Uttar Pradesh

StateCommission

A/867/2015

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Brijesh Kumar - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

07 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/867/2015
(Arisen out of Order Dated 29/01/2015 in Case No. C/20/2014 of District Auraiya)
 
1. Central Bank Of India
Eatawah
...........Appellant(s)
Versus
1. Brijesh Kumar
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Oct 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 867/2015

                                   (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा परिवाद सं0- 20/2014 में पारित आदेश दि0 29.01.2015 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा मिहौली, परगना, तहसील व जिला- औरैया द्वारा शाखा प्रबंधक।

                                                   …………..अपीलार्थी                                                   

बनाम   

बृजेश कुमार।

                                                                                       .....………..प्रत्‍यर्थी     

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

माननीय श्री राम चरन चौधरी, सदस्‍य।

माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :  श्री राम गोपाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:-  07.10.2017

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                     

निर्णय

 

  परिवाद सं0- 20/2014 बृजेश कुमार बनाम शाखा प्रबंधक सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा मिहौली व एक अन्‍य में जिला फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 29.01.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

  आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

  परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 2,58,500/-रू0 की वसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि 05.02.2014 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देना होगा। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।

  जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा मिहौली की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। 

  अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज और प्रत्‍यर्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री राम गोपाल उपस्थित आये हैं।

  हमने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

    अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसका बचत खाता अपीलार्थी बैंक की शाखा मिहौली में है जिसमें उसने विभिन्‍न तिथियों में रूपया जमा किया जिसकी रसीदें उसके पास हैं, परन्‍तु दि0 03.07.2012 को कम्‍प्‍यूटर की जो पासबुक जारी की गई उसके द्वारा जमा धनराशि अंकित नहीं है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने कुल 2,55,500/-रू0 की धनराशि जमा की है, जिसे विपक्षी नहीं दे रहा है। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     परिवाद के विपक्षीगण ने अपीलार्थी बैंक की ओर से लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि जितनी धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी बैंक में जमा करना बताता है उतनी धनराशि बैंक में जमा नहीं है। बैंक के गंगा प्रसाद नाम के कैशियर ने गबन किया है। उनके विरूद्ध मुकदमा विचाराधीन है।

     जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश उचित है।

     हमने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत जमा पर्ची के आधार पर उसके द्वारा कथित 2,55,500/-रू0 जमा होना स्‍वीकार किया है। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक जमा पर्चियों को कूट रचित अथवा फर्जी साबित        नहीं कर सका है। अपने कर्मचारियों के अनाधिकृत कार्य के लिए अपीलार्थी बैंक वायकेरियस लाइबिलिटी के सिद्धांत पर उत्‍तरदायी है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी बैंक को जो 2,55,500/-रू0 देने का आदेश पारित किया है वह उचित है। जिला फोरम ने जो 1,000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाद व्‍यय दिलाया है वह भी उचित है।

     जिला फोरम ने जो 2,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बैंक से दिलाया है वह उचित प्रतीत नहीं होता है अत: अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति जो 2,000/-रू0 की धनराशि दिलायी गई है उसे अपास्‍त किया जाता है और जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 2,55,500/-रू0 वाद योजन की तिथि से अदायगी की तिथि तक उसी दर पर ब्‍याज सहित अदा करेगा, जिस दर से उसके इस खाते पर ब्‍याज देय है।

  अपीलार्थी/विपक्षी बैंक, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा दिलायी गई 1,000/-रू0 वाद व्‍यय की धनराशि भी अदा करेगा।

  अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

  धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।  

                  

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)     (राम चरन चौधरी)      (संजय कुमार)                                         

                 अध्‍यक्ष                   सदस्‍य              सदस्‍य                    

                                         

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

    

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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