Rajasthan

Kota

CC/2/2011

Lalaram Sharma - Complainant(s)

Versus

Branch Manager, State Bank of Bikaner & Jaipur - Opp.Party(s)

Vijay Singhal

18 Jan 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या-  02 /11
लाला राम शर्मा पुत्र श्याम लाल उम्र 82 साल जाति ब्राहमण निवासी मकान नं. 05, रेल्वे हाउसिंग सोसायटी, बजरंग नगर, पुलिस लाईन, कोटा, राजस्थान।    -परिवादी।
                     बनाम
स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर, जर्ये शाखा प्रबंधक, शाखा स्टेशन रोड, कोटा।
                                                     -विपक्षीगण
            समक्ष    
              भगवान दास     -    अध्यक्ष    
                     महावीर तंवर     -    सदस्य
               हेमलता भार्गव    -    सदस्य
       परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1  श्री विजय सिंघल, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2  श्री बी0पी0 दाधिच, अधिवक्ता, विपक्षी   की ओर से। 
 
    निर्णय                   दिनांक  18.01.16

    परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उसका संक्षेप में यह सेवा दोष बताया है कि विपक्षी के यहाॅ उसका बचत खाता सं. 51019712011 है जिसके जरिये पेंशन का भुगतान प्राप्त करता है। वह रेल्वे का सेवा-निवृत कर्मचारी है जहाॅ से 25.08.86 को पी.पी.ओ. जारी किया गया है, उसकी पेंशन समय-समय पर पुनरीक्षित की गई है। पंेंशन व एरियर की राशि विपक्षी ने उसके खाते में जमा की। पेंशन, एरियर व अन्य राशि जमा करने का खुलासा विवरण विपक्षी व रेल्वे को नोटिस भेजकर मांगा गया लेकिन इसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं करवाया गया। 80 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन लाभ दिये जाने का नोटिस भी विपक्षी को दिया गया लेकिन इसकी भी अदायगी नहीं की गई। मेडिकल एलाउन्स का भुगतान भी नहीं किया गया। विपक्षी को बार-बार पत्र भेजे गये, नोटिस दिये गये, लेकिन कोई भी विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया। दिनांक 29.11.10 को पुनः अभिभाषक के जरिये कानूनी नोटिस संपूर्ण पेंशन, एरियर के विवरण उपलब्ध कराने, उनकी गणना का हिसाब बताने, 20 प्रतिशत  अतिरिक्त पेंशन, मेडिकल एलाउन्स आदि के भुगतान का विवरण बताने के लिये भेजा गया लेकिन विपक्षी ने उसे कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई जिसके फलस्वरूप परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।    

    विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि रेल्वे विभाग से परिवादी को जो पेंशन स्वीकृत हुई तथा समय-समय पर रेल्वे विभाग द्वारा  जो एरियर, मेडिकल भत्ता स्वीकृत किये गये हैं उनके दिशा-निर्देश के अनुसार पूरी पेंशन, एरियर, मेडिकल भत्ता परिवादी के खाते में समय-समय पर जमा किये गये है जिनका स्टेटमेन्ट उसे उपलब्ध कराया गया। रेल्वे विभाग के दस्तावेजों का विपक्षी बैंक से कोई संबंध नहीं है। परिवादी द्वारा मांगे जाने पर समय-समय पर उसे उसके खाते का स्टेटमेन्ट उपलब्ध कराया गया है। परिवादी ने रेल्वे विभाग को पक्षकार ही नहीं बनाया, जो कि आवश्यक पक्षकार है। परिवादी ने पेंशन, एरियर, मेडिकल भत्ता कम प्राप्त होने के बारे में कभी कोई आपत्ति नहीं की है। नियमानुसार उसे समय पर पूरा भुगतान किया गया है। विपक्षी का कोई सेवादोष नहीं है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में  अपने शपथ-पत्र के अलावा पी.पी.ओ., विपक्षी को सम्बोधित पत्र दिनांक 28.03.09,22.09.10 नोटिस दिनांक 08.12.08,29.11.10, कोरियर/ पोस्टल रसीद, पेंशन रिवीजन दस्तावेज आदि की प्रति प्रस्तुत की है।     
    विपक्षी ने साक्ष्य में शाखा प्रबंधंक आर.के. सब्बल का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। 
    हमने दोनों पक्षांें की  बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 
    इस बारे में विवाद की स्थिति नहीं है। कि परिवादी रेल्वे विभाग का सेवा-निवृत पेंशनर है। उसी विभाग द्वारा परिवादी को पेंशन स्वीकृत की गई है तथा समय-समय पर उस पेंशन में पुनरीक्षण के उपरान्त वृद्धि व अन्य भत्ते की स्वीकृति भी रेल्वे द्वारा ही की गई है। परिवादी ने विपक्षी बैंक में संधारित खातें में उसकी पेंशन,एरियर व अन्य भत्ते जमा करने के निर्देश रेल्वे विभाग को दिये, इस प्रकार यह स्पष्ट है कि रेल्वे विभाग द्वारा ही समय-समय पर उसे स्वीकृत या बढी हुई पेंशन, उसके एरियर व भत्ते जारी किये गये है तथा विपक्षी बैंक में जमा कराये गये है तथा विपक्षी बैंक ने परिवादी के खाते में जमा किये हैं। परिवादी का ऐसा कोई आरोप नहीं है कि रेल्वे ने उसे जो पेंशन, एरियर, भत्ते अन्य कोई देय राशि स्वीकृत की वह पूरी राशि विपक्षी बैंक ने उसके खाते में जमा नहीं की, बल्कि परिवादी यह केस लेकर आया है कि विपक्षी बैंक ने रेल्वे की ओर से जो राशि स्वीकृत की उसका खुलासा उसे नहीं किया अर्थात् पेंशन की गणना, एरियर की गणना, भत्ते की गणना या अन्य देय राशि की गणना कैसे की गई इसका विवरण विपक्षी बैंक ने  नहीं दिया। हमारी राय में विपक्षी बैंक के बजाय ऐसी सूचना रेल्वे विभाग से ही प्राप्त की जा सकती थी, जिसने समय-समय पर पेंशन, उसमें बढौतरी या अन्य कोई भत्ते स्वीकृत किये थे। विपक्षी बैंक केवल रेल्वे से प्राप्त होने वाली राशि को परिवादी के खाते में जमा करनेे व परिवादी को उस खाते से निकालने की सुविधा देने का ही उत्तरदायी है। इस सुविधा व सेवा में विपक्षी बैंक ने कोई कमी की हो ऐसा कोई दोषारोपण विपक्षी बैंक पर नहीं लगाया गया। परिवादी ने रेल्वे विभाग जो कि आवश्यक पक्षकार था उसे पक्षकार ही नहीं बनाया। 
हम पाते है कि उपरोक्त सभी कारणों से परिवादी, विपक्षी का सेवादोष सिद्ध करने में पूरी तरह विफल रहा है। अतः परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।  

       आदेश 

    अतः परिवादी का परिवाद विपक्षी के खिलाफ  खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगें।

(महावीर तंवर)              (हेमलता भार्गव)            ( भगवान दास)  
  सदस्य                    सदस्य                   अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद      जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।     प्रतितोष  मंच, कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।
     निर्णय  आज दिनंाक 18.01.16 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 


  सदस्य                    सदस्य                   अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद      जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।     प्रतितोष  मंच, कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।

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