परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करते हुए कहा है कि वह विपक्षी की शाखा का खाता धारक है जिसका बचत खाता सं0 20057444339 है। बचत खाता विपक्षी सं02 से अन्तरित होकर विपक्ष्ी सं01 की शाखा में आया जो परिवादी द्वारा संचालित किया जाता रहा। विपक्षी सं02 की शाखा से ए0टी0एम0 कार्ड नं0 6220180019600287627 निर्गत किया गया। परिवादी को कोई अन्य ए0टी0एम0 कार्ड विपक्षी द्वारा नहीं निर्गत किया गया। परिवादी के खाते से किसी अन्य ए0टी0एम0 कार्ड का इस्तेमाल कर दि0 05-03-12 को विपक्षी सं03 बैंक शाखा में क्रमश: संव्यवहार सं0 ए टी एम 2239 से रू0 20,000/- एवं संव्यहार सं0 ए टी एम 2240 से रू0 20,000/- कुल रू0 40,000/- विपक्षी सं04 ने विपक्षी गण के कार्मिकों की मिलीभगत से अपने खाता सं0 20057444339 ए टी एम कार्ड नं0 6220180019600316293 के माध्यम से आहरित कर लिया गया जिसका उन्हें कोई विधिक हक व अधिकार हासिल नहीं था। उक्त तथ्य की जानकारी होने पर इसकी शिकायत विपक्षी गण तथा अपने यूनिट के अधिकारियों को किया परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई और न ही परिवादी के खाते में गलत ढंग से आहरित की गयी धनराशि वापस की गयी बल्कि विपक्षी गण ने परिवादी के खाते से आहरित करने वाले व्यक्ति का नाम व कार्ड सं0 6220180019600316293 खाता सं0 20057444339 उदय शंकर सिंह जी.एस. नं0 183865 एक्स 1628 पी एन आर कम्पनी ( जी.आर.ई.एफ.)द्वारा 99 ए पी ओ 931628 बताया । परिवादी ने दि0 14-06-12 को विपक्षी गण को पत्र भेजते हुए उनसे अपनी आहरित धनराशि मय ब्याज अपने खाते में जमा करने का अनुरोध किया परन्तु विपक्षी गण ने कोई ध्यान नहीं दिया। विपक्षी गण की साजिश से परिवादी के खाते से रू0 40,000/- निकाल लिये गये जिसकी जिम्मेदारी विपक्षी गण की है। परिवादी ने विपक्षी गण से बार-बार अपने खाते से निकाली गयी धनराशि की मॉंग किया लेकिन गलत ढंग से आहरित की गयी धनराशि आज तक उसके खाते में नहीं वापस की गयी जिससे परिवादी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। अत: परिवादी ने इस अनुतोष की याचना के साथ यह परिवाद प्रस्तुत किया कि उसके खाते से गलत ढंग से आहरित की गयी धनराशि रू0 40,000/- मय 16% चक्रवद्धि ब्याज, परिवादी के खाते में वापस जमा की जाय। मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 20,000/- विपक्षी गण से दिलाया जाय।
विपक्षी गण को सूचना भेजी गयी। विपक्षी सं01 लगायत 3 ने उपस्थित होकर अपना जवाब परिवाद, प्रस्तुत करते हुए कहा है कि परिवादी का खाता बहैसियत सिपाही शस्त्र बल में जिला तिनसुकिया (आसाम) में खोला गया। खाता खोलने का फार्म लेना उसे भरकर जमा करना तथा सभी औपचारिकताओं के पूरी होने पर सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों द्वारा फोटो व हस्ताक्ष्र प्रमाणित होने पर उस फार्म को बैंक में जमा करना, खाता खुलने पर पासबुक व दि0 09-05-2010 को ए0टी0एम0 कार्ड सं06220180019600316293 विपक्षी सं02 द्वारा जारी किया गया और पिन नम्बर भी दिया गया। इसके बाद पुन: परिवादी द्वारा दि0 25-10-11 को ए0 टी0 एम0 सं0 6 2 2 0 1 8 0 7 8 0 8 0 0 0 7 5 1 1 8 परिवादी द्वारा मॉंग किये जाने पर परिवादी के नाम ए0टी0एम0 जारी किया गया और इसमें पिन नम्बर भी दिया गया। किसी भी ए0टी0एम0 कार्ड का संचालन तभी सम्भव है जब ए0टी0एम0 पिन नम्बर व खाता संख्या तीनों की सही- सही जानकारी उपायोग करने वाले व्यक्ति को हो।
परिवादी का कथन है कि उसे ए0टी0एम0 कार्ड नम्बर 6 2 2 0 1 8 0 0 1 9 6 0 0 2 8 7 6 2 7 मिला है इसके अलावा कोई अन्य ए0टी0एम0 कार्ड उसे नहीं मिला है। विभागीय कर्मचारी उदय शंकर सिंह को साजिश में करके अपने दूसरे ए0टी0एम0 कार्ड नम्बर- 6220180019600316293 एवं उसमें सम्बन्धित पिन नम्बर का प्रयोग करके खाता संख्या 2005744339 से पैसा आहरित किये हैं। विपक्षी सं04 उदय शंकर सिंह हैं । परिवादी ने जानबूझ कर उदय शंकर सिंह के विरुद्ध धोखाधड़ी के अन्तर्गत कार्रवाई नहीं किया। विपक्षी सं01 लगायत 3 पर दबाव डाल कर नाजायज पैसा प्राप्त करना चाहते हैं । विपक्षी गण की किसी भी प्रकार से सेवा में कमी नहीं है। उदय शंकर सिंह के विरुद्ध उचित फोरम में परिवाद दायर न करके ,गलत ढंग से परिवाद प्रस्तुत किया गया है जबकि पुलिस विवेचना में तथ्य उजागर हो जायेगा और वास्तविक व्यक्ति को पकड़ा जा स कता है लेकिन परिवादी ने ऐसी कोई कार्यवाही नहीं किया। एक साथ कई कर्मियों के खाते वर्ष 2009-2010 भारतीय स्टेट बैंक तिनसुकिया में खेाले गये। सभी सैनिकों की जॉच एवं बैंक में आना सम्भव नहीं था, इसलिए सैन्य थे की बावत के अनुसार बैंक ड्यूटी के लिए बाज डाक लोन ए0टी0एम0 कार्ड लेना व पिन तीन के लिए सैन्य को भी व्यवस्था के अनुसार खाता धारकों के प्रतिनिधि के रूप में उदय शंकर सिंह को पासबुक,0एम0 एवं पिन लेने के लिए एवं अधिकृत खाता धारक को देने के लिए अधिकृत किया गया। उदय शंकर सिंह द्वारा ए0टी0एम0 का दुरुपयोग करके विश्वासघात किया गया जो बेंक की सेवात्रुटि नहीं है । विपक्षीको परेशान करने के लिए गलत ढंग से परिवाद प्रस्तुत किया गया है। इसलिए क्षतिपूर्ति रू0 10,000/- और रू0 5000/ परिवाद व्यय प्राप्त करने के साथ ही साथ परिवाद को निरस्त करने की याचना की गयी है।
पक्षों द्वारा पत्रावली पर प्रपत्र 6ग, 7ग, 8ग, 9ग/1 लगायत 9ग/3 10ग, 11ग/1 11ग2, 12ग, 14ग, 15ग/1 15ग/2, 19ग, 22ग/1 लगायत 22ग/4 23ग, 24ग, 25ग, 26ग/1 लगायत 26ग/2, 27ग/1 लगायत 27ग/3, 29ग, 35ग/1 लगायत 35ग/4, 36ग, व सी डी प्रस्तुत किये गये हैं ।
विपक्षी सं04 को सूचना भेजी गयी लेकिन वह फोरम में उपस्थित नहीं आया। इसलिए फोरम द्वारा विपक्षी सं0 4 के विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया गया।
फोरम द्वारा उभय पक्ष के अधिवक्ता गण को सुना गया । पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन किया गया।
यह सत्य है कि परिवादी को विपक्षी सं02 के यहॉ से ए0टी0एम0 कार्ड निर्गत किया गया परन्तु परिवादी के खाते से किसी अन्य ए0टी0एम0 कार्ड से दि0 05-03-12 को विपक्षी सं03 के संव्यवहार सं0 ए0टी0एम0 2239 से रू0 20,000/- तथा संव्यवहार सं0 2240 से रू0 20,000/- विपक्षी सं04 ने विपक्षी गण की मिलीभगत से अपने खाता सं0 200057444339 ए0 टी0 एम0 कार्ड नं0 6220180019600316293 के माध्यम से आहरित कर लिया। वहीं पर परिवादी का कथन है कि उसे ए0टी0एम0 कार्ड सं0 6220180019600287627 मिला है, इसके अलावा कोई अन्य ए0टी0एम0 कार्ड परिवादी को जारी नहीं किया गया है। विपक्षी ने अपने जवाब परिवाद में भी स्वीकार किया है कि उक्त धनराशि परिवादी के खाते से उदयशंकर सिंह द्वारा, जो विपक्षी सं0 4 हैं, आहरित की गयी है। उनके विरुद्ध धोखाधड़ी के अन्तर्गत परिवदी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। जैसा कि विपक्षी का कहना है परिवादी गलत ढंग से नाजायज दबाव बना करके विपक्षी से पैसा प्राप्त करना चाहता है। यह सत्य है कि उदयशंकर सिंह द्वारा पैसा निकाला जाना स्वीकार है। परिवादी के खाते से पैसा निकलना भी स्वीकार है। जिस ए0टी0एम0 कार्ड से पैसा निकाला गया है, वह ए0टी0एम0 कार्ड विपक्षी सं01 लगायत 3 का ही है। उदय शंकर सिंह को उक्त ए0टी0एम0 कार्ड किस स्थिति में मिला, कैसे मिला, यह विपक्षी बैंक को बखूबी जानकारी होगी। जैसा कि परिवादी ने बहस के दौरान जोर देकर बताया कि उदयशंकर सिंह उनके कोर का कोई कर्मचारी भी नहीं है। उसकी यूनिट दूसरी है तथा उसे किस स्थिति में विपक्षी द्वारा ए0टी0एम0 कार्ड दिया गया है, विपक्षी गण ही जानते हैं। यह स्पष्ट रूप से जाहिर है कि परिवादी का पैसा परिवादी के खाते से निकला है जो आज तक परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ है। यह भी जाहिर है कि विपक्षी सं0 4 द्वारा ही पैसा परिवादी के खाते से आहरित किया जाना स्वीकार है। जैसा कि पत्रावली पर उपलब्ध कागजातों और जवाब परिवाद, से स्पष्ट है। यह भी स्पष्ट है कि विपक्षी सं01 लगायत 3 का ए0टी0एम0 है जिसका उपयोग विपक्षी सं04 ने किया है। परिवादी का पैसा जब परिवादी के खाते से निकाला गया है तो वह पैसा विपक्षी गण की लापरवाही से निकाला गया है तथा उक्त पैसे को परिवादी को देने के लिए विपक्षी सं01 लगायत 3 की जिम्मेदारी बनती है। इस तरह से विपक्षी सं01 लगायत 3 द्वारा गलत तरीके से विपक्षी सं04 को ए0टी0एम0 कार्ड दे दिया गया जिसके पासवर्ड की भी जानकारी उसे हो गयी जिसकी वजह से परिवादी के खाते से दो किस्तों में रू0 20,000/- और रू0 20,000/- कुल रू0 40,000/- निकाल लिये गये हैं जो विपक्षी सं01 लगायत 3 की लापरवाही के कारण हुआ है। विपक्षी सं04 ने पैसा निकाला है, इस बात की जानकारी विपक्षी सं01 लगायत 3 को है तथा विपक्षी सं01 लगायत 3 की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि जब उसे प्रश्नगत प्रकरण की जानकारी हुई, तो उन्हें विपक्षी सं04 पर कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन उक्त पैसे की वसूली के बावत कोई भी कार्रवाई न किया जाना, विपक्षी सं01 लगायत 3 की सेवा में त्रुटि एवं लापरवाही का द्योतक है। इस प्रकार से उपरोक्त विवेचना के आधार पर, परिवादी के खाते से आहरित उक्त धनराशि रू0 40,000/-, आहरित होने की तारीख से 08% वार्षिक साधारण ब्याज के साथ परिवादी को, विपक्षी सं01 लगायत 3 दो माह के अन्दर अदा करेंगे। वाद व्यय एवं क्षतिपूर्ति स्वरूप रू0 5,000/- भी उसी अवधि के अन्दर विपक्षी सं01 लगायत 3 अदा करेंगे।
आदेश
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं01 लगायत 3 को आदेशित किया जाता है कि वे दो माह के अन्दर, परिवादी के खाते से गलत ढंग से आहरित धनराशि रू0 40,000/- तथा उस पर उक्त धनराशि आहरित किये जाने की तिथि से 08% वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज, के साथ परिवादी को अदा करें। बतौर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय, रू0 5000/- भी विपक्षी सं01 लगायत 3 परिवादी को उसी अवधि में अदा करें। अवधि बीत जाने पर उपरोक्त समस्त धनराशि पर 12% वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज देय होगा।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क दी जाय। निर्णय आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।