मौखिक
पुनरीक्षण संख्या-46/2019
एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 बनाम श्री बृजेश केसरवानी
23.05.2019
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री टी0जे0एस0 मक्कड़ उपस्थित आये। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता को सुना और इजराय वाद संख्या-33/2016 बृजेश कुमार बनाम एच0डी0एफ0सी0 में जिला फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित आक्षेपित आदेश दिनांक 11.04.2019 का अवलोकन किया।
वर्तमान इजराय वाद, परिवाद संख्या-209/2011 श्री ब्रजेश कुमार केशरवानी बनाम एच0डी0एफ0सी0 एग्रो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी व एक अन्य में जिला फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश दिनांक 14.12.2015 के निष्पादन हेतु पंजीकृत किया गया है। जिला फोरम द्वारा पारित निष्पादन अधीन आदेश दिनांक 14.12.2015 नीचे उद्धरित किया जा रहा है-
''परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद इस तरह से निस्तारित किया जाता है कि इस आदेश के दो माह के अन्तर्गत परिवादी समस्त व्यय की रसीद, अभिलेख व अन्य वांछित कागजात विपक्षी के यहां प्रस्तुत करे। विपक्षी दावा दुबारा निस्तारित करे और निस्तारण से पूर्व परिवादी को सुनवाई का अवसर दे तथा इस बिन्दु पर निर्णय देवे कि दुर्घटना से आई क्षति की क्षति-पूर्ति कितनी है, मरम्मत में कितनी धनराशि व्यय हुई इसके उपरान्त विपक्षी उक्त धनराशि का भुगतान करे।''
जिला फोरम के निष्पादन अधीन आदेश से यह स्पष्ट है कि जिला फोरम ने आदेशित किया है कि परिवादी दो माह के अन्दर समस्त व्यय की रसीद, अभिलेख व अन्य वांछित कागजात विपक्षी अर्थात् पुनरीक्षणकर्ता के यहॉं प्रस्तुत करे। उसके बाद विपक्षी अर्थात् पुनरीक्षणकर्ता, परिवादी को सुनवाई का अवसर देकर इस बिन्दु पर निर्णय दे कि दुर्घटना से आई क्षति की क्षतिपूर्ति कितनी है और मरम्मत में कितनी धनराशि व्यय हुई है। इसके उपरान्त विपक्षी उक्त धनराशि का भुगतान करे।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि पुनरीक्षणकर्ता जिला फोरम के निष्पादन अधीन आदेश का अनुपालन करने के लिए तैयार और तत्पर है, परन्तु परिवादी जो पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी है, ने निष्पादन अधीन आदेश के अनुसार पुनरीक्षणकर्ता बीमा कम्पनी को आदेशित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये हैं। परिवादी जो
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पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी है, की ओर से इजराय वाद में जो रसीद प्रस्तुत की गयी है, वह इलाहाबाद के किसी पते पर प्रेषित की गयी है और उसका शीर्षक भी कोई और है, जबकि पुनरीक्षणकर्ता, जो परिवाद में विपक्षी है, का पता लखनऊ का है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कथन किया कि परिवादी, जो पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी है, पुनरीक्षणकर्ता को जिला फोरम के निष्पादन अधीन आदेश दिनांक 14.12.2015 के अनुसार अभिलेख उपलब्ध करा दे तो पुनरीक्षणकर्ता जिला फोरम के आदेश का यथाशीघ्र अनुपालन करने को तैयार है। परिवादी/विपक्षी द्वारा अभिलेख उपलब्ध कराये बिना जिला फोरम के निष्पादन अधीन आदेश का अनुपालन पुनरीक्षणकर्ता द्वारा किया जाना सम्भव नहीं है, परन्तु जिला फोरम ने इस बिन्दु पर विचार किये बिना आक्षेपित आदेश पारित किया है।
मैंने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के कथन पर विचार किया है।
जिला फोरम द्वारा पारित निष्पादन अधीन आदेश के अनुपालन हेतु आवश्यक है कि परिवादी जिला फोरम के इस आदेश के अनुसार पुनरीक्षणकर्ता को अभिलेख उपलब्ध करावें तभी पुनरीक्षणकर्ता द्वारा उसके दावे के सम्बन्ध में जिला फोरम द्वारा आदेशित ढंग से निर्णय लिया जा सकता है। अत: पुनरीक्षण याचिका अन्तिम रूप से निस्तारित करते हुए परिवादी, जो पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी है, को निर्देशित किया जाता है कि वह जिला फोरम के समक्ष निष्पादन अधीन आदेश के अनुसार आवश्यक अभिलेख पुनरीक्षकर्ता/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को आज से एक मास के अन्दर उपलब्ध करा दे। तदोपरान्त पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी जिला फोरम के निष्पादन अधीन आदेश के अनुसार परिवादी के बीमा दावा के सम्बन्ध में निर्णय ले और आवश्यक कार्यवाही करे।
जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश उपरोक्त प्रकार से संशोधित किया जाता है। पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस आदेश की प्रति जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत की जाये और कार्यालय द्वारा भी इस आदेश की प्रति जिला फोरम को अनुपालन हेतु प्रेषित की जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0