Chhattisgarh

Surguja

CC/14/88

SHRI LEHRI - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANAGER THE UNITED INDIA INSURANCE CO LTD RAIGARH AND OTHER - Opp.Party(s)

SHRI AMIT JAISWAL

10 Feb 2015

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम सरगुजा,अम्बिकापुर (छ0ग0)


                        समक्ष:- श्री बी0 एस0 सलाम (अध्यक्ष)
                          श्रीमती किरण जायसवाल (सदस्य)

                             प्रकरण क्रमांक -सी.सी./2014/88
                             संस्थित दिनांक - 19.08.2014

लहरी आ0 विश्वनाथ उम्र 40 वर्ष, निवासी ग्राम 
रनपुरखुर्द, थाना व तहसील अम्बिकापुर, जिला 
सरगुजा (छ0ग0)===========================परिवादी 

            /विरूद्ध/

1/ शाखा प्रबंधक, दी न्यू इण्डिया,
    इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, शाखा कार्यालय सत्ततीगुड़ी
    चैक रायगढ़ (छ0ग0)

2/ शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर
    जिला सरगुजा (छ0ग0)=====================अनावेदक गण 


परिवादी द्वारा श्री अमित जायसवाल अधिवक्ता।    
अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा श्री जे0 पी0 श्रीवास्तव अधिवक्ता।
अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा श्री प्रवीण गुप्ता अधिवक्ता।
 

                              /आदेश/

(आज दिनांक 10/02/2015 को पारित किया गया)


1/        आवेदक / परिवादी श्री लहरी ने अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर से ऋ़ण प्राप्त कर क्रय की गई भैंस की बीमा अवधि में मृत्यु होने पर उसकी बीमा राशि देने से इन्कार किये जाने पर सेवा में कमी बताते हुये अनावेदक गण के विरूद्ध यह आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम प्रस्तुत किया है।

2/        आवेदक के आवेदन का संक्षेप इस प्रकार है कि आवेदक द्वारा भारतीय स्टेट बैंक अम्बिकापुर से 25000.00 (पच्चीस हजार) रू0 ऋण पर भैंस खरीदी गई थी, उक्त भैंस का बीमा अनावेदक क्रमांक 1 से कराया गया था, जिसकी बीमा अवधि दिनांक 17.12.2010 से दिनांक 16.12.2015 तक थी। आवेदक की उक्त भैंस की दिनांक 22.06.2013 को मृत्यु हो गई, जिसका पोस्ट मार्टम पशु चिकित्सालय अम्बिकापुर के चिकित्सक के माध्यम से किया गया, चिकित्सक द्वारा ही बीमित भैंस के बायें कान में लगा टैग क्रमांक 159736 / एन0 आई0 ए0 निकाला गया, जिसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ ही संलग्न किया गया था। भैंस की मृत्यु की सूचना अनावेदक क्रमांक 2 बैंक को दी गई थी। अनावेदक क्रमांक 1 दी न्यू इण्डिया, इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड सत्तीगुड़ी चैक रायगढ़ द्वारा जानबूझकर बीमित भैंस की मृत्यु उपरान्त बीमा की राशि देने से इस आधार पर इन्कार किया गया कि टैग का किसी जीवित पशु के कान से टेगिंग होना नहीं पाया गया, जो कि पाॅलिसी शर्तों का उल्लंघन है इसलिये दावा भुगतान योग्य नहीं है। जबकि अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी द्वारा पशु चिकित्सक से टेगिंग के संबंध में एक अलग पत्र जारी करते हुये अभिमत चाही गई थी, जिसमें पशु चिकित्सक द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि उसने पोस्टमार्टम के समय ही टैग निकाला है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत किया है।

3/        अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर द्वारा दिनांक 22.03.2014 को ऋण वसूली हेतु नोटिस भेजे जाने पर इस बात की जानकारी हुई कि आवेदक द्वारा पशु बीमा दावा को अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है और न ही अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा इस संबंध में आवेदक को कोई सूचना दी गई। अनावेदक गण के उक्त लापरवाही से आवेदक को आर्थिक क्षति एवं मानसिक व्यथा का सामना करना पड़ रहा है इसलिये आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की आवश्कता पड़ी। वाद कारण ग्राम रनपुरखुर्द में आवेदक को अनावेदक क्रमांक 2 से नोटिस दिनांक 22.03.2013 को प्राप्त होने पर उत्पन्न हुआ है जो इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में है। परिवाद समय सीमा के भीतर निश्चित न्याय शुल्क सहित प्रस्तुत करना बताते हुये अनावेदक क्रमांक 1 से ऋण की शेष राशि 25000.00 (पच्चीस हजार) रू0, मानसिक क्षति 5000.00 (पाॅंच हजार) रू0 तथा न्यायालयीन व्यय तथा अन्य खर्च 5000.00 (पाॅंच हजार) रू0 कुल 35000.00 (पैंतिस हजार) रू0 दिलाने एवं अनावेदक क्रमांक 1 से ही ऋण की शेष राशि भुगतान कराये जाने का निवेदन किया गया है।

4/        अनावेदक क्रमांक 1 दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड की ओर से आवेदक के अभिवचनों का विरोध करते हुये जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है, जिसका संक्षेप इस प्रकार है कि आवेदक द्वारा मनगढ़ंत कथन किये गये हैं, प्रकरण में कोई पाॅलिसी संलग्न नहीं किया गया है और न ही किसी पाॅलिसी क्रमांक का उल्लेख है। आवेदक ने कोई दावा अनावेदक क्रमांक 1 के कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया है, यदि आवेदक ने कोई बीमा दावा प्रस्तुत किया होता तो उसकी पावती तथा दावा की एक प्रति आवेदक के पास अवश्य होती। बीमा कम्पनी बीमा राशि, ऋण की शेष राशि एवं मानसिक क्षति के लिये किसी भी रूप में उत्तरदायी नहीं है, पूरा प्रकरण बीमा पाॅलिसी से संबंधित है, प्रकरण में बीमा पाॅलिसी ही पेश नहीं की गई है, अनावेदक क्रमांक 2 बैंक के द्वारा भी आवेदक का कोई बीमा दावा तथा बीमा दावा से संबंधित कोई दस्तावेज बीमा कम्पनी के कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किये गये हैं, बिना बीमा दावा प्रस्तुत किये बीमा कम्पनी कैसे कोई कार्यवाही कर सकती है। आवेदक का दावा प्रीमैच्योर है, विधि के प्रावधानों के अनुसार प्रकरण में प्रमाणन का भार आवेदक के ऊपर है, आवेदक ने बीमा पाॅलिसी प्रस्तुत न कर तथा बीमा दावा जमा करने की पावती प्रस्तुत न कर अपने दायित्व का वहन नहीं किया है, इससे आवेदक अपने आवेदन को प्रमाणित करने में पूर्ण रूप से असफल रहा है, अतः आवेदक का आवेदन सव्यय निरस्त किया जाये।

5/        अनावेदक क्रमांक 2 स्टेट बैंक आॅफ इंडिया मुख्य शाखा अम्बिकापुर की ओर से यह तो स्वीकार किया गया है कि वे परिवादी को भैंस खरीदने हेतु 25000.00 (पच्चीस हजार) रू0 ऋण की सुविधा प्रदान की थी, जिससे परिवादी भैंस क्रय किया था और भैंस का अनावेदक क्रमांक 1 से दिनांक 17.02.2010 से दिनांक 16.12.2015 तक की अवधि के लिये बीमा कराया गया था। उक्त भैंस की दिनांक 22.06.2013 को मृत्यु हो गई, जिसका पोस्टमार्टम कर चिकित्सक के द्वारा बीमित भैंस के बायें कान में लगे टैग क्रमांक 159736 / एन0 आई0 ए0 निकाला गया था और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ संलग्न किया गया है। अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा शेष अभिवचनों का विरोध करते हुये यह अभिवचन किया गया है कि उन्हें अनावश्यक रूप से प्रकरण में परेशान किया जा रहा है, जिसके लिये वह क्षतिपूर्ति पाने का हकदार है। परिवादी से उसके ऋण खाते में अभी भी आज दिनांक तक 25000.00 (पच्चीस हजार) रू0 एवं अलग से ब्याज सहित ऋण वापस लेना शेष रह गया है, यदि अनावेदक क्रमांक 1 से परिवादी को क्षति बीमा राशि दिलायी जाती है तो अनावेदक क्रमांक 2 के बैंक में परिवादी के ऋण खाते में समायोजित करने का आदेश पारित करते हुये परिवादी का परिवाद निरस्त किया जावे। 

6/        प्रकरण के विनिश्चयार्थ विचारणीय बिन्दु निम्न हैं:-

1/ क्या परिवादी अनावेदक गण का उपभोक्ता है ?

2/ क्या अनावेदक गण द्वारा परिवादी के भैंस की मृत्यु उपरान्त बीमा राशि न देकर सेवा में कमी की गई है ?    

3/ क्या परिवादी अपने आवेदन पत्र में दर्शाये अनुसार अनुतोष पाने का अधिकारी है ?

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 1/

7/        अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर के अनुसार उनसे परिवादी द्वारा ऋण प्राप्त कर भैंस क्रय की गई है, जिसका बीमा अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा किया गया है। उक्त कथनों के संबंध में अनावेदक क्रमांक 2 की ओर से पशु बीमा पाॅलिसी की फोटोकापी प्रस्तुत किया गया है, जिसके अनुसार परिवादी द्वारा क्रय की गई भैंस का बीमा दिनांक 31.12.2010 से दिनांक 30.12.2015 तक की अवधि के लिये बीमाधन 22000.00 (बाईस हजार) रू0 हेतु किया गया है। भैंस के आईडेंटी फिकेशन टैग नम्बर 159736 है और उक्त पाॅलिसी अनावेदक क्रमांक 1 दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा जारी किया गया है, जिसमें उक्त कम्पनी की सील भी लगी हुई है, जिसपर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है, अतः यह प्रमाणित है कि अनावेदक क्रमांक 2 से वित्तीय सहायता प्राप्त कर क्रय की गई भैंस की उक्त बीमा पाॅलिसी अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा जारी किया गया है। अतः परिवादी अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 का उपभोक्ता है।

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 2/

8/        अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी की ओर से परिवादी के परिवाद का इस आधार पर विरोध किया गया है कि प्रकरण में न तो पाॅलिसी पेश की गई है और न ही पाॅलिसी की क्रमांक लिखी गई है, पूरा प्रकरण बीमा पाॅलिसी से संबंधित होने पर भी बीमा पाॅलिसी प्रस्तुत नहीं है, बीमा कम्पनी के कार्यालय में आवेदक एवं अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है, अतः आवेदन प्रीमैच्योर है। बीमा दावा पेश करने की कोई पावती तक पेश नहीं की गई है इसलिये आवेदक अपने आवेदन को प्रमाणित करने में पूर्ण रूप से विफल रहा है।

9/        प्रकरण में अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा बीमा पाॅलिसी क्रमांक 45090347100400200017 की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है, जिसमें आवेदक द्वारा अनावेदक क्रमांक 2 बैंक से ऋण लेकर क्रय की गई भैंस की दिनांक 31.12.2010 से दिनांक 30.12.2015 तक की अवधि के लिये बीमाधन 22000.00 (बाईस हजार ) रू0 हेतु बीमा किये जाने का उल्लेख है तथा भैंस का टैग नम्बर 159736 है। यह भी उल्लेखनीय है कि अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा परिवादी को ऋण सुविधा प्रदान किये जाने पर भैंस परिवादी द्वारा क्रय की गई थी, और उसका बीमा कराया जाना दर्शित है, उक्त बीमा पाॅलिसी का खण्डन अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी द्वारा नहीं किया गया है।

10/        प्रकरण में प्रस्तुत मृत भैंस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्श ए-1 (पए पप), भारतीय स्टेट बैंक शाखा प्रबंधक अम्बिकापुर को भैंस मृत्यु की प्रेषित सूचना प्रदर्श ए-2, मृत भैंस की फोटो की छायाप्रति प्रदर्श ए-3, पशु दावा प्रपत्र प्रदर्श ए-4, पंचनामा प्रदर्श ए-5 से यह भी स्थापित है कि परिवादी के स्वामित्व की भैंस की दिनांक 22.06.2013 को मृत्यु हो जाने पर उसका पोस्टमार्टम किया गया था, पर उक्त किसी भी दस्तावेज में बैंक की सील नहीं लगी हुई है तथा उक्त दस्तावेज मूलतः प्रस्तुत किया गया है, तब यह स्थापित नहीं है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त दस्तावेज मृत भैंस की बीमाधन की प्राप्ति हेतु वित्त प्रदाता बैंक अनावेदक क्रमांक 2 या बीमाकर्ता बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया था। चूंकि परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 स्टेट बैंक से ऋण लेकर भैंस खरीदी है, तो भैंस की मृत्यु होने पर परिवादी अपने मृत भैंस से संबंधित उपरोक्त दस्तावेजों को अनावेदक क्रमांक 2 स्टेट बैंक के पास अवश्य प्रस्तुत किया होगा, परन्तु अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा कार्यवाही करने में कोई रूचि न लेकर दस्तावेज परिवादी को ही वापस किया जाना परिलक्षित है, जब दावा प्रपत्र ही प्रस्तुत नहीं किया जायेगा तो बीमा कम्पनी बीमाधन के संदाय हेतु कैसे कार्यवाही कर सकती है। इस तरह बीमा कम्पनी अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा सेवा में कमी अथवा व्यवसायिक कदाचरण किया जाना स्थापित नहीं हुआ है।

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 3/

11/        प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर विचारणीय बिन्दु क्रमांक 2 पर किये गये साक्ष्य विश्लेषण से यह स्थापित हो चुका है कि परिवादी अथवा अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर के द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी के समक्ष परिवादी के भैंस के मृत्यु उपरान्त बीमाधन की प्राप्ति हेतु दावा प्रपत्र ही प्रस्तुत नहीं किया गया है, तब इस फोरम के समक्ष परिवादी द्वारा परिवाद पेश करने का वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादी का परिवाद समय पूर्व अथवा अपरिपक्व है इसलिए इस स्तर पर परिवादी अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी से आवेदन में चाही गई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।

12/         चूंकि परिवादी की भैंस की मृत्यु दिनांक 22.06.2013 को हुई है, अतः परिवाद प्रस्तुत करने हेतु म्याद अवधि जून 2015 तक है। परिवादी अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष दावा प्रपत्र प्रस्तुत कर सकता है। अतः प्रकरण की सम्पूर्ण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये परिवादी को अनावेदक क्रमांक 2 के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष दावा प्रपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ परिवाद निरस्त किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।

13/        इस प्रकार उपरोक्त विवेचना के आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 अपरिपक्व होने से अस्वीकार कर यह निर्देशित किया जाता है कि परिवादी 15 दिवस के भीतर अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर के समक्ष दावा प्रपत्र प्रस्तुत करे, अनावेदक क्रमांक 2 परिवादी से दावा प्रपत्र प्राप्त कर परिवादी को पावती प्रदान करें तथा अनावेदक क्रमांक 2 परिवादी के दावा प्रपत्र अनावेदक क्रमांक 1 दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा सत्तीगुड़ी चैक रायगढ़ के समक्ष प्रस्तुत कर पावती प्राप्त करें। अनावेदक क्रमांक 1 उक्त दावा प्रपत्र प्राप्ति के 01 (एक) माह के भीतर उसका विधिवत निराकरण करेगा, तत्पश्चात यदि परिवादी संतुष्ट न हों, या व्यथित हों तो वह विधिवत सक्षम न्यायालय में कार्यवाही किये जाने के लिये स्वतंत्र रहेगा।

14/        वर्तमान मामले की परिस्थितियों में उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।


दिनांक:- 

          (बी0 एस0 सलाम)                                                                                  (किरण जायसवाल)
              अध्यक्ष                                                                                                   सदस्य
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम 
         सरगुजा, अम्बिकापुर 
             (छ0ग0)

 

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