Rajasthan

Kota

CC/100/2009

Ajay malik - Complainant(s)

Versus

Branch Manager, State Bank Of Bikaner & Jaipur - Opp.Party(s)

S.K.Bakshi

24 Aug 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- 

01.    नंदलाल शर्मा    ः    अध्यक्ष  
02.    महावीर तंवर    ः    सदस्य

परिवाद संख्या:-100/09

अजय मलिक पुत्र डी.के.मलिक जाति पंजाबी, आयु 41 साल निवासी मकान नं. 1049, महावीर नगर प्रथम, कोटा, राजस्थान।                                 परिवादी

                    बनाम

स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर शाखा भीमगंजमंडी, कोटा जंक्शन, जरिये शाखा प्रबंधक।                                    अप्रार्थी

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री एस0के0बक्शी, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    श्री बी0पी0दाधीच, अधिकवक्ता, अप्रार्थी की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 24.08.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया उसका अप्रार्थी के यहाॅ बचत खाता संख्या 5109804650 है, उक्त खाता संख्या पर ए0टी0एम0 कार्ड संख्या 6002061025500021582 लिया हुआ है। दिनांक 12.12.08 को उक्त ए0टी0एम0 कार्ड रावतभाटा में खो गया, नियमों के अधीन अप्रार्थी को कार्ड गुम हो जाने की सूचना और विवरण देकर कार्ड ब्लाक किये जाने हेतु निवेदन किया ताकि कार्ड का दुरूपयोग नहीं कर सके। परिवादी ने अपने दोस्त ज्योर्तिमय गुप्ता को दिनांक 12.12.08 को बैंक भेजा, जिसने कार्ड गुम होने की सूचना बैंक को दी, दिनांक 13.12.08 को परिवादी ने छीपाबडौद से भी अप्रार्थी को फैक्स द्वारा सूचना दी गई। दिनांक 14.12.08 को परिवादी ने अप्रार्थी को व्यक्तिगत रूप से जाकर सूचना दी, उन्होने परिवादी का कम्प्यूटर पर ए0टी0एम0 कार्ड ब्लाक कर दिया। परिवादी ने अप्रार्थी के यहाॅ दूसरे ए0टी0एम0 कार्ड के लिये आवेदन किया जिस पर अप्रार्थी ने परिवादी को दूसरा ए0टी0एम0 कार्ड सं0 6002061025500062818 दे दिया। परिवादी ने दूसरे कार्ड का उपयोग कर दिनांक 03.02.09 को 10,000/- रूपये निकाले, जिसका इन्द्राज अप्रार्थी ने उसकी पास बुक में किया। ए0टी0एम0 कार्ड के साथ जो उपयोग निर्देशिका दी गई उसमें यह सपष्ट लिखा हुआ है कि कार्ड गुम हो जाये तो फोन पर तत्काल ग्राहक बैंक को सूचित करे। और नये कार्ड की शुल्क 200/- रूपये भी अप्रार्थी ने परिवादी से प्राप्त कर लिय,े जिसका इन्द्राज भी परिवादी की पास बुक में अप्रार्थी ने कर दिया। परिवादी के उक्त खाते से पुराने कार्ड 21582 के जरिये दिनांक 09.02.09 को किसी व्यक्ति ने 16,000/- रूपये निकाल लिये, जिसकी सूचना परिवादी ने दिनांक 14.02.09 को अप्रार्थी बैंक को सूचना दी और उक्त रकम बैंक से वापस मांगी। दिनांक 05.03.09 ने जवाब देकर परिवादी की मांग मानने से इंकार कर दिया। अप्रार्थी ने परिवादी की उक्त रकम नहीं देकर परिवादी की सेवा में कमी की है। परिवादी को अप्रार्थी से पहले वाले ए0टी0एम0 कार्ड से निकाली गई 16,000/- रूपये की राशि मय ब्याज, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।  

     अप्रार्थी ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी ने ए0टी0एम0 कार्ड गुम हो जाने की बात बताये जाने पर ए0टी0एम0 के टोल फ्री नम्बर पर काॅल कर गुम होने की सूचना दिये जाने एवं अप्रार्थी बैंक द्वारा भी ए0टी0एम0 स्विच सेन्टर को लिखे जाने की बात कही थी। ए0टी0एम0 का आपरेशन अप्रार्थी बैंक के कन्ट्रोल से नहीं होता है, जिसकी जानकारी स्वंय परिवादी को रही है। परिवादी की स्वयं की लापरवाही के कारण दिनांक 09.02.09 को 16,000/- रूपये की राशि की निकासी हुई है। परिवादी का ए0टी0एम0 कार्ड उसकी स्वयं की कस्टेडी से गुम हुआ है न कि अप्रार्थी की कस्टेडी से। परिवादी स्वयं का ए0टी0एम0 कार्ड रावतभाटा, जिला चित्तौड में गुम होना बताकर आया है। किसी भी उपभोक्ता का ए0टी0एम0 कार्ड गुम होने पर उसकी सूचना काॅल सेन्टर ए0टी0एम0 तकनीकी केन्द्र, बैंगलोर/बेलापुर में की जानी होती है जिसके सभी ए0टी0एम0 मशीन व कार्ड पर टोल फ्री नम्बर अंकित होता है। परिवादी ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। अप्रार्थी ने परिवादी को अवगत करा दिया था कि कार्ड गुम होने तथा ए0टी0एम0 स्वीच सेन्टर में हाटलिस्टिंग होने पर गुम हुए ए0टी0एम0 कार्ड के दुरूपयोग से होने वाली संभावित किसी भी हानि के लिये अप्रार्थी बैंक जिम्मेदार नही होगा स्वयं परिवादी जिम्मेदार होगा। परिवादी ने ए0टी0एम0 गुम हो जाने की रावतभाटा शाखा में कोई सूचना नहीं दी। परिवादी के पास ए0टी0एम0 कार्ड के गोपनीय पिनकार्ड नम्बर होते है उसके बिना किसी भी प्रकार की राशि नहीं निकाली जा सकती है और पिन नम्बर परिवादी के अलावा किसी अन्य के पास नहीं होते है। ए0टी0एम0 कार्ड  धारक के पास पिनकोड रहते है उक्त कार्ड का उपयोग करने पर पिन नम्बर का होट सिक्योरिटी माॅडल द्वारा सत्यापन होता है तथा नंबर सही होने पर लेन-देन की अनुमति मिलती है। लगातार तीन बार गलत पिन दर्ज करने पर ए0टी0एम0 कार्ड मशीन द्वारा ब्लाक कर दिया जाता है। परिवादी का दायित्व था कि वह अपने पहले कार्ड के पिन नम्बर की गोपनीयता बनाये रखता, बिना पिन नम्बर की जानकारी के परिवादी के खाते से उक्त राशि नहीं निकाली जा सकती। परिवादी ने दिनांक 12.12.08 को उक्त ए.टी.एम. कार्ड गुम हो जाने की बात कही उसके विपरीत 12.12.08 को परिवादी द्वारा उक्त ए0टी0एम0 कार्ड द्वारा दो बार अपने खाते से 6,000/- रूपये, 7,500/- रूपये की निकासी की है। परिवादी ने उक्त तथ्यों को परिवाद में छिपाये है। परिवादी का उक्त ए0टी0एम0 कार्ड खो गया तो परिवादी ने उक्त दो बार की राशि किस प्रकार निकाली। परिवादी द्वारा ए0टी0एम0 कार्ड के गुम हो जाने के दिन दो बार राशि की निकासी करना स्वयं के द्वारा टोल फ्री नम्बर  स्वीच सेन्टर को अविलम्ब  सूचित नहीं करना और न ही रावताभाटा में संबधित थाने पर तथा कथित घटना की रिर्पोट दर्ज नहीं करवाना, परिवादी के कथनों में विरोधाभास पैदा करता है। परिवादी ने ए0टी0एम0 कार्ड गुम हो जाने को कितनी गंभीरता से लिया। परिवादी की 16,000/- रूपये की राशि दिनांक 03.02.09 को निकासी होने का मतलब है कि परिवादी ने अपने गोपनीय पिनकोड को उजागर कर दिया जिसके कारण उक्त राशि की निकासी हुई। परिवादी ने ए0टी0एम0 कार्ड गुम होने की सूचना जहाॅ देना चाहिये थी वहा नही दी और केवल अप्रार्थी को सूचना देकर कार्ड गुम होने की इति श्री कर ली जो नियमों के अधीन सही नहीं है इसलिये अप्रार्थी परिवादी की 16,000/- रूपये की राशि दिनांक 03.02.09 को निकाली उसके लिये परिवादी स्वयं जिम्मेदार है न कि अप्रार्थी। अप्रार्थी ने परिवादी की सेवा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे। 

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    आया परिवादी अप्रार्थी का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, बचत खाता के होने से परिवादी, अप्रार्थी का उपभोक्ता है। 

02.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?

    उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादी का ए0टी0एम0 कार्ड दिनांक 12.12.08 को रावतभाटा में खोया है तथा परिवादी ने उक्त कार्ड की खोने की सूचना परिवादी ने रावतभाटा की अप्रार्थी की बैंक को नहीं दी और ना ही उसकी रिपोर्ट थाने में की। परिवादी ने ए0टी0एम0 कार्ड गुम होने पर  उसकी सूचना काॅल सेन्टर ए0टी0एम0 तकनीकी केन्द्र, बैंगलोर/बेलापुर में की जानी होती है जिसके सभी ए0टी0एम0 मशीन व कार्ड पर टोलफ्री नम्बर अंकित होता है। परिवादी ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। परिवादी ने जो भी सूचना दी वह अप्रार्थी को दी है। परिवादी ने दिनांक 12.12.08 को उक्त ए.टी.एम. कार्ड गुम हो जाने की बात कही उसके विपरीत 12.12.08 को परिवादी द्वारा उक्त ए0टी0एम0 कार्ड द्वारा दो बार अपने खाते से 6,000/- रूपये, 7,500/- रूपये की निकासी की है। परिवादी ने गोपनीय पिनकोड के नम्बरों को उजागर कर दिया, इसीलिये उक्त राशि निकली है इसके लिये परिवादी स्वयं जिम्मेदार है। अप्रार्थी बैंक नहीं। परिवादी ने उक्त तथ्यों को परिवाद में अंकित नहीं किया है। परिवादी की 16,000/- रूपये की राशि दिनांक 03.02.09 को निकासी हुई है। परिवादी के पास ए0टी0एम0 कार्ड के गोपनीय पिनकार्ड नम्बर होते  उसके बिना किसी भी प्रकार की राशि नहीं निकाली जा सकती है और पिन नम्बर परिवादी के अलावा किसी अन्य के पास नहीं होते है। ए0टी0एम0 कार्ड  धारक के पास पिनकोड रहते है उक्त कार्ड का उपयोग करने पर पिन नम्बर का होट सिक्योरिटी माॅडल द्वारा सत्यापन होता है तथा नंबर सही होने पर लेन-देन की अनुमति मिलती है। लगातार तीन बार गलत पिन दर्ज करने पर ए0टी0एम0 कार्ड मशीन द्वारा ब्लाक कर दिया जाता है। परिवादी का दायित्व था कि वह अपने पहले कार्ड के पिन नम्बर की गोपनीयता बनाये रखता, बिना पिन नम्बर की जानकारी के परिवादी के खाते से उक्त राशि नहीं निकाली जा सकती। परिवादी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी के उक्त कथनों का खंडन नहीं किया है। खंडन के अभाव में अप्रार्थी के जवाब में किये गये कथनों को मिथ्या माने जाने का कोई कारण हमारे समक्ष नहीं है। अप्रार्थी ने ए0टी0एम0 कार्ड गुम होने की सूचना अप्रार्थी बैंक को सूचना करने का कथन परिवाद में अंकित किया है न कि परिवादी ने ए0टी0एम0 कार्ड गुम होने पर  उसकी सूचना काॅल सेन्टर ए0टी0एम0 तकनीकी केन्द्र, बैंगलोर/बेलापुर में, की जानी होती है जिसके सभी ए0टी0एम0 मशीन व कार्ड पर टोलफ्री नम्बर अंकित होता है। अप्रार्थी के जवाब की पुष्टि उनके शपथ-पत्र से भी होती है। उपरोक्त विवेचन को दृष्टिगत रखते हुये परिवादी अप्रार्थी का सेवा-दोष साबित करने में विफल रहा है।   

03.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद, अप्रार्थी के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 
 
                     आदेश 

     परिवादी अजय मलिक का परिवाद, अप्रार्थी के खिलाफ खारिज किया जाता है।  परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 


     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 24.08.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।

   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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