Uttar Pradesh

Barabanki

CC/85/2021

Brijesh Patel - Complainant(s)

Versus

Bright Four Wheel Sales Pvt. Ltd. & Others - Opp.Party(s)

Pankaj Nigam & Others

11 Apr 2023

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       03.09.2021

अंतिम सुनवाई की तिथि            23.03.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  11.04.2023

परिवाद संख्याः 85/2021

बृजेश पटेल बालिग पुत्र प्रहलाद कुमार निवासी ग्राम सूर्यबली का पुरवा कोटवाधाम जनपद-बाराबंकी। पिन 445415

द्वारा- श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

श्री धीरज कुमार गुप्ता, अधिवक्ता

श्री हेमन्त कुमार जैन, अधिवक्ता

बनाम

1.         ब्राइट फोर व्हील प्राइवेट लि0 ग्राम धरसनिया परगना देवा तहसील नवाबगंज जनपद-बाराबंकी 225003

2.         प्रबंधक बैंक आफ इण्डिया शाखा टिकैतनगर जिला-बाराबंकी।

3.         प्रबंधक न्यू इंण्डिया इंश्योरेन्स कं0 राज भवन के सामने हजरतगंज लखनऊ 226001

4.         शाखा प्रबंधक न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कं0 कार्यालय उप निबंधक आफिस लखनऊ फैजाबाद रोड बाराबंकी। पिन  

            225001

द्वारा-श्री सुदीप कुमार, अधिवक्ता

श्री राजकुमार वर्मा, अधिवक्ता

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

              विपक्षी सं0-01 की ओर से-श्री सुदीप कुमार अधिवक्ता,

            विपक्षी सं0-02 की ओर से-कोई नहीं

             विपक्षी सं0-03 व 04 की ओर से-श्री राजकुमार वर्मा, अधिवक्ता

द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने विपक्षी संख्या-03 व 04 न्यू इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी के विरूद्व धारा-35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के तहत बीमा धनराशि  तथा दो वर्ष का जमा प्रीमियम एवं ए.आर.टी.ओ. खर्च आदि रू0 10,06,981/- मय आठ प्रतिशत ब्याज तथा मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,00,000.00 तथा परिवाद व्यय व अधिवक्ता फीस रू0 11,000.00 दिलाये जाने हेतु अनुतोष की माँग किया है।

            संक्षेप में परिवाद कथानक इस प्रकार है कि परिवादी दिनांक 05.12.2019 को विपक्षी संख्या-01 के यहां जाकर रू0 20,000/-आंशिक बुकिंग धनराशि जमा कर मारूति बिटारा ब्रेर्जा क्प् बुक किया। विपक्षी संख्या-01 ने वाहन विपक्षी संख्या-02 से फाइनेन्स कराने का आश्वासन दिया तथा ए0आर0टी0ओ0 आदि सभी फार्म पर परिवादी से हस्ताक्षर बनवा लिया। परिवादी विपक्षी संख्या-01 के यहां दिनांक 24.12.2019 को बुकिंग की धनराशि रू0 50,000/-जमा किया। विपक्षी संख्या-01 ने दिनांक 15.01.2020 को वाहन चेचिस नं0 व इंजन नं0 आदि से बीमा कराया और दिनांक 20.01.2020 को ए0आर0टी0ओ0 के यहां शुल्क जमा किया। परिवादी को डिलीवरी मात्र वाहन के कागज व बीमा के कागज के साथ दे दिये लेकिन आर0सी0 नहीं दी। प्रश्नगत वाहन की पालिसी जीरो डप के अन्तर्गत की गई थी जो तीन वर्ष के लिये थी। पालिसी दिनांक 15.01.2020 से 14.01.2023 तक वैध थी जिसका पालिसी सं0-98000031191508687638 दिनांकित 15.01.2020 है। वाहन का निर्माण मार्च 2019 इंजन चेचिस नम्बर-5885269-614630 है जिसकी पंजीयन प्रमाण पत्र में पंजीयन संख्या-यू0 पी0 41 ए वी 8191 वाहन की डिलीवरी दिनांक 13.02.2020 को परिवादी को दी गई। परिवादी दिनांक 20.02.2020 को स्वयं गाड़ी चलाकर अपने पिता जी के साथ बालाजी गेस्ट हाउस कानपुर बाई पास सुल्तानपुर रोड निमंत्रण में लगभग 10.00 बजे रात में आया था। साढ़े दस बजे जब अपने घर जाने के लिए चला गाड़ी जिस स्थान पर खड़ी की गई थी उस स्थान पर नहीं थी। तदोपरान्त डायल 100 व 112 पर फोन किया। क्षेत्रीय पुलिस मौके पर पहुँची। वाहन में सेल लेटर, बीमा आदि के कागजात रखे थे। परिवादी ने दिनांक 21.10.2020 को एजेन्सी से बीमा व सेल लेटर की द्वितीय प्रति लेकर दिनांक 21.02.2020 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी जिसका अपराध संख्या-11/2020 धारा 379 आई. पी. सी. है। दिनांक 21.02.2020 को उपरोक्त वाहन चोरी होने की सूचना विपक्षी संख्या-01 के यहाँ विपक्षी संख्या-03, 04 के बने एक्सटेन्शन काउन्टर पर मौखिक रूप से दी गई। दिनांक 03.03.2020 को ऑनलाइन विपक्षी संख्या-03 के यहाँ वाहन चोरी की सूचना दी गई। विपक्षी संख्या-03 व 04 के एक सर्वेयर परिवादी के यहां आये और क्लेम की समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करवायी और परिवादी के बयान लिये तथा कई फार्मो पर हस्ताक्षर बनवाये। रवि वर्मा, विनीत कुमार व सर्वेश कुमार के भी बयान लिये गये। परिवादी ने दिनांक 18.06.2021 को न्यायालय तथा पुलिस द्वारा एफ. आर. स्वीकृति की प्रति भी प्राप्त करा दी। उपरोक्त समस्त कार्यवाही करने के उपरान्त विपक्षी संख्या-03 व 04 द्वारा बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया। जिसके कारण परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

            दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी की तरफ से सूची दिनांक 04.09.2021 से रू0 20,000/-व रू0 50,000/-की गाड़ी बुक करने की रसीद, क्रय इनवायस, बीमा पालिसी, पंजीयन प्रमाण पत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट दो वर्क, बीमा कम्पनी को पत्र, सुरक्षा गार्ड के बयान चार वर्क, अंतिम रिपोर्ट, अंतिम रिपोर्ट न्यायालय द्वारा स्वीकृत करने की आख्या, डी0 एल0, मूल प्रपत्र सूची, पत्र दिनांक 23.02.2021, पत्र दिनांक 21.02.2020, आधार कार्ड, शपथपत्र तथा स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट दाखिल किया है। 

            विपक्षी संख्या-01 की ओर से जवाबदावा में कहा है कि परिवाद में विपक्षी संख्या-01 को औपचारिक रूप से पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी संख्या-01 से कोई अनुतोष नहीं माँगा गया है इस कारण विपक्षी संख्या-01 द्वारा विस्तार से जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। विपक्षी संख्या-01 द्वारा जवाबदावा के समर्थन में शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है।

            विपक्षी संख्या-03 व 04 ने जवाबदावा में कहा है कि प्रकरण विपक्षी संख्या-01 व 02 से सम्बन्धित है। विपक्षी संख्या-03 व 04 द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। परिवादी द्वारा घटना की सूचना 9 माह विलम्ब से बीमा कम्पनी को दी गई है, जबकि गाड़ी चोरी के मामले में तत्काल दी जानी चाहिए थी। ऐसा न कर बीमा पालिसी की शर्तो का स्पष्ट उल्लंघन है, परिवादी द्वारा दिनांक 03.03.2020 को सूचना दी गई परन्तु सूचना का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। 11 दिन बाद विलम्ब से सूचना दी गई है इस लिये परिवादी का क्लेम खारिज किया गया है। परिवादी द्वारा अपने वाहन का पंजीयन आर0 टी0 ओ0 कार्यालय में खरीदने के दिन से होना चाहिए था, जबकि बीमित वाहन का रजिस्ट्रेशन दिनांक 24.02.2020 को कराया गया है तथा बीमित वाहन को दिनांक 24.12.2019 को खरीदा गया था। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई विधि व्यवस्था नरेन्द्र सिंह बनाम न्यू इंण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लि0 सिविल अपील सं0-8463/2011 एस0 एल0 पी0 (सिविल नम्बर 26308/2013) जिसमे यह अभिमत व्यक्त किया गया है कि देरी से कराया गया ए0 आर0 टी0 ओ0 आफिस में रजिस्ट्रेशन मात्र 192 एम0 वी0 एक्ट में दण्डनीय न होकर बीमा पालिसी के अनुबंध का उल्लघंन है। परिवादी द्वारा वाहन को बिना बीमा व पंजीकरण के चलाया जा रहा था जिसमे मोटर वाहन अधिनियम व बीमा शर्तो का पूर्णतया उल्लंघन किया गया है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की है। विपक्षी संख्या-03 व 04 द्वारा वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            विपक्षी के तरफ से पत्र दिनांक 19.07.2021, 08.08.2021, स्टेटमेन्ट एकाउन्ट तथा आर0 सी0 डिटेल दाखिल किया गया है। 

            परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।

            विपक्षी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।

            उपस्थित पक्षों के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत  साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

           वर्तमान प्रकरण में उपस्थित पक्षों के तर्को के अवलोकन से विदित है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-01 से मारूति विटारा ब्रेजा कार क्रय करने के लिये समस्त धनराशि, ए. आर. टी. ओ. में पंजीकरण के लिये समस्त कागजात देना, दिनांक 15.01.2020 को चेसिस व इंजन नम्बर के आधार पर बीमा कराना, विपक्षी संख्या-01 द्वारा परिवादी के वाहन के पंजीयन के लिये ए. आर. टी. ओ. कार्यालय में शुल्क दिनांक 20.01.2020 को जमा कराना, दिनांक 13.02.2020 को विपक्षी संख्या-01 द्वारा वाहन की डिलीवरी परिवादी को वाहन क्रय के कागजात व बीमा कागजात के साथ बिना आर0 सी0 के देना और परिवादी द्वारा दिनांक 13.02.2020 को वाहन की डिलीवरी प्राप्त करना, परिवादी द्वारा दिनांक 20.02.2020 को गाड़ी से बाला जी गेस्ट हाउस निमंत्रण में रात 10.00 बजे जाना और वहां गाड़ी पार्क करने के पश्चात वाहन का चोरी हो जाना अंकित किया गया है। परिवादी का यह भी कथन है कि तत्काल डायल नं0-100 व 112 पर पुलिस को फोन करने पर मौके पर पुलिस भी आ गई। कागजात की प्रतियाँ अगले दिन डीलर से लेकर दिनांक 21.02.2020 को प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाना, दिनांक 03.03.2020 को आन लाईन विपक्षी संख्या-03 बीमा कम्पनी को उक्त चोरी की सूचना देना तथा दिनांक 10.11.2020 को आफ लाईन विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की लिखित सूचना देना अंकित किया है।

            बीमा कम्पनी का कथन है कि परिवादी द्वारा लिखित सूचना लगभग नौ माह विलम्ब से बीमा कम्पनी को दी गई है। यदि दिनांक 03.03.2020 को आन लाईन सूचना देना माना जाय तो भी 11 दिन विलम्ब से सूचना दी गई है। पंजीयन प्रमाण पत्र के बगैर वाहन को शोरूम से निकालना नहीं चाहिये था। बिना पंजीयन के वाहन चलाने पर बीमा संविदा की मूल भूत शर्तो का उल्लघंन होने के आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा क्लेम निरस्त किया जाना अंकित किया है।

          वर्तमान प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने दिनांक 13.02.2020 को प्रश्नगत वाहन की विपक्षी संख्या-01 डीलर से डिलीवरी बिना पंजीयन प्रमाण पत्र के प्राप्त की। परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रपत्रों की प्रतियों के अवलोकन से विदित है कि प्रश्नगत वाहन दिनांक 20.02.2020 को रात्रि साढ़े दस बजे बालाजी गेस्ट हाउस सुशान्त गोल्फ सिटी, सरोजनीनगर लखनऊ से चोरी होने की सूचना अगले दिन 21.02.2020 को समय 17∶20 पर अज्ञात के विरूद्व सम्बन्धित थाने पर दी गई है। पुलिस द्वारा विवेचना पश्चात् वाहन तथा अभियुक्त का पता न चलने के आधार पर अंतिम रिपोर्ट संख्या-01/2020 दिनांक 29.05.2020 को प्रस्तुत की गई है जो न्यायालय आने पर सक्षम न्यायालय द्वारा दिनांक 22.10.2020 को अंतिम आख्या स्वीकार की गई है। अंतिम आख्या न्यायालय द्वारा स्वीकार होने के पश्चात परिवादी द्वारा लिखित रूप से बीमा कम्पनी के समक्ष अपना बीमा क्लेम दिनांक 10.11.2020 को लिखित सूचना के साथ दिया है।

           वाहन चोरी होने की आन लाईन सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को उनके ई-मेल पते पर दिये जाने का लिखित प्रमाण प्रस्तुत किया गया है जिसके अवलोकन से विदित है कि दिनांक 03.03.2020 को दिन में 2∶01 पी.एम. पर परिवादी द्वारा वाहन चोरी की सूचना छः अभिलेखों को संलग्न करते हुये विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई है।

           प्रस्तुत पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति के अवलोकन से विदित है कि वाहन का पंजीयन दिनांक 24.02.2020 को किया गया है। परिवहन विभाग, बाराबंकी के समक्ष पंजीयन हेतु पंजीयन शुल्क रू0 71,843/-दिनांक 20.01.2020 को जमा कर दिया गया। ए.आर.टी.ओ., बाराबंकी द्वारा पंजीयन दिनांक 24.02.2020 को किया गया है जिससे यह स्पष्ट है कि वाहन चोरी होने की दिनांक 20.02.2020 से लगभग एक माह पूर्व ही पंजीयन हेतु सम्पूर्ण धनराशि कागजातों सहित परिवहन विभाग, बाराबंकी में जमा करा दी गई थी जिससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि वाहन की डिलीवरी विपक्षी संख्या-01 से दिनांक 13.02.2020 को लेने से 21 दिन पूर्व ही वाहन के पंजीयन हेतु आवेदन पंजीयन अधिकारी, बाराबंकी के समक्ष किया जा चुका था और वाहन की डिलीवरी पंजीयन होने की प्रत्याशा में प्राप्त की गई है।

       विपक्षी संख्या-03 बीमा कम्पनी ने अपनी लिखित बहस में नरेन्द्र सिंह बनाम न्यू इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड सिविल अपील संख्या-8463/2011 एस एल पी (सिविल नं0-26308/2013) के विधि सिद्वान्तों का सन्दर्भ लेते हुये तर्क लिया है कि बिना पंजीयन के वाहन चलाना बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लघंन है और इस आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा क्लेम अस्वीकार किया जाना विधि अनुसार होने का तर्क लिया है। परिवादी द्वारा सन्दर्भित नजीर का निर्णय दिनांक 04.09.2014 को मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया गया है। इस सन्दर्भ में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम सुशील कुमार गोदारा सिविल अपील संख्या-5887/2021 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 30.09.2021 के प्रस्तर-11 में नरेन्द्र सिंह बनाम न्यू इंडिया एश्योरेन्स कम्पनी लि0 के निर्णय के प्रस्तर-12, 13 का उल्लेख किया गया है। नरेन्द्र सिंह (उपरोक्त) के निर्णय के प्रस्तर-13 में अंकित है,

         “Nothing has been brought on record by the appellant to show that before or after 11.01.2006 , when the period of temporary registration expired, the appellant, owner of the vehicle either applied for permanent registration as contemplated under section 39 of the Act or made any application for extension of period as temporary registration on the ground of some special reasons.”

            इसी प्रकार यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 बनाम सुशील कुमार गोदारा (उपरोक्त) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 30.09.2021 के पैरा-13 में अंकित है,

         “There is nothing on record to suggest that the respondent had applied for registration or that he was awaiting registration.”

             माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णयों के सन्दर्भित भाग से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि वाहन चोरी होने की घटना के पूर्व से वाहन के पंजीयन हेतु धनराशि जमा की जा चुकी है और पंजीयन की प्रत्याशा में वाहन को डीलर से वाहन स्वामी द्वारा प्राप्त किया जाता है तो स्थिति भिन्न होगी।

          वर्तमान प्रकरण में साक्ष्य के उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी ने वाहन की डिलीवरी लेने से लगभग एक माह पूर्व से ही पंजीयन हेतु धनराशि वाहन पंजीयन अधिकारी, बाराबंकी के कार्यालय में जमा कर दी थी। ऐसी स्थिति में वाहन का पंजीयन देरी से होने में परिवादी की कोई त्रुटि नहीं है। परिवादी द्वारा केवल इतनी त्रुटि की गई है कि पंजीयन होने की प्रत्याशा में बिना पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त किये वाहन की डिलीवरी विपक्षी संख्या-01 डीलर से प्राप्त कर वाहन का संचालन किया गया। अमलेन्दु साहू बनाम ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 (2010) 4 एस सी सी 536 के प्रकरण में यह सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि ऐसे मामलों में बीमा कम्पनी पूरा क्लेम निरस्त नहीं कर सकती बल्कि परिवादी का बीमा क्लेम Non Standard Basis पर Settle किया जाना चाहिये।

           वर्तमान प्रकरण की परिस्थितियों में परिवादी द्वारा पंजीयन हेतु समस्त कार्यवाही समय से कर दी गई ऐसी स्थिति में बिना पंजीयन के वाहन डीलर से प्राप्त करना परिवादी की आंशिक त्रुटि मात्र मानी जा सकती है। वाहन चोरी होने की घटना दिनांक 20.02.2020 के तीन दिन बाद परिवहन विभाग बाराबंकी द्वारा परिवादी के प्रश्नगत वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र दिनांक 24.02.2020 को जारी कर दिया गया। चोरी की सूचना पंजीयन विभाग को दिये जाने पर पंजीयन विभाग द्वारा बाद में वाहन को पंजीयन कार्यालय के संबंधित अभिलेखों में ब्लैक लिस्ट भी किया गया।

           उपरोक्त विवेचन के आलोक में परिवादी द्वारा वाहन की डिलीवरी (विपक्षी संख्या-01 से) वाहन के पंजीयन होने की प्रत्याशा में प्राप्त कर चलाना परिवादी की आंशिक त्रुटि है।

            विपक्षी सं0-03 व 04 बीमा कम्पनी का यह भी तर्क है कि परिवादी ने बीमा क्लेम काफी देरी से प्रस्तुत किया इस लिये क्लेम निरस्त किये जाने का एक आधार अत्यधिक देरी भी है। परिवादी के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से स्पष्ट है कि वाहन दिनांक 20.02.2020 को चोरी होने पर परिवादी ने अगले दिन चोरी होने पर तत्काल फोन से पुलिस को मौके पर बुलाया और अगले दिन डीलर से कागजातों की प्रति लेकर संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई और दिनांक 03.03.2020 को इन्टरनेट के माध्यम से वाहन चोरी की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को भी दी, जिसका अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल है। साथ ही प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर विवेचन पूर्ण होने पर अंतिम रिपोर्ट पुलिस द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत की गई और संबंधित न्यायालय द्वारा दिनांक 22.10.2020 से अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार किया है और इन सभी प्रपत्रों के आधार पर दिनांक 10.01.2021 को लिखित सूचना के साथ बीमा क्लेम समस्त प्रपत्रों सहित विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिसके आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर के माध्यम से आख्या भी दी गई है। बीमा क्लेम के साथ परिवादी द्वारा लगाये गये शपथपत्र के पैरा-4 में स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है कि आन लाईन आवेदन समस्त प्रपत्रों के साथ दिनांक 03.03.2020 को कर दिया गया था। कोरोना काल में कर्फ्यू/बन्दी की वजह से दिनांक 10.11.2020 को आफिस में व्यक्तिगत सूचना दी गई। इन समस्त साक्ष्यों से स्पष्ट है कि परिवादी को जो भी देरी बीमा क्लेम प्रस्तुत करने में हुई है, उसका उचित कारण दर्शित किया गया है।

            गुरशिन्दर सिंह बनाम श्री राम जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी एवं अन्य 2020 (।।) एस सी सी 612 (तीन न्यायमूर्ति गण की पीठ) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह विधि सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि यदि बीमा धारक ने वाहन चोरी के तुरन्त बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है और पुलिस ने जांच के बाद वाहन या अपराधी का पता न चलने के कारण अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है। बीमा कम्पनी द्वारा सर्वे कराये जाने पर चोरी की घटना वास्तविक है, तो चोरी की घटना के बारे में बीमा कम्पनी को सूचित करने में देरी बीमा धारक के दावें को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकती। क्लेम यदि फर्जी या सशंकित पाया जाता है तो देरी का बिन्दु बीमा दावा अस्वीकार करने का एक आधार हो सकता है। जैना कन्सटंªक्शन कम्पनी बनाम ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 2022 Live Law सुप्रीम कोर्ट 154 निर्णय दिनांकित 11.02.2022 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णीत किया गया है,

            The Insurance Company cannot repudiate claim merely on the ground that there was a delay in intimating the insurance company about the occurance of the theft, when the insured had lodged the F I R Immediately after the theft of the vehicle.

           उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि वर्तमान प्रकरण में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष वाहन चोरी के सम्बन्ध में बीमा क्लेम प्रस्तुत करने में हुई देरी, बीमा क्लेम निरस्त करने का आधार नहीं हो सकती।

           उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी द्वारा प्रश्नगत वाहन परिवहन विभाग, बाराबंकी में पंजीयन होने की प्रत्याशा में (जिसका शुल्क घटना की दिनांक से लगभग एक माह पूर्व में जमा किया जा चुका था) डिलीवरी प्राप्त कर संचालन करने के दौरान वाहन चोरी चले जाने के प्रकरण में Non Standard Basis पर Settle किया जाना उचित होगा। घटना दिनांक 20.02.2020 की है। वाहन का बीमा दिनांक 13.01.2020 से 14.01.2023 तक प्रभावी होना बीमा प्रपत्र में अंकित है। बीमा प्रपत्र में वाहन का मूल्य रू0 8,53,128/-अंकित है। वाहन बीमा कराने के प्रथम वर्ष में ही चोरी हुआ है। अतः परिवादी विपक्षी संख्या-03 व 04 बीमा कम्पनी से वाहन के बीमा प्रपत्र में अंकित प्रथम वर्ष की आंकलित मूल्य के अनुसार रू0 8,53,128/-का 75ः मय 6ः साधारण वार्षिक ब्याज सहित प्राप्त करने के अधिकारी है। विपक्षी संख्या-03 व 04 द्वारा परिवादी के क्लेम का उपरोक्तानुसार भुगतान नहीं करके सेवा में कमी की गई है। ऐसे में परिवादी विपक्षी संख्या-03 व 04 बीमा कम्पनी से आर्थिक, मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 3,000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2,000/-प्राप्त करने के अधिकारी है।

                परिवादी का वर्तमान परिवाद उपरोक्त विवेचन के आलोक में आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।  

आदेश

            परिवाद संख्या-85/2021 अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-03 व 04 बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को वाहन के प्रथम वर्ष के बीमित मूल्य का 75% रू0 6,39,846/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 03.09.2021 से अदायगी की तिथि तक 6% साधारण वार्षिक ब्याज सहित, मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति रू0 3,000/-तथा वाद व्यय रू0 2,000/- पैंतालिस दिन में अदा करेगें। पैतालिस दिवस में अनुपालन न करने की स्थिति में आदेशित धनराशि रू0 6,39,846/-पर अदायगी की तिथि तक 9% की दर से ब्याज देय होगा।

 

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

          सदस्य                       सदस्य                 अध्यक्ष

 

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

          सदस्य                       सदस्य                 अध्यक्ष

 

दिनांक 11.04.2023

 

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