Chhattisgarh

Surguja

CC/14/81

SHRI KRISHNA YADAV - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANAGER THE UNITED INDIA INSURANCE CO LTD AMBIKAPUR AND OTHER - Opp.Party(s)

VASHIM KHAAN

11 Feb 2015

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,सरगुजा-अम्बिकापुर (छ.ग.)

 

                             समक्ष:-  श्री बी0 एस0 सलाम (अध्यक्ष)

                                      श्रीमती किरण जायसवाल (सदस्य)

                                     

                                     प्रकरण क्रमांक - सी.सी./14/81

                                     संस्थित दिनांक - 08.09.2014

 

कृष्णा यादव आत्मज राम लखन यादव उम्र 35 वर्ष,

निवासी ग्राम मलगंवा खुर्द, थाना व तहसील अम्बिकापुर

जिला सरगुजा (छ.ग.)=====================================परिवादी

 

                              / विरूद्ध /

 

1/ शाखा प्रबंधक दि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी

    लिमिटेड शाखा कार्यालय कुमकुम होटल के बगल में

    ब्रम्ह रोड थाना तहसील अम्बिकापुर जिला सरगुजा

    (छ0ग0)

 

2/ शाखा प्रबंधक भारत स्टेट बैंक सदर रोड अम्बिकापुर

    जिला सरगुजा (छ.ग.)================================अनावेदक गण

 

=============================================

       परिवादी द्वारा श्री वसीम रजा खान अधिवक्ता।

       अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा श्री प्रशांत त्रिपाठी अधिवक्ता।

       अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा श्री प्रवीण गुप्ता अधिवक्ता।

==============================================

                                / आदेश /

 

(आज दिनांक 11/02/2015  को पारित किया गया।)

 

1/                            आवेदक/परिवादी ने भारतीय स्टेट बैंक अम्बिकापुर से वित्तीय सहायता प्राप्त कर क्रय की गई भैंस की बीमा अवधि में दिनांक 25.09.2013 को मृत्यु हो जाने पर भैंस की मृत्यु उपरान्त बीमा दावा की राशि देने से इन्कार किये जाने पर अनावेदक गण से भैंस की बीमा राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0 तथा उस पर 9 (नौ) प्रतिशत वार्षिक ब्याज, आर्थिक, मानसिक क्षति 5000.00 (पाॅंच हजार) रू0 और वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क दिलाने हेतु अनावेदक गण के विरूद्ध आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम प्रस्तुत किया है।

2/                            उल्लेखनीय तथ्य यह है कि परिवादी ने भारतीय स्टेट बैंक अम्बिकापुर से ऋण प्राप्त कर एक भैंस दिनांक 14.01.2012 को क्रय किया है, जिसका ऋण खाता क्रमांक 32130767959 है। उक्त भैंस का बीमा दिनांक 14.01.2012 को प्रीमियम राशि 3750.00 (तीन हजार सात सौ पचास) रू0 प्राप्त कर दि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा दिनांक 14.01.2012 से दिनांक 13.01.2017 तक के लिये किया गया है।

3/                            स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवादी के आवेदन पत्र का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा भारतीय स्टेट बैंक सदर रोड अम्बिकापुर से ऋण प्राप्त कर क्रय की गई दुधारू भैंस का दि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा दिनांक 14.01.2012 से दिनांक 13.01.2017 तक के लिये बीमा किया गया है और उक्त बीमा अवधि के भीतर दिनांक 25.09.2013 को अचानक बीमार पड़ने के कारण भैंस की मृत्यु हो गई, जिसकी सूचना अनावेदक गण को दी गई। मृत भैंस का पी0 एम0 किया गया, उसकी भी सूचना अनावेदक गण को दी गई और पशु बीमा दावा प्रपत्र भरकर समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करते हुये दस्तावेजों सहित बीमा कम्पनी को दी गई, किन्तु बीमा कम्पनी द्वारा दावा राशि का भुगतान नहीं किया गया, जिससे बैंक का ऋण व ब्याज बढ़ता चला जा रहा है, कई बार लिखित एवं मौखिक निवेदन किया गया एवं अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी भेजी गई फिर भी दावा राशि का भुगतान नहीं करने के कारण समय सीमा के अन्दर आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की आवश्कता पड़ी। अनावेदक गण द्वारा दावा का निराकरण न कर एवं दावा राशि संदाय न करना व्यवसायिक कदाचरण एवं सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। अतः अनावेदक गण से बीमा राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0, उस पर 9 (नौ) प्रतिशत वार्षिक ब्याज, आर्थिक, मानसिक क्षति 5000.00 (पाॅच हजार) रू0 और वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क दिलाने का निवेदन किया गया है।

4/                            अनावेदक क्रमांक 1 दि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड की ओर से परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है, जिसका संक्षेप स्वीकृत तथ्यों को छोड़कर इस प्रकार है कि पशु पहचान चिन्ह टैग नम्बर 43599 बीमा पाॅलिसी की शर्तों के तहत बीमाधन 20000.00 (बीस हजार) रू0 हेतु आवेदक के नाम से बीमित है। आवेदक द्वारा बैंक के माध्यम से बीमा कम्पनी को दावा प्रपत्र उपलब्ध कराया गया था, जो पूर्ण रूप से भरा हुआ नहीं था, बैंक का प्रमाणपत्र रिक्त था, जिससे दावा फार्म मूलतः बैंक को वापस किया गया था तथा पत्र दिनांक 19.08.2014 को अनावेदक क्रमांक 2 को पत्र प्रेषित कर दावा फार्म पूर्णतः भरकर एवं पशु चिकित्सक द्वारा जारी रिटैगिंग प्रमाणपत्र की मूल प्रति उपलब्ध कराने हेतु लिखा गया था, परन्तु उपरोक्त पत्र के पालन में आवेदक एवं अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, जो बीमा पाॅलिसी का घोर उल्लंघन है। उपरोक्त कारण से दावे का अंतिम निराकरण अनावेदक क्रमांक 1 नहीं कर सके हैं, अतः परिवादी का दावा फोरम हेतु मैच्योर न होकर चलने योग्य नहीं है। रिटैग 45029 लगाने की सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दी गई इसलिये उपरोक्त टैग मान्य नहीं है। अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, आवेदक द्वारा ही दावे को विलंबित करने के कारण दावा का निराकरण नहीं हुआ है, जिसके लिये बीमा कम्पनी दोषी नहीं है। बीमा कम्पनी से आवेदक कोई भी रकम पाने का अधिकारी नहीं है, परिवादी का परिवाद चलने योग्य न होकर निरस्त किये जाने योग्य है।

5/                            स्वीकृत तथ्यों को छोड़कर अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा अम्बिकापुर द्वारा प्रस्तुत जवाब दावा का संक्षेप इस प्रकार है कि उससे आवेदक ने ऋण प्राप्त कर भैंस क्रय किया था। परिवादी के ऋण खाते में अभी भी आज दिनांक तक 20000.00 (बीस हजार) रू0 एवं अलग से ब्याज सहित ऋण वापस लेना शेष रह गया है। परिवादी का परिवाद बीमा राशि के भुगतान से संबंधित है, जिसका भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा किया जाना है न कि भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा अम्बिकापुर से, अनावेदक क्रमांक 2 बैंक को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है, जिसके लिये क्षतिपूर्ति पाने का हकदार है, यदि न्यायालय द्वारा बीमा कम्पनी से परिवादी को क्षतिपूर्ति बीमा राशि दिलाई जाती है तो बैंक में परिवादी के ऋण खाते में समायोजित करने का आदेश पारित किया जावे। उपरोक्त जवाब के आधार पर अनावेदक क्रमांक 2 बैंक के पक्ष में शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत शिकायत आवेदन निरस्त की जावे।

6/                            प्रकरण के विनिश्चयार्थ विचारणीय बिन्दु निम्न हैं:-

1/ क्या अनावेदक गण द्वारा सेवा में कमी या व्यवसायिक कदाचरण किया गया है ?

2/ क्या परिवादी अनावेदक गण से आवेदन पत्र में दर्शाये अनुसार अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 1/

7/                            परिवादी ने भारतीय स्टेट बैंक अम्बिकापुर से ऋण प्राप्त कर एक भैंस दिनांक 14.01.2012 को क्रय किया है, जिसका ऋण खाता क्रमांक 32130767959 है। उक्त भैंस का बीमा दिनांक         14.01.2012 को प्रीमियम राशि 3750.00 रू0 प्राप्त कर दि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा दिनांक 14.01.2012 से दिनांक 13.01.2017 तक के लिये किया गया है, उपरोक्त तथ्य प्रकरण में विवादित नहीं हैं। वित्त प्रदाता बैंक द्वारा परिवादी से ब्याज प्राप्त कर उसे ऋण की सुविधा प्रदान किया गया है तथा प्रीमियम राशि प्राप्त कर बीमा कम्पनी द्वारा बीमा सुविधा प्रदान की गई है। अतः अभिलेख के उपरोक्त स्वीकृत तथ्यों से ही यह स्थापित है कि परिवादी अनावेदक गण का उपभोक्ता है।

8/                            परिवादी कृष्णा यादव ने अपने परिवाद के समर्थन में साक्ष्य स्वरूप स्वयं का शपथपत्र प्रस्तुत कर क्रमांक 1 लगायत 6 तक के दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं, जिसके परिशीलन से यह दर्शित है कि उनके द्वारा बैंक से ऋण प्राप्त कर क्रय की गई भैंस का बीमा कम्पनी द्वारा बीमा किया गया है और बीमा अवधि में ही उक्त भैंस की दिनांक 25.09.2013 को मृत्यु होने पर उसी दिनांक को मृत भैंस के पंचनामा प्रदर्श ए-5 की कार्यवाही गांव के उपस्थित लोगों के समक्ष की गई थी, प्रदर्श ए-1 का पत्र दिनांक 29.10.2013 को बैंक द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी को टैग नम्बर, मृत भैंस के फोटो व उसके निगेटिव्ह, दावा प्रपत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा आवेदक द्वारा बैंक को लिखे गये पत्र सहित प्रेषित किया गया था, किन्तु पशु बीमा दावा प्रपत्र प्रदर्श ए-2 के पृष्ठ भाग पर बैंक का प्रमाणपत्र पूर्ण नहीं किया गया है इसलिये बीमा कम्पनी के अभिवचनों के अनुसार उक्त दावा प्रपत्र सम्पूर्ण दस्तावेजों सहित पुनः अनावेदक क्रमांक 2 बैंक को वापस किया गया है, इसकी पुष्टि बीमा कम्पनी द्वारा बैंक को लिखे गये पत्र दिनांक      19.08.2014 की छाया प्रति से भी हुई है।

9/                            परिवादी के भैंस की मृत्यु दिनांक 25.09.2013 को हुई है और दस्तावेजों सहित प्रदर्श ए-1 के पत्र के साथ दिनांक 19.10.2013 को अनावेदक क्रमांक 2 बैंक द्वारा बीमा कम्पनी अनावेदक क्रमांक 1 को दावा प्रपत्र प्रेषित किया गया है, किन्तु 09 (नौ) माह तक उक्त दावा प्रपत्र पर कोई कार्यवाही अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी द्वारा नहीं की गई, इस विलम्ब का कोई कारण भी बीमा कम्पनी के पास नहीं है और अत्यंत विलम्ब से दिनांक 19.08.2014 को बैंक का प्रमाणपत्र एवं रिटैगिंग प्रतिवेदन डाॅक्टर का न होने के आधार पर वापस किया गया है, बिना कोई कार्यवाही किये 09 (नौ) माह तक बिना कारण के दावा को विलंबित रखने से भी यह दर्शित है कि बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी की गई है। चूंकि अभिलेख के अनुसार बैंक से ऋण प्राप्त करके ही परिवादी द्वारा भैंस क्रय की गई है और उसी भैंस का अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कम्पनी द्वारा प्रदर्श ए-4 के बीमा प्रपत्र अनुसार बीमा किया गया है, जिसका पशु पहचान टैग नम्बर 43599 प्रदर्श ए-4 में उल्लेखित है। जब भैंस का बीमा किया जाना विवादित नहीं है, तब दावा प्रपत्र लम्बे समय तक बीमा कम्पनी द्वारा विलंबित रखना उचित नहीं था। जहाॅं तक टैग नम्बर में भिन्नता का प्रश्न है ? बीमा कम्पनी को ही प्रमाणित करना था कि उनके द्वारा बीमा किये गये भैंस की मृत्यु न होकर किसी अन्य भैंस का दावा परिवादी द्वारा किया जा रहा है, परन्तु ऐसा प्रमाणित नहीं किया गया है। टैग नम्बर यदि बदला भी गया होगा तो चूंकि भैंस बैंक से ऋण प्राप्त करके क्रय की गई थी, तब टैग नम्बर बदलने से संबंधित दस्तावेज बैंक के पास होना चाहिये, परिवादी के पास टैग बदलने संबंधी दस्तावेज होता तो वह प्रस्तुत कर सकता था। इसके लिये परिवादी का दावा अस्वीकार करने का कोई समुचित कारण नहीं है, क्योंकि प्रकरण में परिवादी के बीमाकृत भैंस की ही मृत्यु बीमा अवधि में होना प्रमाणित है। अतः उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर परिवादी के बीमा दावा का निराकरण न कर एवं बीमा राशि संदाय न कर सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित है।

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 2/

10/                         अभिलेख में उपलब्ध अवलम्बनीय साक्ष्य के आधार पर विचारणीय बिन्दु क्रमांक 1 पर किये गये विश्लेषण के अनुसार परिवादी अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध अपना प्रकरण प्रमाणित करने में सफल रहा है, अतः परिवादी बीमाधन राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0 पाने का अधिकारी है। इस तरह परिवादी का यह आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम स्वीकार योग्य है।

                                परिणामतः आवेदक का आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम स्वीकार कर यह आदेश दिया जाता है:-

1/ अनावेदक क्रमांक 1 दि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा अम्बिकापुर 45 दिवस के भीतर अनावेदक क्रमांक 2 बैंक से सम्पूर्ण दस्तावेज प्राप्त कर भैस की बीमा राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0, परिवादी की मानसिक क्षति 1000.00 (एक हजार) रू0 एवं उस पर आवेदन दिनांक 08.09.2014 से 6 (छैः) प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को संदाय कर देवें।

2/ अनावेदक क्रमांक 1 स्वयं के तथा परिवादी के भी व्यय 1000.00 (एक हजार) रू0 वहन करेगा, जिसमें अधिवक्ता शुल्क भी शामिल है।

3/ अनावेदक क्रमांक 2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा अम्बिकापुर के विरूद्ध प्रकरण प्रमाणित नहीं है, अतः अनावेदक क्रमांक 2 के प्रति परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है।

                 

दिनांक  ..........................

 

           (बी0 एस0 सलाम)                                                                                                            (श्रीमती किरण जायसवाल) 

                अध्यक्ष,                                                                                                                                   सदस्य               

 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम  

        सरगुजा-अम्बिकापुर                               

              (छ.ग.)   

 

 

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