Chhattisgarh

Koriya

CC/14/56

KAMLESH TIWARI - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANAGER THE NEW INDIA INSURANCE COMPANY OF LTD. - Opp.Party(s)

SHRI. K.M. GARG, DHARMESH TIWARI

11 Mar 2015

ORDER

आदेश
( आज दिनांक 11.03.2015 को पारित )
द्वाराः- विमलकांत गुप्ता- सदस्य

01.        परिवादी ने सेवा में कमी का अभिकथन करते हुये यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 के अंतर्गत परिवादी द्वारा क्रय किये गय स्कार्पियों वाहन क्रमांक एम.पी. 18 डी- 0590 जिसका चेचिस नंबर 42 ए 62405 है, के दुर्घटनाग्रस्त होने के परिणाम स्वरूप वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने के कारण बीमा धन रूपये 2,20,000,/-           (दो लाख बीस हजार रूपये) एवं मानसिक क्षति के मद में रूपये 50,000/-  (पचास हजार रूपये) तथा उक्त राषि पर आवेदन तिथि से 12 प्रतिषत वार्षिक ब्याज एवं वाद व्यय दिलाये जाने हेतु् प्रस्तुत किया है।     

02.        परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 21.06.2013 को बुधिया आटो एसोसियेट्स प्राइवेट लिमिटेड से एक महेन्द्रा स्कार्पियो वाहन क्रमांक एम.पी. 18 डी- 0590 जिसका चेचिस नंबर 42 ए - 62405 है, को रूपये 2,20,000/- में क्रय किया था। जो दिनांक  01.03.2013 से दिनांक 28.02.2014 तक के लिये विरोधी पक्षकार के यहांॅ बीमित थी। जिसका पांलिसी क्रमांक- 45200131120100014881 है। परिवादी ने अपने स्वामित्व की उक्त संर्दर्भित महेन्द्रा स्कार्पियो जब क्रय किया था उस वक्त स्कार्पियो वाहन बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी आ0 रमाषंकर द्विवेदी के नाम से पंजीकृत थी। दिनांक 10.08.2013 को परिवादी अपने मित्रों के साथ अमृतधारा घूमने गया हुआ था, अमृतधारा से मनेन्द्रगढ़ वापस आते समय ग्राम लाई के पास परिवादी की उक्त संर्दर्भित वाहन मवेषियों के सामने आ जाने के कारण उन्हें बचाने के दौरान वाहन अनियंत्रित होकर रोड के नीचे पलट गई और वाहन क्षतिग्रस्त हो गई। परिवादी की उक्त संर्दर्भित वाहन बीमा अवधि में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। जिसकी सूचना परिवादी ने दिनांक 10.08.2013 को पोड़ी थाना अंतर्गत पुलिस सहायता केन्द्र नागपुर में लिखित में दी थी और परिवादी ने उक्त दुर्घटना की जानकारी विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी को भी दिया था जिस पर विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी ने परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन का स्पाट सर्वे भी सर्वेयर को भेजकर कराया था। सर्वेयर ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन में आई क्षतियों का भी आंकलन किया था कि परिवादी का वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।

03.        परिवादी ने विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी से सर्वेयर के सर्वे के पष्चात् स्कार्पियों वाहन में आई क्षतियों के आंकलन के पष्चात् रूपये 2,50,000/- बीमा धन प्राप्त करने हेतु समस्त दस्तावेजों के साथ अपना बीमा दावा विरोधी पक्षकार के समक्ष प्रस्तुत किया था किन्तु विरोधी पक्षकार ने परिवादी के दावे का निराकरण नहीं किया। जो विरोधी पक्षकार द्वारा परिवादी की सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के दावे का निराकरण नहीं किये जाने पर पुनः दिनांक 19.07.14 को दावे से संबंधित समस्त दस्तावेजों को संलग्न कर बीमा धन प्राप्त करने हेतु पंजीकृत डाक से दावा प्रस्तुत किया था परन्तु विरोधी पक्षकार द्वारा इस पर भी ध्यान नहीं दिये जाने पर परिवादी ने दिनांक 04.09.14 को स्मरण पत्र के माध्यम से संबंधित समस्त दस्तावेज संलग्न कर प्रस्तुत किया था, बावजूद इसके विरोधी पक्षकार द्वारा परिवादी के निवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई तब परिवादी ने दिनांक 07.10.2014 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से विरोधी पक्षकार को पंजीकृत डाक के माध्यम से दावा निराकरण हेतु सूचना प्रेषित कराया परन्तु विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। विरोधी पक्षकार द्वारा विधि विरूद्व कार्यवाही किये जाने से और परिवादी के दावे को निराकृत न किया जाकर घोर लापरवाही की जा रही है। जिसे परिवादी ने इस फोरम के समक्ष आर्थिक एवं स्थानीय क्षेत्राधिकार में होने से यह परिवाद इस फोरम के समक्ष विरोधी पक्षकार के विरूद्व प्रस्तुत किया है।   

04.     विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी ने अपने लिखित कथन में यह अभिकथित किया है कि विरोधी पक्षकार द्वारा उपरोक्त संर्दर्भित वाहन क्रमांक एम.पी. 18 डी- 0590 बीमाधारी श्री बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी आत्मज श्री रमाषंकर द्विवेदी के वाहन का बीमा दिनांक 01.03.2013 से दिनांक           28.02.2014 तक की अवधि हेतु आई.डी.व्ही. 2,50,000/- रूपये के तहत् किया गया है, परिवादी कमलेष तिवारी के नाम पर कोई बीमा नहीं किया गया है और न ही कमलेष तिवारी /परिवादी विरोधी पक्षकार का उपभोक्ता है। बीमा पांलिसी के अनुसार उपरोक्त संर्दर्भित वाहन का स्वामी बीमाधारी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी है। परिवादी ने यदि बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी से उक्त वाहन क्रय किया है तो कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखानुसार इसकी जानकारी विरोधी पक्षकार को नहीं है। वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी प्राप्त होने पर वाहन का स्पाट सर्वे कराया गया था जिसमें वाहन सामान्य रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी और इसके संबंध में विरोधी पक्षकार ने बीमाधारी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी से पत्राचार कर वाहन का मूल रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने हेतु मांग किया था परन्तु बिजेन्द्र कुमार द्विवेद द्वारा वाहन का मूल पंजीयन प्रमाण- पत्र कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादी इस विरोधी पक्षकार का उपभोक्ता नहीं है। अतः विरोधी पक्षकार द्वारा परिवादी की सेवा में कमी का कोई प्रष्न ही उत्पन्न नहीं होता। विरोधी पक्षकार ने परिवादी की सेवा में कोई घोर उपेक्षा नहीे कि है और न ही कोई सेवा में कमी की है। चूंकि परिवादी विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी का उपभोक्ता नहीं है परिवादी से विरोधी पक्षकार का कोई संव्यवहार नहीं हुआ है इसलिये परिवादी को विरोधी पक्षकार द्वारा जवाब दिये जााने की कोई आवष्यकता नहीं है।

05.      विरोधी पक्षकार ने अपने अतिरिक्त कथन में यह भी अभिकथित किया है कि परिवादी द्वारा जो संर्दर्भित वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र की फोटो प्रति दस्तावेज ए-04 के रूप में चिन्हित किया है उससे स्पष्ट है कि उक्त संर्दर्भित वाहन परिवादी कमलेष तिवारी के नाम पर दिनांक 22.08.2013 को क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अनुपपुर द्वारा स्थानान्तरण हुआ है और कथित दुर्घटना दिनांक 10.08.2013 का है जिससे स्पष्ट है कि दुर्घटना दिनांक को वाहन का पंजीकृत स्वामी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी था। अतः मोटर यान अधिनियम एवं बीमा शर्तो व नियम के अनुसार परिवादी किसी भी प्रकार का दावा करने का अधिकारी नहीं है। चूंकि बीमा पांलिसी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी के नाम पर जारी हुई है। परिवादी ने बीमा पांलिसी का स्थानान्तरण अपने नाम का नहीं कराया है। अतः मोटरयान अधिनियम की धारा- 157 (2) के अंतर्गत यदि बीमा पांलिसी स्थान्तरित नहीं होती है तो बीमा पांलिसी की शर्तो का उल्घंन है और वाहन क्षति का दावा वाहन का क्रेता प्राप्त करने की पात्रता नहीं रखता है। विरोधी पक्षकार द्वारा दिनांक 04.03.14 एवं दिनांक  22.04.2014 को पंजीकृत डाक द्वारा बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी को वाहन का मूल रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र बीमा कार्यालय में प्रस्तुत करने हेतु लिखा गया था जिस कारण दावा निरस्त किया गया है। अतः परिवादी का यह परिवाद सव्यय खारिज किये जाने का निवेदन किया गया है।  

06.        परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना औपचारिक शपथ-पत्र दिनांक 20.11.2014 एवं साक्ष्य स्वरूप शपथ-पत्र दिनांक 07.01.15 तथा सूची अनुसार दस्तावेज क्रमांक ए-01 से ए-12  प्रस्तुत किया गया है। वही विरोधी पक्षकार की ओर लिखित कथन एवं लिखित कथन के समर्थन में आर.के.आचार्य का शपथ-पत्र दिनांक            30.01.2015 एवं सूची अनुसार दस्तावेज क्रमांक डी-01 से दस्तावेज क्रमांक डी-03 प्रस्तुत किया गया है।  

07.    परिवादी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक ए-01 परिवादी का पत्र दुर्घटना की सूचना पुलिस सहायता केन्द्र नागपुर को दिनांक 10.08.13 की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-02 बीमा पांलिसी दो पन्नों में, की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-03 वाहन बिक्री इकरारनामा दिनांक 18.07.2013 की छाया प्रति,  दस्तावेज क्रमांक ए-04 वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र की छाया प्रति,  दस्तावेज क्रमांक ए-05 परिवादी का दावापत्र दिनांक          19.07.2014 की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-06 परिवादी का स्मरण पत्र दिनांक 25.08.2014 की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-07 परिवादी का विधिक सूचना पत्र दिनांक 07.10.2014 की पावती की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-08 विधिक सूचना दिनांक 07.10.2014 की पावती की छाया प्रति दस्तावेज क्रमांक ए-09 परिवादी के दावा पत्र रजिस्टर्ड डाक की रसीद की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-10 स्मरण पत्र के रजिस्टर्ड डाक की रसीद की छाया प्रति, दस्तावेज क्रमांक ए-11 दुर्घटनाग्रस्त वाहन स्कार्पियों एम.पी. 18 डी 0590 के फोटोग्राफस की मूल प्रति 04 नग में तथा दस्तावेज क्रमांक ए-12 वाहन क्षति के स्टीमेट की छाया प्रति 06 पन्नों में प्रस्तुत किये गये हैं।

08.      विरोधी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक डी- 01 बीमा पांलिसी श्री विजेन्द्र कुमार द्विवेदी के नाम का फोटो प्रति दिनांक 01.03.2013 से 28.02.2014 02 प्रति में ,दस्तावेज क्रमांक डी-02 दि0 न्यू0 इंडिया इंष्योंरेस कं0 लि0 का पत्र दिनांक 04.03.14 जो श्री विजेन्द्र कुमार द्विवेदी को भेजा गया के कार्यालयीन की छाया प्रति 01 प्रति में, दस्तावेज क्रमांक डी-03 दि.न्यू. इंडिया इंष्योरेंस का पत्र दिनांक 22.04.2014 जो श्री विजेन्द्र कुमार द्विवेदी को भेजा गया कार्यालयीन की छाया प्रति 01 प्रति में प्रस्तुत किये गये हैं।    

09.        परिवादी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक ए-01 वह दस्तावेज है जो दुर्घटना की सूचना पुलिस सहायता केन्द्र नागपुर को दुर्घटनाग्रस्त वाहन की दी गई है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि परिवादी की वाहन दिनांक 10.08.2013 को अमृतधारा से मनेन्द्रगढ़ जाने के समय करीब 4.45 बजे ग्राम लाई के पास अचानक मवेषी आ जाने से बचाते समय गाड़ी रोड से नीचे उतरकर पलट गई जिसके कारण गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई और इस घटना पर परिवादी कोई कार्यवाही नहीं चाहता है। दस्तावेज क्रमांक ए-02 वाहन का बीमा पांलिसी है जो बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी के नाम पर बीमित है। दस्तावेज क्रमांक ए-03 वाहन बिक्री का इकरारनामा है जो बुधिया आटो ऐसेसियेटस प्राइवेट लि0 मनेन्द्रगढ़ की ओर से अजीत सिंह एवं परिवादी कमलेष कुमार तिवारी के नाम पर दिनांक 18.03.13 को निष्पादित हुई है। दस्तावेज क्रमांक ए-04 गाड़ी का पंजीयन प्रमाण पत्र है जो कमलेष कुमार तिवारी के नाम पर दिनांक 22.08.2013 को अनुपपुर आर0टी0ओ0 द्वारा स्थानान्तरित हुआ है। दस्तावेज क्रमांक ए-05 परिवादी द्वारा विरोधी पक्षकार को दावे के संबंध में लिखा गया पत्र है, दस्तावेज क्रमांक ए-06 स्मरण पत्र है, दस्तावेज क्रमांक ए-07 विधिक सूचना है। जिनके अवलोकन से यह दर्षित होता है कि परिवादी की उक्त संर्दर्भित वाहन जो बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी के नाम पर बीमित थी, दिनांक 10.08.2013 को ग्राम लाई के निकट दुर्घटनाग्रस्त हुई थी अविवादित है।
 
10.        परिवादी के अधिवक्ता ने अपने मौखिक तर्क में यह निवेदन किया है कि परिवादी की उक्त संर्दर्भित क्षतिग्रस्त/दुर्घटनाग्रस्त स्कार्पियो वाहन क्रमांक एम.पी 18 डी- 0590 जो विरोधी पक्षकार के यहांॅ पर दिनांक          01.03.2013 से दिनांक 28.02.2014 तक के लिये बीमित थी और जो दिनांक 28.10.2013 को बीमित अवधि में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। जिसका बीमा धन रूपये 2,20,000/- (दो लाख बीस हजार रूपये ) भुगतान न कर विरोधी पक्षकार ने परिवादी की सेवा में कमी की है जिससे परिवादी को काफी मानसिक क्षति/पीड़ा हुइ्र्र है और विरोधी पक्षकार परिवादी को उसकी सेवा में कमी के दायित्वाधीन हैं। अतः विरोधी पक्षकार से परिवादी को उसके क्षतिग्रस्त वाहन का बीमाधन रूपये 2,20,000/- (दो लाख बीस हजार रूपये), मानसिक क्षति के मद में रूपये 50,000/- (पचास हजार रूपये) एवं उक्त राषि पर आवेदन तिथि से 12 प्रतिषत वार्षिक की दर से ब्याज दिलाया जाना उचित होगा।   

11ण्        विरोधी पक्षकार की ओर से अपने तर्क में यह प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी की जिस संर्दर्भित वाहन का बीमा धन भुगतान हेतु विरोधी पक्षकार को परिवादी आरोपित कर रहा है उक्त संर्दर्भित वाहन का मालिक श्री विजेन्द्र कुमार द्विवेदी आ0 रमाषंकर द्विवेदी है जिसके वाहन का बीमा दिनांक 01.03.2013 से दिनांक 28.02.2014 तक की अवधि के लिये आई.डी.व्ही. रूपये 2,50,000/- के तहत् किया गया है। परिवादी कमलेष तिवारी के नाम पर कोई बीमा नहीं किया गया है और न ही कमलेष तिवारी विरोधी पक्षकार का उपभोक्ता है। बीमा पांलिसी के अनुसार संर्दर्भित वाहन का स्वामी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी है। बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी से परिवादी ने यदि उक्त वाहन क्रय किया है तो कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखानुसार इसकी जानकारी विरोधी पक्षकार को नहीं है। विरोधी पक्षकार को सूचना प्राप्त होने पर विरोधी पक्षकार ने क्षतिग्रस्त वाहन का स्पाट सर्वे कराया था जिसमें वाहन सामान्य रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी। जिसके संबंध में विरोधी पक्षकार ने बीमाधारी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी से पत्राचार कर वाहन का मूल रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की मांग की थी परन्तु बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी द्वारा वाहन का मूल पंजीयन प्रमाण पत्र कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी विरोधी पक्षकार बीमा कंपनी का उपभोक्ता नहीं है। इस कारण विरोधी पक्षकार द्वारा परिवादी की सेवा में कमी का कोई प्रष्न ही उत्पन्न नहीं होता। परिवादी के उक्त वाहन क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अनुपपुर द्वारा दिनांक 22.08.2013 को परिवादी के नाम पर स्थानान्तरित हुआ है और कथित दुर्घटना दिनांक 10.08.2013 की है। बीमा पांलिसी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी के नाम पर जारी हुई है और परिवादी ने मोटरयान अधिनियम एवं बीमा की शर्तो व नियम के अनुसार परिवादी किसी भी प्रकार का दावा करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी ने बीमा पांलिसी का स्थानान्तरण अपने नाम पर नहीं कराया है। मोटरयान अधिनियम की धारा- 157 (2) के अंतर्गत यदि बीमा पांलिसी स्थानान्तरित नहीं होती है तो बीमा पांलिसी की शर्तो का उल्घंन है एवं वाहन क्षति का दावा वाहन का क्रेता प्राप्त करने की पात्रता नहीं रखता है। अतः विरोधी पक्षकार ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है और न ही परिवादी के क्षतिग्रस्त वाहन के बीमाधन भुगतान करने का विरोधी पक्षकार दायित्वाधीन है।

12.        परिवादी की ओर से अपने मौखिक तर्क के दौरान श्री नारायण सिंह बनाम न्यू0 इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2007 (प्प्) सी.एल.सी.सी. 332 एवं विजय शंकर शुक्ला बनाम मैनेजर संभागीय कार्यालय दि.ओ.इ.ंकं.लि. एवं अन्य 2002 उ0से0के0 591 में माननीय आयोगों द्वारा किये गये विनिष्चयों को उद्धृत किया गया है जिसमें इंडिया टेरिफ रेग्युलेषन को विचार में लेते हुये यह अभिनिर्धारित किया गया है कि यान के स्थानान्तरण की दषा में पांलिसी अपने आप में अंतरण हो जाती है इसलिये यान की अंतरिती पांलिसी के लाभ का हकदार होगा। उक्त न्याय दृष्टांत क्रमषः राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली जो कि दिनांक 22.05.2007 को विनिष्चित किया गया है तथा दूसरा राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग भोपाल द्वारा दिनांक 01.05.2002 को निर्णित किया गया है जब कि विरोधी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत न्याय दृष्टांत युनाईटेड इंडिया इंष्योरेंस बनाम आनंद कुमार कनौजे 2011 (प्ट) सी.जी.एल.जे. 21 (सी.सी.सी.) इसी राज्य के उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग छ0ग0 रायपुर का विनिष्चय है जो कि दिनांक 19.05.2011 को निर्णित किया गया है। जिसमें भी माननीय आयोग द्वारा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा ए.आई.आर. 1996 एस.सी. 586 कंम्पलीट इनुसुलेषन (पी) लिमिटेड बनाम न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड को विचार में लेते हुये मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा- 157 (2) पर बल देते हुये बीमा कंपनी की अपील को स्वीकार किया गया है। अतः प्रकरण में विरोधी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत न्याय दृष्टांत न्यू0 इं0 इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम आनंद कुमार कनौजे प्रयोज्य है और परिवादी द्वारा प्रस्तुत न्याय दृष्टांतों से परिवादी को कोई सहायता नहीं मिलती है।

13.     हमनें उभय पक्षों के विद्ववान अभिभाषकों के तर्क सुन लिये हंै और उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज एवं फोटोग्राफस का परिषीलन भी कर लिया है। और अब हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि परिवादी दुर्घटना दिनांक को वाहन क्रमांक एम.पी. 18 डी- 0590 का पंजीकृत स्वामी नहीं था और उसके नाम पर इस वाहन का अंतरण दिनांक 22.08.2013 को परिवादी के नाम पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अनुपपुर द्वारा स्थानान्तरित हुआ है और कथित दुर्घटना दिनांक 10.08.2013 को हुई है उस तिथि को वाहन का पंजीकृत स्वामी बिजेन्द्र कुमार द्विवेदी है इसलिये मोटर यान अधिनियम एवं बीमा शर्तो के नियम के अनुसार परिवादी किसी भी प्रकार का दावा करने का अधिकारी नहीं है। मोटरयान अधिनियम की धारा- 157 (2) के अंतर्गत यदि बीमा पांलिसी स्थानान्तरित नहीं होती है तो बीमा पांलिसी की शर्तो का उल्घंन है एवं वाहन क्षति का दावा वाहन का क्रेता प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अतः परिादी का यह दावा विरोधी पक्षकार के विरूद्व साबित न कर पाने के कारण निरस्त किया जाता है।  
         परिस्थिति विषेष के कारण उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

                  
           तद्नुसार आदेश पारित किया गया।

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