(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1321/2009
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा अधिशासी अभियंता व अन्य
बनाम
बृज बिहारी तिवारी पुत्र स्व0 फेकू तिवारी व एक अन्य
दिनांक:-06.6.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद संख्या-323/2006 में पारित एकपक्षीय निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.02.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी श्री चन्द्र भान तिवारी जो कि 78 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक थे, अपीलार्थी/विपक्षी के विद्युत के उपभोक्ता थे एवं अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा विद्युत के बिल प्रतिमाह न देकर कई माह के बिल एक साथ भेजे जाते रहे, जिसके संबंध में प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यालय का चक्कर लगाता रहा एवं दिनांक 30.01.2000 व 30.3.2001 के बिलों का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा द्वारा ब्याज पर रूपये लेकर किया गया तथा अपीलार्थी/विपक्षी के इस आचरण से प्रत्यर्थी/परिवादी हृदय रोग तथा उच्च रक्त चाप से पीडित हो गया। अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रत्येक दो माह पर बिजली का बिल प्रेषित किये जाने, विलम्ब से प्रेषित किये गये बिलों पर जो सूद लिया गया है, उसे प्रत्यर्थी/परिवादी के बिलों में समायोजित किये जाने, रू0 97,000.00 की क्षतिपूर्ति दिलाये
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जाने तथा संशोधित व सही बिल जाने करने के अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रत्यर्थी/परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि भविष्य में परिवादीगण को प्रत्येक दो माह पर विद्युत बिल दिया करे विलम्ब से प्रेषित किये गये बिलों में जो सूद लिया गया है उसे परिवादी के बिलों में समायोजित करे तथा संशोधित व सही बिल जारी करें एवंम् 97,000.00 सत्तान्वे हजार रूपया प्रतिकर तथा 1000.00 एक हजार रूपया वाद व्यय अदा करें। अनुतोष की रकम समान भाग में परिवादीगण को दिया जाय। आदेश का पालन एक माह में हो।"
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
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प्रस्तुत अपील विगत 15 वर्ष से अधिक समय से लम्बित है। लगभग दर्जनों तिथियों पर पूर्व में सूचीबद्ध हुई, परन्तु पूर्व में किसी भी तिथि पर अधिवक्तागण की अनुपस्थिति के कारण स्थगित की जाती रही। आज पुकार की गई। प्रत्यर्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित हैं।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख जो तथ्य उल्लिखित किये गये उनको सत्य मानते हुए मानसिक परेशानी के संदर्भ में प्रत्यर्थी/परिवादी के दावे को स्वीकृत करते हुए प्रश्नगत आदेश में मानसिक परेशानी के मद में रू0 97,000.00 का प्रतिकर का प्रदान किया गया है तथा वाद व्यय रू0 1,000.00 के मद में भी दावा स्वीकार किया गया है।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह पाया जाता है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय को पारित करते हुए तथ्यों पर विचार सुनिश्चित नहीं किया गया है। बिना सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार करते हुए एकपक्षीय रूप से परिवाद में उल्लिखित तथ्यों को स्वीकारना एवं उनका विवरण तक उल्लिखित न किया जाना जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय से स्पष्ट पाया जाता है।
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मेरे विचार से उपरोक्त निर्णय अविधिक एवं तथ्यों पर बिना विचार किये हुए पारित किया गया है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकृत की जाती है तथा मानसिक परेशानी के दावे के अन्तर्गत रू0 97,000.00 (सत्तानबे हजार रूपये) प्रतिकर के मद में पारित आदेश समाप्त किया जाता है। वाद व्यय के मद में रू0 1,000.00 (एक हजार रूपये) अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 06 सप्ताह में अदा किया जावे अथवा प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्युत बकाया में समायोजित किया जावे।
अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1