Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/14/35

SHYAMLAL SAHU - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANAJER LIC - Opp.Party(s)

SHRI K N KASHYAP

15 May 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/14/35
 
1. SHYAMLAL SAHU
VILLAGE GIDHA THANA NAVAGARH
JANJGIR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BRANCH MANAJER LIC
OFFICE NAILA JANJGIR
JANJGIR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI K N KASHYAP
 
For the Opp. Party:
SHRI M P SAHU
 
ORDER

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर.ग.//

 

                                             प्रकरण क्रमांक cc/35/2014

                                            प्रस्‍तुति दिनांक 07/11/2014

 

 

श्‍यामलाल पिता अगनू साहू उम्र 65 साल

ग्राम गिधा थाना व तह. नवागढ

जिला जांजगीर चांपा (छ0ग0)                           ......आवेदक/परिवादी     

 

                          विरूद्ध

 

शाखा प्रबंधक,

भारतीय जीवन बीमा निगम

शाखा नैला-जांजगीर,                    

जिला जांजगीर चांपा (छ.ग.)                        ........अनावेदक/विरोधीपक्षकार

 

                                    आदेश

             (आज दिनांक 15/05/2015 को पारित)

 

1. आवेदक श्‍यामलाल ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  के विरूद्ध  बीमा दावा को अस्‍वीकार कर   सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  से  2,57,690/. रूपये की राशि क्ष‍तिपूर्ति के रूप में दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

2. आवेदन के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक की पत्नि दुखनीबाई के नाम पर दिनांक 28.03.2012 को अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  से 1,47,690/-रू. की सिंगल प्रीमियम पर दिनांक 28.03.2012 से 28.03.2021 तक की अवधि के लिए बीमा पॉलिसी प्राप्‍त किया गया था । दिनांक 26.06.2014 को आवेदक की पत्नि दुखनी बाई की हार्ट अटैक से मृत्‍यु हो गई, जिसकी सूचना आवेदक द्वारा अनावेदक को दी गई और दावा पेश किया गया, किंतु उक्‍त दावा पर अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं करते हुए उसे झूठे तथ्‍यों के आधार पर निरस्‍त कर दिया गया।  अत: आवेदक द्वारा यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।

3. अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  की ओर से जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि आवेदक की पत्नि द्वारा उनके पास से 2,00,000/-रू. का बीमा पॉलिसी प्राप्‍त किया गया था । साथ ही कथन किया गया है कि आवेदक की पत्नि की मृत्‍यु की सूचना प्राप्‍त होने पर उनके द्वारा उक्‍त राशि का भुगतान आवेदक को उसके बैंक एकाउंट में कर दिया गया है, किंतु आवेदक द्वारा इस तथ्‍य को अपने परिवाद में छिपाया गया है । साथ ही कहा गया है कि आवेदक की पत्नि की मृत्‍यु पॉलिसी लिए जाने के 3 वर्ष पूर्व हो गई थी, जिसके कारण ही उसे सरव्‍हाईवल बेनीफीट का लाभ नहीं दिया गया तथा कहा गया है कि आवेदक को उक्‍त लाभ उसके पत्नि की पॉलिसी क्रय करने के दिनांक से 9 वर्ष तक जीवित रहने पर ही प्राप्‍त होता, उक्‍त आधार पर अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम ने सेवा में कमी से इंकार करते हुए आवेदक का परिवाद निरस्‍त किए जाने का निवेदन किया है ।

 4. उभय पक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

5. देखना यह है कि क्‍या आवेदक, अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है    

                                           सकारण निष्‍कर्ष

6.  इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदक की पत्नि अपने जीवन काल में अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम से 1,47,690/-रू. के एकल प्रीमियम पर दिनांक 28.03.2012 से दिनांक 28.03.2021 तक की अवधि के लिए 2,00,000/-रू. का बीमा प्राप्‍त किया था, उक्‍त बीमित अवधि में ही आवेदक की पत्नि की मृत्‍यु दिनांक 29.06.2014 को हार्ट अटैक से हो जाने का तथ्‍य भी मामले में विवादित नहीं है ।

7. आवेदक का कथन है कि उसके द्वारा अपनी पत्नि की मृत्‍यु की सूचना दिए जाने के उपरांत दावा पेश करने पर अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा उस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार न करते हुए उसका दावा निरस्‍त कर दिया गया, जबकि इसके विपरीत अनावेदक भारतीय जीवन बीमा निगम  के जवाब से यह स्‍पष्‍ट होता है कि आवेदक को उसकी पत्नि की मृत्‍यु पर 2,00,000/-रू. बीमा धन का भुगतान उसके बैंक एकाउंट में कर दिया गया है, किंतु इस तथ्‍य को आवेदक द्वारा अपने परिवाद में स्‍पष्‍ट नहीं किया गया  है ।

8. इसके अलावा जहॉं तक आवेदक द्वारा अपनी पत्नि की पॉलिसी के सरव्‍हाईवल बेनीफीट मांग का संबंध है, आवेदक के कथन से ही यह स्‍पष्‍ट होता है कि उसकी पत्नि की मृत्‍यु उसके द्वारा बीमा पॉलिसी प्राप्‍त किए जाने के 3 वर्ष के भीतर ही दिनांक 29.06.2014 को हो गई थी, जबकि पॉलिसी शर्तों के अनुसार उक्‍त हित लाभ पॉलिसी क्रय करने के दिनांक से 9 वर्ष तक जीवित रहने पर ही देय थी । प्रश्‍नगत मामले में आवेदक द्वारा ऐसा कोई विधिक प्रावधान पेश नहीं किया गया है, जिससे दर्शित हो कि वह अपनी पत्नि की पॉलिसी क्रय दिनांक से 3 वर्ष के भीतर मृत्‍यु होने पर भी हित लाभ प्राप्‍त करने का अधिकारी है ।

9. उपरोक्‍त कारणों से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते है कि आवेदक अपनी पत्नि की पॉलिसी के हित लाभ के संबंध में अपना दावा प्रमाणित करने में असफल रहा है, अत: उसका परिवाद निरस्‍त किया जाता है ।

10. उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे ।

 आदेश पारित

 

      (अशोक कुमार पाठक)       (श्रीमती शशि राठौर)               (मणिशंकर गौरहा)

          अध्‍यक्ष                                       सदस्‍य                          सदस्‍य

                                                                

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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