Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/28/2014

Smt. Nandani Devi - Complainant(s)

Versus

Branch Manager The New India Assurance Co. Ltd. - Opp.Party(s)

Radheshyam Singh Yadav

10 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/28/2014
 
1. Smt. Nandani Devi
Village- Goshandepur, Post- Karanda, Tehsil & District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Branch Manager The New India Assurance Co. Ltd.
Branch Manager- Athvariya Maidan Sadavarti, Azamgarh
2. Branch Manager, U.B.I.
Branch- Karanda, Post- Karanda, Tehsil- Ghazipur
Ghazipur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 
For the Complainant:Radheshyam Singh Yadav, Advocate
For the Opp. Party: Shri Kripa Shankar Singh, Advocate
 Shri Devendra Kumar Rai, Advocate
ORDER

  परिवादिनी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि उसे बीमा ऋण की धनराशि रू0 18,000/- विपक्षी से दिलाने के साथ ही मानसिक आर्थिक व शारीरिक कष्‍ट  के लिए रू0 10,000/- भी दिलाये जायॅ।

 

     परिवाद पत्र में परिवादिनी का संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि कृषि कार्य तथा पशुपालन उसकी जीविका का मुख्‍य साधन है।  ग्राम गोशन्‍देपुर की महिला स्‍वयं शक्ति समूह संघ की वह सदस्‍या है उसका खाता संख्‍या 615/19 विपक्षी सं02 की शाखा करण्‍डा गाजीपुर में है। दुग्‍ध उत्‍पादन हेतु परिवादिनी  ने महिला स्‍वयं शक्ति समूह संघ के जरिये विपक्षी सं02 बैंक शाखा करण्‍डा गाजीपुर में ऋण प्राप्ति हेतु आवेदन किया था और उसे रू0 18,000/- ऋण स्‍वीकृत हुआ था। ऋण प्राप्‍त करने के उपरांत परिवादिनी ने दुग्‍ध उत्‍पादन हेतु  एक भैंस क्रय की थी और उसका बीमा विपक्षी सं02 के माध्‍यम से विपक्षी नं01 से कराया था, जिसकी पालिसी सं0 42130247110400000323 थी । भैंस के कान में टैग संख्‍या एन आई ए 421300/49915, लगाया गया था। परिवादिनी की भैंस दिनांक 28-05-2013 को बीमार हुई तथा उसी दिन उसकी मृत्‍यु हो गयी। भैंस का शव परीक्षण उसी दिन सरकारी पशु चिकित्‍सक द्वारा किया गया और भैंस के कान में लगे टैग का उल्‍लेख रिपोर्ट में किया गया। दिनांक 31-06-2013 को शव परीक्षण रिपोर्ट, पंचनामा, तथा बीमा सम्‍बन्धित सम्‍पूर्ण अभिलेखों सहित धन भुगतान हेतु विपक्षी सं01 की शाखा में प्रार्थना पत्र दिया था। विपक्षी सं02 ने दिनांक 01-08-2013 को परिवादिनी के प्रार्थना पत्र पर विचार करके समस्‍त प्रपत्रों के साथ भुगतान हेतु विपक्षी सं01 को भेज दिया। विपक्षी सं01 द्वारा दिनांक 13-12-2013 को यह कहते हुए कि बीमा के सम्‍बन्‍ध में भैातिक सत्‍यापन एवं संलग्‍न साक्ष्‍य से टैग नम्‍बर नया प्रतीत होता है, बीमित धनराशि अदा करने से इनकार कर दिया। बीमा धन का भुगतान न किये जाने के कारण परिवादिनी को आर्थिक एवं मानसिक तथा शारीरिक क्षति हुई है। परिवादिनी बीमा धन रू0 18,000/- तथा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्‍ट के  लिए रू0 10,000/- विपक्षी सं01 से प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है।

      मामले में विपक्षी सं01 व 2 को नोटिस जारी की गयी उन्‍होंने प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किये।

      विपक्षी सं01 ने अपने प्रतिवाद पत्र में कथन किया है कि यू0बी0आई0 शाखा करण्‍डा गाजीपुर द्वारा उपलब्‍ध करायी गयी सूची में अंकित लाभार्थियों के पशुओं का विपक्षी के कर्यालय से पालिसी नम्‍बर-42130247110400000323 के प्राविधानों के अधीन दिनांक 18-06-2011 से दिनांक 17-06-2014 तक की अवधि हेतु बीमा किया गया था और परिवादिनी की भैंस का पहचान चिन्‍ह (टैग)49915 कीमती रू0 18,000/- थी/  महिला स्‍वयं शक्ति समूह संघ की कोषाध्‍यक्ष परिवादिनी, अध्‍यक्ष, पशु डाक्‍टर, एवं बैंक कर्मचारियों ने आपस में षड्यन्‍त्र करके सूची में वर्णित पशुओं के कान में बीमा पहचान चिन्‍ह नहीं लगाया था और मात्र अभिलेखों में ही टैग नम्‍बर का उल्‍लेख किया गया था। विपक्षी सं02 के पत्र दिनांकित 01-08-2013 जो दिनांक 05-08-2013 को प्राप्‍त हुआ, बीमा कम्‍पनी की तरफ से पत्र दिनांकित 08-08-13 के माध्‍यम से दावा निस्‍तारण हेतु आवश्‍यक अभिलेखों सहित कान का टुकड़ा एवं पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट आदि अभिलेखों की मॉंग की गयी, तो विपक्षी बैंक की तरफ से पत्र दिनांकित 25-09-13 के साथ अस्‍पष्‍ट सूचना के साथ भेजा गया। परिवादिनी के दावा प्रपत्रों की परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए विपक्षी द्वारा श्री नन्‍द लाल राय एडवोकेट से जॉच करायी गयी, तो स्‍पष्‍ट हुआ कि उपरोक्‍त  स्‍वयं सहायता समूह के 11 सदस्‍यों में से कुछ के पशु बिक चुके थे और कुछ के पशुओं के कान में बीमा पहचान चिन्‍ह (टैग)  नहीं पाये गये, जिसकी सूचना उक्‍त महिला समूह के उपाध्‍यक्ष, सदस्‍यों तथा बैंक को दी गयी। श्री नन्‍द लाल राय एडवोकेट ने अपनी जॉच आख्‍या प्रस्‍तुत करने से पूर्व उक्‍त महिला समूह के सदस्‍यों व बैंक कर्मचारियों, से पूछ-ताछ की थी और परिवादिनी का लिखित बयान दर्ज किया था। श्री राय के समक्ष परिवादिनी ने स्‍पष्‍ट रूप से यह कहा था कि समूह के कुछ सदस्‍यों तथा उसकी भैस के कान में लगा टैग गिर गया था लेकिन बाद में उसकी भैंस का टैग मिल गया था, उसने यह भी स्‍वीकार किया था कि भैंस की मृत्‍यु के समय उसके कान में टैग नहीं लगा था। शव परीक्षण आख्‍या की तिथि की भिन्‍नता तथा दावा प्रपत्र में अंकित तिथि में भिन्‍नता जॉच आख्‍या तथा अन्‍य सुसंगत प्रपत्रों पर विचार करके परिवादिनी का दावा निरस्‍त करते हुए इसकी सूचना जरिये पत्र दिनांकित 13-12-13 परिवादिनी को प्रेषित की गयी थी। विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है और परिवादिनी का परिवाद निरस्‍त होने योग्य है।

 

     विपक्षी सं02 बैंक ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह कथन किया है कि परिवादिनी को परिवाद योजित करने का वाद कारण प्राप्‍त नहीं है।

     परिवादिनी को विपक्षी बैंक द्वारा रू0 18,000/- भैंस खरीदने हेतु ऋण  प्रदान किया गया था। परिवादिनी के अनुसार दिनांक 28-05-13 को भैंस बीमार हुई थी और उसी दिन मर गयी थी। परिवादिनी ने इस बावत विपक्षी बैंक को सूचना दी थी और विपक्षी बैंक के माध्‍यम से समस्‍त कागजात विपक्षी सं01 को भेजे गये थे। वर्तमान मामले में, विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा करायी गयी जॉच से बीमित पशु की मृत्‍यु संदिग्‍ध है। बीमित भैंस की मृत्‍यु, टैग नम्‍बर तथा अन्‍य तथ्‍य प्रमाणित होने पर ही बीमित धनराशि का भुगतान किया जा सकता है। परिवादिनी ने विपक्षी बैंक से किसी अनुतोष की मॉग नहीं की है और उसे अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया है। इसलिए विपक्षी बैंक परिवादिनी से क्षतिपूर्ति पाने की अधिकारिणी है।

 

     परिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र 23ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही साथ सूची प्रपत्र 4ग के जरिये 6 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध  कराये हैं ।

 

     विपक्षी सं01 बीमा कम्‍पनी ने अपने प्रतिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में सूची 20ग के जरिये 09 अभिलेख उपलब्‍ध कराये हैं जिसमें जॉचकर्ता श्री नन्‍द लाल राय एडवोकेट का शपथ पत्र 21ग तथा श्री दिलीप कुमार वरिष्‍ठ मण्‍डल प्रबन्‍धक का शपथ पत्र 29ग सम्मिलित है।

 

     परिवादिनी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में अपनी लिखित बहस 32ग तथा विपक्षी सं01 की ओर से लिखित बहस 31ग पत्रावली पर उपलब्‍ध  करायी गयी हैं।

 

     परिवादिनी, विपक्षी सं01 तथा विपक्षी सं02 के विद्वान अधिवक्‍ता गण को विस्‍तार में सुना गया। परिवाद, प्रतिवाद पत्रों,  उपलब्‍ध करायी गयी लिखित बहस तथा उपलब्‍ध करायी गयी साक्ष्‍य का भलीभॅाति परिशीलन किया गया।

 

     स्‍वीकृत रूप से परिवादिनी महिला स्‍वयं शक्ति समूह संघ ग्राम गोशन्‍देपुर की सदस्‍या है। इस शक्ति समूह के माध्‍यम से परिवादिनी ने विपक्षी सं02 में भैस खरीदने हेतु रू0 18000/- का ऋण स्‍वीकृत करने हेतु आवेदन पत्र दिया था जिस पर उसे उक्‍त ऋण स्‍वीकृत हुआ था।  परिवादिनी द्वारा खरीदी गयी  भैंस का डाक्‍टरी परीक्षण कराया गया था और उसके कान में  टैग नम्‍बर- NIA 421300/49915 लगाया गया था और विपक्षी सं01 से बीमा कराया गया था, जो 3 वर्ष  तक के लिए वैध था।

 

     परिवादिनी के अनुसार उसकी भैंस दिनाक 28-05-13 को बीमार हुई थी और उसी दिन मर गयी थी । उसी दिन सरकारी पशु चिकित्‍सक द्वारा उक्‍त भैंस का शव परीक्षण तथा पंचनामा ग्राम प्रधान की उपस्थिति में हुआ था। विपक्षी सं01 की ओर से कहा गया है कि बीमा धनराशि का भुगतान करने हेतु  परिवादिनी ने विपक्षी सं02 के माध्‍यम से आवेदन पत्र प्रस्‍तुत किया था, जिसके क्रम में श्री नन्‍द लाल राय एडवोकेट के जरिये जॉच करायी गयी थी। उक्‍त स्‍वयं सहायता समूह संघ के 11 सदस्‍यों में से कुछ द्वारा खरीदे गये पशु बिक चुके थे और शेष पशुओं के कान में  बीमा पहचान चिन्‍ह (टैग)  नहीं लगा था। उक्‍त स्‍वयं सहायता समूह संघ के किन सदस्‍यों के पशु बिक चुके थे और किन सदस्‍यों  के पशुओं के कान में सरकारी पशु चिकितसक द्वारा टैग लगाया गया था या नहीं, यह प्रश्‍न वर्तमान  मामले में निस्‍तारण हेतु महत्‍वपूर्ण नहीं है। बहस के दौरान यह स्‍वीकार किया गया कि पशु खरीदे जाने के उपरांत सरकारी पशु चिकित्‍सक से उनका डाक्‍टरी परीक्षण कराया जाता है और परीक्षण डाक्‍टरी परीक्षण करते समय सम्‍बन्धित पशु चिकित्‍सक द्वारा पशु के कान में विशेष पहचान चिन्‍ह (टैग) लगाया जाता है तत्‍पश्‍चात् सन्‍तुष्टि के उपरांत  बीमा कम्‍पनी द्वारा पशु का बीमा किया जाता है। स्‍वाभाविक है कि वर्तमान मामले में भी सरकारी पशु चिकित्‍सक द्वारा डाक्‍टरी परीक्षण के समय  पशु के कान में टैग लगाया गया होगा तत्‍पश्‍चात्  विपक्षी सं01 द्वारा  सन्‍तुष्‍ट होने पर पशु का बीमा किया गया होगा। विपक्षी सं01 का यह कहना कि पशु के कान में परिवादिनी, पशु चिकित्‍सक तथा बैंक कर्मचारियों से षड्यन्‍त्र करके टैग नहीं लगाया गया था, यह कथन अब इस स्‍तर पर विश्‍वसनीय नहीं प्रतीत होता है। परिवादिनी की ओर से स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि उसकी भैंस दिनांक 28-05-13 को  बीमार हुई थी  और उसी दिन मरी थी। भैंस के मरने की सूचना बैंक को दी गयी थी इस कथन को विपक्षी बैंक ने भी स्‍वीकार किया है। प्रश्‍नगत भैंस के शव परीक्षण आख्‍या की छायाप्रति पत्रावली पर उपब्‍ध करायी गयी है इसकी प्रमाणिकता को विपक्षी सं01 की ओर से चुनौती नहीं दी गयी है। शव परीक्षण आख्‍या 8ग के अवलोकन से प्रकट होता है कि  जिस भैंस का शव परीक्षण दि0 28-05-13 को किया गया था वह मुर्रा भैंस थी और उसका पहचान चिन्‍ह NIA 421300/ 49915था। शव परीक्षण आख्‍या के अनुसार शव परीक्षण के समय यह भैंस लगभग आठ माह की गर्भवती थी ।

 

     विपक्षी सं01 की ओर से यह कहा गया है कि यह वह भैंस नहीं थी, जिसे खरीदने के लिए विपक्षी सं02 से परिवादिनी ने प्रश्‍नगत ऋण प्राप्‍त किया था और जिसका  विपक्षी सं01 से बीमा कराया गया था, विपक्षी सं01 की ओर से अपने इस कथन को साबित करने के लिए श्री नन्‍द लाल राय एडवोकेट की आख्‍या 22ग तथा उनका शपथ पत्र कागज सं0 21ग पत्रावली पर उपलब्‍ध किये हैं । श्री राय ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि उन्‍होंने परिवादिनी का बयान लिया था, जिसने बताया था कि उसकी भैंस के कान में लगा टैग गिर गया था और उसकी मृत्‍यु के समय उसके कान में टैग नहीं लगा था। इसमें कहा गया है कि उक्‍त भैंस का किसी समय टैग गिर गया था लेकिन बाद में वह मिल गया था। उसके उक्त बयान में यह भी आया है कि उसकी भैंस का कान काटकर, डोम ने लाकर उसे दिया थाइस बिन्‍दु पर इस साक्षी से स्‍पष्‍टीकरण नहीं प्राप्‍त किया गया है इससे यह सम्‍भावित प्रतीत होता है कि सम्‍बन्धित पशु चिकित्‍सक ने प्रश्‍नगत भैंस का शव परीक्षण करते समय डोम की सहायता ली हो और डोम ने ही भैंस का कान काटकर परिवादिनी को दिया हो । सरकारी पशु चिकित्‍सक उत्‍तरदायी राजपत्रित अधिकारी होते हैं। उन्‍होंने शव परीक्षण आख्‍या में सम्‍बन्धित भैंस के टैग नम्‍बर का स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लेख किया है। परिवादिनी गॉव की कम पढ़ी-लिखी स्‍त्री प्रतीत होती है। उसके द्वारा बयान देने में त्रुटि होना अस्‍वाभाविक नहीं है, लेकिन विपक्षी सं01 द्वारा  उपलब्‍ध करायी गयी श्री नन्‍द लाल राय एडवोकेट की आख्‍या तथा शपथ पत्र से यह नहीं स्‍थापित होता है कि प्रश्‍नगत भैंस, जिसका सरकारी पशु चिकित्सक  द्वारा दिनांक 28-05-13 को शव परीक्षण किया गया था, वह परिवादिनी द्वारा लिये गये ऋण के जरिये खरीदी गयी भैंस नहीं थी। विपक्षी सं01 की ओर से  क्‍लेम फार्म कागज सं0 25ग/3के पेज 2 पर इस कथन की ओर फोरम का ध्‍यान आकृष्‍ट  किया गया है ‘’ इसी अगस्‍त 2013 में’’ । प्रश्‍नगत भैंस की मृत्‍यु दिनांक 28-05-13 में हुई थी इसलिए माह अगस्‍त 2013 में प्रश्‍नगत भैंस द्वारा बच्‍चा देने का प्रश्‍न नहीं है। शव परीक्षण आख्‍या के परिशीलन से प्रकट है कि प्रश्‍नगत भैंस लगभग आठ माह की गर्भवती थी ऐसी स्थिति में प्रश्‍नगत भैंस द्वारा माह अगस्‍त 2013 में बच्चा देने की संभावना हो सकती थी ।अत: प्रतीत होता है उक्‍त कागज सं025ग/3 में प्रश्‍नगत भैंस द्वारा माह अगस्‍त 2013 में बच्‍चा देने की संभावना को लिखा गया है। ऐसी स्थिति में मेरे  विचार से विपक्षी सं01 की ओर से दिये गये इस तर्क में बल नहीं है कि दिनांक 28-05-2013 को जिस भैंस के शव का शव परीक्षण सरकारी पशु चिकित्सक द्वारा करके, शव परीक्षण आख्‍या 8ग तैयार की गयी थी, वह भैंस वो भैंस नहीं थी, जिसे परिवादिनी ने विपक्षी सं02 से ऋण प्राप्‍त करके क्रय की थी ।

 

     मामले के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों परिस्थितियों तथा उपलब्‍ध साक्ष्‍य से  परिवादिनी का यह कथन विश्‍वसनीय प्रतीत होता है कि उसके द्वारा विपक्षी सं02 से ऋण प्राप्‍त करके खरीदी गयी भैंस जिसका विपक्षी सं01 द्वारा तीन वर्ष के लिए बीमा किया गया था, वह दिनांक 28-05-13 को बीमार होकर मर गयी। स्‍वीकृत रूप से उक्‍त भैंस का बीमा दिनांक 18-06-11 से 17-06-14 तक प्रभावी था।  ऐसी स्थिति में प्रकट है कि प्रश्‍नगत भैंस की मृत्‍यु बीमा अवधि में हुई है, अत: परिवादिनी बीमा की धनराशि रू0 18000/-  विपक्षी सं01 से वसूल पाने की अधिकारिणी है । विपक्षी सं01 द्वारा समय से बीमा धनराशि की अदायगी न करके सेवा में त्रुटि की गयी है। अत: परिवादिनी को  मानसिक, आर्थिक, तथा शारीरिक कष्‍ट के लिए रू0 2000/- प्रतिकर दिलाना उचित है।

                             आदेश

 

     परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं01 ( द न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड ) को निर्देश दिया जाता है कि परिवाद योजित किये जाने की दिनांक 08-01-2014 से 08प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्‍याज सहित बीमा धनराधि रू0 18000/- ( रूपये अट्ठारह हजार मात्र) दो माह के अन्‍दर परिवादिनी को भुगतान करे। विपक्षी सं0 01 को यह भी निर्देश दिया जाता है कि मानसिक,आर्थिक तथा शारीरिक कष्‍ट के लिए परिवादिनी को वह दो माह के अन्‍दर रू0 2000/- प्रतिकर भी भुगतान करे ।

     इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय।

     निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER

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