(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष्ा आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1085/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय बरेली द्वारा परिवाद संख्या-12/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.07.2019 के विरूद्ध)
पंकज मिश्रा पुत्र के.डी. मिश्रा, निवासी बी-4, वीर सावरकर नगर, बरेली, पीएनबी कालोनी, डेलापीर इज्जतनगर, बरेली।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. ब्रांच मैनेजर, पंजाब नेशनल बैंक, प्रेमनगर ब्रांच, बरेली।
2. चीफ मैनेजर, क्रेडिट सेक्शन सर्कल आफिस, पंजाब नेशनल बैंक, बरेली।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अखिलेश त्रिवेदी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 12.07.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-12/2018, पंकज मिश्रा बनाम पंजाब नेशनल बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय बरेली द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.07.2019 के विरूद्ध यह अपील स्वंय परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद खारिज कर दिया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने एम.बी.ए. के दो वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए दिनांक 20.01.2007 को अंकन 6,79,000/- रूपये का ऋण प्राप्त किया था। एम.बी.ए. वर्ष 2009 में पूर्ण हो गया और परिवादी
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द्वारा नियमित रूप से किश्तों का भुगतान भी किया जाता रहा। वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 तक लिए गए शिक्षा ऋण पर छूट देने की योजना प्रारम्भ की गई, जिसके लिए परिवादी भी अर्हता रखता था, परन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को छूद प्रदान नहीं की गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि यह उपभोक्ता परिवाद के रूप में पोषणीय नहीं है। विपक्षीगण द्वारा किसी प्रकार की सेवा में त्रुटि नहीं की गई है।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी का खाता दिनांक 09.10.2017 को एन.पी.ए. घोषित हो चुका है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग को ऋण की छूट का आदेश देना या ऋण माफ करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. यथार्थ में परिवादी भारत सरकार की ऋण माफी योजना के अन्तर्गत छूट प्राप्त करने के लिए अधिकृत है या नहीं, इस तथ्य को सुनिश्चित करने का अधिकार विद्वान उपभोक्ता आयोग में निहित नहीं है, क्योंकि किसी योजना का लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से परिवादी को अपने पक्ष में इस आशय की उदघोषणात्मक डिक्री प्राप्त करनी होगी कि वह योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकृत है और इस आशय की डिक्री विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जारी नहीं की जा सकती, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप
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करने का कोई अधिकार नहीं है। अपील तदनुसार खारिज होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1