Uttar Pradesh

StateCommission

A/947/2019

Ramkunwar Alias Ramkumri - Complainant(s)

Versus

Branch manager United India Insurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Sushil Kumar Sharma

27 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/947/2019
( Date of Filing : 06 Aug 2019 )
(Arisen out of Order Dated 24/04/2019 in Case No. C/86/2014 of District Mahoba)
 
1. Ramkunwar Alias Ramkumri
W/O Late Deputy Singh alias Raj Bahadur Singh R/O Village Kharela Tehsil Charkhari Distt. Mahoba
...........Appellant(s)
Versus
1. Branch manager United India Insurance Co. Ltd
4 E Kohli House Ramtirth Marg Narhi Lucknow U.P.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Aug 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-947/2019

रामकुंवर उर्फ रामकुमारी पत्‍नी स्‍व0 डिप्‍टी सिंह उर्फ राज बहादुर सिंह, निवासिनी ग्राम खरेला तहसील चरखारी जिला महोबा

बनाम

शाखा प्रबंधक, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड 4 ई, कोहली हाउस रामतीर्थ मार्ग, नरही लखनऊ, उ0प्र0 व एक अन्‍य

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष           

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री सुशील कुमार शर्मा

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता        : सुश्री रेहाना खान

दिनांक :- 27.8.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, महोबा द्वारा परिवाद सं0-86/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.4.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को विपक्षी सं0-1 के विरूण गुणदोष के आधार पर एवं विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से खारिज किया गया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादिनी ग्राम खरेला तहसील चरखारी, जिला महोबा की निवासी है तथा वह मृतक डिप्टी सिंह उर्फ राजबहादुर सिंह की विवाहिता विधिक वारिस है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 समिति द्वारा जारी अपीलार्थी/परिवादिनी के पति के नाम किसान क्रेडिट कार्ड में मृतक द्वारा घोषित नामिनी है।

 

-2-

अपीलार्थी/परिवादिनी के पति प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 की समिति के सक्रिय सदस्य थे तथा समिति द्वारा निर्गत किसान क्रेडिट कार्ड से खाद बीज इत्यादि प्राप्त करते थे। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 ने उसके पति के किसान क्रेडिट कार्ड के खाते से दुर्घटना बीमा आच्छादन कराने हेतु नियमानुसार प्रीमियम राशि लेकर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 की शाखा से 50,000/-रू0 का बीमा कराया था। दिनांक 12.02.2012 को अपीलार्थी/परिवादिनी के पति दिन में करीब 12 बजे महामुनि आश्रम के लिये निकले थे, परन्तु काफी रात तक जब वापस नहीं आये तो थाना खरेला में अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा सूचना दी गई। अपीलार्थी/परिवादिनी के परिवार के सदस्य और पुलिस द्वारा उसके पति की काफी तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिले।

यह भी कथन किया गया कि दिनांक 19.02.2012 को थाना खरेला जिला महोबा में घटना की रिपोर्ट दर्ज हुई। दिनांक 20.02.2012 को महामुनि आश्रम के पास स्थित तालाब से अपीलार्थी/परिवादिनी के स्व0 पति डिप्टी सिंह उर्फ राजबहादुर की लाश बरामद हुई जिसका पोस्टमार्टम एवं पंचायतनामा पुलिस द्वारा कराया गया था। अपीलार्थी/परिवादिनी के पति की मृत्यु पानी में डूबने के कारण होना पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंकित की गई थी। अपीलार्थी/परिवादिनी ने अपने पति की दुर्घटना बीमा से संबंधित दावा समस्त औपचारिकतायें पूरी करके समय से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के माध्यम से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के यहॉ दे दिये थे। अपीलार्थी/परिवादिनी के पति की जन्म तिथि 04.3.1944 है । इस प्रकार मृत्यु की तिथि पर उनकी उम्र लगभग 68 वर्ष थी, इसलिये अपीलार्थी/परिवादिनी मृतक की पत्नी, वारिस और घोषित नामिनी होने के कारण बीमा धनराशि पाने की हकदार है।

-3-

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी विपक्षी सं0-2 से बीमा दावा के संबंध में लगातार संपर्क करती रही लेकिन उसे बीमा धनराशि प्राप्त नहीं हुई जो कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की सेवा में घोर त्रुटि व व्यापारिक कदाचरण है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा माह जून, 2014 के दूसरे सप्ताह में बीमा की धनराशि देने से स्पष्ट रूप से इंकार करने पर परिवाद दायर करने का वाद कारण उत्पन्न हुआ। अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि मृतक की मृत्‍यु दुर्घटना से होना एवं मृतक का किसान बीमा होना बिना किसी वैध प्रमाण के स्‍वीकार नहीं है। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा वॉछित प्रपत्रों सहित प्रत्‍यर्थी को दुर्घटना से मृत्‍यु होने एवं दुर्घटना बीमा होने के संबंध में सूचित नहीं किया। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने अपने मृतक पति के दुर्घटना बीमा दावा हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से कोई पत्राचार नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा जानबूझकर अपीलार्थी/परिवादिनी के पति की मृत्यु से संबंधित क्लेम के निस्तारण में कोई विलम्‍ब तथा सेवा त्रुटि नहीं की गई है। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद तथ्य एवं विधि की दृष्टि में गलत है, जो कि स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है ।

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को विस्‍तार से सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

 

-4-

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी यह सिद्ध करने में असफल रही है कि वह किस प्रकार से प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की उपभोक्‍ता है एवं इस संबंध में उसके द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य व अभिलेख भी अस्‍पष्‍ट है अत्एव अपीलार्थी/परिवादिनी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से याचित अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी नहीं है और इस संबंध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विधिक सिद्धांतों पर विचार करने के उपरांत जो निष्‍कर्ष अपने निर्णय में अंकित किया गया है, वह पूर्णत: उचित एवं विधि सम्‍मत है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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