Ram charan meena filed a consumer case on 19 Jan 2016 against Branch Manager, The New lndia Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/172/2012 and the judgment uploaded on 20 Jan 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या- 172 /12
रामचरण मीना पुत्र श्याम लाल उम्र 41 वर्ष जाति मीणा निवासी 4-बी-2 अटवाल नगर, कोटा । -परिवादी।
बनाम
शाखा प्रबंधक, दी न्यू इंडिया एश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड उद्योग मार्थ, कोटा, राजस्थान।
-विपक्षीगण
समक्ष
भगवान दास - अध्यक्ष
महावीर तंवर - सदस्य
हेमलता भार्गव - सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1 श्री जगमोहन मालव, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 श्री आर0सी. कुल्मी, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से।
निर्णय दिनांक 19.01.16
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उनका संक्षेप में यह दोष बताया है कि विपक्षी बीमा कंपनी से वाहन (मोटर साइकिल) आर.जे.20 एस.डी. 8732 का बीमा निर्धारित प्रीमियम अदा करके कराया था जिसकी पालिसी संख्या 330901/31/10/01/00009957 जारी की थी। बीमा अवधि में उक्त वाहन 16.01.11 को मल्टीपरपज स्कूल, गुमानपुरा कोटा से चोरी हो गया, तलाश करने पर नहीं मिला, जिसकी रिपोर्ट 19.01.11 को पुलिस थाना गुमानपुरा, कोटा में कराई गई। विपक्षी बीमा कंपनी को भी सूचना दी गई तथा क्लेम प्रस्तुत किया गया। विपक्षी कंपनी ने मनमाने व गलत रूप से क्लेम खारिज कर दिया। विपक्षी कंपनी को नोटिस भेजा गया, फिर भी सुनवाई नहीं की गई। क्लेम खारिज करने से उसे आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक संताप हुआ।
विपक्षी बीमा कंपनी के जवाब का सार है कि परिवादी ने पालिसी की शर्तो के अनुसार वाहन चोरी की तत्काल सूचना नहीं दी अपितु नौ माह बाद सूचना दी, इस प्रकार पालिसी की शर्त का उल्लधंन किया गया, इसलिये नियमानुसार परिवादी का क्लेम स्वीकार्य नहीं होने से खारिज किया गया। इससे पूर्व परिवादी को दो पत्र भेजकर स्पष्टीकरण भी मांगा गया, लेकिन उसका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया गया, उसने स्पष्टीकरण के समर्थन में कोई सबूत भी नहीं दिया। परिवादी का क्लेम खारिज करके सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा पुलिस में दर्ज कराई गई रिपोर्ट, पुलिस द्वारा प्रस्तुत एफ.आर., उसे न्यायालय द्वारा स्वीकार किये जाने के आदेश, आर.सी., बीमा पालिसी, विपक्षी बीमा कंपनी से प्राप्त पत्र, उनको प्रेषित स्पष्टीकरण, क्लेम खारजी पत्र आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हंै।
विपक्षी बीमा कपंनी ने साक्ष्य में वरिष्ठ मंडल प्रबंधक रमेश नाग एवं इन्वेस्टीगेटर सी.पी.मित्तल के शपथ-पत्रों के अलावा परिवादी द्वारा दी गई सूचना, क्लेम फार्म, इन्वेस्टीगेटर की रिपोर्ट, परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 21.01.12,06.02.12 पालिसी मय शर्त आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हैं।
हमने दोनों पक्षांें की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 15.03.12 से यह सूचित किया है कि उनके पत्र दिनांक 21.01.12,06.02.12 व 29.02.12 के तहत स्पष्टीकरण व औपचारिकताएॅं पूर्ण करने हेतु कहा गया था लेकिन संतोषजनक प्रतिउत्तर नहीं दिया, औपचारिकताएॅं भी पूरी नहीं की गई। दावा पत्रावली को लम्बे समय तक खुला नहीं रखा जा सकता, इसलिये दावा पत्रावली “नो क्लेम” करके बंद किया जाता है। इस संदर्भ में विपक्षी बीमा कंपनी के पत्र दिनांक 29.02.12 का उल्लेख करना भी आवश्यक है, इस पत्र में विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी को सूचित किया है कि उसके स्पष्टीकरण दिनांक 21.02.12 से वह संतुष्ट नहीं है, उसने पालिसी की शर्त सं. 1 का उल्लधंन किया है। फिर भी यदि वह दावे का कम्प्रोमाईज के आधार पर निपटारा कराना चाहता है तो वांछित औपचारिकताएॅं, पत्र प्राप्ति के 3 दिवस के अन्दर पूर्ण करे। इन औपचारिकताओं में परिवादी को सूचित किया गया कि वह 15,339/- रूपये पर दावे को निपटाने हेतु अपना सहमति पत्र प्रस्तुत करे इसके अलावा वाहन की मूल चाबियाॅं,मूल पालिसी, आर.सी. आदि अन्य दस्तावेज भी प्रस्तुत करे। इससे यह स्पष्ट होता है कि पालिसी की शर्त का उल्लधंन होने के बावजूद भी यदि परिवादी उक्त पत्र के अनुसार औपचारिकताएॅं पूरी कर देता है तब विपक्षी कंपनी परिवादी के बीमित वाहन की चोरी के क्लेम पेटे उसे 15,339/- रूपये अदा करने को सहमत थी। विपक्षी कंपनी ने अन्त में पत्र दिनांक 15.03.09 से इस आधार पर पत्रावली बंद कर दी कि उसने वांछित औपचारिकताएॅं पूर्ण नहीं की। परिवाद के जवाब में विपक्षी बीमा कंपनी ने वाहन चोरी के संबंध में तत्काल सूचना नहीं देने के कारण शर्त का उल्लधंन हो जाने के फलस्वरूप क्लेम को खारिज करना बताया है। इस संबंध में उनकी ओर से न्यायिक दृष्टान्त न्यू इंडिया एश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड बनाम त्रिलोचनजने पअ ख्2012, ब्ण्च्ण्श्रण् 441 ख् छ ब्, को भी उद्त किया गया है उसमें माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने यह व्यवस्था दी है कि पालिसी की शर्त के अनुसार वाहन चोरी की सूचना नही देना तथा इसमें विलम्ब करना पालिसी की शर्त का उल्लधंन है। यद्यपि प्रस्तुत मामलें में भी परिवादी ने वाहन चोरी होने की तत्काल सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को नहीं दी है, लेकिन इसके बावजूद विपक्षी बीमा कंपनी ने अपने पत्र दिनांक 29.02.12 से परिवादी के क्लेम को समझौते के आधार पर निपटारा करने का उसे प्रस्ताव दिया, हेतु नियत समय में सहमति नही देने व वांछित औपचारिकताएॅं पूरी नही करने पर दावा पत्रावली बंद की गई। इसलिये हम पाते हंै कि यद्यपि विपक्षी बीमा कंपनी का सेवादोष नहीं है लेकिन विपक्षी बीमा कंपनी को उनके समझौता प्रस्ताव के अनुसार परिवादी के बीमित वाहन की चोरी के क्लेम पेटे उसके द्वारा वांछित औपचारिकताऐ पूर्ण करने पर विपक्षी कंपनी द्वारा परिवादी को राशि अदा करने के निर्देश दिया जाना उचित है।
आदेश
अतः विपक्षी बीमा कंपनी को निर्देश दिया जाता है कि यदि परिवादी द्वारा उसके बीमित वाहन के क्लेम पेटे उनके पत्र दिनांक 29.02.12 के अनुसार वांछित औपचारिकताएॅं दो माह के अंदर पूरी करके विपक्षी बीमा कंपनी को रजिस्टर्ड डाक से सूचित कर दिया जाता है तो इसके पश्चात एक माह के अन्दर परिवादी को विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा उक्त पत्र के अनुसार परिवादी को क्लेम पेटे 15,339/- रूपये की अदायगी की जावे। परिवादी मानसिक संताप पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (हेमलता भार्गव) ( भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 19.01.16 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
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