Chhattisgarh

Jashpur

CC/16/21

Loya Ram - Complainant(s)

Versus

Branch manager state bank of india - Opp.Party(s)

R.k.mishra

21 Oct 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/16/21
( Date of Filing : 04 Apr 2016 )
 
1. Loya Ram
Village Aara District jashpur
Jashpur
Chhattisgarh
...........Complainant(s)
Versus
1. Branch manager state bank of india
Branch manager state bank of india Branch office jashpur B.S.Market manrod jashpur
Jashpur
Chhattisgarh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE B.P.Pandey PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sanjay Soni MEMBER
 HON'BLE MRS. Anamika Nande MEMBER
 
For the Complainant:R.k.mishra, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 21 Oct 2016
Final Order / Judgement


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
                                                  प्रकरण क्रमांक :-CC/21/2016
                                                  प्रस्तुति दिनांक :-04/04/2016

लोयाराम आ. स्व. टून्चू राम
निवासी ग्राम-आरा, पो.-आरा, (डोलडांड) 
तह- जशपुर नगर, जिला-जशपुर (छ.ग.)   .........  .........परिवादी/आवेदक
    
( विरूद्ध )
शाखा प्रबंधक, 
भारतीय स्टेट बैंक,
शाखा कार्यालय-जशपुर नगर, 
बी.एस. मार्केट, मेन रोड 
जशपुर नगर जिला-जशपुर (छ.ग.)     .      ........विरोधी पक्षकार/अनावेदक

                                                                                                   ///आदेश///
                                                                            (आज दिनांक 21/10/2016 को पारित)

    
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरूद्ध पक्षकार/अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर आवेदक के खाता क्रमांक-30336457724 से दिनांक 01.01.2015 से मासिक काटी गयी 4,000/-रू. राशि बारह प्रतिशत ब्याज सहित तथा आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक क्षति के मद में कुल 75,000/-रू. एवं अन्य अनुतोष दिलाए जाने हेतु दिनांक 04.04.2016 को प्रस्तुत किया है।
2. स्वीकृत तथ्य है कि :-
1.    परिवादी आवेदक आरा शासकीय हाई स्कूल में भृत्य पद से सन् 2007 में सेवा निवृत्त होकर अनावेदक बैंक के खाता क्रमांक 30336457724 से पेंशन राशि प्राप्त कर रहा है। 
2.    परिवादी के उक्त बैंक खाता से प्रतिमाह 7 अनावेदक द्वारा  4,000/-रू. प्रतिमाह राशि काटी जा रही है।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक आरा शासकीय हाई स्कूल में भृत्य पद पर कार्य करते हुए सन् 2007 में सेवा निवृत्त होकर उसे प्राप्त होने वाले पेंशन से स्वयं सहित अपने परिवार का गुजर बसर कर रहा है। भारतीय स्टेट बैंक की शाखा जशपुर नगर में आवेदक के खाता क्रमांक 30336457724 में पेंशन राशि 7,967/-रू. जमा होती चली आ रही है। जिसमें से अनावेदक के द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना एवं कारण के 4,000/-रू. दिनांक 01.01.2015 से आवेदक के खाते से प्रतिमाह राशि काटी जा रही है। इससे पूर्व किसी दूसरे के खाते से काटी जा रही थी। परिवादी द्वारा काटी जा रही राशि के संबंध में जानकारी  भिन्न भिन्न कार्यालायों सहित  विभिन्न दिनांकों को पत्राचार कर एवं सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगे जाने के पश्चात भी कोई जानकारी प्रदाय नहीं की गई है। उक्त काटी जा रही राशि को रोक कर आवेदक के खाते से अब तक काटे गये समस्त राशि का मय ब्याज के अनावेदक से आवेदक को अदा कराये जाने एवं इस कार्य कारण से आवेदक को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक क्षति के मद में कुल 75,000/-रू. एवं अन्य अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है। 
4. अनावेदक बैंक ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्यों से इंकार करते हुए अभिकथन किया है कि आवेदक एवं उसका पुत्र स्वर्गीय जय सिंह साथ-साथ निवास करते थे। आवेदक का पुत्र स्वर्गीय जय सिंह भृत्य के पद पर महारानी लक्ष्मी बाई शासकीय शा.क.उ.मा. विद्यालय जशपुर नगर में कार्यरत था। इस दौरान आवेदक के पुत्र के द्वारा अनावेदक भारतीय स्टेट बैंक शाखा जशपुर से दिनांक 24.10.2011 को व्यक्तिगत ऋण 1,50,000/-रू. लिया था जिसका जमानत मुकंन्द राम वल्द महरू राम के द्वारा ली गई थी। जय सिंह की मृत्यु के पश्चात स्व. जय सिंह को मिलने वाली समस्त शासकीय राशि और लाभ आवेदक व उसका परिवार प्राप्त कर उपयोग व उपभोग कर रहे हैं। दिनांक 06.03.2014 तक आवेदक के पुत्र स्व. जयसिंह के खाते से उसके द्वारा लिए ऋण की किश्त बैंक द्वारा जमा की गई है। उसकी मृत्यु पश्चात ऋण की राशि जमानतदार श्री मुकुन्दराम के निवेदन पर परिवादी ने अनावेदक बैंक को अपनी सहमति देते हुए उसे पुत्र जय सिंह द्वारा लिए गए ऋण की बचत राशि उसके खाते से काटे जाने की अनुमति दी, जिससे अनावेदक बैंक द्वारा प्रति माह 4,000/-रू. परिवादी के खाते से काट कर उसके पुत्र द्वारा ली गई ऋण की बचत राशि में जमा की जा रही है। उक्त तथ्य को परिवादी भली-भॉंति जानता है। असत्य आधारों पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो स्वीकार करने योग्य नहीं है।  
5. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ? 

निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न का सकारण निष्कर्ष :-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं रामधारी राम तथा अजय राम का शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज आवेदक का भारतीय स्टेट बैंक शाखा जशपुर के बैंक एकाउंट नं.   30336457724 दस्तावेज क्रमांक 1, जिला जन सूचना अधिकारी को प्रेषित सूचना का अधिकार आवेदन  दस्तावेज क्रमांक 2, कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी को प्रेषित आवेदन दिनांक 16.11.2015 दस्तावेज क्रमांक 3, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्राचार्य शा.म.ल.बा. कन्या उ.मा.वि. को प्रेषित पत्र दस्तावेज क्रमांक 4, जिला जन सूचना अधिकारी, सहायक आयुक्त को कलेक्टर कार्यालय द्वारा जानकारी हेतु प्रेषित आवेदन दस्तावेज क्रमांक 5, जन सूचना अधिकारी, भारतीय स्टेट बैंक को सूचना के अधिकार के तहत प्रेषित आवेदन की पावती दस्तावेज क्रमांक 6, जन सूचना अधिकारी, सहायक आयुक्त को कलेक्टर कार्यालय द्वारा जानकारी हेतु प्रेषित आवेदन दस्तावेज क्रमांक 7, सहायक आयुक्त द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 20.11.2015 दस्तावेज क्रमांक 8, जिला शिक्षा अधिकारी को प्रेषित पत्र दिनांक 21.11.2015दस्तावेज क्रमांक 9, प्रथम अपीलीय अधिकारी को प्रेषित आवेदन दिनांक 15.01.2016दस्तावेज क्रमांक10, भारतीय स्टेट बैंक के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को आवेदन की निरस्ती की सूचना दस्तावेज क्रमांक 11 की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। 
8. अनावेदक बैंक की ओर से जवाबदावा के समर्थन में नैयर अहमद शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक शाखा कार्यालय जशपुर नगर एवं मुकंद राम का शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। 
9. परिवाद पत्र में परिवादी  ने अनावेदक बैंक में उसके खाता क्रमांक 30336457724 में जमा होने वाली पेंशन राशि में से बिना किसी पूर्व सूचना एवं कारण के 4,000/-रू. प्रतिमाह दिनांक 01.01.2015 से काटा जा रहा है । पत्राचार एवं सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर भी कोई जानकारी प्रदान नहीं किया गया, जो सेवा में कमी की श्रेणी एवं कोटि में आता है बताते हुए काटी गई समस्त राशि ब्याज सहित आवेदक को दिलाए जाने तथा उक्त कारण से आवेदक को आर्थिक, मानसिक, शारीरिक क्षति का कुल 75,000/-रू. दिलाए जाने का निवेदन किया है। 
10. अनावेदक ने शपथ पत्र से समर्थित लिखित जवाब में बताया है कि परिवादी के पुत्र जय सिंह ने अनावेदक बैंक से दिनांक 24.10.2011 को व्यक्तिगत ऋण 1,50,000/-रू. लिया था । परिवादी के पुत्र जय सिंह की मृत्यु हो गई है। जय सिंह के बैंक खाते में से दिनांक 06.03.2014 तक ऋण की किश्त अनावेदक बैंक द्वारा ली गई है। उसकी मृत्यु पश्चात उसके जमानतदार श्री मुकुन्दराम के निवेदन पर परिवादी ने अपने पुत्र द्वारा ली गई व्यक्तिगत ऋण की राशि स्वयं के खाते से भुगतान करने की सहमति देने पर परिवादी के बैंक खाते में से उसके पुत्र जयसिंह द्वारा ली गई व्यक्तिगत ऋण की बचत राशि की अदायगी में प्रति माह 4,000/-रू. काटी जा रही है।  इस प्रकार परिवादी ने 4,000/-रू. जयसिंह के द्वारा ली गई ऋण की अदायगी के लिए अपनी सहमति दिया है। जिसकी जानकारी परिवादी को है। फलस्वरूप बिना किसी पूर्व सूचना एवं कारण के अनावेदक बैंक द्वारा राशि काटे जाने का तथ्य असत्य है। अनावेदक बैंक ने परिवादी के विरूद्ध किसी प्रकार से सेवा में कमी नहीं किया है। 
11. अनावेदक के अनुसार परिवादी के जानकारी एवं सहमति पर उसके खाते से 4,000/-रू. प्रति माह उसके पुत्र जय सिंह द्वारा लिए गए ऋण की राशि अदायगी में अनावेदक बैंक द्वारा काटी जा रही है बतलाया है। उक्त तथ्य की पुष्टि अनावेदक बैंक की ओर से मुकुंद राम द्वारा दिए गए शपथ पत्र एवं शाखा प्रबंधक नैयर अहमद के शपथ पत्र से होती है । उक्त तथ्य की पुष्टि परिवादी द्वारा दिनांक 16.11.2015 को कलेक्टर जशपुर को दिए गए पत्र से भी होती है। उक्त पत्र की प्रतिलिपि परिवादी ने कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी जशपुर को भी दिया था। उक्त पत्र दस्तावेज क्रमांक 3 में स्पष्ट उल्लेखित है कि ’’वर्तमान में चूॅंकि मेरे द्वारा स्व. पुत्र के बैंक का ऋण भुगतान प्रति माह 4,000/-रू. दिया जा रहा है तथा पुत्र का अन्य ऋण का दायित्व का भी भुगतान किया जा रहा है।’’ उक्त तथ्य का उल्लेख परिवादी द्वारा अनावेदक बैंक में बचत खाता के स्टेटमेंट दस्तावेज क्रमांक 1 से भी होती है, जिसमें 4,000/-रू. की कटौती परिवादी के कहने पर जयसिंह के खाता के ऋण की अदायगी में किया जा रहा है।
12. इस प्रकार परिवादी द्वारा सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 3 कलेक्टर जशपुर को परिवादी द्वारा लिखा गया पत्र तथा परिवादी के पास बुक का स्टेटमेंट दस्तावेज क्रमांक 1 से स्पष्ट है कि जय सिंह द्वारा ली गई व्यक्तिगत ऋण की अदायगी परिवादी के कहने पर उसके खाते से अनावेदक बैंक द्वारा काटी जा रही है, जिसकी संपूर्ण जानकारी परिवादी को है। परिवादी की सहमति से उसके पुत्र के ऋण का 4,000/-रू. प्रति माह काटी जा रही है, फलस्वरूप अनावेदक बैंक द्वारा परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किसी प्रकार से किया गया है, को हम स्थापित, प्रमाणित होना नहीं पाते हैं। 
13. उपरोक्त अनुसार अनावेदक के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में अनावेदक द्वारा परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ है, से विचारणीय प्रश्न का निष्कर्ष ’’प्रमाणित नहीं’’ में हम देते हैं। 
14. अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किए जाने के आधार पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 अंतर्गत प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करने योग्य हम नहीं पाते हैं, निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं। 
15. उभय पक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे। 

(श्रीमती अनामिका नन्दे)       (संजय कुमार सोनी)         (बी0पी0पाण्डेय)
  सदस्य                सदस्य                    अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.       जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.               जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.
  फोरम जशपुर (छ0ग0)                फोरम जशपुर ़(छ.ग.)                     फोरम जापुर (छ0ग0)

    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE B.P.Pandey]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Sanjay Soni]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Anamika Nande]
MEMBER

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