Uttar Pradesh

StateCommission

A/208/2019

HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Brijendra Singh - Opp.Party(s)

Manoj Kumar Dubey

05 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/208/2019
( Date of Filing : 12 Feb 2019 )
(Arisen out of Order Dated 14/12/2018 in Case No. C/37/2017 of District Kanpur Nagar)
 
1. HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Brijendra Singh
Unnao
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-208/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0-37/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.12.2018 के विरूद्ध)

एच0डी0एफ0सी0 इरगो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड द्वारा मैनेजर, 20ए रतन स्‍क्‍वायर, विधान सभा मार्ग, लखनऊ।

                                             .......... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम          

बृजेन्‍द्र सिंह पुत्र रविराज सिंह, निवासी ग्राम कवना, पोस्‍ट अजगैन, जिला उन्‍नाव।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य                     

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री मनोज कुमार दुबे

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : कोई नहीं।

दिनांक :-05-9-2022           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी एच0डी0एफ0सी0 इरो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-37/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.12.2018 के विरूद्ध योजित की गई है।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनोज कुमार दुबे को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपनी पत्‍नी के लिए अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से एक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पालिसी सं0-316108000544270000 प्राप्‍त की गई थी। उक्‍त बीमा पालिसी में

-2-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी एवं बच्‍चे का मेडिकल रिस्‍क कवर दिनांक 26.12.2015 से 25.12.2016 तक की अवधि के लिए वैध था। दिनांक 14.10.2016 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी की अचानक तबियत खराब हो जाने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा रात्रि 9.00 बजे उसे स्‍पेक्‍ट्रा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहॉ वे दिनांक 22.10.2016 तक भर्ती रही। तत्‍पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपनी पत्‍नी के इलाज में हुए व्‍यय के सम्‍बन्‍ध में क्‍लेम बावत रू0 79,110.00 समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण कर अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया, जिसकी जॉच बीमा कम्‍पनी द्वारा कराये जाने पर कमीशन की मॉग की गई एवं कमीशन न देने पर क्‍लेम देने से इंकार कर दिया गया तथा कई बार अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से सम्‍पर्क करने के बावजूद भी क्‍लेम का भुगतान नहीं किया गया, अत्एव विवश होकर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। 

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण बीमा कम्‍पनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के लिखित कथन का अवसर समाप्‍त करते हुए उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही प्रारम्‍भ की गई। 

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से व एक पक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षीगण को आदेशित किया गया कि निर्णय पारित करने के 30 दिन के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को चिकित्‍सा के मद में व्‍यय धनराशि रू0 79,110.00 मय 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से अदा करें, साथ ही रू0 4,000.00 परिवाद व्‍यय भी अदा करे।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के उपरोक्‍त निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

 

-3-

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है क्‍योंकि कि प्रस्‍तुत निर्णय/आदेश गुणदोष पर पारित नहीं किया गया है। यह भी कथन किया गया है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश एक पक्षीय है एवं प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थी को कोई नोटिस प्राप्‍त नहीं हुई है तथा तथ्‍यात्‍मक जानकारी को संज्ञान में न लेते हुए निर्णय पारित किया गया है, जो कि अनुचित है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया है कि जॉचकर्ता द्वारा उक्‍त स्‍पेक्‍ट्रा अस्‍पताल के संबंध में यह तथ्‍य संज्ञान में आया है कि प्रत्‍यर्थी द्वारा अपनी पत्‍नी के अस्‍पताल में भर्ती होने सम्‍बन्‍धी बिलों को अस्‍पताल के डाक्‍टरों की मिलीभगत से फर्जी रूप से तैयार करवाया गया है तथा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी से पैसा निकलवाने के उद्देश्‍य से दावा प्रस्‍तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया है कि अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी से अन्‍य आवश्‍यक दस्‍तावेज की मॉग किये जाने के बावजूद भी उन्‍हें कोई दस्‍तावेज उपलब्‍ध नहीं कराये गये हैं।   

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्‍यर्थी के अभिकथनों पर विचार करते निर्णय पारित किया गया है, जो कि अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील को स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

 

 

-4-

वर्तमान प्रकरण में यह तथ्‍य निर्विवादित है स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से एक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पालिसी सं0-316108000544270000 प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी एवं बच्‍चे के मेडिकल रिस्‍क कवर हेतु दिनांक 26.12.2015 से 25.12.2016 तक की अवधि के लिए प्राप्‍त की गई थी एवं बीमित अवधि में दिनांक 22.10.2016 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी को इलाज हेतु स्‍पेक्‍ट्रा अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, तदोपरांत पत्‍नी के इलाज में व्‍यय हुए रू0 79,110.00 के भुगतान हेतु दावा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के सम्‍मुख समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण कर प्रस्‍तुत किया गया है।  

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित अपने प्रश्‍नगत निर्णय में जो निष्‍कर्ष अंकित किया गया है, वह तथ्‍य और विधि के अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

      अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    (सुशील कुमार)        

             अध्‍यक्ष                                             सदस्‍य                                                                        

हरीश आशु., कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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