Uttar Pradesh

StateCommission

A/1104/2017

Bal Krishna - Complainant(s)

Versus

Branch Manager Maruti Sizuki K.T.L. Pvt Ltd - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Verma

26 Sep 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1104/2017
( Date of Filing : 21 Jun 2017 )
(Arisen out of Order Dated 18/05/2017 in Case No. C/330/2016 of District Auraiya)
 
1. Bal Krishna
Vill. Porwa Saktu Thana Dibiapur Distt. Auriya
...........Appellant(s)
Versus
1. Branch Manager Maruti Sizuki K.T.L. Pvt Ltd
Kamla Nagar Agra Distt. Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 26 Sep 2019
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या : 1104/2017

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्‍या-330/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-05-2017 के विरूद्ध)

Bal Krishna S/o Sri Ramakant Village-Poorwa Saktu, Thana Dibiapur, District-Auraiya.                    .....अपीलार्थी/परिवादिनी

बनाम्

  1. Branch Manager, Maruti Suzuki KTL, Pvt. Ltd., Kamla Nagar, Agra, District-Agra.
  2. Himanshu Dixit (Agent) Maruti Suzuki KTL, Pvt. Ltd., Kamla Nagar, Agra, District-Agra, Current Address-Seganpur, Thana Ajeetmal District-Auraiya.

                                                ...प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष  :-

1- मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,  अध्‍यक्ष ।

उपस्थिति :

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री संजय कुमार वर्मा।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-      श्री विजय कुमार यादव।

दिनांक : 26-11-2019

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय

        परिवाद संख्‍या-330/2016 बालकृष्‍ण बनाम् शाखा प्रबंधक मारूती सुजुकी के0टी0एल0, पी0वी0टी0, एल0टी0डी0  व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क

 

                   

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18-05-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

        आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद खारिज कर दिया है जिससे क्षुब्‍ध होकर  परिवादी बालकृष्‍ण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

        अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आये। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री विजय कुमार यादव उपस्थित आए।

   मैने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

        मैंने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

         अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 के शोरूम से दिनांक 20-05-2015 को एक स्विफ्ट डिजायर कार खरीदी, जिसकी आनरोड कीमत 7,97,000/-रू0 थी। परिवादी ने विपक्षी के एजेन्‍ट श्री हिमांशू दीक्षित को दिनांक 17-05-2015 को रू0 50,000/- गाड़ी की बुकिंग हेतु दिया, जिसकी रसीद एजेन्‍ट श्री हिमांशू द्वारा उसे प्रदान की। परिवादी द्वारा दूसरी व तीसरी किश्‍त के रूप में दिनांक 19-05-2015 को रू0 6,00,000/- व रू0 1,10,000/-रू0 विपक्षी के0टी0एल0 के एकाउन्‍ट बैंक आफ बड़ौदा शाखा कमलानगर, आगरा में जमा कर किया जिसकी रसीद बैंक द्वारा परिवादी को प्रदान की गयी। उसके बाद शेष बची धनराशि रू0 37000/- विपक्षी के एजेन्‍ट श्री हिमांशू दीक्षित को दिनांक 20-05-2015 को प्रा‍त: 6.30 दे दिया। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी ने गाड़ी की

 

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कीमत रू0 6,95,139/- के साथ रू0 23,993/- बीमा पालिसी हेतु, रू0 9,719/- इंजन वारण्‍टी कार्ड हेतु और रू0 6750/- गाड़ी के उपकरण, बाडी कवर, स्‍टेरिंग कवर, परु्यूम, साईड मोल्डिग व बैक सेंसर आदि हेतु अदा किया। अपीलार्थी/परिवादी ने रू0 2,000/- अस्‍थाई रजिस्‍ट्रेशन हेतु, रू0 5500/- हैड्रिग चार्ज हेतु तथा रू0 53,899/- गाड़ी के स्‍थायी रजिस्‍ट्रेशन हेतु भी अदा किया। उसके बाद दिनांक 20-05-2015 को वाहन की डिलीवरी अपीलार्थी/परिवादी को औरैया में दी गयी परन्‍तु इंजन का वारण्‍टी कार्ड, स्‍टेयरिंग कवर एवं बाड़ी कवर नहीं दिया। वाहन का पंजीयन भी नहीं कराया। अत: विवश होकर अपीलार्थी/परिवादी ने स्‍वयं वाहन का पंजीयन कराया जिसमें विलम्‍ब शुल्‍क सहित रू0 69815/-रू0 अपीलार्थी परिवादी को खर्च करना पड़ा।

    परिवाद पत्र के अनुसार वाहन का मूल्‍य 695139/-रू0 है और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने वासहन के बीमा का 23993/-रू0 दिया है अत: उसके यहॉं अपीलार्थी/परिवादी की जमा उपरोक्‍त धनराशि में 77888/-रू0 शेष बचा है। अत: अपीलार्थी/परिवादी ने अवशेष धनराशि 77888/-रू0 पंजीयन के व्‍यय की धनराशि 69815/-रू0 कुल 147883/-रू0 दिलाये जाने की मांग परिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर की है। साथ ही ब्‍याज व वाद व्‍यय की मांग की है।

    जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि अपीलार्थी परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 को कोई भुगतान नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं उसने मात्र 760000/-रू0 जमा किया है। जबकि वाहन की कीमत 732000/-‘रू0 है। अत: उसका 27964/-रू0 अधिक जमा है जिसमें उसे 27000/-रू0 अदा कर दिया गया है।

    प्रतयर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है।

 

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    उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार कर जिला फोरम ने माना है कि अपीलार्थी/परिवादी को कोई धनराशि देय नहीं है। अत: जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

    अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय व आदेश तथ्‍य एवं विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को 7,97000/-रू0 दिया है जबकि वाहन का मूल्‍य मात्र रू0 6,95,139/- है और बीमा 23,993/-रू0 का कराया गया है। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी अपनी जमा धनराशि से 77888-रू0 वापस पाने का अधिकारी है। इसके अलावा उसने वाहन के रजिस्‍ट्रेशन हेतु विलम्‍ब शुल्‍क सहित 69,815/-रू0 दिया है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थीगण ने वाहन के पंजीयन हेतु उपरोक्‍त धनराशि लिया था परन्‍तु वाहन का पंजीयन नहीं कराया जिससे अपीलार्थी परिवादी को पंजीयन का विलम्‍ब शुल्‍क देना पड़ा है। अत: प्रत्‍यर्थीगण अपीलार्थी/परिवादी को 69,885/-रू0 का भुगतान करने हेतु उत्‍तरदायी है।

    अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का कथन है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 ने अपीलार्थी को 27000/-रू0 का चेक भेजा था परन्‍तु उसका भुगतान उसने प्राप्‍त नहीं किया है। अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से प्राप्‍त चेक प्रस्‍तुत किया है।

    प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने मात्र 7,60,000/-रू0 उसे दिया है। वाहन का मूल्‍य 7,006,39/-रू0 इंश्‍योरेंस प्रीमियम 23,965/-रू0, एसेसरीज का 6750/-रू0 व अस्‍थाई पंजीकरण की धनराशि 680/-रू0 काटकर 27,000/-रू0 का चेक उसने अपीलार्थी/परिवादी को भेजा है यदि अपीलार्थी ने भुगतान प्राप्‍त नहीं किया है तो चेक प्रस्‍तुत करने पर वह दूसरा चेक देने को तैयार है।

    मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

    अपीलार्थी/परिवादी ने 37000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 को देना बताया है परन्‍तु कोई रसीद या जमा का प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया है।

 

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अत: यह धनराशि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा प्राप्‍त किया जाना प्रमाणित नहीं है।

    प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को स्‍वीकार है कि अपीलार्थी/परिवादी ने 7,60,000/-रू0 प्रश्‍नगत वाहन हेतु जमा किया है। वाहन के संबंध में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा दी गयी इन्‍वाइस में वाहन का फिक्‍स शोरूम मूल्‍य 6,95,138.65/-रू0 अंकित है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के अनुसार बीमा प्रीमियम की धनराशि 23,965/-रू0 और एसेसिरीज का मूल्‍य 6,750/-रू0 और टेम्‍परेरी पंजीकरण शुल्‍क 680/-रू0 है कुल मिलाकर वाहन हेतु प्रतयर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को देय धनराशि 7,26,534/-रू0 बनती है अत: जमा धनराशि 7,60,000/-रू0 से 33,466/-रू0 अपीलार्थी वापस पाने का अधिकारी है।

    प्रश्‍नगत वाहन की डिलीवरी दिनांक 20-05-2015 को दिया जाना बताया गया है। इन्‍वायस दिनांक 22-06-2015 को बनायी गयी है। अपीलार्थी ने 7,60,000/-रू0 स्‍वीकृत रूप से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं जमा किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपीलार्थी/परिवादी को 27,000/-रू0 का चेक दिनांक 16-04-2016 को दिया है। वास्‍तविक धनराशि से अधिक धनराशि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपीलार्थी/परिवादी से जमा कराया है और वाहन डिलीवरी के करीब दस माह बाद अधिक धनराशि के रिफण्‍ड हेतु चेक अपीलार्थी/परिवादी को जारी किया है। इसके साथ ही वाहन के मूल्‍य 6,95,138.65/-रू0 के स्‍थान पर इन्‍वाइस मूल्‍य 7,00,639/-रू0, हैण्‍डलिंग चार्जेज 5500/-रू0 जोड़कर बताया है। हैण्‍डलिंग चार्जेज की यह धनराशि अपीलार्थी/परिवादी से चार्ज किया जाना विधि सम्‍मत नहीं दिखता है। अत: प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को 33,466/-रू0 अपीलार्थी परिवादी को वापस करने हेतु आदेशित किया जाना उचित है।

    प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपीलार्थी/परिवादी से वाहन के वास्‍तविक मूल्‍य से अधिक धनराशि जमा कराकर अधिक धनराशि के रिफण्‍ड का चेक देने में जो विलम्‍ब किया है यह उसकी सेवा में कमी है। अत: सेवा में इस

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कमी हेतु अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से 10,000/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलया जाना उचित है।

    अपीलार्थी/परिवादी को रू0 5000/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया जाना भी उचित है। पंजीयन की धनराशि रू0 69,815/-रू0 की मांग अपीलार्थी/परिवादी द्वारा किया जाना उचित नहीं है।

    उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार कर परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाना उचित है। जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर गलती की है।

आदेश

    अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश अपास्‍त कर परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को आदेशित किया जाता है कि वह रू0 33,466/-रू0 अपीलार्थी/परिवादी को अदा करें। यदि चेक की धनराशि 27,000/-रू0 का भुगतान अपीलार्थी/परिवादी ने प्राप्‍त कर लिया है तो यह धनराशि आदेशित धनराशि में समायोजित की जायेगी।

    प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को 10,000/-रू0 क्षतिपूर्ति व रू0 5000/- वाद व्‍यय भी अदा करें।

    उपरोक्‍त सभी धनराशि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 इस निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर अपीलार्थी/परिवादी को अदा करेगा। यदि इस अवधि में वह भुगतान में चूक करता है तब सम्‍पूर्ण धनराशि पर वह अपीलार्थी/परिवादी को 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक अदा करेगा। 

       

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

    अध्‍यक्ष

 

प्रदीप मिश्रा, आशु, कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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