(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2836/2013
लखनऊ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (नाऊ नोन एज इलाहाबाद ग्रामीण बैंक) बनाम बृजेश कुमार पुत्र श्री आदित्य प्रसाद
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 13.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-20/2009, बृजेश कुमार बनाम शाखा प्रबंधक, लखनऊ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में विद्वान जिला आयोग, श्रावस्ती द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.9.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से सूचना के बावजूद कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने ऋण स्वीकृत होने पर ऋण की द्वितीय किस्त अंकन 10,000/-रू0 अदा करने का आदेश दिया है साथ ही समय पर द्वितीय किस्त अदा न करने पर कारित मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अंकन 25,000/-रू0 का ऋण लेने के लिए आवेदन दिया गया था। ऋण स्वीकृति के पश्चात परिवादी को प्रथम किस्त जारी कर दी गई, परन्तु दूसरी किस्त जारी नहीं की गई।
4. विपक्षी बैंक का कथन है कि प्रथम किस्त अंकन 15,000/-रू0 का भुगतान परिवादी को समान क्रय करने के लिए किया गया था, परन्तु परिवादी ने समान क्रय करने की रसीद, स्टॉक रजिस्टर बैंक शाखा में
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प्रस्तुत नहीं की, इसलिए दूसरी किस्त जारी नहीं हो सकी, परन्तु विद्वान जिला आयोग द्वारा बैंक का कथन स्वीकार नहीं किया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चूंकि परिवादी ने प्रथम किस्त प्राप्त करने के पश्चात समान क्रय करने की रसीद तथा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए, इसलिए दूसरी किस्त नहीं दी जा सकी। विद्वान जिला आयोग ने निष्कर्ष दिया है कि बैंक प्रबंधक की ओर से इस आशय का शपथ पत्र दिया गया है कि दुकान का निरीक्षण किया गया था। चूंकि प्रथम किस्त प्राप्त करने के पश्चात परचून का समान क्रय करने की रसीद बैंक को उपलब्ध कराने का दायित्व परिवादी पर है। अंकन 15,000/-रू0 प्राप्त करने के पश्चात किराने का समान क्रय करने की रसीद बैंक को उपलब्ध कराई गई, इस आशय का उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है, इसलिए निर्णय में इस बिन्दु के समावेश का प्रश्न ही नहीं उठता कि बैंक दूसरी किस्त अदा करने के लिए बाध्य है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06.09.2013 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2