( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :183/2019
ब्रांच मैनेजर यूनियन बैंक आफ इण्डिया व एक अन्य
दिनांक : 29-03-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-110/2011 तिलकू बनाम शाखा प्रबन्धक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 08-01-2019 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
‘’विद्धान जिला आयोग ने परिवाद निरस्त कर दिया है।‘’
विद्धान जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गयी है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने ट्रैक्टर खरीदने हेतु विपक्षी यूनियन बैंक से ऋण लेकर 4,50,000/-रू0 में वर्ष 2006 में ट्रैक्टर खरीदा। विपक्षी संख्या-1 द्वारा उक्त ऋण खाते की धनराशि को पिजर्व करने के संदर्भ में परिवादी के उक्त खाते में प्रीमियम खाते की धनराशि
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आहरित कर उक्त ट्रैक्टर के ऋण से संबंधित बीमा लगातार प्रत्येक वर्ष कराती रही। दिनांक 08-02-2007 को उपरोक्त ट्रैक्टर चोरी हो गया जिसकी सूचना थाने में दी गयी। परिवादी को यह विश्वास था कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा विपक्षी संख्या-2 से बीमा के परिप्रेक्ष्य में सम्पूर्ण ऋण धनराशि ऋण खाते में समायोजित कर ऋण खाते को बंद कर दिया गया होगा लेकिन उस वक्त उसे आश्चर्य हुआ कि बैंक द्वारा परिवादी को वसूली हेतु पुन: एक नोटिस दिनांक 29-01-2011 को प्राप्त हुई। परिवादी तुरन्त बैंक गया तो उसे जानकारी हुई कि उक्त ऋण खाते से तथाकथित ट्रैक्टर का बीमा वर्ष 2010 तक प्रत्येक वर्ष लगातार ऋण खाते से बीमा की प्रीमियम आहरित करते हुए करायी जाती रही है। जब कि उक्त ट्रैक्टर माह फरवरी, 2007 में ही चोरी हो गया था जिसकी जानकारी भी विपक्षीगण को थी। परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 से ऋण खाते को बंद करने हेतु सम्पर्क किया लेकिन आज तक उक्त ऋण खाते को बंद नहीं किया गया और लगातार उसे माह जनवरी, 2011 से आज तक हैरान व परेशान किया जा रहा है। जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि परिवादी व एक अन्य व्यक्ति श्री दयानंद तिवारी ने संयुक्त रूप से ट्रैक्टर व उसके साधन खरीदने हेतु ऋण लिया था। जिसकी अदायगी 17 अर्धवार्षिक किश्तों में किया जाना था जिसकी पहली किश्त माह जनवरी, 2007 में देय थी तथा उसके बाद प्रत्येक 06 माह बाद किश्तें देय थी। परिवादी व दयानंद तिवारी ने बैंक की कोई भी किश्त जमा नहीं की। ऋण की वसूली हेतु समय-समय पर सूचना दी
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जाती रही है। परिवाद रेसजुडिकेटा एवं प्रीन्सिपिल आफ हायरेरकी से बाधित है। परिवादी पब्लिक मनी का भुगतान नहीं करना चाहता है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि उनके ओर से सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गयी है परिवाद कालबाधित है। स्टेटमेंट चार्ट से स्पष्ट होता है कि ट्रैक्टर का बीमा दिनांक 11-06-2008, 16-09-2009 व 29-09-2010 को हुआ है इससे स्पष्ट है कि ट्रैक्टर 08-02-2007 को चोरी नहीं हुआ था। उक्त ट्रैक्टर परिवादी के पास वर्ष 2010 तक रहा। अत: परिवाद खारिज किया जाए।
विद्धान जिला आयोग ने उभयपक्ष को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के पश्चात विपक्षीगण के स्तर पर सेवा में कमी न पाते हुए परिवाद निरस्त कर दिया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिक्ता श्री हिमांशू सिंह उपस्थित। प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री एस0 पी0 सिंह उपस्थित।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है। अत: अपील निरस्त की जावे।
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पीठ द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उलपब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन करने के पश्चात यह पीठ इस मत की है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार जिला उपभोक्ता आयोग को अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार यथाशीघ्र निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1