(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0 2558/2006
Managing Director, Airtel, Registered Office, Bharti Airtel Limied & other
Versus
Brijesh Kunwar Singh S/O Shri Vibhuti Singh
एवं
अपील संख्या-3186/2006
Vijay Kumar Banka Son of Sri Mahavir Bank
Versus
Brijesh Kunwar Singh Son of Sri Vibhuti Singh & others
समक्ष:-
1. माननीय सुशील कुमार, सदस्य
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी एअरटेल की ओर से उपस्थित :श्री वी0पी0 शर्मा, विद्धान
अधिवक्ता के सहायक अधिवक्ता श्री सत्येन्द्र सिंह
प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से उपस्थित:-श्री अम्बरीश कौशल
श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 2 बांका की ओर से उपस्थित: श्री आदित्य कुमार श्रीवास्तव,
विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :06.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-227/2005, बृजेश कुंवर सिंह बनाम महा प्रबंधक, एअरटेल, रजि0 आफिस, भारती सेल्यूलर व अन्य में विद्धान जिला आयोग, कुशीगर में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.09.2006 के विरूद्ध अपील सं0 2558/2006 मैनेजिंग डायरेक्टर एअरटेल द्वारा प्रस्तुत की गयी है, जबकि अपील सं0 3186/2006 विजय कुंवर बांका द्वारा प्रस्तुत की गयी है। उपरोक्त अपीलों में तथ्य एवं विधि के एक जैसे प्रश्न निहीत हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 30.10.2005 को एअरटेल मोबाइल सेवा का कनेक्शन विपक्षी सं0 3 से लिया था, जिसमें दिनांक 11.11.2005 को 43.75 पैसे का बैलेंस था, इसके बाद उसने फोन से कोई वार्ता नहीं की। दिनांक 16.11.2005 को जब उसने अपने मोबाइल को एकाउण्ट बैलेंस देखा तो बैलेंस मात्र 13.74 पै0 पाया। कस्टमर केयर पर इस तथ्य की शिकायत की गयी तब बताया गया कि आप द्वारा हैलो ट्यून लिया गया है, जिसके लिए 30/रू0 की कटौती की गयी है और हैलो ट्यून लेने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर यदि कोई व्यक्ति डायल करता है तो उसे गाना सुनाई देगा। परिवादी ने उल्लेख किया है कि वह अधिवक्ता है, उसने ऐसी इच्छा कभी जाहिर नहीं की कि उसे हैलो ट्यून चाहिए और विपक्षीगण ने जानबूझकर यह सुविधा प्रदान की है तथा मोबाइल की आउटगोइंग दिनांक 17.11.2005 से ही बंद कर दिया है, इसलिए सेवा में कमी के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. यद्यपि विपक्षी सं0 1 एवं 2 द्वारा उपरोक्त वर्णित तथ्य लिखित कथन में चूंकि परिवादी ने अपने मोबाइल पर हैलो ट्यून ली थी, जिसके लिए 30/-रू0 की कटौती की गयी, इसलिए सेवा में कोई कमी नहीं की गयी, परंतु जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के तथ्य को स्थापित मानते हुए और विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कमी को मानते हुए 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है, जिनके विरूद्ध उपरोक्त अपीलें प्रस्तुत की गयी।
4. प्रस्तुत केस में पक्षकारों के मध्य मुख्य विवाद यह है कि जहां परिवादी का यह कथन है कि उनके द्वारा हैलो ट्यून नहीं ली गयी, वहीं अपीलार्थीगण का यह कथन है कि मोबाइल में हैलो ट्यून ली गयी, इसलिए सेवा के बदले 30/-रू0 की कटौती की गयी। किसी भी मोबाइल मे जो सुविधा प्रदान की जाती है, उसके बदले 30/-रू0 काटकर विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है, जहां तक इस कथन का प्रश्न है कि परिवादी ने कभी भी सुविधा की मांग नहीं की थी। इस तथ्य के समर्थन में कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। यह निष्कर्ष दिया जाना संभव ही नहीं है कि परिवादी द्वारा इस सुविधा की मांग की गयी थी या नहीं की गयी थी, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा सेवा मे कमी के संबंध मे जो निष्कर्ष दिया गया, उसे विधि-सम्मत नहीं कहा जा सकता। यथार्थ में यह तथ्य स्थापित ही नहीं है कि परिवादी द्वारा जिस सुविधा की मांग नहीं की गयी, विपक्षीगण द्वारा वह सुविधा आशयपूर्वक लाभ अर्जित कमाने के उद्देश्य से परिवादी को प्रदान कर दी गयी। परिवादी ने जब मोबाइल सुना होगा तब यह ज्ञात हुआ कि इस मोबाइल पर यह हैलो ट्यून मौजूद है और अधिवक्ता होने के नाते यह भी ज्ञान होना चाहिए कि हैलो ट्यून पर एक सुनिश्चित शुल्क देय है। अत: अपील सं0 2558/2006 एवं अपील सं0 3186/2006 स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील सं0-2558/2006 एवं अपील सं0-3186/2006 स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-2558/2006 में रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलपि संबंधित अपील सं0-3186/2006 में रखी जाये।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
दोनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2