Rajasthan

Jalor

C.P.A 34/2013

Madusudan Vyas - Complainant(s)

Versus

Branch Mangar,United India Insurace Company - Opp.Party(s)

Mohan Singh

09 Feb 2015

ORDER

न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर

पीठासीन अधिकारी

अध्यक्ष   श्री  दीनदयाल प्रजापत,

सदस्य    श्री केशरसिंह राठौड

सदस्या  श्रीमती मंजू राठौड,

 

  1. मधुसूदन व्यास पुत्र श्री रघुनन्दनजी व्यास, उम्र- 57 वर्ष, जाति श्रीमाली ब्राहमण, पेशा वकालात, निवासी-सी 8 शिवाजी नगर, जालोर, जि0 जालोर          

प्रार्थी।

                बनाम    

  1. ब्रान्च मैनेंजर,

यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी

जालोर  जिला  जालोर।     

अप्रार्थी।

                                सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0   34/2013

परिवाद पेश करने की  दिनांक  11.03.2013

अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता  संरक्षण  अधिनियम ।

उपस्थित:-

  1. श्री मोहनसिंह राणावत   अधिवक्ता प्रार्थी।
  2. श्री  शहजाद अली अधिवक्ता अप्रार्थी।

  निर्णय      दिनांक  09-02-2015

1.                संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी की मालिकाना  कार  स्विफ्ट डिजायर नम्बर त्श्र.16.ब्। 1803 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहंा बीमा पाॅलिसी संख्या 141104/31/12/01/0000534 के जरिये दिनांक 06-05-2012 से दिनांक 05-05-2013 तक बीमित थी। जो दिनांक 21-07-2012 को दुर्घटनाग्रस्त होकर नष्ट हो गयी। जिसकी सूचना प्रार्थी ने अप्रार्थी को दी  तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी का क्लेम प्रार्थनापत्र स्वीकार करते हूए  रूपयै 250700 का वाउचर जारी किया, तथा रूपयै 311000  ऐ0के0सोनी जोधपुर से प्राप्त करने का कहा गया। प्रार्थी द्वारा ऐ0के0 सोनी से सम्पर्क करने  पर कोई जवाब नहीं दिया गया  तो प्रार्थी  ने पंजीकृत पत्र दिनांक 28.01.2013 को भेजकर मांग की  लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। तथा बीमित वाहन की दिनांक 21.07.2012  को दुर्घटना हुई थी  उसी दिन से वाहन जोधपुर में कृष्णा ओटो मोबाईल्स  मे रखा गया जहां पर प्रतिदिन किराया रूपयै 150 लग रहा हैं। इस बाबत्  अप्रार्थी को सूचना दिनांक 22-07-2012 दिनांक 30-08-2012  दिनांक 29-09-2012 एवं 26-10-2012 को जारी की जा चुकी हैं। लेकिन अप्रार्थी  प्रार्थी को भुगतान करने में रूचि नहीं ले रहे हैं। तथा प्रार्थी  अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं। अप्रार्थी ने प्रिमियम प्राप्त किया हैं। तथा अप्रार्थी रूपयै रूपयै 562700 देना उचित भी मानता हैं। परन्तु अप्रार्थी भुगतान की देरी, कबाड का पार्किगं चार्ज, उसे दुर्घटना स्थल से पार्किग स्थल तक पहुंचाने के चार्ज के विषय में तथा शारीरिक, मानसिक क्षतिपूर्ति  बाबत्  और ब्याज बाबत् कोई खुलासा नहीं कर रहा हैं। तथा प्रार्थी का वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर कबाड में बदल चुका हैं  कबाड कभी भी मोटर व्हीकल नहीं होता। अप्रार्थी अपने नाम कबाड की बजाय मोटर व्हीकल  का हस्तान्तरण चाहता हैं  जो किस तरह से हो सकता हैं, जो विधिक रूप से हस्तान्तरित नहीं हो सकता हैं, जिसके लिए अप्रार्थी बार-बार कहता हैं। तथा अप्रार्थी द्वारा भुगतान नहीं करने के कारण प्रार्थी को बहुत सारी शारीरिक  और मानसिक परेशानी हुई। इस प्रकार प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व क्षतिग्रस्त वाहन की बीमित राशि रूपयै 562700/- दिनांक 21.07.2012 को वाहन दुर्घटना स्थल से कृष्णा ओटो मोबाईल्स, जोधपुर पहुंचाने का खर्च रूपयै 2000/-, जिसका पार्किगं चार्ज  21-03-2013 तक रूपयै 26,600/- उक्त वाहन वित्तीय सहायता पर था, जिसका ब्याज रूपयै 4500/- तथा दूसरा नया वाहन  ऋण लेकर खरीदना पडा जिसका ब्याज रूपयै 6000/-प्रतिमाह की दर से तथा शारीरिक व मानसिक क्षति के रूपयै 200000/- इस प्रकार कुल  रूपयै 960000/- एवं परिवाद व्यय के रूपयै 15000/-  बतौर क्षतिपूर्ति व हर्जाना  दिलाने हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया  हैं।

 

2.                      प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थी को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया । अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री शहजाद अली ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थी ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि प्रार्थी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहंा बीमित हैं तथा प्रार्थी का वाहन क्षतिग्रस्त होने के तथ्य स्वीकृत हैं।  तथा दावा पत्रावली प्रस्तुत होने पर नियमानुसार कार्यवाही प्रारंभ की गई। प्रार्थी का वाहन अधिक क्षतिग्रस्त हुआ हैं, उसके मूल्य का आॅंकलन करवाया, आॅकंलन कर्ता अशोक कुमार सोनी के द्वारा रूपयै 311000/- वाहन सैल्वेज के रूप में आॅंकलन किया, तथा शेष राशि रूपयै 250700/- का भुगतान बीमा कम्पनी को किया जाना था, जिसका वाउचर बीमा कम्पनी ने प्रार्थी को दिया था। जिस पर प्रार्थी ने हस्ताक्षर यह कहते हूए किया, कि मुझे पेमेन्ट प्राप्त नहीं हुआ हैं। जबकि नियमानुसार डिस्चार्ज वाउचर पर हस्ताक्षर होने के पश्चात् चैक द्वारा या बीमाधारी के द्वारा नेफ्ट की सूचना पूरी करने पर उसके खाते में जमा करवाने का प्रावधान हैं, तथा बीमा कम्पनी ने पत्र दिनांक 22-10-2012 तथा उसी दिन प्रार्थी को यह भी कहा गया कि आप सर्वेयर ए0 के0 सोनी से सम्पर्क कर अपने वाहन के दस्तावेज व वाहन की चाबी उसे उपलब्ध करा देवें और क्षतिग्रस्त वाहन की कीमत रूपयै 311000/- प्राप्त कर लेवे तथा प्रार्थी सहयोग न कर येन केन प्रकारेण अधिक विवाद करने के लिए बीमा कम्पनी को नोटिस भी दिया, जिसमें गलत मांग की। तथा प्रार्थी ने नोटिस में आर0टी0ओ0 के समक्ष अपना रजिस्ट्रेशन कैसंल करवाने का फार्म नम्बर-29  30 देने के कथन किये हैं, जो गलत हैं। प्रार्थी ने साॅल्वेज बीमा कम्पनी को देने का कथन किया हैं, जबकि प्रार्थी के वाहन की क्षति का आॅंकलन  टोटल लाॅस के रूप में किया गया हैं। तथा जब तक क्षतिग्रस्त वाहन बेचान नहीं हो जाता, तब तक टोटल लाॅस  की पत्रावली पर कार्यवाही करना संभ्भव नहीं रहता हैं, तथा परिवहन विभाग में खरीदकर्ता के नाम फार्म नम्बर 29 व 30 देने का अधिकारी रजिस्टर्ड मालिक होता हैं, तथा बीमा पाॅलिसी क्लोज 3 के अनुसार किसी वाहन के क्षतिग्रस्त होने के पश्चात् किसी भी प्रकार की हानि जो  लाॅस के कारण हो रही हैं व पाॅलिसी में कवर नहीं हैं। तथा दिनांक 05.11.2012 के पत्र के अनुसार प्रार्थी को 5 दिवस में सैटलमैन्ट की पालना में कार्यवाही करने का निवेदन किया जा चुका है। तत्पश्चात् शाखा कार्यालय के द्वारा दिनांक 07.02.2013 को पत्र देकर भी शीघ्र सहयोग कर वाहन को ट्रान्सफर करवाने एवं शेष राशि रूपयै 250700 प्राप्त करने का लिखा,  लेकिन प्रार्थी ने उसकी पालना नहीं की तथा न ही सहयोग किया। तथा प्रार्थी की दावा पत्रावली  टोटल लोस में निस्तारित कर देने से प्रार्थी, अप्रार्थी  बीमा कम्पनी से केवल रूपयै 250700  तक  पाने का अधिकारी हैं। शेष राशि प्राप्त नहीं करने के लिए प्रार्थी जिम्मेवार हैं  तथा प्रार्थी के द्वारा मानसिक एवं शारीरिक परेशानी के रूपयै 2 लाख की मांग की हैं, जो गलत हैं  तथा प्रार्थी ने ए0के0 सोनी से सम्पर्क नहीं किया तथा रूपयै 311000 प्राप्त करने की चेष्टा नहीं की।  तथा प्रार्थी क्षतिग्रस्त वाहन को बेचान कर दस्तावेज उसके हक में ट्रांसफर करवा कर राशि प्राप्त कर सकता हैं। तथा प्रार्थी ने परिवाद में वर्णित रूपयै 960000 व 18 प्रतिशत ब्याज की मांग की हैं, जो वह पाने का अधिकारी नहीं है। तथा प्रार्थी की दावा पत्रावली  अतिशीघ्र निर्णित कर दी गई थी, जिससे अप्रार्थी की सेवा में त्रुटि नहीं हैं। इसप्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।

 

3.           हमने उभय पक्षो को साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय एवं अवसर देने के बाद, उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क वितर्क सुने, जिस पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया तो हमारे सामने मुख्य रूप से तीन विवाद बिन्दु उत्पन्न होते हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक  हैे

1   क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ?            प्रार्थी

 

2   क्या अप्रार्थी ने  प्रार्थी की बीमित  वाहन को दुर्घटना में टोटल

      क्षतिग्रस्त मानकर भी टोटल लाॅस की राशि अदा नहीं कर  सेवा

      प्रदान करने में गलती एवं कमी कारित की हैं ?

                                                        प्रार्थी

3.  अनुतोष क्या होगा ?     

 

प्रथम विधिक विवाद बिन्दु:-

       क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ?            प्रार्थी

  

        उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी की कार वाहन संख्या- त्श्र.16.ब्। 1803  जो बीमा पाॅलिसी संख्या-141104/31/12/01/0000534 के जरिये बीमित थी, जो दिनांक 21.07.2012 को दुर्घटनाग्रस्त होकर क्षतिग्रस्त हो गयी। प्रार्थी ने उक्त कथनो के सत्यापन हेतु  बीमा कम्पनी द्वारा जारी  ैमजजसमउंदज  प्दजपउंजपवद टवनबीमत  पेश किया हैं।  जिसमें बीमा पाॅलिसी संख्या  संख्या-141104/31/12/01/0000534, प्रार्थी के वाहन संख्या- त्श्र.16.ब्। 1803 प्रार्थी के नाम बीमित होना लिखा हैं। तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब परिवाद में प्रार्थी की वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहंा बीमित होना स्वीकार किया हैं। तथा अप्रार्थी के द्वारा बीमा पालिसी की प्रति पेश की हैं। जिसमे अप्रार्थी ने प्रार्थी से प्रिमियम राशि रूपयै 14121/- लेकर वाहन की जोखिम कीमत रूपयै 5,62,700/- वहन करने हेतु जोखिम अवधि दिनांक 06-05-2012 से 05-05-2013 तक के लिए बीमा पाॅलिसी जारी की हैं तथा प्रार्थी की उक्त बीमित वाहन दिनांक 21-07-2012 को दुर्घटना कारित होकर क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसप्रकार प्रार्थी एवं अप्रार्थी के मध्य प्रतिफल लेकर सेवा देने की संविदा हुई हैं, जो ग्राहक- सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 1 डी  के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में आता हैं, इसप्रकार प्रथम विवाद  बिन्दु  प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थी के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

द्वितीय विवाद बिन्दु:- 

    क्या अप्रार्थी ने प्रार्थी की बीमित  वाहन को दुर्घटना में टोटल

      क्षतिग्रस्त मानकर भी टोटल लाॅस की राशि अदा नहीं कर सेवा

      प्रदान करने में गलती एवं कमी कारित की हैं ?

                                                        प्रार्थी

 

                                                 

 

              उक्त द्वितीय विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं।  जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी के परिवाद एवं अप्रार्थी के द्वारा प्रस्तुत जवाब के अनुसार प्रार्थी की बीमित वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर टोटल लाॅस होने के तथ्यों  मे कोई विरोधाभाष नहीं हैं। तथा टोटल लाॅस की राशि का भुगतान करने की प्रकिया में प्रार्थी का सहयोग नहीं करना अप्रार्थी ने जाहिर किया हैं , तो प्रार्थी ने अपनी कबाड वाहन को सर्वेयर ए0 के0 सोनी के द्वारा बताये गये व्यक्ति जयकुमार के पक्ष में वाहन के हस्तान्तरण हेतु फार्म नम्बर 29 व 30 हस्ताक्षर करके देने से मना किया हैं, को लेकर विवाद हैं। इस सम्बन्ध में प्रार्थी ने अप्रार्थी को दिये प्रार्थनापत्र क्रमांक- 470 दिनंाक 30-08-2012  की प्रति पेश की हैं। जिसमें क्षतिग्रस्त वाहन दिनांक 21-07-2012 को नष्ट कबाड  कृष्णा ओटोमोबाईल्स, जोधपुर  के यहां पडा होना तथा कबाड रखने का प्रतिदिन 150/- रूपयै किराया लगने के कारण बीमा राशि का भुगतान शीघ्र करवाने की मांग की हैं। अप्रार्थी ने उक्त प्रार्थनापत्र का प्रार्थी को क्या लिखित जवाब दिया या क्या कार्यवाही की, इसका कोई सबूत पेश नहीं किया हैं। प्रार्थी ने अप्रार्थी को दिनांक 28-09-2012 को दिये प्रार्थनापत्र क्रमांक- 564 की प्रति पेश की हैं, जिसमें प्रार्थी ने कहा हैं कि कबाड वाहन को मैं नहीं लेना चाहता हूं, क्यों कि मैं कबाड बेचने की स्थिति में नहीं हूं। मुझे तो मेरी बीमा की राशि दिलवाई जावे, कबाड वाहन को आप रखे। अप्रार्थी ने प्रार्थी के उक्त प्रार्थनापत्र का क्या जवाब दिया या क्या कार्यवाही की , इसका भी कोई सबूत पत्रावली पर पेश नहीं किया हैं। तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी को दिये प्रार्थनापत्र दिनांक 26-10-2012 की भी प्रति पेश की हैं।  जिसमें प्रार्थी ने अपने क्षतिग्रस्त वाहन के कबाड को वाहन रजिस्ट्रेशन  हस्तान्तरण फार्म  नम्बर 29 व 30 के्रता के पक्ष में हस्ताक्षर करके देना नियमानुसार संभ्भव नहीं होने से वाहन का रजिस्ट्रेशन डी0टी0ओ0 आफिस कार्यालय से कैन्सल करवा कर, सैल्वेज बीमा कम्पनी को सौपनें एवं  वाहन की चाबीयंा  सौपने का निवेदन किया हैं, तथा क्लेम निस्तारण में हो रही देरी से प्रार्थी को पहुंच रही नुकसानी से भी अवगत करवाया हैं। तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी के पत्र क्रमांक 743 दिनांक 22-10-2012 की प्रति एवं उसका जवाब अप्रार्थी को दिनांक 22-11-2012 को दिया हैं, जिसकी प्रति पेश की हैं, जिसमें भी प्रार्थी ने सर्वेयर को चाबीयां एवं वाहन सैल्वेज  कब, कहां और कैसे सुपर्द करनी हैं तथा प्रार्थी को सर्वेयर से रूपयै 3,11,000/-  कैसें प्राप्त होगें के सम्बन्ध में लिखा हैं, तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को दिये गये पत्र क्रमांक - 775 दिंनाक 05-11-2012 की प्रति पेश की हैं।  जिसमें अप्रार्थी ने अपने पत्र दिनांक 22-10-2012  में वर्णित ैमजजसमउमदज पदजपउंजपवद टवनबीमत थ्वत त्ेण् 2ए50ए700/-  पर हस्ताक्षर करके नहीं लौटाने के कारण चैक जारी करने में असमर्थता जाहिर की हैं। तथा  शेष राशि रूपयै 3,11,000/-सर्वेयर ए0के0 सोनी से सम्पर्क कर उसके कहे अनुसार दस्तावेजो एवं चाबी सौपंकर प्राप्त करने का लिखा हैं। तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी के पत्र दिनांक 22-11-2012 का प्रत्युत्तर पत्र क्रमांक-822 दिनांक 23-11-2012 दिया हैं, जिसकी प्रति प्रार्थी  ने पेश की हैं। जिसमें अप्रार्थी ने सर्वेयर ए0के0 सोनी का पता एवं मोबाईल नम्बर उपलब्ध कराये हैं। तथा प्रार्थी ने दिनांक 26-01-2013  को सर्वेयर ए0के0 सोनी  को पत्र लिखा हैं, जिसकी प्रति प्राार्थी ने पेश की हैं, जिसमें प्रार्थी ने ए0के0 सोनी को वाहन की चाबीयां  एवं वाहन का साल्वेज और सर्विस बुक सौपंने हेतु, कहां पर मिले या आये के बारे में लिखा हैं। तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी  के परिवाद एंव उक्त साक्ष्य को खण्डित करने हेतु सर्वेयर ए0के0 सोनी की रिपोर्ट पेश की हैं, जिसमें ए0के0 सोनी ने प्रार्थी की क्षतिग्रस्त वाहन का रिपेयर बेस पर एस्टीमेट  श्री कृष्णा ओटो मोबाईल्स प्राईवेज लि0 जोधपुर  से करवाया हैं। जिसमें आॅन रिपेयर बैसिस राशि रूपयै 5,80,852.34 पैसे होना बताया हैं, तथा सर्वेयर ए0के0 सोनी ने इसी एस्टीमेट के आधार पर प्रार्थी की बीमित वाहन को टोटल लाॅस मानकर छमज  व िैंसअंहम रूपयै  2,51,200/-  आंका गया,  तथा वाहन की ा क् ट  रूपयै 5,62,700/- होने से वाहन टोटल लाॅस माना हैं, जिसमें से ॅतमबा  वििमत  तमबक  रूपयै  3,11,000/-  बताई गई हैं। तथा अप्रार्थी ने  प्रार्थी को लिखे पत्र दिनंाक 05-11-2012 की प्रति पेश की हैं, जिसमे अप्रार्थी ने प्रार्थी  को लिखा हैं कि सर्वेयर ए0के0 सोनी से सम्पर्क कर, वाहन के दस्तावेज व चाबीयां सौंप कर रूपयै  3,11,000/- प्राप्त करने हेतु एवं शेष राशि रूपयै  2,50,700/- का अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने ैमजजसमउमदज पदजपउंजपवद टवनबीमत  हस्ताक्षर हेतु भेजकर, हस्ताक्षर करके अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने भेजने हेतु कहा हैं, तथा इसीप्रकार अप्रार्थी ने पत्र दिनंाक 22-10-2013 व 07-02-2013 की प्रतियां पेश की हैं, उससे भी भुगतान हेतु ए0के0 सोनी सर्वेयर से सम्पर्क करने हेतु लिखा हैं, जिसका जवाब अप्रार्थी ने उपरोक्त वर्णित पत्रो के जरिये अप्रार्थी को दिया हैं, तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी के बताये ए0के0 सोनी सर्वेयर को पत्र दिनांक 26-01-2013  लिखकर दिनांक 28-01-2013  को रजिस्ट्री से भेजा हैं, जिसमें प्रार्थी ने ए0के0 सोनी को लिखा हैं कि वाहन का कबाड  ॅतमबा वाहन के कागजात एवं चाबीयंा कहां पर व कब पहुंचानी हैं लिखा हैं, लेकिन अप्रार्थी के सर्वेयर ए0के0 सोनी ने प्रार्थी के उक्त पत्र का कोई जवाब नहीं दिया हैं, तथा न ही सर्वेयर ए0के0 सोनी ने प्रार्थी को भुगतान करने या प्रार्थी से सम्पर्क करने का कोई साक्ष्य सबूत रेकर्ड पर प्रस्तुत हुआ हैं। तथा इसप्रकार प्रार्थी के परिवाद एवं प्रस्तुत साक्ष्य का खण्डन करने में अप्रार्थी सफल नहीं हुआ हैं तथा प्रार्थी ने अपनी वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमित करवाई हैं जो जोखिम की सम्पूर्ण राशि प्रार्थी को अदा करने का उत्तरदायित्व अप्रार्थी बीमा कम्पनी का होता हैं, तथा प्रार्थी बीमित वाहन की क्षतिपूर्ति सर्वेयर ए0के0 सोनी या उसके बताये गये व्यक्ति या क्रेता से प्राप्त करने हेतु उत्तरदायी नहीं होता हैं। तथा प्रार्थी की बीमित वाहन बीमा अवधि में सम्पूर्ण क्षतिग्रस्त होने पर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी को टोटल लॅास  की राशि अदा नहीं कर, सेवा प्रदान करने में गलती एवं कमी कारित कर सेवा दोष कारित करना  सिद्व एवं प्रमाणित हैं। इसप्रकार विवाद का द्वितीय बिन्दु भी प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थी के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

तृतीय विवाद बिन्दु- 

                                 अनुतोष क्या होगा ?         

 

       जब प्रथम एवं द्वितीय विवाद बिन्दओं का निस्तारण प्रार्थी के पक्ष  में हो जाने से तृतीय विवाद बिन्दु का निस्तारण स्वतः ही प्रार्थी के पक्ष में हो जाता हैं। लेकिन हमे यह देखना हैं कि प्रार्थी विधिक रूप से क्या एवं कितनी उचित सहायता अप्रार्थी से प्राप्त करने का अधिकारी हैं। या उसे दिलाई जा सकती हैं। जिसके बारे में हमारी राय में प्रार्थी अपने बीमित क्षतिग्रस्त  कार वाहन त्श्र.16.ब्। 1803 की टोटल लाॅस की राशि रूपयै 5,62,700/- ब्याज सहित अप्रार्थी से प्राप्त करने का अधिकारी माना जाता हैं, तथा प्रार्थी ने क्षतिग्रस्त वाहन को जोधपुर पहंुचाने का खर्च रूपयै 2000/-, पार्किग चार्ज रूपयै 26,600/-, ऋण भुगतान में देरी का ब्याज रूपयै 4500/-, नवीन वाहन क्रय हेतु ऋण पर ब्याज के रूपयै 6000/- दिलाने की मांग की हैं। लेकिन उक्त भुगतान या व्यय प्रार्थी ने किया हो, इसका रेकर्ड पर कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुति के अभाव में दिलाये जाने योग्य नहीं हैं। तथा प्रार्थी के सेवा दोष से प्रार्थी को हुई मानसिक, शारीरिक क्षति वेदना एवं आर्थिक क्षति के रूपयै 6,000/-एवं परिवाद व्यय के रूप में रूपयै 2000/- अप्रार्थी से दिलाये जाना उचित प्रतीत होता हैं। इस प्रकार प्रार्थी का परिवाद आशिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य हैं।

आदेश

 

                    अतः प्रार्थी मधुसूदन व्यास का उक्त परिवाद विरूद्व अप्रार्थी, यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी, जालोर, के विरूद्व स्वीकार कर आदेश दिया जाता हैं कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी के बीमित वाहन संख्या त्श्र.16.ब्। 1803 की टोटल लाॅस की राशि रूपयै  5,62,700/- अक्षरे पाॅंच लाख बासठ हजार सात सौ रूपयै  जिस राशि पर 9 नौ प्रतिशत वार्षिकी दर से ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी 11-03-2013 से तारीख अदायगी तक एवं मानसिक व शारीरिक क्षति वेदना एवं आर्थिक क्षति के रूपयै 6000/- अक्षरे छः हजार रूपयै मात्र एवं परिवाद व्यय के रूपयै 2000/- अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र  30 दिन के भीतर अदा करे। तथा उक्त क्षतिग्रस्त कार वाहन के कबाड  ॅतमबा  अप्रार्थी बीमा कम्पनी का होगा , जो अपने नियमानुसार कबाड   ॅतमबा  का विक्रय निस्तारण कर सकेगी।

                निर्णय व आदेश आज दिनांक 09-02-2015 को विवृत मंच में  लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

  मंजू राठौड                 केशरसिंह राठौड                दीनदयाल प्रजापत

     सदस्या                       सदस्य                                    अध्यक्ष

 

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