Rajasthan

Jalor

C.P.A 3/2014

Mahant Parbat Giri - Complainant(s)

Versus

Branch Maneger,The Oriental Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Abinav Suthar

26 Mar 2015

ORDER

न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर

पीठासीन अधिकारी

अध्यक्ष:-  श्री  दीनदयाल प्रजापत,

सदस्यः-   श्री केशरसिंह राठौड

सदस्याः-  श्रीमती मंजू राठौड,

      ..........................

1.महन्त परबतगिरी चेला मोतीगिरी, उम्र- 65 वर्ष, जाति साघु, निवासी- सुरेश्वर महादेव पाण्डगरा मठ, एसराना पर्वत, गांव पाण्डगरा, तहसील आहोर , जिला- जालोर।   

 

...प्रार्थी।

       बनाम  

1.शाखा प्रबन्धक,

दी ओरियेन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0, कचहरी रोड, रघु रतन होटल के सामने, जालोर, तहसील व जिला- जालोर।

2.दी ओरियेन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 677/बी भंसाली टाॅवर, तीसरा माला, रेजीडेन्सी रोड, जोधपुर, तहसील व जिला- जोधपुर- 342001

3.दी ओरियेन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 ए- 25/27 आसफ अली रोड, नई दिल्ली 110002   

 

..अप्रार्थीगण।

              सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 03/2014

परिवाद पेश करने की  दिनांक:-02-01-2014

अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता  संरक्षण  अधिनियम ।

उपस्थित:-

1.     श्री अभिनव सुथार,  अधिवक्ता प्रार्थी।

2.     श्री  त्रिलोकचन्द मेहता, अधिवक्ता अप्रार्थीगण।

निर्णय      दिनांक:  26-03-2015

1.              संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि परिवादी का एक वाहन संख्या-  त्ण्श्रण्16 ब्ण्।ण्1478 दिनांक 03-11-2010 से 02-11-2011 तक जरिये बीमा पाॅलिसी संख्या- 242200/31/2011/5337 के अप्रार्थी से बीमित था। तथा दिनांक 20-09-2011 को परिवादी व अन्य साथी उक्त वाहन से अहमदाबाद जा रहे थे, स्वरूपगंज से करीब 10-15 किलोमीटर आगे आबूपर्वत की तलहटी में वाहन के आगे चल रहे टोले ने अचानक ब्रेक लगाये, जिसके कारण परिवादी का बीमित वाहन टोले में जा घुसी, एवं प्रार्थी की वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गयी। उक्त दुर्घटना में परिवादी, ड्राईवर मागूंसिंह गंभ्भीर रूप से घायल हूए, जिनका बाद में अपोलो होस्पीटल, अहमदाबाद में ईलाज करवाया गया। उक्त दुर्घटना की सूचना परिवादी के पहचान वाले लालाराम ने अप्रार्थी संख्या- 2 को फोन नम्बर- 02915108333 पर दी, तब अप्रार्थी संख्या- 2 ने अप्रार्थी संख्या- 2 के नजदीकी शाखा कार्यालय से सम्पर्क कर वाहन का स्पोर्ट सर्वे कराने के लिए कहा। जिसपर सर्वेयर आर0 के0 पंाचाल घटनास्थल पर आया तथा 13 फोटोग्राफस् लिये तथा सर्वे करके चला गया। तथा अप्रार्थी संख्या 2 के कहे अनुसार लालाराम व तुलसाराम वाहन को कम्पनी के अधिकृत विक्रेता ओ0 एस0 मोटर्स, जोधपुर ट्रक में डालकर ले गये, जिसका खर्चा 7000/- रूपयै हुआ। ओ0 एस0 मोटर्स ने वाहन को ठीक/रिपेयर करने का एस्टीमेट तैयार कर, अप्रार्थी संख्या 1 को भेजा, जो रूपयै 6,84,855/- का था, चूकिं वाहन की कीमत मरम्मत से अत्यधिक होने से अप्रार्थी संख्या- 2 ने  दिल्ली से प्रकाश सर्वेयर को नियुक्त किया,जो सर्वे करने के लिए जोधपुर आया, जिसने परिवादी को एफेक्स हाॅटल, जोधपुर में सम्पर्क करने के लिए कहा। जिस पर परिवादी वहंा गया,  तो प्रकाश सर्वेयर ने परिवादी को कहा कि गाडी टोटल लाॅस में हैं, यदि आप मुझे 50,000/- रूपयै दे दो, तो मैं आपकी गाडी का पूरा क्लेम दिलवा दूगंा। सर्वेयर प्रकाश की मांग को परिवादी ने नहीं माना और उसकी शिकायत अप्रार्थी  संख्या- दो  को दिनांक 26-11-2012 को प्रार्थी ने की। उसके पश्चात् अप्रार्थी संख्या- 2 ने प्रार्थी को अपने स्तर पर ओ0 एस0 मोटर्स से वाहन ठीक करवाने को कहा, तथा गाडी को ठीक करने का  जो भी खर्चा होगा, वह कम्पनी आपको अदा करेगी। परिवादी की गाडी  दुर्घटना से लगाकर दिनांक 23-11-2013 तक ओ0एस0 कम्पनी में पडी रही, तथा दिनांक 23-11-2013 को रूपयै 5,98,495/- ओ0 एस0 मोटर्स को परिवादी ने अदा कर अपना वाहन प्राप्त किया। तथा परिवादी ने अप्रार्थी संख्या- 2 व 3 को दिनांक 26-11-2012, 19-12-2012 व 23-01-2011 को पत्र लिखकर दावे का भुगतान करने  हेतु कहा , दिनांक 29-11-2012 को कम्पनी ने एक अन्तिम रिमाण्डर पत्र भेजा, जिसका जवाब प्रार्थी ने दिनांक 19-12-2012 को भेज दिया था, तथा अप्रार्थी संख्या- 2 व 3 दावे को बन्द करना चाहती हैं, तथा कम्पनी को जब भी फोन करता हूं, संतोषप्रद जवाब नहीं देती हैं। अप्रार्थी संख्या- 2 व 3 किसी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं। दो- तीन महिने में एक बार मुझे जोधपुर बुलाते हैं, तथा दिनांक 03-01-2013 को परिवादी को अप्रार्थी संख्या- 2 ने पत्र लिखकर वाहन रिपेयर के बिल एवं भुगतान रसीद शीध्र प्रस्तुत करने को कहा,  जिस पर परिवादी ने दिनांक 23-01-2013 को वाहन मरम्मत के सम्बन्ध में सभी बिल व भुगतान रसीद अप्रार्थी को प्रस्तुत कर दिये, इसके उपरान्त भी अप्रार्थीगण ने भुगतान नहीं किया हैं। इस प्रकार प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व वाहन मरम्मत के रूपयै  5,98,495/- , वाहन घटनास्थल से जोधपुर ले जाने का खर्च 7000/-, मानसिक क्षतिपूर्ति रूपयै 2,00,000/- एवं परिवाद व्यय के रूपयै 10,000/-, कुल योग राशि रूपयै 8,15,495/- रूपयै दिलाये जाने हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।

 

2.                 प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थीगण को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। जिस पर अप्रार्थीगण की ओर से अधिवक्ता श्री तिलोकचन्द मेहता ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थीगण ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि प्रार्थी का परिवाद प्रि - मैच्योर हैं, तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अन्तिम निर्णय से पूर्व ही परिवाद प्रस्तुत कर दिया हैं, तथा बीमाधारी अपने वाहन को किसी भी अधिकृत शौ रूम में ठीक करवाने हेतु स्वतंत्र होता है। बीमा कम्पनी का कोई भी अधिकारी किसी भी बीमाधारी को यह कहने में सक्षम नहीं होता हैं कि वाहन को ठीक करवाने में जो भी खर्चा आयेगा, वह अदा कर दिया जायेगा। अप्रार्थी सरकारी कार्यालय हैं तथा उसे अपने कार्य नियमो व निश्चित प्रक्रिया अपना कर ही करना होता हैं। प्रार्थी के वाहन में क्षति उत्पन्न होने पर रजनीकान्त पांचाल के द्वारा स्पोट सर्वे किया गया। जिसने अपनी रिपोर्ट में प्रार्थी के वाहन की क्षति बताते हूए प्रस्तुत कर दी। उसके पश्चात् प्रार्थी ने जाॅंचकर्ता की उपस्थिति में वाहन को नहीं खोला, बल्कि उससे पूर्व ही वाहन को खोल दिया गया था। जिससे पाॅलिसी की शर्त का उल्लघंन हुआ हैं। तथा प्रार्थी के वाहन का एस्टीमैट बडी राशि का बनने के कारण सर्वेयर की लिमिट के अनुसार देहली से जाॅंचकर्ता प्रकाश सर्वेयर को नियुक्त किया गया। जिसने मौके पर आकर खुले हूए पार्टस् के आधार पर वाहन की क्षति का आॅंकलन किया, तथा प्रकाश सर्वेयर कम्पनी के द्वारा 3-4 बार ओ0एस0 मोटर्स  में आये, तथा उन्हें वाहन के कुछ पार्टस् नहीं बदलने हेतु भी कहा, लेकिन फिर भी पार्टस् बदला गया, और बिल बनाया गया। तथा बीमाधारी को भी बुलाया, जिसने भी सहयोग नहीं किया। बीमाधारी वाहन को टोटल लाॅस बताकर वाहन की क्षति के अनुसार हर्जाना राशि दिलाये जाने पर अडा रहा। प्रकाश सर्वेयर कम्पनी के द्वारा अपनी जाॅंच में प्रार्थी के वाहन की क्षति 3,30,784/-रूपयै पायी। जिस में से पाॅलिसी एक्सेस 1000/- रूपयै व साल्वेज के रूपयै 20,000/- कम करते हूए राशि बताई।तथा टोईगं से लाने का चार्ज रूपयै 1500/- पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार देय योग्य बताया, इस प्रकार कुल 3,11,284. 75 पैसे देय योग्य पाये। तथा सर्वेयर दीपक राठी के द्वारा ओ0एस0 मोटर्स के बिल व सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर प्रार्थी के वाहन में कुल 3,25,132. 52 रूपयै राशि बनी, जिस में से पाॅलिसी एक्सेस साल्वेज डेप्रिसिऐशन आदि कम करने पर प्रार्थी  को नेट देय योग्य राशि रूपयै 2,56,030.76 पैसे बनी। जिसकी स्वीकृति हेतु पत्रावली भेजी जा चुकी हैं। प्रार्थी को वाहन क्षति की राशि देने से अप्रार्थी नं0 2 बीमा कम्पनी ने मना नहीं किया। अप्रार्थी नं0 2 ने हमेशा प्रार्थी को सहयोग किया हैं और शीघ्र निपटाना चाहा हैं, लेकिन प्रार्थी के द्वारा सहयोग नहीं किया गया। प्रार्थी के सहयोग नहीं करने व ओ0 एस0 मोटर्स के द्वारा लगाये गये पार्टस् व बनाये गये बिल को लेकर संतुष्टि करने में असफल रहने  व सही जाॅंच करने मे ंसमय लगा है। अप्रार्थी नं0 2 की लापरवाही नहीं रही हैं, तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी की पत्रावली बन्द करने की कभी इच्छा नहीं रखी हैं। प्रार्थी के द्वारा दिनांक 03-01-2013 तक दस्तावेज बीमा कम्पनी को नहीं भेजे तथा प्रार्थी को सहयोग की उपेक्षा करते हूए दस्तावेजो की मांग की गई। प्रार्थी के द्वारा बिल पेश करने के पश्चात् जाॅंच की जाती हैं और उसके पश्चात् ही अन्तिम निस्तारण होता हैं। जिसमें कुछ समय लगना संभ्भव हैं। प्रार्थी को पत्र दिनांक 05-02-2013 को देकर दावा फार्म पुनः भिजवाने हेतु भी कहा गया क्यों कि पूर्व फार्म पर बीमाधारी के हस्ताक्षर नहीं थे। तथा प्रार्थी की दावा पत्रावली में जाॅंच कार्य शुरू था, तथा प्रार्थी ने पत्र दिनांक 05-02-2013 की पालना नहीं की, जिससे भुगतान करना संभव नहीं हो पा रहा हैं। इस प्रकरण में अप्रार्थी नं0 2 व 3 या सर्वेयर प्रकाश की लापरवाही नहीं रही हैं। बल्कि ओ0 एस0 मोटर्स के यहंा वाहन रिपेरिंग में समय लगा हैं। सप्लीमेन्ट्री एस्टीमेट भी दिया है। तथा प्रार्थी ने समय-समय पर सहयोग नहीं देने के कारण अप्रार्थी के कार्य प्रणाली में बाधा आयी हैं, जिसके लिए प्रार्थी स्वंय  जिम्मेदार हैं। प्रार्थी ने बीमा कम्पनी के पत्र  दिनंाक 05-02-2013 मिलने का कथन छिपाया हैं। प्रार्थी का परिवाद म्याद बाहर हैं। तथा प्रार्थी हर्जाना राशि रूपयै 5,98,495/-  वाहन क्षति के, टोचिगं खर्च रूपयै 7000/-, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूपयै 2,00,000/-, परिवाद खर्च रूपयै 10000/- कुल रूपयै 8,15,495/- अप्रार्थीगण से पाने का अधिकारी नहीं है। तथा अप्रार्थीगण ने विशेष आपत्ति के कथन किये हैं कि प्रार्थी का परिवाद मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं होने के बावजूद भी अप्रार्थी नं0 1 को गलत पक्षकार बनाते हूए परिवाद प्रस्तत किया हैं, जिससे अप्रार्थी नं0 1 को विशेष हर्जाना रूपयै  20000/- प्रार्थी से दिलवाये जावे। इस प्रकार अप्रार्थीगण ने परिवाद पेश कर प्रार्थी का परिवाद मय खर्चा खारिज करने का निवेदन किया हैं।

 

3.           हमने उभय पक्षो को जवाब एवं साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद,  उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिस पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो हमारे सामने मुख्य रूप से चार विवाद बिन्दु उत्पन्न होते हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक  हैें:-

 

1.   क्या प्रार्थी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता हैं ?          प्रार्थी

 

2.   क्या प्रार्थी, का परिवाद प्रि-मैच्योर एवं म्याद बाहर  हैं ? 

                                              अप्रार्थीगण

 

3.   क्या अप्रार्थीगण ने प्रार्थी की बीमित वाहन क्षतिग्रस्त होने पर

       मरम्मत की राशि अदा नहीं कर उपभोक्ता को सेवा प्रदान

       करने में गलती एवं त्रुटि कारित की हैं ?                

       प्रार्थी                                      

                                          

4.  अनुतोष क्या होगा ?   

 

प्रथम विधिक विवाद बिन्दु:-

 

         क्या प्रार्थी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता हैं ?       प्रार्थी   

           

       उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी की वाहन संख्या -  त्ण्श्रण्16 ब्ण्।ण्1478 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के बीमित अवधि में दिनांक 20-09-2011 को क्षतिग्रस्त  हो गयी। प्रार्थी ने उक्त कथनो के सत्यापन हेतु बीमा पाॅलिसी संख्या-242200/31/2011/5337 की प्रति पेश की हैं। जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के नाम प्रार्थी के वाहन महेन्द्रा लाॅगन सैलून के इन्जन नम्बर-  क् 04989 व चैसिस नम्बर-17934  से अंकित कर जारी की है। जिसकी बीमा अवधि दिनांक 03-11-2010 से 02-11-2011 तक थी, तथा प्रार्थी ने उक्त बीमा पाॅलिसी प्रार्थी से प्रिमियम राशि रूपयै  14509/- प्राप्त कर वाहन की कीमत  5,47,485/- रूपयै की जोखिम वहन करने हेतु जारी की गई है। तथा प्रार्थी ने उक्त वाहन का रजिस्ट्रेशन  प्रमाणपत्र की प्रति पेश की हैं, जो उक्त वाहन के इन्जन नम्बर व चैसिस नम्बर की वाहन -  त्ण्श्रण्16 ब्ण्।ण्1478 प्रार्थी के नाम पंजीबद्व हैं। तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी से प्रिमियम/प्रतिफल राशि रूपयै 14509/- प्राप्त कर जोखिम वहन की संविदा की हैं। जिससे  प्रार्थी एवं अप्रार्थीगण के मध्य ग्राहक - सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 1 डी  के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में आता हैं, इसप्रकार प्रथम विवाद  बिन्दु  प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

द्वितीय विवाद बिन्दु:-

 

     क्या प्रार्थी, का परिवाद प्रि-मैच्योर एवं म्याद बाहर  हैं ? 

                                              अप्रार्थीगण

 

              उक्त द्वितीय विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार अप्रार्थीगण पर हैं।  जिसके सम्बन्ध में अप्रार्थीगण ने जवाब परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि अप्रार्थी नम्बर 2 ने हमेशा प्रार्थी को सहयोग किया हैं, लेकिन प्रार्थी के द्वारा सहयोग नहीं किया गया, तथा ओ0 एस0 मोटर्स के द्वारा लगाये गये पार्टस् व बनाये गये बिल को लेकर संन्तुष्टि करने में असफल रहने एवं सही जाॅंच करने में समय लगा हैं। तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी की पत्रावली बन्द करने की कभी इच्छा नहीं रखी हैं, तथा प्रार्थी के द्वारा दिनांक 03-01-2013 तक दस्तावेज बीमा कम्पनी को नहीं भेजे हैं, तथा प्रार्थी ने दिनांक 23-01-2013 को बिल अप्रार्थी नम्बर- 2 के कार्यालय में  देना बताया हैं। तथा प्रार्थी के वाहन क्षति की राशि स्वीकृति हेतु क्षैत्रीय कार्यालय को पत्रावली भेजी जा चुकी हैं, तथा प्रार्थी को वाहन की क्षति की राशि देने से अप्रार्थी  नं0- 2 बीमा कम्पनी ने मना नहीं किया हैं।  प्रार्थी के द्वारा गलत आधारो पर परिवाद प्रस्तुत किया गया हैं, जो प्रि-मैच्योर हैं।

 

                     उक्त कथनो के अनुसार प्रार्थी की क्षतिग्रस्त वाहन दिनांक 21-09-2011 से दिनांक 29-11-2012 दस माह तक ओ0एस0 मोटर्स, जोधपुर में खडी रही हैं, तब अप्रार्थी बीमा कम्पनी चाहती, तो अपने स्तर पर उक्त वाहन को ओ0एस0 मोटर्स से ठीक करवाकर उसे भुगतान कर, प्रार्थी को वाहन ले जाने हेतु कह सकती थी। या अप्रार्थी, प्रार्थी की बीमित वाहन का ओ0एस0 मोटर्स के द्वारा दिया गया रिपेयर राशि का एस्टीमेट अधिक था, तो अन्य किसी सर्विस सेन्टर पर रिपेयर/ठीक करवा कर , प्रार्थी को बीमा क्षतिपूर्ति सेवाएं प्रदान कर सकती थी। लेकिन अप्रार्थीगण ने ऐसा नहीं किया हैं, तथा जब प्रार्थी दिनांक 29-11-2012 को क्षतिग्रस्त वाहन को रिपेयर करवाकर बिलो का भुगतान अपने स्तर पर कर वाहन को ले गया, उसके बाद दिनंाक 03-01-2013 को वाहन के रिपेयर होने के बिल पेश करने हेतु प्रार्थी को पत्र लिखा हैं, जिस पर दिनांक 23-01-2013 को अप्रार्थी, वाहन रिपेयर के बिल प्रार्थी से प्राप्त होना स्वीकार कर रहा हैं। तथा दिनांक 23-01-2013 से परिवाद पेश होने की तिथी 02-01-2014 लगभग एक वर्ष तक अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का क्लेम आवेदन का निस्तारण नहीं किया हैं, तथा न ही भुगतान किया हैं। तथा जवाब परिवाद के पद संख्या- 12 में अप्रार्थी ने प्रार्थी का परिवाद म्याद बाहर होना भी कहा हैं। तथा दूसरी तरफ परिवाद प्रि-मैच्योर होना कह रहे हैं। इसप्रकार अप्रार्थीगण दोहरे आधारो पर कथन कह रहे हैं। तथा अप्रार्थीगण को क्लेम आवेदन निस्तारण करने हेतु 3 माह की अवधि बीमा नियमो के तहत होती हैं। जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने 3 माह तक प्रार्थी के क्लेम आवेदन का निस्तारण नहीं करने से, प्रार्थी को परिवाद लाने का  परिवाद कारण उत्पन्न हो जाता हैं। तथा यह परिवाद प्रि-मैच्योर होना सिद्व एवं प्रमाणित नहीं हैं।  तथा  अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्षतिग्रस्त वाहन के बार-बार तीन सर्वेयर नियुक्त कर, अलग-अलग क्षतिपूर्ति  राशि की रिपोर्ट प्राप्त की हैं, जिसमें सबसे कम राशि की रिपोर्ट सर्वेयर दीपक राठी ने दिनांक 02-05-2014 को अप्रार्थी को दी हैं। जिसके आधार पर अप्रार्थी प्रार्थी को भुगतान करने हेतु तैयार हैं के कथन कर रहा हैं। जो सर्वे रिपोर्ट परिवाद जिला मंच में पेश होने के बाद की हैं, तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्लेम आवेदन का अन्तिम निस्तारण नहीं किया हैं।  इसलिए परिवाद म्याद बाहर पेश होने के कथन मानने योग्य नहीं हैं। इसप्रकार विवाद का द्वितीय बिन्दु भी प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थीगण  विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

तृतीय विवाद बिन्दु- 

     क्या अप्रार्थीगण ने प्रार्थी की बीमित वाहन क्षतिग्रस्त होने पर

       मरम्मत  की राशि अदा नहीं कर  उपभोक्ता को सेवा प्रदान

       करने में गलती एवं त्रुटि कारित की हैं ?               

       प्रार्थी  

                      उक्त तृतीय विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं।  जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने जवाब परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि दिनांक 20-09-2011 को प्रार्थी की वाहन  संख्या-  त्ण्श्रण्16 ब्ण्।ण्1478 अप्रार्थी दुर्घटना कारित होकर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। जिसका स्पोट सर्वे अप्रार्थी के सर्वेयर आर0 के0 पांचाल ने किया, तथा घटना के कुल 13 फोटोग्राफस् लिये, तथा प्रार्थी का क्षतिग्रस्त वाहन दूसरे ट्रक में डालकर जोधपुर ओ0एस0 मोटर्स  में ले गये, जिसका किराया प्रार्थी ने 7000/- रूपयै दिया, तथा ओ0एस0 मोटर्स ने प्रार्थी की क्षतिग्रस्त वाहन को रिपेयर करवाने के खर्च का एस्टीमेट दिनांक 21-09-2011 को तैयार किया, जो रूपयै 6,84,855/- का था। जो वाहन की कीमत से अधिक होने के कारण अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिल्ली से प्रकाश सर्वेयर को नियुक्त किया, जो सर्वे करने हेतु जोधपुर आया, तथा प्रार्थी को एफेक्स होटल मे ंसम्पर्क करने हेतु कहा, जिस पर प्रार्थी ने सर्वेयर प्रकाश से सम्पर्क करने पर उसने प्रार्थी की वाहन टोटल लाॅस  में होने का कहा, तथा प्रार्थी से रूपयै 50,000/- की मांग की, जिसकी शिकायत प्रार्थी ने दिनांक 26-11-2012 को बीमा कम्पनी को की गई। तथा प्रार्थी ने दिनांक 26-11-2012, 19-02-2012, 23-01-2013, को  पत्र लिखकर अप्रार्थीगण से दावे का भुगतान करने  हेतु कहा था।  तथा दिनांक 23-01-2013 को वाहन मरम्मत के बिल व भुगतान रसीद अप्रार्थी को प्रस्तुत कर दिये, जिसे 10 माह से अधिक का समय व्यतीत हो चुका हैं। फिर भी अप्रार्थीगण ने भुगतान नहीं किया हैं। उक्त कथनो के सत्यापन हेतु प्रार्थी ने आर0के0 पांचाल, स्पोट सर्वेयर की स्पोट सर्वे करने की फीस प्राप्त करने की रसीद की प्रति पेश की हैं, जिसमें स्पोट सर्वे करना एवं 13 फोटोग्राफस् घटना के लेेना लिखा हैं। तथा वाहन रिपेयर का एस्टीमेट दिनांक 21-09-2011 की प्रति पेश की हैं। जो ओ0एस0 मोटर्स जोधपुर ने प्रार्थी के क्षतिग्रस्त वाहन को ठीक/रिपेयर करने का दिया हैं, जो रूपयै  6,84,855/- का हैं। तथा प्रार्थी ने वाहन रिपेयर करवा कर भुगतान किये गये बिलो की प्रतियां पेश की हैं। जो बिल नम्बर- 305 दिनांक 29-12-2012 रूपयै 6,03,495/- का हैं।जो 9 पृष्ठो में हैं। तथा उक्त बिल भेजने का पत्र दिनांक 23-01-2013 की प्रति पेश की हैं। तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को लिखे पत्र दिनांक 26-11-2012 व पत्र दिनांक 19-12-2012 की प्रतियां पेश की हैं, जिसमें प्रार्थी ने सर्वेयर प्रकाश द्वारा प्रार्थी को जोधपुर में एफेक्स होटल में बुलाकर वाहन का टोटल लाॅस बताने की एवज में रूपयै  50,000/- की मांग करने की शिकायत की हैं, तथा सर्वेयर प्रकाश द्वारा प्रार्थी को पत्र लिखकर दावा खारिज करने की धमकियां देने के सम्बन्ध में है। तथा प्रार्थी ने सर्वेयर प्रकाश के लिखे पत्र दिनांक 30-12-2011, 27-04-2012 व 29-11-2012 की प्रतियां पेश की हैं, तथा प्रार्थी ने स्वंय केे लिखित बयान एवं गवाह प्रफुल्लचन्द्र के बयान लिखित कर प्रतियां पेश की हैं। तथा अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के परिवाद एवं साक्ष्य सबूतो के खण्डन में जवाब परिवाद एवं साक्ष्य शपथपत्र  तथा सर्वेयर प्रकाश की सर्वे रिपोर्ट पेश की हैं, जो दिनांक 12-10-2011 को सर्वे करने के बाद दिनांक 15-06-2012 को सर्वे रिपोर्ट  न्यू दिल्ली में जाकर बनायी गई हैं जो सर्वे करने के 8 माह बाद सर्वे रिपोर्ट बनायी गई हैं, जो पूर्वाग्रह से ग्रसित व नियम विरूद्व हैं। सर्वे रिपोर्ट वाहन का सर्वे करने के तुरन्त बाद ही सर्वे स्थल पर ही बनायी जाती हैं। तथा सर्वे के 8 माह बाद जोधपुर से न्यू दिल्ली जाकर, वहां बैठकर सर्वे रिपोर्ट बनाना सही जाॅंच एवं आॅंकलन नहीं माना जा सकता हैं। ऐसी रिपोर्ट संदिग्ध एवं नियम विरूद्व होने से मानने योग्य नहीं हैं। तथा अप्रार्थी ने दूसरी सर्वे रिपोर्ट दीपक राठी की पेश की हैं। जो दिनांक 02-05-2014  को बनायी गई हैं, जो परिवाद जिला मंच में पेश होने के 3 माह बाद की हैं। तथा उक्त सर्वे आंकलन रिपोर्ट किस आधार पर बनायी गयी हैं, उसका कोई विवरण अंकित नहीं हैं। सर्वेयर दीपक राठी के सर्वे  करने की तिथी को वाहन  प्रार्थी के पास था, सर्वे हेतु वाहन सर्वेयर दीपक राठी  ने देखा ही नहीं हैं, क्यों कि क्षतिग्रस्त वाहन दिनांक 29-12-2012  को ओ0 एस0 मोटर्स के बिल क्रमांक- 305 के अनुसार रिपेयर होकर तैयार हो गई थी। तथा दिनांक 23-11-2013 को प्रार्थी उक्त वाहन के बिलो का भुगतान कर, वाहन प्राप्त कर ले आया था, तथा सर्वेयर दीपक राठी ने क्षतिग्रस्त वाहन देख्ेा बिना ही सर्वे आंॅंकलन एवं मूल्यांकन रिपोर्ट दिनांक 02-05-2014 को बना दी,  जो क्षति निर्धारण करने का आधार होना नहीं मानी जा सकती हैं। तथा अप्रार्थीगण ने आफिस नोट दिनांक 08-09-2014 की प्रति, प्रार्थी को लिखे पत्र दिनांक 09-09-2014 की प्रतियां पेश की हैं, जो परिवाद प्रस्तुत होने के बाद की तिथी के होने से मानने योग्य नहीं हैं। तथा अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी ने स्पोट सर्वेयर आर0 के0 पांचाल की स्पोट सर्वे रिपोर्ट व घटना स्थल के 16 फोटोग्राफस् की फोटो प्रतियां पेश की हैं,  जिसमें स्पोट सर्वेयर रजनीकान्त पाॅंचांल  ने दुर्घटना के तुरन्त बाद ही घटना स्थल पर स्पोट सर्वे किया, जिसकी सर्वे रिपोर्ट में प्रार्थी की उक्त दुर्घटना कारित वाहन में निम्न क्षतियां होने का लिखा हैं:-
                                                          DETAIL OF DAMAGES
A. Front show:- Front bumper broken and detached , Both Head light ,Front cross upper & lower member assembly , and all attached parts and portion badly crushed / or broken ,Both front Fender pressed and folded ,WS glass Broken ,Bonnet assy ,hood lock latch assy & member folded or crushed ,WS frame pillers dealigned, Both wipers damaged.
B. Body Shell :- Whole body shell found twisted , All RSH,LHS and Back glasses found safe ,Both RH,LH doors impacted at hinge area ,Both fender lining cracked or torn ,LH door mounting pillars post A got impacted and bend ,rear both side doors & Dikky door etc. visually found safe ,Front lower cross member penal pressed ,Both RVM found safe ,LHS fr.site turn light broken,
C. Apron:- Front both apron penals pressed. The Both Chassis long member reinforcement boxes found bend/crimped at front .
D. Suspension:- Both Front Wheel struts ,front both wheel suspension impacted and de-aligned.
E. Steering System :- Steering Wheel expected for wobble to check Door Locked ,lower steering related linkages and parts expected for damage to check.
F. Engine:- Radiator ,AC condenser ,intercooler ,Fan AC etc. crushed and Folded ,All pipes and attachment pressed or crushed, Whole engine assembly got impacted ,demounted from its mountings and damaged ,The parts and portion between engine – Radiator & Engine – Dash Board got impacted severely – To check for relevant damages RH mounting of engine broken ,AC compressor and alternator found impacted ,Battery found in trapped condition in folded penals to check for damages , hoses of radiator in trapped  condition.
G.Wheels  and Tyers:- Fr. LH & RH tyre –JK-4010 –safe ,Rim also observe safe ,/ Rear both tyres JK-Safe .
H.Transmmision:- Demounted along with gear box – expected damages to check.
I. Axles : - Not Visible ,Expected for impact to check.
J.Brack System:- Expected for damages to check.
K. Interior:- instruments penal found safe.
L. Others:- LH side Mounted Oil assay ,No-Renault 491105358R broken and damaged at top.

Note:- The parts and portion between Engine – Radiator ,Engine – Dash Board ,RH fender –Engine & LH fender – Transmission  found in badly impact and pressed condition .There is possibilities of damages to various component –same to check a –if found relevant with described cause of accident.  

 

  तथा उक्त स्पोट सर्वे की रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत 16 फोटोग्राफस् की फोटो प्रतियां देखने से प्रार्थी का उक्त वाहन का आगे का हिस्सा बम्पर से स्टेयरिंग तक पूर्णतया क्षतिग्रस्त होना दिख रहा हैं।            जो प्रार्थी के क्षतिग्रस्त वाहन की क्षति का सही एवं वास्तविक आॅंकलन करने हेतु महत्वपूर्ण हैं। तथा सर्वेयर रजनीकान्त पांचाल सर्वेयर एवं वेलूअर दोनो ही था, तथा अप्रार्थी को सर्वेयर रजनीकान्त पांचाल सर्वेयर से ही क्षति का आॅंकलन करवा देना चाहिए था, जो अप्रार्थी ने नहीं करवाया हैं। तथा  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने नाहक ही दिल्ली के सर्वेयर प्रकाश व उसके बाद दीपक राठी को नियुक्त कर , प्रार्थी का क्लेम दावा की क्षति का भुगतान करने में देरी की हैं, तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी का क्षतिग्रस्त वाहन अपने स्तर पर  रिपेयर नहीं करवा कर प्रार्थी के जिम्मे छोड देना भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवाओं में कमी, गलती एवं लापरवाही करना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। इस प्रकार विवाद का तृतीय बिन्दु भी प्रार्थी के पक्ष में एवं अप्रार्थीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।    

                             

चतुर्थ विवाद बिन्दु- 

               अनुतोष क्या होगा ?

 

       जब प्रथम से तृतीय विवाद बिन्दुओ का निस्तारण  प्रार्थी के पक्ष में हो जाने से चतुर्थ विवाद बिन्दु का निस्तारण स्वतः ही प्रार्थी के पक्ष में हो जाता हैं। लेकिन हमे यह देखना हैं कि प्रार्थी विधिक रूप से क्या एवं कितनी उचित सहायता अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी हैं। या उसे दिलाई जा सकती हैं। जिसके बारे में हमारी राय में वाहन रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र मंे एवं वाहन क्रय के बिल के अनुसार उक्त क्षतिग्रस्त वाहन वर्ष 2010 का निर्मित माॅडल हैं, जो प्रार्थी ने दिनांक 03-11-2010 को नया ही कम्पनी से रूपयै  5,76,300/- में क्रय किया था, जो दिंनाक 20-09-2011 को क्रय के 10 माह बाद ही दुर्घटना कारित होकर क्षतिग्रस्त हुआ हैं। जिसके रिपेयर का एस्टीमेट  ओ0 एस0 मोटर्स  ने दिनांक 21-09-2011 को रूपयै 6,84,855/- बताया हैं,  जो वाहन की कीमत से अधिक हैं, तथा स्पोट सर्वेयर रजनीकान्त पांचाल की स्पोट सर्वे रिपोर्ट एवं क्षतिग्रस्त वाहन के फोटोग्राफस् से वाहन के आगे का हिस्सा बम्पर से इन्जन सहित स्टेरिगं तक पूर्णतया क्षतिग्रस्त होना प्रमाणित होता हैं। इसका मतलब वाहन टोटल क्षति के योग्य था, तथा जिसकी मांग प्रार्थी ने अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी से की थी, लेकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने टोटल लाॅस नहीं माना, तथा न ही क्षतिग्रस्त प्रार्थी के वाहन को बीमा कम्पनी ने अपने स्तर पर रिपेयर करवाने की जिम्मेदारी ली, तब प्रार्थी द्वारा अपने स्तर पर क्षतिग्रस्त वाहन ओ0एस0 मोटर्स  से रिपेयर करवाया, जिसका भुगतान जरिये बिल क्रमांक- 305 दिनांक 29-12-2012 के अनुसार रूपयै 6,03495/- जो वाहन की कीमत राशि से अधिक होने पर भी प्रार्थी ने अदा की हैं के तथ्य प्रमाणित हैं।  लेकिन वाहन की कीमत से अधिक क्षतिपूर्ति राशि नियमानुसार नहीं दिलाई जा सकती हैें। प्रार्थी इतनी राशि में दूसरा नया वाहन क्रय कर सकता था। क्षतिग्रस्त वाहन को ठीक करवाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। तथा परिवाद में वर्णित वाहन दुर्घटना कारित होने के तथ्यों के अनुसार प्रार्थी का उक्त वाहन का आगे का सम्पूर्ण हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था, तथा वाहन के टायर , एवं वाहन का पिछला हिस्सा  की बाहरी बाॅडी आदि क्षतिग्रस्त नहीं थी, जो साल्वेज माना जा सकता हैं। हमारी राय में प्रार्थी के वाहन को टोटल लाॅस मान कर साल्वेज की राशि रूपयै  1,25,000/-  मानी जाती हैं। तथा वाहन की बीमा पाॅलिसी में अंकित वाहन की टोेटल वैल्यू में से घटा कर यानि 5,47,485/-रूपयै -1,25,000/- त्र 4,22,485/-रूपयै दिलाये जाना उचित माना जाता हैं, जिस पर 9 प्रतिशत वार्षिकी दर से ब्याज बिल भुगतान करने की तिथी 23-11-2013 से तारीख अदायगी तक तथा मानसिक क्षति के रूपयै 10,000/- एवं परिवाद व्यय के रूपयै 2000/- अप्रार्थीगण से दिलाये जाना उचित माना जाता हैं। इस प्रकार प्रार्थी का परिवाद आशिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य हैं।

 

                   आदेश 

 

        अतः प्रार्थी महन्त परबतगिरी चेला मोतीगिरी का परिवाद विरूद्व अप्रार्थीगण शाखा प्रबन्धक, दा ओरियेन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0, जालोर, तहसील व अन्य के विरूद्व आशिंक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता हैं कि  अप्रार्थीगण संयुक्त रूप से या पृथक- पृथक रूप से आदेश तिथी से 30 दिन के भीतर बीमित वाहन संख्या-  त्ण्श्रण्16 ब्ण्।ण्1478  ईन्जन नम्बर-  क्049859 चैसिस नम्बर- 17934 की क्षतिपूर्ति राशि रूपयै 4,22,485/-  अक्षरे चार लाख  बाईस हजार चार सौ पिचयासी रूपयै मात्र जिस पर 9 प्रतिशत वार्षिकी दर से ब्याज दिनांक 23-11-2013  से तारीख अदायगी तक

 तथा मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के रूपयै 10,000/- अक्षरे दस  हजार रूपयै मात्र एवं परिवाद व्यय के रूपयै 2000/- अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र भी अदा करेे।

 

       निर्णय व आदेश आज दिनांक 26-03-2015 को विवृत मंच में  लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

  मंजू राठौड            केशरसिंह राठौड        दीनदयाल प्रजापत

     सदस्या            सदस्य                       अध्यक्ष

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