Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/229/2013

Sanjay Kumar Rai - Complainant(s)

Versus

Branch Manager National Insurance Company - Opp.Party(s)

Shri Satya Prakash Yadav

09 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/229/2013
 
1. Sanjay Kumar Rai
S/O Shri Ramchandra Rai, Baribagh Chungi, Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Branch Manager National Insurance Company
Ghazipur
2. Senior Divisional Manager National Insurance Company Limited
Maunath Bhanjan, Dev Bhawan. Near- Jeevan Ram Inter College- 275101
Maunath Bhanjan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma PRESIDENT
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Satya Prakash Yadav, Advocate
For the Opp. Party: Shri Sunil Kumar Jaiswal, Advocate
 Shri Sunil Kumar Jaiswal, Advocate
ORDER

दिनाक: 09-10-2015

          परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि विपक्षी गण से उसे प्रश्‍नगत टेम्‍पो की बीमा धनराशि रू01,47,250/- दिलाने के साथ ही शारीरिक, मानसिक कष्‍ट के लिए रू0 20,000/- प्रतिकर के रूप में दिलाये जायॅ।

 

     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि  उसने माल वाहक टेम्‍पो सं0 यू0पी0 61टी-1391 का बीमा विपक्षी सं01 से कराया था और यह बीमा दिनांक: 19-09-2011 से 18-09-2012 तक वैध एवं प्रभावी था। इसकी पालिसी संख्‍या-45210031116300010580 थी । दिनांक 04-06-2012 को 10 बजे रात में परिवादी अपना उक्‍त टेम्‍पो अपने घर के सामने खड़ा करके घर के अन्‍दर चला गया था । रात के समय इसे अज्ञात चोरों ने चुरा लिया।  परिवादी ने काफी तलाश की, लेकिन तलाश नहीं हो सकी। अत: परिवादी ने चोरी के बावत थाना कोतवाली में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी। उसने प्रश्‍नगत टेम्‍पो की चोरी की सूचना विपक्षी सं01 को दी और प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति भी प्रस्‍तुत की। वाहन का पता न चलने पर परिवादी ने क्‍लेम फार्म प्रस्‍तुत किया। दिनांक 08-03-13 को नेशनल इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी के वरिष्‍ठ मण्डल प्रबन्‍धक का परिवादी को पत्र प्राप्‍त हुआ जिसके द्वारा प्रश्‍नगत टेम्‍पो की दोनों चाबियॉ, सम्‍भागीय अधिकारी को प्रेषित अन्तिम रिपोर्ट आदि अभिलेख प्रस्‍तुत करने की अपेक्षा की गयी थी, जिसे परिवादी ने  सम्‍बन्धित कार्यालय में दिनांक 10-06-13 को जमा करा दिया। अन्तिम रिपोर्ट स्‍वीकृति का आदेश दिनांक 23-05-13 को  हुआ, उसकी सत्‍य प्रति दिनांक 30-05-13 को प्राप्‍त हुई, जिसे परिवादी ने इन्‍श्‍योरेंस कार्यालय में जमा करा दिया। परिवादी द्वारा समस्‍त कागजात जमा किये 05 माह हो चुके हैं, बार-बार दौड़ने के बावजूद परिवादी को बीमित धन का भुगतान नहीं किया जा रहा है इसलिए परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

 

     विपक्षी स01 ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी द्वारा स्‍वयं से प्रश्‍नगत टेम्‍पो का बीमा कराये जाने से इनकार किया है। परिवादी द्वरा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने को स्‍वीकार किया गया है। उसने यह भी स्‍वीकार किया है कि  टेम्‍पो चोरी हो जाने की सूचना उसे भी दी गयी थी। उसने यह भी स्‍वीकार किया है कि परिवादी ने क्‍लेम फार्म उसके यहॉ जमा किया था। विपक्षी सं01 द्वारा परिवाद पत्र के शेष कथनों को स्‍वीकार नहीं किया गया है। उसकी ओर से कहा गया है कि परिवादी ने अनुचित, अस्‍पष्‍ट तथा भ्रामक कथनों के साथ परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया है जो पोषणीय नहीं है। प्रश्‍नगत वाहन का उपभोग व्‍यावसायिक रहा है और प्रश्‍नगत वाहन का बीमा नेशनल इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी के मण्‍डलीय कार्यालय मऊ नाथ भंजन से कराया गया है। व्‍यावसायिक उद्देश्‍य से उपयोग होने वाले वाहन के मामले को संज्ञान लेने का क्षेत्राधिकार इस फोरम को नहीं है। प्रश्‍नगत वाहन का बीमा गुड्स कैरियर कामर्शियल वाहन (ओपेन) पैकेज पालिसी के अधीन मण्‍डलीय कार्यालय मऊनाथ भंजन द्वारा किया गया था और यह बीमा दिनांक 19-09-11 से 18-09-12 तक प्रभावी था। चोरी की घटना के समय वाहन चालक के पास वाणिज्यिक वाहन चालक अनुज्ञप्ति, परमिट तथा फिटनेस वैध व प्रभावी पाये जाने पर क्षतिपूर्ति हेतु बीमा कम्‍पनी उत्‍तरदायी होती है। चोरी की प्रश्‍नगत घटना परिवादी की लापरवाही से हुई है। उसने वाहन को सुरक्षित रखने का समुचित उपाय नहीं किया था। ऐसी स्थिति में स्‍वयं की लापरवाही के कारण परिवादी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। प्रश्‍नगत  वाहन का बीमा मण्‍डलीय कार्यालय से हुआ था। इसलिए सम्‍बन्धित शाखा को पक्षकार बनाया जाना आवश्‍यक था। परिवादी द्वारा क्‍लेम प्रस्‍तुत करने पर दिनाक 02-01-2013 तथा 19-01-13 को पत्र प्रेषित करके दावे के निपटारे हेतु आवश्‍यक कागजात उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया गया था, लेकिन उसने अपेक्षित कागजात उपलब्ध नहीं कराया। दिनांक 08-03-13 को  अन्तिम नोटिस भेजते हुए परिवादी को अवगत करा दिया गया कि यदि उसने 15 दिन के अन्‍दर आवश्‍यक कागजात उपलबध नहीं कराये तो उसका दावा अमान्‍य करके बंद कर दिया जायेगा, लेकिन परिवादी ने कागजात उपलब्‍ध नहीं कराये। इसलिए उसका दावा दिनांक 22-03-13 को अमान्‍य कर दिया गया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी को क्‍लेम अमान्‍य किये जाने की सूचना प्रेषित की गयी थी, लेकिन उसने दुर्भावनावश परिवाद पत्र में इसका उल्‍लेख नहीं किया है। विपक्षी को हैरान-परेशान करने के लिए यह परिवाद योजित किया गया है  जिसके लिए रू0 10,000/- क्षतिपूर्ति दिलायी जाय। पालिसी के प्राविधानों के अनुसार बीमाधारक द्वारा बीमा कम्‍पनी के पक्ष में लिखित अधिकार पत्र तथा आर0टी0 ओ0 कार्यालय को बीमा कम्‍पनी  का नाम रजिस्‍ट्रेशन बुक में दर्ज करने का अधिकार पत्र प्रस्‍तुत करने पर ही बीमा कम्‍पनी द्वारा क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्‍व हो सकता है, अन्‍यथा नहीं ।

          विपक्षी  सं02 की ओर से अलग से लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है बल्कि यह कथन किया गया है कि विपक्षी सं01, की ओर से जो लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है, उसे ही विपक्षी सं02 की ओर से भी लिखित कथन मान लिया जाय।

 

          परिवादी ने परिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में अपना शपथ पत्र 4ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही सूची 7ग के जरिये 08 अभिलेख पत्रावली पर उपलबध किये हैं। परिवादी की ओर से लिखित बहस कागज सं0 40ग पत्रावली पर उपलब्‍ध करायी गयी है।

 

          विपक्षी सं01 की ओर से लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र 19ग प्रस्‍तुत करने के साथ ही सूची 20ग के जरिये 11 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध कराये गये हैं ।विपक्षी की ओर से लिखित बहस कागज सं0 33ग भी पत्रावली पर उपलब्‍ध की गयी है।

 

          परिवाद पत्र में उल्लिखित कथनों तथा पक्षों द्वारा दिये गये शपथ पत्रों आदि अभिलेखीय साक्ष्‍य तथा लिखित बहस का भलीभॅाति परिशीलन किया गया और पक्षों के विद्वान अधिवक्‍ता गण को विस्‍तार से सुना गया।

 

          परिवाद पत्र तथा प्रतिवाद पत्र के परिशीलन से प्रकट होता है कि   पक्षों के बीच इस बिन्‍दु पर विवाद नहीं है कि परिवादी का माल वाहक टेम्‍पो सं0 यूपी61टी 1391 विपक्षी सं03 से बीमित था और यह बीमा दिनांक 19-09-11 से 18-09-12 तक वैध एवं प्रभावी था। परिवादी की ओर से कहा गया है कि उक्‍त टेम्‍पो दिनांक 04-06-2012 की रात में उसके घर के सामने खड़ा था,  जहॉ से रात में वह चोरी हो गया था और इस सम्‍बन्‍ध में परिवादी ने थाना कोतवाली में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर विवेचना के उपरांत पुलिस थाना कोतवाली गाजीपुर द्वारा अन्तिम रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गयी थी, जिसे मुख्‍य न्‍याकि मैजिस्‍ट्रेट गाजीपुर द्वारा  दि0 23-05-13को स्‍वीकार किया गया। सर्वेयर / जॉचकर्ता की आख्‍या 24ग पत्रावली पर उपलब्‍ध करायी गयी है जिसमें यह स्‍वीकार किया गया है कि  दि0 4/5-6-12 की रात में टेम्‍पो  चोरी हुआ था और इसका पता नहीं लग सका था। इस प्रकार विपक्षी गण की ओर से नियुक्‍त सर्वेयर ने प्रश्‍नगत वाहन चोरी की घटना को सही माना है।

 

          विपक्षी गण की ओर से कथित चोरी की घटना की रिपोर्ट विलम्‍ब से दर्ज कराये जाने के सम्‍बन्‍ध में  कोई तर्क नहीं दिया गया है।विपक्षी गण की ओर से कहा गया है कि प्रश्‍नगत टेम्‍पो माल वाहक वाहन था,इसलिए परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में  नहीं आता है। इस तर्क का खण्‍डन परिवादी की ओर से किया गया है और कहा गया है कि प्रश्‍नगत टेम्‍पो का उपयोग परिवादी द्वारा गिट्टी, बालू, सीमेण्‍ट की दुकान से माल ले जाने में किया जाता था। उक्‍त माल वाहक वाहन का बीमा होने मात्र से परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी से बाहर नहीं हो जाता। 2009 (1) सी. पी. आर. 44 (एन.सी) मे0 जे0के0 सीमेण्‍ट वर्क्‍स बनाम मे0 ओरिएण्‍टल इन्‍श्‍योरेंस कं0लि0, मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने प्रतिपादित किया है कि यदि किसी व्‍यक्ति या कम्‍पनी द्वारा अपने माल का बीमा कराया जाता है तो ऐसा बीमा व्‍यावसायिक क्रियाकलाप के जोखिम को आच्‍छादित करने के लिए है न कि व्‍यावसायिक प्रयोग के लिए है। ऐसी दशा में  बीमा कराने वाली कम्‍पनी या व्‍यक्ति  उपभोक्‍ता की श्रेणी में आयेगा। वर्तमान मामले में भी परिवादी ने अपने माल वाहक वाहन का बीमा कराया है, यह बीमा उक्‍त वाहन के जोखिम को आच्‍छादित करने के लिए है न कि  व्‍यावसायिक उद्देश्‍य से बीमा  कराया गया है ऐसी स्थिति में उपरोक्‍त मामले में प्रतिपादित सिद्धांत को देखते हुए परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है और  विपक्षी गण की ओर से इस बिन्‍दु पर दिये गये तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवादी ने प्रश्‍नगत टेम्‍पों की सुरक्षा हेतु कोई व्‍यवस्‍था नहीं की थी। परिवादी की ओर से कहा गया है कि वह अपनी टेम्‍पो की चाबी बंद करके टेम्‍पो खड़ा किया था ऐसी स्थिति में मेरे विचार से विपक्षी गण की ओर से दिये गये तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवादी ने प्रश्‍नगत टेम्‍पों की सुरक्षा हेतु कोई व्‍यवस्‍था नहीं किया था।  परिवादी की ओर से 2012(3) सी. पी. आर. 91(राजस्‍थान) लाईफ इन्‍श्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया बनाम रेखा परदासानी मामले में  मा0 राज्‍य आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत का सहारा लेते हुए कहा गया है कि एक सामान्‍य व्‍यक्ति तकनीकी व्‍यवस्‍था का जानकार नहीं होता है इसलिए तकनीकी आधार पर नोक्‍लेम नहीं किया जाना चाहिए।

 

          उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचन से प्रकट है कि प्रश्‍नगत मालवाहक टेम्‍पो की बीमापालिसी दिनांक 04-06-12 को वैध एवं प्रभवी थी और इसके वैध रहते हुए दि0 4-06-12 को इसकी चोरी हो गयी थी । प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद इसकी तलाश नहीं हो सकी थी और सक्षम न्‍यायालय द्वारा  पुलिस द्वारा प्रस्‍तुत  अन्तिम रिपोर्ट स्‍वीकार की गयी थी। मामले के तथ्‍य एवं साक्ष्‍य से प्रकट है कि प्रश्नगत माल वाहक टेम्‍पो का बीमा जोखिम आच्‍छादित कराने के लिए किया गया था। यह भी उललेखनीय है कि माल वाहक होने के कारण विपक्षी द्वारा अधिक प्रीमियम भी प्राप्‍त किया गया था ।ऐसी दशा में  बीमा पालिसी के प्रभावी रहते हुए वाहन के चोरी होने की दशा में, विपक्षी गण जोखिम की प्रतिपूर्ति करने के दायित्‍व से नहीं बच सकते हैं।

 

          विपक्षी बीमा कम्‍पनी की शाखा जनपद गाजीपुर में है और वह जनद गाजीपुर में बीमा का व्‍यवसाय करती है, ऐसी स्थिति में विपक्षी गण के इस तर्क में कोई बल नहीं है कि इस फोरम को क्षेत्रीय अधिकारिता प्राप्‍त नहीं है।

 

          प्रश्‍नगत टेम्‍पो की जोखिम के लिए बीमा दिनांक 19-9-11 को रू0 147250/- के लिए किया गया था लेकिन प्रश्‍नगत वाहन की चोरी बीमा होने से लगभग 9 महीने बाद हुई थी, ऐसी स्थिति में वाहन की उपयोगिता व मूल्‍य  में 10 प्रतिशत की कमी करने पर कथित चोरीकी तिथि को वाहन का मूल्‍य रू0 132525/-मानना उचित है ऐसी दशा में परिवादी को केवल प्रश्‍नगत वाहन के बीमा धन के रूप में रू0132525/- दिलाया जाना उचित है। परिवादी ने विपक्षी गण द्वारा नोक्‍लेम किये जाने के कारण शारीरिक व मानसिक कष्‍ट के लिए प्रतिकर के रूप में रू0 20000/- की मॉग की है, लेकिन मामले तथ्‍यों और परिस्थितियों को देखते हुए मेरे विचार से परिवादी को शारीरिक, मानसिक कष्‍ट  के रूप में  2000/- दिलाया जाना उचित है।

     विपक्षी गण की ओर से  कहा गया है कि परिवादी द्वारा बीमा कम्‍पनी के पक्ष में लिखित अधिकार पत्र तथा क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को प्रमाण पत्र बीमा रजिस्‍ट्रेशन बुक में बीमा कम्‍पनी का नाम दर्ज करने का पत्र प्रस्‍तुत करने की दशा में ही क्षतिपूर्ति की अदायगी की जा सकती है। चॅूकि प्रश्‍नगत टेम्‍पो से सम्‍बन्धित बीमा धनराशि परिवादी को दिलायी जा रही है, ऐसी दशा में परिवादी को बीमा धनराशि की अदायगी से पूर्व विपक्षी गण के पक्ष में लिखित अधिकार पत्र तथा क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को रजिस्‍ट्रेशन बुक में बीमा कम्‍पनी का नाम दर्ज किये जाने सम्‍बन्‍धी पत्र, प्रस्‍तुत करने का निर्देश देना उचित है।       

                             आदेश

 

     परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी गण को निर्देश दिया जाता है कि वे एक माह के अन्‍दर परिवादी को बीमित234 धनराशि रू0 132525/-अदा करने साथ ही शारीरिक व मानसिक कष्‍ट के लिए रू0 2000/- प्रतिकर अदा करें । उक्‍त धनराशि प्राप्‍त करने से पूर्व परिवादी द्वारा वाहन के सम्‍बन्‍ध में बीमा कम्‍पनी के पक्ष में लिखित अधिकार पत्र तथा क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी  को  बीमा कम्‍पनी का नाम  दर्ज किये जाने का पत्र प्रस्‍तुत किया जायेगा ।

          इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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