Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/43/2014

Saroj Pal - Complainant(s)

Versus

Branch Manager Union Bank of India - Opp.Party(s)

Shri Suresh Prasad

08 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/43/2014
 
1. Saroj Pal
D/O Vijay Kumar Pal, Village- Bavedi, Post- Sohilapur, Pargana, Tehsil & District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Branch Manager Union Bank of India
Branch- Fatehpur Sikandarpur (Phullanpur), District- Ghazipur Pin- 233001
2. District Backward Class Welfare Officer
Ghazipur
3. Principal Uma Shankar Shastri College
Hanso, Para Ghazipur
Ghazipur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Suresh Prasad, Advocate
For the Opp. Party: Shri Amindra Nath Singh, Advocate
 Shri Atma Yadav, Advocate
ORDER

दिनांक:08-10-2015

          परिवादिनी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि  विपक्षी गण से उसे छात्रवृत्ति के रूपये 3600/- तथा शुल्‍क प्रतिपूर्ति रूपये 4000/-  दिलाये जाने के साथ ही आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्‍ट के लिए धनराशि दिलायी जाय।

          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि उसका विपक्षी संख्‍या 01बैंक में खाता संख्‍या 600802010006135 है। वह विपक्षी सं03 के यहॉ वर्ष 2012-13 में संस्‍थागत छात्रा के रूप में बी0ए0 प्रथम वर्ष में अध्‍ययन कर रही थी और अब बी0ए0 द्वितीय वर्ष में संस्‍थागत छात्रा है। ‍उसने शुल्‍क प्रतिपूर्ति योजना के अन्‍तर्गत फार्म भरा था। विपक्षी सं02 द्वारा स्‍वीकृत करने पर परिवादिनी के खाते में जमा कराने हेतु छात्रवृत्ति के लिए रू0 3600/- तथा शुल्‍क प्रतिपूर्ति के लिए रू0 4000/- भेजे गये थे । विपक्षी सं02 द्वारा भेजी गयी उक्‍त धनराशि परिवादिनी के उक्‍त खाते में जमा नहीं हुई।  इसकी शिकायत परिवादिनी ने विपक्षी सं01 के यहॉ किया जिस पर उन्‍होंने विपक्षी सं03 से सम्‍पर्क किया और परिवादिनी के सही खाते में उक्‍त धनराशि भेजने का अनुरोध किया। विपक्षी सं03 द्वारा विपक्षी सं02 को पत्र दिनांकित 11-10-13 दिया गया जिस पर समुचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया। सम्बन्धित क्‍लर्क से सम्‍पर्क स्‍थापित करने पर परिवादिनी को बताया गया कि खाते में पैसा चला जायेगा, बैंक जाकर पता कर लेना। नवंबर माह में परिवादिनी ने जब बैंक जाकर खाता चेक किया, तो पता चला कि उक्‍त खाते में अभी पैसा नहीं आया है। विपक्षी सं02 ने पूछने पर बताया कि उसके खाते में पैसा भेज दिया गया है। परिवादिनी विपक्षी गण के यहॉ नवंबर माह से लगातार दौड़ रही है।दि0 10-01-14 को विपक्षी सं01 से उक्‍त खाते में धनराशि जमा होने की बात पूछी तो उसने बताया कि विपक्षी सं02 ने पैसा नहीं भेजा है। दिनांक 10-01-14 को विपक्षी सं02 ने कहा कि खाते में पैसा जमा कराने के लिए वह बाध्‍य नहीं है। परिवादिनी के खाते में छात्र वृत्ति व शुल्‍क प्रतिपूर्ति की धनराशि न जमा किया जाना सेवा में कमी तथा लापरवाही है। विपक्षी गण द्वारा परिवादिनी का गलत खाता नम्‍बर  उल्लिखित करने के उपरांत सही न कराये जाने और परिवादिनी के खाते में उक्‍त धनराशि जमा न होने से वाद कारण उत्‍पन्‍न हुआ है। परिवादिनी ने अपेक्षित शुल्‍क जमा कर दी हैं ।

          विपक्षी सं01 ने अपने यहॉ परिवादिनी का खाता होना स्‍वीकार किया है लेकिन उसकी ओर से आगे कहा गया है कि परिवादिनी ने गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है। परिवादिनी के खाते में वर्तमान समय में रू0 528/- जमा हैं। विपक्षी सं01 के यहॉ विपक्षी सं02 द्वारा छात्रवृत्ति के रू0 3600/- शुल्‍क प्रतिपूर्ति के रू0 4000/- नहीं भेजे गये। जब भी परिवादिनी अपने खाते में धन जमा होने की सूचना लेने आती रही, तब उसे सूचना प्रदान की गयी है। यदि विपक्षी सं02 द्वारा उक्‍त धनराशि भेजी गयी होती, तो विपक्षी सं01 द्वारा परिवादिनी के खाते में समायोजित की गयी होती। परिवादिनी का परिवाद हर्जा सहित खारिज होने योग्‍य है।

          विपक्षी सं02 की ओर से अपने लिखित कथन में कहा गया है कि परिवादिनी को परिवाद योजित करने का कोई वाद कारण प्राप्‍त नहीं है। परिवादिनी के मामले में विपक्षी सं02 द्वारा कोई लापरवाही नहीं बरती गयी है। वास्‍तविकता यह है कि विपक्षी सं03 द्वारा प्रमाणित करके छात्रा की सीट/ मॉंग पत्र कार्यालय को प्राप्‍त कराया गया था। मॉंग पत्र के अन्‍तर्गत छात्र वृत्ति की धनराशि तथा शुल्‍क प्रतिपूर्ति की धनराशि सम्‍बन्धित बैंक को प्रेषित की गयी थी, विभाग द्वारा खाता संशेाधित करके सम्‍बन्धित बैंक को प्रेषित किया गया था, जिसका उत्‍तरदायित्‍व विपक्षी सं01 पर है। परिवाद में उ0प्र0 राज्य को पक्षकार न बनाये जाने के कारण, पक्षकार कुसंयोजन का दोष है। विपक्षी सं02 द्वारा किसी प्रतिफल के बदले सेवा प्रदान नहीं की जाती बल्कि राजकीय पदीय कर्त्‍तव्‍यों का निर्वहन किया जाता है। छात्रा का खाता गलत अंकित होने के कारण नोशनल खाते में धनराशि जमा करा दी गयी। परिवादिनी विपक्षी सं02 की उपभोक्‍ता नहीं है। इसलिए विपक्षी सं02 के विरुद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादिनी का परिवाद हर्जा सहित खारिज होने योग्य है।

          विपक्षी सं03 की ओर से अपने लिखित कथन में अपने विद्यालय में परिवादिनी का छात्रा होना स्‍वीकार किया गया है। उसकी ओर से परिवादिनी को छात्र वृत्ति व शुल्‍क प्रतिपूर्ति स्‍वीकृत होने के तथ्‍य से इनकार नहीं किया गया है। उसकी ओर से आगे कहा गया है कि परिवादिनी ने अपने फार्म में यू0बी0आई0 शाखा गहमर का खाता संख्‍या लिखा था जबकि उसने परिवाद पत्र में अपना खाता यू0बी0 आई0 फतेहपुर सिकन्‍दर में होने का कथन किया है। परिवादिनी की ओर से स्‍वयं फार्म में अपने खाते का गलत विवरण दिया गया था। विपक्षी सं03 द्वारा सेवा में कमी नहीं की गयी है। 2013 (4) सी0पी0आर0 981 महर्षि दयानन्‍द विद्यालय बनाम सुरजीत कौर मामले में स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि विद्यार्थी उपभोक्‍ता नहीं है।

          परिवादिनी ने परिवाद में किये गये कथनों के समर्थन में शपथ पत्र 5ग तथा 22ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही सूची कागज सं07ग के जरिये 03 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध किये हैं। परिवादिनी की ओर से लिखित बहस कागज संख्‍या 25ग प्रस्‍तुत की गयी है । विपक्षी सं01 की ओर से अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र 16ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही सूची 17ग के जरिये 01, अभिलेख तथा लिखित बहस कागज सं0 33क पत्रावली पर उपलब्‍ध कराये गये हैं।

          विपक्षी सं02 की ओर से अपने कथनों के समर्थन में लिखित बहस 28ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही सूची कागज सं0 29ग के जरिये 03 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध करायी गयी हैं ।

          पक्षों के विद्वान अधिवक्‍ता गण को विस्‍तार से सुना गया, उपलब्‍ध परिवाद पत्र, लिखित कथनों के साथ उपलब्‍ध कराई गई साक्ष्‍य तथा लिखित बहस का परिशीलन किया गया।

          परिवाद पत्र, लिखित कथनों तथा उपलब्ध कराई गई साक्ष्‍य से प्रकट है कि मामले में यह विवादित नहीं है कि परिवादिनी शिक्षा सत्र 2012-13 में उमाशंकर शास्‍त्री महाविद्यालय हैंसी पारा जिला गाजीपुर में  बी.ए. प्रथम वर्ष की संस्‍थागत छात्रा थी और उसने छात्रवृत्ति/ शुल्‍क प्रतिपूर्ति योजना के अन्‍तर्गत आवेदन पत्र भरा था, उसके आवेदन पत्र को स्‍वीकृत करके विपक्षी सं02 ने  उसे छात्र वृत्ति के लिए रू0 3600/- तथा शुल्‍क प्रतिपूर्ति के लिए रू0 4000/- दिये जाने के आदेश दिये थे। उपलब्‍ध साक्ष्‍य से प्रकट है कि अपने आवेदन पत्र में परिवादिनी ने यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा गहमर में अपना बचत खाता होने का उल्‍लेख किया था, उक्‍त बैंक की उक्‍त शाखा में परिवादिनी का बचत खाता न होने के कारण उक्‍त धनराशि विपक्षी सं02 को वापस हो गई और विपक्षी सं02 ने उक्‍त धनराशि राजकीय नोशनल खाते में जमा करा दी।

          विपक्षी सं03 की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी ने अपने आवेदन पत्र में यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा गहमर में अपने बचत खाते का उल्‍लेख करते हुए उसका विवरण दिया था । उक्‍त खाते में ही जमा करने के लिए विपक्षी सं02 ने धनराशि भेजी थी, लेकिन खाते का विवरण गलत होने के कारण  उक्‍त धनराशि विपक्षी सं01 के पास नहीं गई, इसलिए विपक्षी सं01 द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना स्‍थापित नहीं है।

          विपक्षी सं02 की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी उसकी उपभोक्‍ता नहीं है। विपक्षी सं02 द्वारा किसी प्रतिफल के बदले छात्रवृत्ति तथा शुल्‍क प्रतिपूर्ति की धनराशि परिवादिनी को स्‍वीकृत नहीं की गई थी बल्कि शासकीय दायित्‍वों  के निर्वहन में शासकीय योजना के अधीन उक्‍त धनराशि स्‍वीकृत की गई थी। इस प्रकार विपक्षी स02 के  इस तर्क में बल है कि परिवादिनी उसकी उपभोक्‍ता नहीं है।

          परिवादिनी की ओर से कहा गया है कि खाते के विवरण में सुधार करके विपक्षी सं0 03 ने विपक्षी सं0 02 को दिनांक 26-08-2013  को पत्र प्रेषित किया था। इस पत्र की फोटो प्रति कागज संख्‍या 8ग पत्रावली पर उपलब्‍ध कराई गई है। इस पत्र में भी विपक्षी सं01 के खाते तथा यूनियन बैंक आफ इण्डिया फतेहपुर सिकन्‍दर (फुल्‍लनपुर) के खाते का विवरण स्‍पष्‍ट रूप से अंकित नहीं है। इस पत्र के क्रम में विपक्षी सं02 द्वारा विपक्षी सं01 को परिवादिनी के खाते में जमा करने हेतु धनराशि भेजे जाने का कोई स्‍पष्‍ट साक्ष्‍य उपलब्‍ध नहीं है।  उपलब्‍ध साक्ष्‍य से प्रकट है कि स्‍वयं परिवादिनी द्वारा अपने आवेदन पत्र में अपने बचत खाते का गलत विवरण अंकित करने के कारण स्‍वयं उसकी त्रुटि से यह स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने विभिन्‍न मामलों में प्रतिपादित किया है कि परिवादी स्‍वयं की त्रुटि के लिए किसी अन्‍य को उत्‍तरदायी नहीं ठहरा सकता।

          परिवादिनी की ओर से 2014 (1) सी.पी.आर. 564 (एनसी) भारतीय कालेज आफ एग्रीकल्‍चर बनाम सागर सिन्‍हा आदि, 2013(2) सी.पी.आर. 441 (एन सी) मे0 फिटजी लिमिटेड बनाम श्री अनिल कुमार जैन मामलेां में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त का सहारा लेते हुए कहा गया है कि  वह विपक्षी सं03 की उपभोक्‍ता है। उक्‍त मामले के तथ्‍य वर्तमान मामले से बिल्‍कुल भिन्‍न हैं। वर्तमान मामले में परिवादिनी की विपक्षी सं03 से कोई शिकायत नहीं है। तथ्‍यों से प्रकट है कि परिवादिनी द्वारा भरा गया आवेदन पत्र  विपक्षी सं03 ने विपक्षी सं02 को प्रेषित किया था, जिसे विपक्षी सं03 द्वारा स्‍वीकृत किया गया था। विपक्षी सं03 के महाविद्यालय में छात्रा होने मात्र से परिवादिनी उसकी उपभोक्‍ता नहीं हो जाती है। विपक्षी सं03 द्वारा कोई त्रुटि किया जाना नहीं प्रकट है। विपक्षी सं01 के यहॉ बचत खाता होने के कारण परिवादिनी उसकी उपभोक्‍ता है, लेकिन स्‍वयं परिवादिनी द्वारा अपने आवेदन पत्र में बैंक का गलत विवरण अंकित करने के कारण विपक्षी सं01 के पास परिवादिनी के खाते में जमा करने हेतु धन नहीं गया। अत: विपक्षी सं01 द्वारा भी सेवा में त्रुटि अथवा कमी किया जाना स्‍थापित नहीं है।

          उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचन से प्रकट है कि परिवादिनी विपक्षी सं02व 3 की उपभोक्‍ता नहीं है। विपक्षी सं02 व 3 द्वारा अपने दायित्‍व के निर्वहन में  कोई त्रुटि किया जाना स्‍थापित नहीं है। विपक्षी सं01 की परिवादिनी उपभोक्‍ता है लेकिन विपक्षी सं01 द्वारा सेवा में कमी किया जाना स्‍थापित नहीं है। ऐसी स्थिति में, परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य नहीं है और वह कोई अनुतोष पाने की अधिकारिणी नहीं है। परिवादिनी अन्‍य सम्‍यक् प्रक्रिया के द्वारा धनराशि पाने हेतु उचित कार्यवाही करने के लिए स्‍वतंत्र है।

 

                             आदेश

 

          परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है। मामले के तथ्‍यों को देखते हुए पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

        इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क प्रदान की जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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