राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सर्किट बैंच
संख्या 2,राजस्थान जयपुर
ं
अपील संख्याः 312/2013
देवी प्रसाद शर्मा पुत्र श्री विपतीराम शर्मा, निवासी ए/21, बावजी नगर, बारां, हाल निवावी ग्राम व पो. खानपुर तह. बाड़ी जिला धौलपुर।
बनाम
शाखा प्रबन्धक, रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेंस कम्पनी, 10ए प्रथम फ्लोर सूर्या होटल के पास, झालावाड़ रोड़ कोटा।
समक्षः- द्वारा एकल पीठ
माननीय श्री लियाकत अली, पीठासीन सदस्य।
उपस्थितः
श्री नीरज शर्मा, अधिवक्ता अपीलार्थी ।
श्री मनोजगोपाल, अधिवक्ता प्रत्यर्थी ।
दिनंाक: 05.02.2015
राज्य आयोग, सर्किट बैंच नं0 02, राज. द्वारा-
यह अपीलार्थी (परिवादी) ने जिला मंच धौलपुर में पारित आदेष संख्या 333/2011 से सुब्द्व होकर प्रस्तुत की है, जिसमें अपीलार्थी (परिवादी) का परिवाद खारिज कर दिया गया है।
परिवादी के कथन इस प्रकार है कि परिवादी विपक्षी के यहां से एक बीमा पाॅलिसी अपने वाहन संख्या आर.जे. 28/जीए 0263 महिन्द्रा पिकअप हेतु करवाया था तथा उक्त वाहन बीमित अवधि में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी ने वाहन की क्षति के रूप में 50,000/-रूपये एवं अन्य अनुतोष की मांग की जिसे जिला मंच ने अस्वीकार कर दिया।
विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्युत्तर देकर बताया कि दुर्घटना के समय वाहन में 5-6 सवारियां बैठी थी जिसमें से एक की मृत्यू हो गई, जबकि वह माल ढोने के लिए पंजीकृत था तथा बीमा भी माल वाहक के रूप में किया गया था। वाहन में यात्री सवारी बैठकर बीमा शर्तों का उलंघ्घन किया है इसलिए क्लेम निरस्त किया गया है।
हमने दोनों पक्षों की बहस सूनी। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
यह तथ्य स्वीकार्य है कि वाहन बीमित था एवं बीमित अवधि में ही दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। बीमा कम्पनी के अधिवक्ता ने सर्वेयर रिपोर्ट बहस के दौरान प्रस्तुत की, हमने सर्वेयर रिपोर्ट का अवलोकन किया जिसमें दुर्घटना के बारे में सारे तथ्यों का अंकन अंकित है, परन्तु सर्वेयर किसके द्वारा की गई तथा उसके हस्ताक्षर इत्यादी सर्वेयर रिपोर्ट में नहीं है। अभिलेख पर ऐसे कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है जिससे यह प्रमाणित हो सके कि वाहन में पैसे लेकर सवारियों का परिवहन किया जा रहा हो। बीमा कम्पनी की ओर से न्यायिक दृष्टांत छब् रिवीजन संख्या 2656/06, व्प्ब् बनाम ठ । छंहमेीए आदेष दिनांक 31.05.06 प्रस्तुत किया है। उक्त न्यायिक दृष्टांत में व्अमत स्वंकपदह के कारण दुर्घटना हुई थी। इसलिए बीमा कम्पनी ने क्लेम देने से इन्कार कर दिया था, परन्तु इस प्रकरण में तथ्य इससे भिन्न है, इसमें व्अमत स्वंकपदह की स्थिति ना होकर बीमा कम्पनी का आरोप यह है कि बीमित वाहन में सवारियों का परिवहन किया जा रहा था, जबकि मंच के अभिलेख में ऐसा कोई दस्तावेज प्रकट नहीं है, जिससे यह प्रमाणित हो कि सवारियों को लेकर वाहन व्यवसायिक गतिविधि कर रहा था। अतः समस्त तथ्यों व परिस्थियों को देखते हुए जिला मंच का उक्त आदेष अपास्त किया जाता है एवं अपील अपीलार्थी स्वीकार कर यह आदेषित किया जाता है कि बीमा कम्पनी क्षतिग्रस्त वाहन में हुए खर्चें की राषि 50,000/-रूपए तथा परिवाद व्यय स्वरूप 10,000/- रूपए का भुगतान एक माह की अवधि में परिवादी को करे। एक माह की अवधि मेें भुगतान नहीं होने की स्थिति में परिवादी विपक्षी से 9 प्रतिषत ब्याज वार्षिक दर से भुगतान की तिथि तक ब्याज प्राप्त करने का भी अधिकारी होगा।
(लियाकत अली)
पीठासीन सदस्य