलिए टेलीफोन ठीक नहीं हो सका है। परिवादी को लैण्डलाइन टेलीफोन के स्थान पर एफडब्लूटी टेलीफोन सुविधा लेने के लिए कहा गया जो कि बिना तार का डब्लूएलएल टेलीफोन है जो कि परिवादी ने नहीं लिया।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया।
4. पत्रावली से यह स्पष्ट है कि प्रार्थी का लैण्ड लाइन टेलीफोन कनेक्शन नवम्बर, 2013 से बंद पडा हुआ है, जिसकी बार-बार परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण को ठीक करने के लिए शिकायत की गई। परन्तु आज तक परिवादी की शिकायत दूर नहीं हुई। उसने विभाग के उच्चतम अधिकारियों तक शिकायत की, परन्तु कोई ध्यान नहीं दिया गया।
5. यदि अप्रार्थीगण के इस तर्क को भी मान लिया जावे कि सडक निर्माण के समय भूमिगत केबिल टूट गई तो भी अप्रार्थीगण की यह जिम्मेदारी है कि हर सूरत में लाइन ठीक करते। परिवादी का टेलीफोन सुचारू रूप से चालू करते। सामान्यतः यह भी देखने में आता है कि कोई भी विभाग किसी तरह का निर्माण कार्य करता है तो निःसंदेह जिस विभाग को भी नुकसान होता है उसकी भरपाई की जाती है तथा एनओसी के बाद ही कार्य सम्पन्न होता हैै। यहां यह भी उल्लेख करना सुसंगत एवं उचित होगा कि परिवादी को लैण्ड लाइन की जगह डब्लूएलएल टेलीफोन परिवादी की इच्छा के विरूद्ध जबरन नहीं दिया जा सकता। अप्रार्थीगण यह भी बताने में असफल रहे हैं कि भारत संचार निगम लिमिटेड दूरसंचार की ऐसी कोई सार्वजनिक नीति निर्धारित हुई हो कि जिन उपभोक्ताओं के लैण्डलाइन कनेक्शन है, उनकी लाइन खराब होने पर उन उपभोक्ताओं को डब्लूएलएल टेलीफोन दिया जायेगा। परिवादी ने जिस कार्य व सुविधा के लिए उक्त टेलीफोन का कनेक्शन लिया था, अप्रार्थीगण की लापरवाही से परिवादी को उस कार्य व सुविधा से वंचित होना पडा है, मानसिक पीडा होना स्वाभाविक है। निःसंदेह परिवादी अप्रार्थीगण के विरूद्ध यह परिवाद साबित करने में सफल रहा है कि अप्रार्थीगण की सेवा में कमी रही है। पूर्णतः सेवा दोष है। अतः परिवाद स्वीकार किया जाता है।
आदेश
6. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी का उक्त विवादित लैण्डलाइन टेलीफोन कनेक्शन पन्द्रह दिन के अन्दर मरम्मत कर सुचारू रूप से चालू करें। टेलीफोन खराब रहने की अवधि में यदि अप्रार्थीगण ने परिवादी से उक्त टेलीफोन के पेटे कोई राशि ली हो तो उसे 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर से लौटा दें। अप्रार्थीगण परिवादी को परिवाद व्यय के 2500/- रूपये एवं 1500/- मानसिक क्षतिपूर्ति के भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 07.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या