समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-64/2010 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
द़गपाल सिंह पुत्र मुन्नी सिंह निवासी-रैपुरा खुर्द पोस्ट-बिलबई परगना व तहसील व जिला-महोबा
परिवादी
बनाम
वरिष्ठ शाखा प्रबंधक,उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 महोबा जिला-महोबा विपक्षी
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी द़गपाल सिंह ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी वरिष्ठ शाखा प्रबंधक,उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 महोबा जिला-महोबा बाबत दिलाये जाने नौ डयूज प्रमाण पत्र व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है ।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी एक लघु सीमान्त कषक है तथा क़षि कार्य से ही उसके परिवार की जीविका चलती है । उसने वर्ष 2003 में अपनी क़षि को उन्नतिशील बनाने व अधिक उपज प्राप्त करने के आशय से एक ट्रैक्टर क्रय करने के बावत अपनी क़षि भूमि को बंधक कर के विपक्षी बैंक से 3,30,000/-रू0 ऋण स्वीक़त कराया था,जिसके लिये उसने बैंक में 30,000/-रू0 मार्जिन मनी के रूप में नकद जमा किया था । इस प्रकार परिवादी को उक्त 3,00,000/-रू0 का कर्ज देना था । परिवादी उक्त ऋण लेने के उपरान्त सन 2003 में ही प्रथम किस्त के रूप में 40,000/-रू0 जमा कर दिया था । तत्पश्चात क्षेत्र में लगातार सूखा पडने के कारण फसले नहीं हुईं । इस कारण परिवादी ऋण की अदायगी नहीं कर सका । इसी दौरान वर्ष 2008 में क़षि ऋण माफी/राहत योजना लागू की गई । परिवादी की पहल पर विपक्षी ने एक वचन पत्र एकमुश्त समाधान योजना के अंतर्गत परिवादी से हस्ताक्षरित कराया,जिसमें परिवादी को उक्त बकाया धनराशि की छूट प्रदान करने के उपरान्त परिवादी पर 1,73,344/-रू0 बकाया धनराशि बताई गई और इसकी अदायगी के लिये तीन किस्तें निर्धारित कीं गईं,जिसमें प्रथम किस्त 57,780/-रू0 को 30 सितम्बर,2008 तक तथा दूसरी किस्त 57,780/-रू0 की 31,मार्च,2009 तक एवं तीसरी व अंतिम किस्त 57,784/-रू0 दिनांक: 30.06.2009 तक परिवादी को जमा करनी थी जिसके अनुपालन में परिवादी ने दिनांक:10.10.2008 को एक लाख रू0 जमा किया तत्पश्चात पुन- ऋण राहत योजना के अंतर्गत परिवादी पर शेष राशि 73,344/-रू0 जमा करने का निर्देश दिया गया लेकिन इसके बावजूद विपक्षी ने परिवादी को एक नोटिस 73,344/-रू0 के अलावा 76,500/-रू0 की अतिरिक्त किस्त देय दिखाकर कुल 1,49,844/-रू0 की मांग की गई जिस पर परिवादी विपक्षी बैंक के पास गया तो विपक्षी ने कहा कि यह पत्रांक गलत जारी हो गया है । परिवादी मात्र 73,344/’रू0 जमा कर दे तो उसका ऋण खाता बंद कर दिया जायेगा । इस पर परिवादी ने दिनांक 29.06.2009 को 73,344/-रू0 जमा कर दिये इस पर विपक्षी ने उसकी रसीद दी और कहा कि 2-4 दिन में आकर नौ डयूज प्रमाण पत्र ले जाना लेकिन तब से परिवादी लगातार विपक्षी के चक्कर लगा रहा है और नौ डयूज प्रमाण पत्र न देकर शेष धनराशि गलत तरीके से वसूल करने की धमकी दे रहे हैं । अंत: परिवादी ने मा0 फोरम के समक्ष यह परिवाद प्रस्तुत किया है ।
विपक्षी को फोरम द्वारा नोटिस भेजा गया,जिसके अनुपालन में श्री राजेन्द्र अवस्थी,एडवोकेट हाजिर आये और उन्होंने दिनांक: 07.07.10,23.09.10,24.01.12,22.05.12,08.01.13,24.04.13,08.05. 13,20.07.13,06.09.13 तक की तिथियों में लगातार स्थगन प्रार्थना पत्र देकर परिवादी की नकल दिये जाने की मांग करते रहे और उन्होंने कोई जबाबदावा प्रस्तुत नहीं किया । अंतत: फोरम द्वारा दिनांक 30.12.14 को उनके खिलाफ एकपक्षीय सुनवाई का आदेश प्रदान किया गया क्योंकि वह लगातार नियत तिथि में गैरहाजिर होते रहे हैं ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग/1 व 4ग/2 प्रस्तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में परिवादी को जारी किये गये नोटिस की छायाप्रति 7ग व 8ग वचन पत्र की छायाप्रति 9ग,छायाप्रति परिवादी को भेजे गये अंतर्देशीय छायाप्रति 10ग/1 व 10ग/2,परिवादी द्वारा दिनांक 10.10.08 को जमा किये गये एक लाख रू0 की रसीद की छायाप्रति कागज सं011ग, परिवादी को जारी एक विवरण पत्र की छायाप्रति 12ग,ऋण राहत योजना के अंतर्गत दी गई धनराशि के पत्र की छायाप्रति कागज सं013ग दाखिल की गई ।
विपक्षी की और से कोई अभिलेखीय साक्ष्य अथवा जबाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है ।
फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया,जिसमें यह पाया गया कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में जो अभिकथन किये गये उनकी पुष्टि शपथ पत्र 4ग/1 व 4ग/2 तथा अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0 7ग लगायत 13ग से होती है । परिवादी द्वारा दाखिल उपरोक्त अभिलेखों से यह साबित होता है कि परिवादी को विपक्षी बैंक को देय धनराशि निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत जमा कर दी है । इसके बाद परिवादी पर कोई ऋण बकाया नहीं है । ऐसी परिस्थिति में विपक्षी बैंक से परिवादी नौ डयूज प्रमाण पत्र जारी न कर के घोर सेवा में त्रुटि की है । ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंशिक रूप से एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह क़षि ऋण माफी/राहत योजना 2008 के तहत किये गये वचन पत्र के अनुसार परिवादी द्वारा जमा धनराशि 1,73,344/- के आधार पर उसका ऋण खाता सं0 के0टी0 2/43 बन्द करे के उसे नौ डयूज प्रमाण पत्र प्रदान करें । इसके अलावा वह परिवादी से अन्य किसी धनराशि की मांग न करें तथा विपक्षी परिवादी को मानसिक कष्ट के एवज में 5,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 भी प्रदान करें । विपक्षी उक्त आदेश का अनुपालन इस निर्णय के अंदर एक करे अन्यथा विपक्षी द्वारा परिवादी को धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज भी देय होगा ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
12.06.2015 12.06.2015 12.06 .2015