Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/269/2013

Suresh Singh - Complainant(s)

Versus

Branch Manager, Life Insurance Corporation of India - Opp.Party(s)

Shri Bali Ram Singh

30 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/269/2013
 
1. Suresh Singh
S/O Shrinath Singh Resident- Bhushhula, Post- Khardeeha, District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Branch Manager, Life Insurance Corporation of India
Yusufpur, Mohammadabad, Ghazipur (U.P.)
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ramesh Chandra Mishra PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Bali Ram Singh, Advocate
For the Opp. Party: Shri Shivaji Shrivastava, Advocate
ORDER

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी गण के विरुद्ध शपथ पत्र के साथ प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि वह फौज का भूतपूर्व सैनिक है। उसने विपक्षी से पालिसी सं0 283012117 बीमा धन रू0 1,00000/- देय तिथि दि0 28-11-2006 भुगतान किया पिछला देय तिथि दि0 28-05-2002 है। जिसकी प्रीमियम धनराशि रू0 5646-90 दि011-05-2007 को 5683.70, 27-05-2007 को कुल  57,20/-है। परिवादी की पालिसी में दि0 11-04-07 को रू0 5,883-70 और  दि0 25-5-07 को कुल राशि रू0 5,720/- है। दि0 02-01-13 को परिवादी जब युसुफपुर से पता लगाया तो पता चला कि उसकी पालिसी सरेण्‍डर हो गयी है और एल0आई0सी0 के पक्ष में चेक बनाकर दूसरे व्‍यक्ति के नाम से बीमा हो गया है। परिवादी को अंदेशा नहीं था कि विपक्षी ऐसा घृणित कार्य करेगा जिसके कारण परिवादी को शारीरिक, मानसिक क्षति हुई जिसके लिए बीमा कम्‍पनी जिम्‍मेदार है। पालिसी सं0 283012117 का बीमा धन और रू0 1लाख  रू0 15,700/- कुल रू0 1लाख पन्‍द्रह हजार सात सौ न्‍यायहित में दिलाया जाना आवश्‍यक है क्‍योंकि परिवादी सेना का रिटायर कर्मचारी है। उपरोक्‍त कथनों के साथ परिवादी ने यह परिवाद पस्‍तुत किया है।

 

     विपक्षी उपस्थित होकर अपना जवाब परिवाद प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि  दि0 28-05-2002 को बीमा धन रू0 एक लाख बीमा तालिका 106/15 पलिसी नं0 283012117 पालिसी का अभ्‍यर्पण दि0 28-09-2010 को चेक सं0 191773 दि0 28-09-2010 के माध्‍यम से हो चुका है। पुन: उक्‍त चेक दि0 04-10-2010 को निरस्‍त करके दूसरा चेक सं0 192459 भारतीय जीवन बीमा निगम के पक्ष में बना जो बैंक द्वारा क्रेडिट कर दिया गया है। उक्‍त धनराशि रू0 22566 का बी.ओ.सी. सं0 6069 अभिकर्ता सं0 00143628 एच.डी. ओ. कोड 1873 श्री बी0के0 राय के पक्ष में दि0 13-10-2010 को कटाया गया। बी0ओ0सी0 रिफण्‍ड कराकर तथा रू0 7434 अतिरिक्‍त धनराशि मिलाकर दूसरा चेक स0192831 कुल रू0 30,000 का बना जो भारतीय जीवन बीमा के पक्ष में बैंक द्वारा क्रेडिट कर दिया गया उक्‍त आधार पर विपक्षी ने परिवाद को निरस्‍त करने की याचना किया है।

 

     पक्षों द्वारा 6ग,7ग, 8ग, लिखित बहस 15ग व 16ग पत्रावली पर प्रस्‍तुत किये गये हैं।

 

     उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोन किया गया।

 

     विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने अपने लिखित उत्‍तर में कथन किया है कि बी0ओ0सी0 रिफण्‍ड कराकर रू0 7434/- अतिरिक्‍त धनराशि मिलाकर दूसरा चेक  सं01928031 कुल धनराशि रू0 30,000/- बनी जो भारतीय जीवन बीमा निगम के पक्ष में बैंक द्वारा क्रेडिट कर दी गयी है जिसकी जानकारी परिवादी को है। पक्षों द्वारा किये गये कथन एवं दौरान बहस पक्षकारों द्वारा प्रस्‍तुत तथ्‍यों के आधार पर यह स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है कि परिवादी की प्रश्‍नगत पालिसी भारतीय जीवन बीमा निगम के पक्ष में सरेण्‍डर हो चुकी है। यदि परिवादी पुन: प्रश्‍नगत पालिसी को नीवीनीकृत कराना चाहता है ऐसी स्थिति में उसे विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम के कार्यालय में नवीनीकरण हेतु अन्‍य प्रार्थना पत्र प्रेषित करना होगा। तदुपरांत प्रश्‍नगत पालिसी पुन: पुनर्चलन में आ सकेगी। इस आधार पर परिवाद निस्‍तारित किये जाने योग्‍य है।

 

 

                             आदेश

 

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी को निर्देश दिया जाता है कि वह सरेण्‍डर पालिसी को पुन: चालू कराने हेतु विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम के कार्यालय में प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत कर उपयुक्‍त कार्रवाई अविलम्ब करे। विपक्षी बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत करने पर एवं आवश्‍यक औपचारिकताओं को पूरा करने के उपरान्‍त परिवादी के सरेण्‍डर पालिसी के सम्‍बन्‍ध में पालिसी के नवीनीकरण हेतु उपयुक्‍त कार्यवाही 60 दिन में सुनिश्चित करें । वाद की परिस्थितियों में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ramesh Chandra Mishra]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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