Chhattisgarh

Jashpur

CC/15/1

Sudama Sharma - Complainant(s)

Versus

Branch Manager Bajaj Allianz General Insurance companyLtd. - Opp.Party(s)

Sanjay Singh

26 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/15/1
( Date of Filing : 11 Feb 2015 )
 
1. Sudama Sharma
Koyala Factory gali pathalgaon jashpur raigarh
Jashpur
Chhattisgarh
...........Complainant(s)
Versus
1. Branch Manager Bajaj Allianz General Insurance companyLtd.
Branch Manager Bajaj Allianz General Insurance companyLtd. shiv mohan bhaqan vibhan sabha marg pandri raipur
Raipur
Chhattisgarh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE B.P.Pandey PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sanjay Soni MEMBER
 HON'BLE MRS. Anamika Nande MEMBER
 
For the Complainant:Sanjay Singh, Advocate
For the Opp. Party: Sageera Bano, Advocate
Dated : 26 Aug 2016
Final Order / Judgement

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
                        प्रकरण क्रमांक :-CC/01/2015
                प्रस्तुति दिनांक :- 11/02/2015


सुदामा शर्मा आ. स्व. अंबिका शर्मा
निवासी ग्राम रायगढ़ रोड कोयला फैक्टरी
गली पत्थलगांव 
जिला-जशपुर (छ.ग.)                      ..................परिवादी /आवेदक
    
( विरूद्ध )

1. शाखा प्रबंधक,
बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी
शिव मोहन भवन, 
विधान सभा मार्ग पंडरी रायपुर छ.ग.

2. शाखा प्रबंधक,
महिन्द्रा इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड
द्वितीय मंजिल गुप्ता काम्पलेक्स
अम्बेडकर चौक, अम्बिकापुर
जिला सरगुजा छ.ग.               .........विरोधी पक्षकारगण/अनावेदकगण

        ///आदेश///
( आज दिनांक  26/08/2016 को पारित)


    
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरूद्ध पक्षकारगण/अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर बीमा की राशि 17,19,329/-रू. मय ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति 50,000/-रू., वाद-व्यय  एवं  अन्य अनुतोष दिलाए जाने हेतु दिनांक 11.02.2015 को प्रस्तुत किया है।


2. अविवादित तथ्य है कि  :-
1.    परवादी के स्वामित्व के वाहन क्रमांक सी.जी. 14 डी 0722 का बीमा बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा पॉलिसी क्र.ओ.जी. 12-2324-1803-00000324 दिनांक 31.01.2012 से दिनांक 30.01.2013 तक बीमित थी। 
3. अ. परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक द्वारा अपने जीवीकोपार्जन हेतु टाटा कंपनी की दस चक्का वाहन क्रमांक सी.जी. 14 डी. 0722 क्रय किया था । जिसका पालिसी क्रमांक  ओ.जी. 12-2324-1803-00000324 है, पालिसी के लिए प्रिमियम 33,384/-रू. अदा की गई थी। उक्त पालिसी दिनांक 31.01.2012 से दिनांक 30.01.2013 तक प्रभावशील थी। जिसका दावा क्रमांक  ओ.सी. 13-13-02-1803-00000238 लॉस दिनांक 09.06.2012 पालिसी धारक के नाम से कुल 17,19,329/-रू. की बीमा पालिसी कराई गई थी। बीमा पालिसी की समस्त शर्तों का पालन भी परिवादी द्वारा की गई थी। उक्त वाहन में दिनांक 07.06.2012 को कोयला लाद कर ग्राम खरसिया प्लांट से विशाल ट्रेडर्स भदोरी (उ.प्र.) अपने वाहन चालक हबीब एक्का उर्फ सजनी व खलासी विकास पोली उर्फ बी.के. को देकर भेजा था, जिनसे दिनांक 09.06.2012 के रात को अंतिम बार दूरभाष के माध्यम से बातचीत हुई और उक्त वाहन को लेकर वापस पत्थलगांव आने की बात कही थी, किंतु उक्त दिनांक के बाद से वाहन चालक तथा खलासी से किसी प्रकार कोई संपर्क नहीं हुआ, तब परिवादी तथा उनके परिवार के द्वारा जानकारी थाना पत्थलगांव को दिनांक 09.06.2012 को दी गई।  परिवादी के द्वारा घटना की जानकारी जिला परिवहन अधिकारी जशपुर को भी दी गई थी। 
ब.चूंकि घटना स्थल ग्राम भदोरी उ.प्र. राज्य में होने से थाना पत्थलगांव के द्वारा घटना की रिपोर्ट घटना स्थल से संबंधित थाने में कराये जाने की बात कहकर टाल मटोल किये जाने के पश्चात आवेदक के द्वारा दिनांक 25.06.2012 को थाना निरीक्षक कोतवाली भेदोरी सं.र.नं. भदोरी उ.प्र. में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पश्चात अपराध संख्या 175/2012 दर्ज किया गया तथा मुकदमा नं. 83/14 धारा 406 भा.द.वि. के तहत दर्ज कर अंतिम रिपोर्ट संख्या 60/13 विवेचना प्रारंभ की गई। काफी खोज बीन के पश्चात भी उक्त वाहन का तथा वाहन चालक एवं खलासी के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिलने पर अंत में प्रकरण का निराकरण करते हुए दिनांक 618/2014 को खात्मा खारिज किए जाने का आदेश न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भदोरी-झानपुर के द्वारा पारित किया गया। परिवादी द्वारा अनावेदकगण को दिनांक 20.09.2014 को रजिस्ट्री डाक के माध्यम से नोटिस प्रेषित की गई थी जिसकी पावती भी प्राप्त हुई, किंतु अनावेदगण द्वारा दावे की राशि नहीं दी गई और न ही उक्त संबंध में कोई जवाब दिया गया । परिवादी उक्त वाहन को बैंक से ऋण लेकर क्रय किया था, जिसका ब्याज निरंतर बढ़ता जा रहा है तथा बैंक के द्वारा ऋण राशि अदा करने हेतु दबाव दिया जा रहा हैं। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी किए जाने से परिवादी को मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  अतः परिवादी/आवेदक ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अनावेदकगण से बीमा की राशि 17,19,329/-रू. मय ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति 50,000/-रू., वाद-व्यय  एवं  अन्य अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना किया है। 
4. अ. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार क्रमांक 1 जवाब दावा प्रस्तुत कर प्रारंभिक आपत्ति करते हुए स्वीकृत तथ्य को छोड़ कर शेष तथ्यों से इंकार करते हुए यह अभिकथन किया है कि आवेदक का आवेदन प्रथम दृष्टि में ही निरस्त किए जाने योग्य है। माननीय फोरम की सुनवायी की क्षेत्राधिकार के अंतर्गत अनावेदक क्रमांक 1 की शाखा कार्यालय नहीं है। अतः क्षेत्राधिकार के अभाव में आवेदक का आवेदन निरस्त किए जाने योग्य है। अनावेदक के द्वारा आवेदक के दावे को गुण-दोष के आधार पर और बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार निराकरण किया जा चुका है। बीमित वाहन को एक कर्मचारी को दिया गया था और उसने वाहन वापस नहीं की है तब वह चोरी की परिभाषा के अधीन नहीं आता है और पुलिस के द्वारा भी वाहन की चोरी के संबंध में कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया है। अतः वाहन की चोरी होने की दशा में बीमा जोखिम आच्छादित होती है।
ब. आवेदक के द्वारा कथित घटना की सूचना बीमा पालिसी के शर्त क्रमांक 1 के अनुसार तत्काल नहीं दिया गया घटना दिनांक 09.06.2012 की सूचना लगभग 40 दिनांं के बाद प्रथम बार दी गई है और आर.टी.ओ. कार्यालय में भी कथित घटना की सूचना प्रथम बार दिनांक 13.07.2012 को दिया गया है, जिससे जांच का अवसर नहीं मिल पाया। आवेदक द्वारा अपने आवेदन में विभिन्न प्रकार से विवाद किया गया है, अतः आवेदक द्वारा उठाए गए विवाद का निराकरण इस फोरम के द्वारा संक्षिप्त प्रक्रिया के द्वारा नहीं हो सकता जो व्यवहार न्यायालय के समक्ष जहां विस्तृत साक्ष्य के माध्यम से विवाद का निराकरण हो सकेगा। अनावेदक द्वारा आवेदक से बार-बार पत्र लिख कर दस्तावेजों की मांग की गई, किंतु वांछित दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराया गया। आवेदक का दावा आवेदन गुण-दोषों के आधार पर निरस्त किया जा चुका है। आवेदक का दावा पत्र दिनांक 15.12.2012 के माध्यम से निरस्त किया गया है, किंतु दो वर्ष की समयावधि के भीतर माननीय फोरम के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। आवेदक का प्रकरण समयावधि बाह्य होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है। आवेदक के द्वारा अपने संबंध में दिये विवरण का स्वयं साबित करे। इस प्रकार अनावेदक ने किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं किया है। अतः परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
5. परिवाद पर उभय पक्ष को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
1.    क्या अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद जिला फोरम द्वारा सुनवाई योग्य है ? 
2.    क्या परिवाद पत्र परिसीमा अवधि में पेश किया गया है। 
3.    क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ? 


निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 का सकारण निष्कर्ष :-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज वाहन का रजिस्ट्रेशन पेपर दस्तावेज क्रमांक 1, वाहन का फिटनेश प्रमाण पत्र की छायाप्रति दस्तावेज क्रमांक 2, वाहन का इंश्योरेंस पेपर दस्तावेज क्रमांक 3, चालान रसीद दस्तावेज क्रमांक 4, नेशनल परमिट दस्तावेज क्रमांक 5, बैंक चालान दस्तावेज क्रमांक 6, आवेदक सुदामा शर्मा के द्वारा थाना प्रभारी पत्थलगांव के समक्ष की गई लिखित रिपोर्ट दस्तावेज क्रमांक 7, वाहन के ड्राइवर एवं खलासी के परिजन के द्वारा थाना प्रभारी पत्थलगांव के समक्ष की गई लिखित रिपोर्ट दस्तावेज क्रमांक 8, आवेदक द्वारा श्रीमान प्रभारी निरीक्षक कोतवाली भदोही (उ.प्र.) के समक्ष की गई रिपोर्ट दस्तावेज क्रमांक 9, आवेदक द्वारा जिला परिवहन अधिकारी जशपुर के समक्ष की लिखित सूचना दस्तावेज क्रमांक 10. अभियोग के रोजनामचे की मूल/द्वितीय की छाया प्रति दस्तावेज क्रमांक 11. पुलिस अधीक्षक संतरविदास नगर, भदोही के द्वारा जारी पत्र दस्तावेज क्रमांक 12, आवेदक द्वारा श्रीमान थाना प्रभारी भदोही के समक्ष दी गई शिकायत दस्तावेज क्रमांक 13, प्रथम सूचना पत्र दस्तावेज क्रमांक 14, अंतिम रिपोर्ट दस्तावेज क्रमांक 15, घटना स्थल का मौका नक्शा दस्तावेज क्रमांक 16, आवेदक की ओर से सी.जे.एम. भदोही ज्ञानपुर के समक्ष पेश आवेदन दिनांक 25.07.2014 दस्तावेज क्रमांक 17, न्यायालयीन आदेश पत्र दस्तावेज क्रमांक 18, सी.जे.एम. भदोही-ज्ञानपुर के द्वारा पारित आदेश दिनांक 06.08.2014 दस्तावेज क्रमांक 19, आवेदक के द्वारा शाखा प्रबंधक बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंश कंपनी रायपुर को दी गई सूचना दिनांक 20.09.2014 दस्तावेज क्रमांक 20, पंजीकृत डाक मय पावती की रसीद की मूल प्रति दस्तावेज क्रमांक 21. पावती पोस्ट कार्ड की मूल प्रति दस्तावेज क्रमांक 22, पंजीकृत डाक की रसीद दस्तावेज क्रमांक 23, अधिवक्ता नोटिस की कार्यालयीन प्रति दस्तावेज क्रमांक 24, पंजीकृत डाक की रसीद दस्तावेज क्रमांक 25, अधिवक्ता नोटिस दस्तावेज क्रमांक 26 प्रस्तुत किया है। 
8. अनावेदक ने जवाब दावा के समर्थन में अरीजीत चक्रवर्ती सानियर एक्जीक्यूटिव बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज सर्टिफिकेट कम पोलिस सेड्युल दस्तावेज क्रमांक 1, परिवादी द्वारा जिला परिवहन अधिकारी को वाहन चोरी की दी गई सूचना दस्तावेज क्रमांक 2, टेक्नीशियन की पावती दस्तावेज क्रमांक 3, परिवादी द्वारा शाखा प्रबंधक को दिया गया आवेदन दस्तावेज क्रमांक 4, बजाज एलियांस जनरल इंश्योरेंस द्वारा परिवादी को दी गई सूचना दिनांक 15.12.2012 दस्तावेज क्रमांक 5, बजाज एलियांस जनरल इंश्योरेंस द्वारा परिवादी को दी गई सूचना दिनांक 29.11.2012 दस्तावेज क्रमांक 6, बजाज एलियांस जनरल इंश्योरेंस द्वारा परिवादी को दी गई सूचना दिनांक 09.10.2012 दस्तावेज क्रमांक 7 प्रस्तुत किया है। 
9. अनावेदक क्रमांक 1 ने शपथ पत्र  से समर्थित जवाब दावा प्रारंभिक आपत्ति सहित प्रस्तुत किया है, जिसमें निम्नलिखित आधारों पर इस जिला फोरम की सुनवाई क्षेत्राधिकार अंतर्गत नहीं होना बताया गया है और अनावेदकगण की शाखा कार्यालय इस जिला फोरम की सुनवाई क्षेत्राधिकार अंतर्गत नहीं है :-
1.    परिवाद तथा उक्त दस्तावेजों से बीमित वाहन को एक कर्मचारी को दे दिया गया था और उसने वाहन वापस नहीं की, तब वह चोरी की परिभाषा के अधीन नहीं होता है। पुलिस में भी चोरी का अपराध दर्ज नहीं किया है। बीमित वाहन की चोरी होने की दशा में बीमा जोखिम आच्छादित होती है, फलस्वरूप प्रस्तुत परिवाद इस फोरम के समक्ष विचारणीय नहीं है, से परिवाद निरस्त करने योग्य है। 
2.    बीमा पालिसी के शर्त अनुसार कथित घटना की सूचना तत्काल नहीं दी गई। 40 दिनों के बाद प्रथम बार दी गई, शर्तों का उल्लंघन करने के कारण परिवाद निरस्त करने योग्य है। 
3.    परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद में विभिन्न प्रकार के विवाद किया है, जिसका इस जिला फोरम द्वारा संक्षिप्त प्रक्रिया के तहत निराकरण नहीं हो सकता। सक्षम व्यवहार न्यायालय में विवाद का निराकरण करने योग्य है, से परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है। 
4.    परिवादी का दावा पेश दिनांक 15.12.2012 को गुण-दोष के आधार पर निरस्त किया जा चुका है। समयावधि के भीतर इस फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवाद समय बाधित होने से निरस्त करने योग्य है। 
5.    परिवादी का दावा गुण-दोष पर निरस्त किया जा चुका है, से बीमा कंपनी ने सेवा में कमी नहीं किया है, फलस्वरूप उसी आधार पर परिवाद निरस्त करने योग्य है। 
10. अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा की गई प्रारंभिक आपत्ति का परिवादी की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। 
11. परिवाद पत्र तथा सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेजों से परिवादी के स्वामित्व की वाहन पंजीयन क्रमांक सी.जी. 14 डी 0722 को परिवादी द्वारा दिनांक 07.06.2012 को कोयला लादकर कर ग्राम खरसिया प्लांट से विशाल ट्रेडर्स भदोरी (उ.प्र.) अपने वाहन चालक हबीब एक्का उर्फ सजनी व खलासी विकास पोली उर्फ बी.के. को देकर भेजा था, जो दिनांक 09.06.2012 के रात को अंतिम बार लगभग 9-10 बजे दूरभाष के माध्यम से उनसे बातचीत हुई और उसके बाद से वाहन चालक तथा खलासी से किसी प्रकार कोई संपर्क नहीं हुआ, जिसकी रिपोर्ट भदोरी उ.प्र. राज्य में दिनांक 25.06.2012  को किया था तथा थाना पत्थलगांव में दिनांक 01.07.2012 को दी गई।  परिवादी के द्वारा घटना की जानकारी जिला परिवहन अधिकारी जशपुर को भी दी गई थी। थाना निरीक्षक कोतवाली भदोरी सं.र.नं. भदोरी उ.प्र. द्वारा अपराध संख्या 175/2012 दर्ज किया गया तथा मुकदमा नं. 83/14 धारा 406 भा.द.वि. के तहत दर्ज  किया गया । परिवादी ने उक्त संबंध में थाना प्रभारी भदोरी को की गई लिखित शिकायत दिनांक 25.01.2012 दस्तावेज क्रमांक 9 तथा थाना भदोरी द्वारा की गई कार्यवाही का दस्तावेज क्रमांक 11 से 18 प्रस्तुत किया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भदोही ज्ञानपुर के प्रकीर्ण वाद संख्या 83/2014 में दिनांक 06.08.2014 के आदेश की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक 19 प्रस्तुत किया गया है। 
12. परिवादी ने शाखा प्रबंधक बजाज एलियांस जनरल इंश्योरेंस कंपनी रायपुर जिला रायपुर छ.ग. को अनावेदक क्रमांक 1 के रूप में तथा शाखा प्रबंधक, महिन्द्रा इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड द्वितीय मंजिल गुप्ता काम्पलेक्स अम्बेडकर चौक, अम्बिकापुर जिला सरगुजा छ.ग. को अनावेदक क्रमांक 2 के विरूद्ध इस जिला फोरम में यह परिवाद प्रस्तुत किया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रस्तुत परिवाद में दोनों अनावेदगण जिला जशपुर के स्थानीय क्षेत्राधिकार अंतर्गत निवास/कार्यरत संस्था नहीं है। अनावेदकगण में से कोई जिला जशपुर के स्थानीय क्षेत्राधिकार अंतर्गत कार्यरत होना नहीं बताया गया है। 
13. परिवादी की ओर से अनावेदकगण को पंजीकृत नोटिस दस्तावेज क्रमांक 24 भेजा गया है, जिसमें भी उनका दर्शित पता से जिला जशपुर छ.ग. के स्थानीय क्षेत्राधिकार अंतर्गत निवास/कार्यरत होना उल्लेखित नहीं है।
11. जिला फोरम की अधिकारिता-
(1) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, जिला फोरम को ऐसे विवादों को ग्रहण करने की अधिकारिता होगी जहॉं माल या सेवा और दावाकृत प्रतिकर यदि कोई है, का मूल्य 1 (बीस लाख रूपये से अधिक नहीं होता है)
(2) परिवाद किसी ऐसे जिला फोरम में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय परिसीमाओं के भीतर -
(क) विरोधी पक्षकार, या जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हैं वहां विरोधी पक्षकार में से प्रत्येक परिवाद के संस्थित किए जाने के समय, वस्तुतः और स्वेच्छापूर्वक निवास करता है या कारबार चलाता है या शाखा कार्यालय है या व्यक्तिगत रूप से अभिलाभ के लिए स्वयं कार्य करता है। या
(ख) कोई विरोधी पक्षकार, जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हो, परिवाद संस्थित किये जाने के समय वस्तुतः और स्वेच्छा पूर्वक निवास करता है या कारबार करता है या शाखा कार्यालय है या व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अभिलाभ के लिए कार्य करता है, परंतु ऐसे कार्य में यदि जिला फोरम ने इजाजत दे दी है या विरोधी पक्षकार जो वहॉं न निवास करता है या न ही कारबार चलाता है और न व्यक्तिगत रूप से अभिलाभ के लिए कार्य करता है, जैसा भी हो उस वाद में सम्मिलित हो वे ऐसे संस्थित किये जाने के लिए उपमत हो गए हैं, या 
(ग) वादहेतुक पूर्णतः या भागतः पैदा होता है। 
उपरोक्त से स्पष्ट है कि परिवाद के विरोधी पक्षकार का निवास या कारोबार या शाखा कार्यालय सुनवाई कर रहे जिला फोरम के स्थानीय परिसीमाओं के भीतर होना आवश्यक है अथवा वाद हेतु पूर्णतः या भागतः जिला फोरम के अधिकारिता के स्थानीय परिसीमा के भीतर उत्पन्न होना चाहिए। सी.जी.एम., पी एण्ड ओ, एन.पी.डी.सी.एल एवं अन्य विरूद्ध कोपू डूडाराजम एवं अन्य प्ट ;2008द्ध ब्च्श्र 139 ;छब्द्धए डी.एच.बी.व्ही.एन.एल विरूद्ध विद्या देवी प्प्प्(2010)ब्च्श्र198    ;छब्द्धए वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रीसिटी डिस्ट्रीब्यूटसन कंपनी लिमिटेड एवं अन्य विरूद्ध चाबी मलिक प्प्प्(2014)ब्च्श्र 169;ॅठद्ध ए.पी. ट्रांसको एवं अन्य विरूद्ध भीमेस्वर स्वामीप् ;2015)ब्च्श्र 195 ;छब्द्ध एवंसरोजा विरूद्ध गवर्मेंट ऑफ तमिलनाडू एवं अन्य 2015 ए.पी.जे. 2272 के न्याय दृश्टांतों का अवलंब लिया है। 
14. उक्त उपबंध अनुसार अनावेदक/विरोधी पक्षकार इस जिला फोरम के अधिकारिता के स्थानीय परिसीमाओं के भीतर शाखा कार्यालय होने, कारोबार चलाने का तथ्य प्रगट नहीं है, फलस्वरूप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 11 (2)(क)(ख) अनुसार अनावेदकगण इस जिला फोरम के अधिकारिता के स्थानीय परिसीमाओं के भीतर नहीं होना हम पाते हैं। 
15. परिवाद पत्र तथा सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेज से परिवादी के स्वामित्व का वाहन सी.जी. 14 डी 0722 दिनांक 09.06.2012 को भदोरी विशाल ट्रेडर्स भदोरी उ.प्र. कोयला लादकर भेजा गया था, उसके बाद वाहन तथा उसके चालक का पता नहीं है, जिसके कारण यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है, से वाद का कारण भदोरी उ.प्र. में दिनांक 09.06.2012 को उत्पन्न हुआ परिवाद के तथ्यों से प्रगट हुआ है।
16. इस प्रकार परिवाद के लिए वादकारण दिनांक 09.06.2012 को ग्राम भदोरी उ.प्र. में उत्पन्न हुआ है। परिवादी ने परिवाद का कारण जिला उपभोक्ता फोरम जशपुर के अधिकारिता के स्थानीय परिसीमा के भीतर वादकारण उत्पन्न होने का कोई स्पष्ट अभिवचन नहीं किया है, फलस्वरूप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 11 (2) अनुसार विवाद की सुनवाई क्षेत्राधिकार इस जिला फोरम की अधिकारिता के अंतर्गत होना परिवादी ने स्थापित, प्रमाणित नहीं किया है। अतः विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 का निष्कर्ष ’’नहीं’’ में देते हैं। 
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 का सकारण निष्कर्ष :-
17. अनावेदक क्रमांक 1 ने प्रस्तुत परिवाद को समयावधि में प्रस्तुत नहीं होने के आधार पर निरस्त करने का निवेदन किया है। परिवाद पत्र में परिवादी ने अनावेदकगण को दिनांक 20.09.2014 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजा था, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया, से परिवाद पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता होना बताते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अनावेदकगण के विरूद्ध दिनांक 11 फरवरी 2015 को यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। 
18. अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी को बीमा दावा पत्र गुण-दोष के आधार पर दिनांक 15.12.2012 को किया जाकर निरस्त किया गया है, जिसकी पुष्टि में अनावेदक क्रमांक 1 ने दस्तावेज क्रमांक 5 प्रस्तुत किया है। जिसके द्वारा परिवादी के बीमा पालिसी क्रमांक  ओ.जी. 12-2324-1803-00000324  एवं ओ.सी.13-1302-1803-00000238 के दावा पत्र को इंकार किया गया है । इस प्रकार स्पष्ट रूप से परिवाद प्रस्तुत करने के लिए वादकारण अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के दावा को इंकार करने की तिथि 15.12.2012 से उत्पन्न होगी न कि परिवादी द्वारा परिवादी द्वारा अनावेदकगण को पंजीकृत नोटिस भेजने की तिथि 20.09.2014 से। 
19. अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 5 दिनांक 15.12.2012 से वादकारण उत्पन्न होने से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) अनुसार 2 वर्ष की परिसीमा दिनांक 15.12.2014 को पूर्ण होती है, अर्थात परिवाद प्रस्तुति दिनांक 15.12.2014 के भीतर किए जाने से परिसीमा अवधि में होता। यह परिवाद 11 फरवारी 2015 को प्रस्तुत किया गया है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) अनुसार परिसीमा अवधि में नहीं है। विलंब से प्रस्तुत किया गया है। 
20. परिवादी ने अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद समयावधि में नहीं होना विलंब से होने के आधार पर विलंब को क्षमा करने के लिए कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद परिसीमा अवधि में नहीं है तथा परिसीमा अवधि में नहीं होने से विलंब क्षमा करने के लिए कोई प्रार्थना भी नहीं की गई है, फलस्वरूप हम यह पाते हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 11 फरवरी 2015 को अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद परिसीमा अवधि में नहीं है। तद्नुसार विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 का निष्कर्ष नहीं में देते हैं। 
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 3 का सकारण निष्कर्ष :-
21. परिवादी ने वाहन क्रमांक सी.जी. 14 डी 0722 का बीमा अनावेदक क्रमांक 1 में बीमा पॉलिसी क्रमांक ओ.जी. 12-2324-1803-00000324 द्वारा दिनांक 31.01.2012 से 30.01.2013 तक बीमित होने, दिनांक 09.06.2012 को उसकी उक्त वाहन भदोरी उ.प्र. में वाहन  तथा वाहन चालक एवं खलासी से कोई संपर्क नहीं होने से तथा उक्त वाहन का महिन्द्रा इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड के माध्यम से 17,19,329/-रू. का बीमा कराया था। प्रिमियम राशि 33,384/-रू. अदा की गई थी, से अनावेदकगण से उक्त बीमा की राशि 17,19,329/-रू. ब्याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया गया है। 
22. अनावेदक क्रमांक 1 ने प्रस्तुत जवाब में परिवादी का बीमा पालिसी  क्रमांक ओ.जी. 12-2324-1803-00000324  एवं  ओ.सी. 13-1302-1803-00000238 द्वारा किया गया दावा पत्र गुण-दोष के आधार पर दिनांक 15.12.2012 को निरस्त कर दिया गया है। परिवाद पत्र के तथ्यों से वाहन का चोरी होना उल्लेखित नहीं है, बल्कि धारा 406 भारतीय दण्ड विधान अंतर्गत आपराधिक न्यास भंग का अपराध दर्ज होने से बीमा पालिसी अंतर्गत अपराध न्यास भंग करने के लिए बीमा आच्छादित नहीं थी, से दावा पत्र निरस्त किया गया है । बीमा कंपनी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है बतलाया गया है। 
23. परिवाद पत्र के तथ्यों से परिवादी ने अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा उसका दावा पत्र दिनांक 15.12.2015 को निरस्त कर दिया गया का कोई अभिवचन नहीं किया है, जबकि अनावेदक क्रमांक 1 ने सूची अनुसार दस्तावेज में परिवादी के स्वामित्व के वाहन की बीमा पालिसी का दस्तावेज क्रमांक 1 प्रस्तुत किया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा जिला परिवहन अधिकारी को उसके स्वामित्व की वाहन गुम होने की दी गई सूचना दिनांक 13.07.2012 का प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 2, परिवादी द्वारा शाखा प्रबंधक बजाज एलियांस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को दिया गया पत्र दिनांक 17.07.2012 प्रस्तुत किया है। इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी को दिया गया पत्र दिनांक 29.11.2012 दस्तावेज क्रमांक 6, दिनांक 09.10.2012 दस्तावेज क्रमांक 7, दिनांक 15.12.2012 दस्तावेज क्रमांक 5 प्रस्तुत किया गया है। 
24. परिवादी ने अनावेदक द्वारा उक्त पत्र से उसके दावा पत्र को इंकार कर दिया गया है का कोई अभिवचन नहीं किया है, तर्क में उसका कोई कारण भी नहीं बताया गया है। 
25. उपरोक्त अनुसार परिवादी द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष बीमा पालिसी क्रमांक ओ.जी. 12-2324-1803-00000324 एवं ओ.सी. 13-1302-1803-00000238 अंतर्गत प्रस्तुत किया गया दावा पत्र को परिवादी का वाहन को उसके चालक को न्यस्त (ज्तनेज) किया गया था, जिसके कारण भदोरी उ.प्र. में दर्ज की गई रिपोर्ट धारा 406 भा.द.सं. भदोरी का अपराध न्यासभंग का मामला दर्ज किया गया न कि चोरी होने के संबंध में अपराध दर्ज की गई।
26.  वाहन के बीमा अवधि में चोरी हो जाने से बीमा आच्छादित है। वाहन को अपराध न्यास भंग किए जाने से बीमा आच्छादित नहीं है बताते हुए दावा पत्र को इंकार किया गया है, जो बीमा पालिसी दस्तावेज क्रमांक 1 के नियम एवं शर्तों के अनुसार होना बताया गया है। 
27. उपरोक्त पालिसी के नियम व शर्त अनुसार वाहन चोरी होने से हानि बीमा पालिसी द्वारा आच्छादित है। वाहन को किसी को न्यस्त किए जाने तथा उस व्यक्ति द्वारा अपराध न्यास भंग किए जाने से बीमा धारक को हुई हानि उक्त पालिसी के तहत बीमा आच्छादित होना उल्लेखित नहीं है। अतः अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के दावा पत्र को दिनांक 15.12.2012 के पंजीकृत पत्र द्वारा इंकार करते हुए उसकी सूचना दिया जाना सेवा में कमी होना प्रमाणित नहीं है। 
28. अभिलेखगत सामग्री में पक्षकारों के अभिवचन, सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेज, शपथ पत्र एवं किए तर्क से प्रकरण के गुण-दोष पर विनिश्चय करने पर अनावेदकगण के विरूद्ध परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई क्षेत्राधिकार जिला उपभोक्ता फोरम जशपुर को नहीं होना, परिवाद समयावधि में नहीं होना पाया गया है। परिवाद के तथ्यों से अनावेदकगण द्वारा परिवादी के


 विरूद्ध सेवा में कमी किए जाने का तथ्य भी प्रमाणित नहीं हुआ है। इस प्रकार उपरोक्त संपूर्ण तथ्य तथा परिस्थितियों में अनावेदकगण के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 अंतर्गत प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करने योग्य होना हम नहीं पाते हैं, निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं। 
29. प्रकरण की परिस्थिति में पक्षकारगण अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे। 


      (श्रीमती अनामिका नन्दे)                                       (संजय कुमार सोनी)                                                (बी0पी0पाण्डेय)
                  सदस्य                                                               सदस्य                                                                 अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.                               जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.                               जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.
       फोरम जशपुर (छ0ग0)                                      फोरम जशपुर ़(छ.ग.)                                      फोरम जशपुर (छ0ग0)

    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE B.P.Pandey]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Sanjay Soni]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Anamika Nande]
MEMBER

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