Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/14/23

JAG BAI - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANAJER SBI LIFE INSURANCE COM LTD AND OTHER - Opp.Party(s)

SHRI UDAY VARMA

10 Apr 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/14/23
 
1. JAG BAI
VARD NO 10 AAKHARABHATHA CHOUK SAKTI THANA SAKTI
JANJGIR
CHHITTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BRANCH MANAJER SBI LIFE INSURANCE COM LTD AND OTHER
BRANCH OFFICE BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
2. BRANCH MANEJER SBI LIFE INSURANCE COM LTD
CENTRAL PROCESING CENTER 2 RI FLOOR KAPAS BHAVAN PLANT NO 3 A CEKTOR 10 CBD BELAPUR NAVU MUMBAI
MUMBAI
CHHATTISGARH
3. BRANCH MANAJER SBI BRANCH SAKTI
JANJGIR CHAMPA
JANJGIR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI UDAY VARMA
 
For the Opp. Party:
NA 1 AND 2 SHRI RAJESH PANDEY
NA 3 SHRI MAHESH AGRAWAL
 
ORDER

                                                                                                                                                                                         

    // जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर छ.ग.//

 

                                                प्रकरण क्रमांक cc/2014/23

                                                प्रस्‍तुति दिनांक 21/04/2014

 

जगबाई,

पति स्‍व0 श्री आनंदराम गोंड, उम्र 55 साल

साकिन वार्ड क्रमांक 10 अखराभाठां चौक

सक्‍ती थाना व तहसील सक्‍ती

जिला जांजगीर चांपा छ0ग0                             ......आवेदिका/परिवादी

                    विरूद्ध

  1. श्रीमान शाखा प्रबंधक,

एस0बी0आई0 लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड,

शाखा कार्यालय बिलासपुर छ0ग0

 

  1. श्रीमान प्रबंधक महोदय,

एस0बी0आई0 लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड,

सेंट्रल प्रोसे‍सिंग सेंटर , 2 री फ्लोर, कपास भवन,

प्‍लाट भवन 3 ए, सेक्‍टर 10, सी.बी.डी; बेलापुर

नवी मुंबई 400614

 

3; शाखा प्रबंधक,

भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा सक्‍ती,

जिला जांजगीर चांपा छ0ग0                     ........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार

 

                         आदेश

          (आज दिनांक 10/04/2015 को पारित)

 

१. आवेदिका जग बाई ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध बीमा हित का लाभ न देकर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदकगण से बीमा हित लाभ की राशि को ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका का पति स्‍व0आनंदराम गोड अपने जीवन काल में अनावेदक क्रमांक 3 के माध्‍यम से ग्रुप इंश्‍योरेंस स्‍कीम के तहत अनावेदक क्रमांक 1 व 2 से दो लाख रूपये मूल्‍य का स्‍वर्णगंगा पॉलिसी प्राप्‍त किया था। दिनांक 07/03/2012 को बीमा अवधि में आवेदिका के पति की हृदयाघात से मृत्‍यु हो गई । नॉमिनी की हैसियत से आवेदिका बीमा हित लाभ प्राप्‍त करने के लिए अनावेदकगण से लिखित एवं मौखिक निवेदन की, किंतु अनावेदकगण द्वारा उसे बीमा हित लाभ प्रदान नहीं किया गया और केवल मूलधन की राशि प्रदान की गई । अत: अनावेदकगण के इस सेवा में कमी के लिए आवेदिका अपने अधिवक्‍ता जरिये अनावेदकगण को विधिक नोटिस प्रेषित करने उपरांत बीमा हित लाभ प्रदान नहीं करने पर यह परिवाद पेश करना बताया है और अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन की है ।

3. अनावेदक क्रमांक 1 और 2 द्वारा संयुक्‍त जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदिका के पति की मृत्‍यु पॉलिसी लिये जाने से एक माह छह दिन के भीतर हो जाने से उनके द्वारा शीघ्रदावा श्रेणी के अंतर्गत प्रकरण की जांच कराई गई तब पता चला कि आवेदिका का पति पॉलिसी प्रस्‍ताव भरने के पूर्व से ही डायबिटिज, हायपरटेंशन एवं किडनी की बीमारी से पीडित था, किंतु इस तथ्‍य को उसके द्वारा पॉलिसी प्रस्‍ताव में छिपाते हुए पॉलिसी शर्तो का उल्‍लंघन किया गया, जिसके कारण ही उसका बीमा दावा अस्‍वीकार कर उसे सूचित किया गया और इस प्रकार सेवा में कमी से इंकार करते हुए कहा गया है कि आवेदिका को उसके पति द्वारा जमा किये गये प्रीमियम राशि का भुगतान ब्‍याज के साथ किया जा चुका है । उक्‍त आधार पर उनके द्वारा आवेदिका का परिवाद निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया गया।

4. अनावेदक क्रमांक 3 पृथक जवाबदावा पेश कर इस बात से इंकार किया कि आवेदिका का पति उसके माध्‍यम से अनावेदक क्रमांक 1 से 2 से पॉलिसी प्राप्‍त किया था । आगे उसने इस बात से भी इंकार किया कि आवेदिका द्वारा उसके पास बीमा हित लाभ के लिए कोई निवेदन किया गया था। उसका कथन है कि आवेदिका का पति स्‍वयं अपनी इच्‍छा से अनावेदक क्रमांक 1 और 2 के पास बीमा करवाया था अत: यदि आवेदिका को कोई बीमा हितलाभ प्राप्‍त करना है तो उसके लिए अनावेदक क्रमांक 1 व 2 जिम्‍मेदार है । आगे उसने अनावेदक क्रमांक 1 व 2 से अपना कोई संबंध नहीं होने के आधार पर आवेदिका द्वारा उसे अनावश्‍यक रूप से पक्षकार के रूप में संयोजित करना बताया है तथा अपने विरूद्ध परिवाद निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया है ।

5. उभयपक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

6. देखना यह है कि क्‍या आवेदिका अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है

                     सकारण निष्‍कर्ष

7. इस संबंध में विवाद नहीं किया जा सकता कि बीमाकर्ता तथा बीमा किये गये व्‍यक्ति के बीच बीमा पॉलिसी एक संविदा होता है, जिसमें दोनों पक्षों की जिम्‍मेदारी होती है, जहां बीमाकर्ता बीमा पॉलिसी से रिस्‍क कव्‍हर करता है, वही बीमा किये गये व्‍यक्ति को भी पॉलिसी शर्तो के बाहर कोई क्‍लेम करने का अधिकार नहीं, उसे भी पॉलिसी में स्‍पष्‍ट बताए गए निबंधनों का पालन करना होता है, अन्‍यथा पॉलिसी शर्तो के उल्‍लंघन में बीमा कंपनी को अधिकार है कि वह बीमा दावा को इंकार कर दे।

8. यह सुस्‍थापित सिद्धांत है कि बीमाकंपनी से पॉलिसी प्राप्‍त करने के लिए बीमा प्रस्‍ताव भरा जाता है, जिसमें पॉलिसी प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्ति को अपने बारे में स्‍पष्‍ट जानकारी देना होता है, जिस पर विश्‍वास करते हुए ही बीमाकर्ता द्वारा पॉलिसी प्रस्‍ताव को स्‍वीकार किया जाता है, ऐसी स्थिति में जहां कि संविदा विश्‍वास पर आधारित होता है, पॉलिसी प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्ति को प्रस्‍ताव फॉर्म में अपने स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में समुचित जानकारी देने का नैतिक दायित्‍व बनता है ।

9. यदि उपरोक्‍त दायित्‍व के दृष्टिकोण से इस मामले को देखा जाए तो यह स्‍पष्‍ट होगा कि आवेदिका के पति द्वारा बीमा पॉलिसी प्राप्‍त करने के लिए भरे गए प्रस्‍ताव फॉर्म में अपनी बीमारी के संबंध में छिपाव किया गया था, जबकि अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से पेश किये गये आवेदिका के पति के इलाज पर्ची से यह स्‍पष्‍ट होता है कि आवेदिका का प‍ति पॉलिसी प्रस्‍ताव के पूर्व से ही डायबिटिज, हायपरटेंशन एवं किडनी संबंधी गंभीर बीमारी से ग्रसित था तथा जिस तथ्‍य का उसके द्वारा प्रस्‍ताव फॉर्म में छिपाव किया गया था, ऐसी स्थिति में अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा पॉलिसी शर्तो के उल्‍लंघन में नॉमिनी की हैसियत से आवेदिका द्वारा पेश किया गया बीमा दावा को इंकार किया जाना सेवा में कमी नहीं माना जा सकता।

10. आवेदिका की ओर से यद्यपि यह कहा गया है कि उसका पति बीमा पॉलिसी प्राप्‍त करते समय पूर्ण रूप से स्‍वस्थ था, किंतु अपने इस कथन के समर्थन में आवेदिका द्वारा कोई साक्ष्‍य अथवा चिकित्‍सकीय प्रमाणपत्र पेश नहीं किया गया है और न ही इस संबंध में अनावेदकगण की ओर से पेश मृत आनंद राम के चिकित्‍सकीय पर्ची को कोई चुनौती दी गई है ।

11. फलस्‍वरूप हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदिका प्रश्‍नगत मामले में अनावेदकगण से कोई अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी नहीं । अत: उसका परिवाद निरस्‍त किया जाता है ।

12. उभयपक्ष अपना- अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे1

 

 

                           (अशोक कुमार पाठक)                       (श्रीमती शशि राठौर)                         (मणिशंकर गौरहा)

                                अध्‍यक्ष                                              सदस्‍य                                                सदस्‍य            

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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