Chhattisgarh

Bilaspur

CC/14/20

SMT SHANTA SAHU - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANEGER SBI - Opp.Party(s)

SELF

23 Apr 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/14/20
 
1. SMT SHANTA SAHU
VILLAGE MADAI PO CHHAMRIYA
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BRANCH MANEGER SBI
BRANCH SARKANDA BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
2. BAINKING LOKPAL
KHETRIY OFFICE BHOPAL
BHOPAL
MP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SELF
 
For the Opp. Party:
NA 1 SHRI PRATIK SINHA
NA 2 ABSENT
 
ORDER

 

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम बिलासपुर छ.ग.//

                         प्रकरण क्रमांक CC/2014/20

                                                                                                  प्रस्‍तुति दिनांक 11/02/2014

श्रीमती शांता साहू,

उम्र करीब 48 साल,पति भागीरथी साहू,

निवासी ग्राम मडई पो0आ0 खम्‍हरिया, थाना सीपत,

तह0मस्‍तूरी जिला बिलासपुर छ0ग0              ......आवेदिका/परिवादी

                                          विरूद्ध

1. शाखा प्रबंधक,

स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया, शाखा सरकंडा,

ब्रांच कोड नंबर 4834,सरकंडा बिलासपुर

तहसील व जिला बिलासपुर छ0ग0                            

  2.बैंकिंग लोकपाल,

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल म0प्र0                  .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार

 

                                             आदेश

              (आज दिनांक 23/04/2015 को पारित)

 

     1. आवेदिका श्रीमती शांता साहू ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण  के विरूद्ध उपेक्षा एवं सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से संयुक्‍त एवं पृथक पृथक 4,30,000/. रूपये ब्‍याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

     2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका अपने नाम से अनावेदक बैंक की सरकंडा शाखा में एक बचत खाता क्रमांक 31528857397 खुलवाई थी, जिसमें उसे अनावेदक बैंक  द्वारा ए.टी.एम.कॉर्ड भी जारी किया गया था। दिनांक 03/09/2013 को आवेदिका के उक्‍त बचत खाते में  1,08,271/. रूपये जमा था । आवेदिका रूपयों की आश्‍यकता पडने पर अपना ए.टी.एम. कार्ड अपनी लडकी रेवती को दी, जो बलौदा, जिला जांजगीर चांपा स्थित ए.टी.एम. जाकर दो बार 15000 15000/. रूपये डॉयल की, किंतु दोनों बार ए.टी.एम. से पैसा नहीं निकला और न ही स्‍लीप निकली । अंतिम बार आवेदिका की पुत्री ए.टी.एम. में 10,000/. रूपये डॉयल की जो निकल गया, उसने घर आकर यह स्थिति अपनी मां आवेदिका को बताई, जिसके द्वारा अनावेदक बैंक की शाखा सरकंडा में पासबुक में एंट्री करवाने पर पता चला कि उसके बचत खाता से दिनांक 03/09/2013 को 30,000/. रूपये की अतिरिक्‍त राशि काटी गई है, जबकि उक्‍त राशि उसकी पुत्री द्वारा प्राप्‍त ही नहीं की गई थी । अत: आवेदिका इस बात की शिकायत दिनांक 10/09/2013 को अनावेदक बैंक की शाखा सरकंडा में की और बैंक के स्‍थानीय कार्यालय नेहरू चौक भी गई, किंतु कोई उचित कार्यवाही नहीं की गई तथा मांग किये जाने पर उसे ए.टी.एम. के अंदर का फुटेज भी नहीं दिखाया गया तब आवेदिका इस बात की रिपोर्ट थाना बलौदा में दर्ज कराई, किंतु वहां भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक बैंक द्वारा सही तरीके से सेवा प्रदान नहीं की गई और न ही उसे तथ्‍यों की स्‍पष्‍ट जानकारी दी गई उसके द्वारा अनावेदकगण  के विरूद्ध  यह परिवाद पेश करते हुए वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।

     3. अनावेदक बैंक क्रमांक 1 जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया कि उनके बैंक में आवेदिका बचत खाता खुलवाई थी, जिसमें उसे ए.टी.एम.कॉर्ड  भी उपलब्‍ध कराया गया था, किंतु उसने इस बात से इंकार किया कि दिनांक 03/09/2013 को  ए.टी.एम.  से दो बार 15000 15000/. रूपये डॉयल करने के बाद भी उसमें से कोई रकम नहीं निकला। आगे कथन है कि आवेदिका द्वारा अपना ए.टी.एम. कॉर्ड पिन नंबर के साथ किसी अन्‍य व्‍यक्ति को उपयोग करने के लिए दिया गया था, भले ही वह अन्‍य व्‍यक्ति उसकी पुत्री क्‍यों न हो, धोखाधडी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता । आगे उनके द्वारा आवेदिका की शिकायत  जांच करने पर विवादित ट्रांजेक्‍शन को ए.टी.एम. से सफलतापूर्वक किया जाना पाया गया और इस आशय की जानकारी उनके द्वारा अनावेदक क्रमांक 2 को भी प्रदान की गई, जहां आवेदिका द्वारा शिकायत की गई थी और जिन्‍होंने जांच उपरांत आवेदिका की शिकायत को आधारहीन होना पाया था । आगे अनावेदक बैंक द्वारा सेवामें किसी भी प्रकार की कमी से इंकार करते हुए कहा गया है कि आवेदिका द्वारा असत्‍य एवं बनावटी आधार पर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है जो निरस्‍त किये जाने योग्‍य है ।

     4. अनावेदक क्रमांक 2 जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया कि आवेदिका द्वारा उनके समक्ष अनावेदक क्रमांक 1 बैंक के विरूद्ध ए.टी.एम. सेवा में कमी के लिए शिकायत  की गई थी, किंतु उनका कथन है कि चूंकि आवेदिका के शिकायत के निवारण हेतु विस्‍तृत दस्‍तावेज एवं मौखिक साक्ष्‍य की आवश्‍यकता थी इसलिए उनके द्वारा आवेदिका की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और इस संबंध में सूचना आवेदिका को प्रदान कर दी गई थी । आगे उनके द्वारा यह भी कहा गया है कि आवेदिका  उन्‍हें मामले में अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया है, जबकि उनके विरूद्ध आवेदिका का परिवाद चलने योग्‍य ही नहीं । उक्‍त आधार पर अनावेदक क्रमांक 2 बैंकिंग लोकपाल अपने विरूद्ध परिवाद निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया है ।

     5. उभयपक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है प्रकरण का अवलोकन किया गया।

     6. क्‍या आवेदिका अनावेदकगण से सेवा में कमी के आधार पर वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है

                                                                 सकारण निष्कर्ष

     7. इस संबंध में कोई विवाद नहीं है कि सुसंगत समय में आवेदिका का बचत खाता अनावेदक क्रमांक 1 बैंक में स्थित था, जिस पर उसे ए.टी.एम. कॉर्ड की सुविधा भी प्रदान की गई थी ।

     8. आवेदिका का कथन है कि दिनांक 03/09/2013 को आवेदिका के उक्‍त बचत खाते में  1,08,271/. रूपये जमा था ।  रूपयों की आश्‍यकता पडने पर उसने अपना ए.टी.एम. कार्ड अपनी लडकी रेवती को दिया, जो बलौदा, स्थित ए.टी.एम. जाकर दो बार 15000 15000/. रूपये डॉयल की, किंतु दोनों बार ए.टी.एम. से पैसा नहीं निकला और न ही स्‍लीप निकली । अंतिम बार उसकी  पुत्री ए.टी.एम.  में 10,000/. रूपये डॉयल की जो निकल गया । आगे कथन है कि जब वह अनावेदक बैंक में पासबुक एंट्री करवाई तो  पता चला कि उसके बचत खाता से दिनांक 03/09/2013 को 30,000/. रूपये की अतिरिक्‍त राशि काटी गई है, जबकि उक्‍त राशि उसकी पुत्री द्वारा प्राप्‍त ही नहीं की गई थी ।

     9. इसके विपरीत अनावेदक क्रमांक 1 बैंक का कथन है कि  ए.टी.एम. के संबंध में आवेदिका की शिकायत प्राप्‍त होने पर जांच में उनके द्वारा पाया गया कि दिनांक 03/09/2013 को ए.टी.एम.सेंटर बलौदा से वांछित ट्रांजेक्‍शन हुआ था और 15000/ 15000/. रूपये की राशि के साथ 10,000/. रूपये की राशि आहरित की गई थी और इस प्रकार अनावेदक बैंक द्वारा सेवा में कमी होने से इंकार करते हुए आवेदिका के परिवाद को आधारहीन होने के आधार पर निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया गया  ।

     10. आवेदिका की ओर से प्रकरण में प्रस्‍तुत पासबुक के इंद्राज से यह तो स्‍पष्‍ट होता है कि दिनांक 03/09/2013 को आवेदिका के खाते में 1,08,271/. रूपये जमा था, साथ ही यह भी स्‍पष्‍ट होता है कि दिनांक 03/09/2013 को उक्‍त खाते से ए.टी.एम. के जरिये दो बार 15000/-15000/. रूपये तथा एक बार 10,000/. रूपये इस प्रकार कुल 40,000/. रूपये का आहरण किया गया था ।

       11. आवेदिका द्वारा यद्यपि यह कहा गया है कि ए.टी.एम. से पहले  निकाली गई राशि में से 15000-15000/. रूपये की राशि उसकी पुत्री को प्राप्‍त ही नहीं हुई थी, बल्कि केवल अंत में निकाली गई 10,000/. रूपये की राशि ही प्राप्‍त हुई थी, किंतु आवेदिका अपने परिवाद में यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि वह कितनी राशि निकालने के लिए अपनी लडकी को ए.टी.एम. कार्ड देकर भेजी थी । इस संबंध में खुलासे के अभाव में प्रकरण के तथ्‍यों के आधार पर यदि यह मान भी लिया जावे कि आवेदिका अपनी लडकी को 15,000/. रूपये निकालने के लिए भेजी थी तब भी जब उसके द्वारा दो बार 15000-15000/. रूपये डॉयल करने पर ए.टी.एम. से राशि नहीं निकली और जब अंतिम बार डॉयल करने पर 10,000/.रूपये की राशि निकली तो शेष 5000/.रूपये निकालने के लिए उसने चौथी बार ए.टी.एम. डॉयल क्‍यों नहीं की ।  इस बात को प्रकट करने के लिए आवेदिका द्वारा अपनी पुत्री का इस आशय का कोई शपथ पत्र पेश नहीं किया गया है, फलस्‍वरूप इस संभावना को बल मिलता है कि संभवत: आवेदिका की पुत्री द्वारा ए.टी.एम. से अधिकतम निर्धारित राशि निकालने उपरांत और अधिक राशि नहीं निकलने पर नहीं निकाला गया होगा ।

     12. इस प्रकार वास्‍तव में यह मामला बैंकिंग सेवा में कमी का नहीं, बल्कि छल साधन के जरिए ए.टी.एम से ही प्रश्‍नाधीन रकम निकालने का प्रकट होता है, जिसे की आवेदिका द्वारा पुत्री प्रेमवश नजर अंदाज करते हुए सारा दोष अनावेदकगण पर मढ दिया गया है, जबकि प्रश्‍नगत मामले में गलती स्‍वयं आवेदिका की प्रतीत होती है, जो अपना ए.टी.एम कार्ड पिन कोड नंबर सहित अपने पुत्री को दी । अत: मात्र इस आधार पर किए.टी.एम कार्ड का उपयोग स्‍वयं आवेदिका की पुत्री द्वारा किया गया, और उसने प्रश्‍नाधीन रकम निकालने से इंकार किया है, मामले में बगैर प्रबल साक्ष्‍य अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी का निष्‍कर्ष निकालना संभव नहीं ।

     13. उपरोक्‍त कारणों से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदिका अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है । अत: उसका परिवाद निरस्‍त किया जाता है। 

14. उभयपक्ष अपना- अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे ।   

 

                                 (अशोक कुमार पाठक)                                        (प्रमोद वर्मा)

                                              अध्‍यक्ष                                                   सदस्‍य

                                                   

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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