Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/08/01

SECTIORY KRISHI UPAJ MANDI - Complainant(s)

Versus

BRANCH MANAGER JILA SAHKARI KENDRIYA BANK - Opp.Party(s)

SHRI R. S. SANGER

08 May 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/08/01
 
1. SECTIORY KRISHI UPAJ MANDI
NAILA JANJGIR CHAMPA
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BRANCH MANAGER JILA SAHKARI KENDRIYA BANK
JILA SAHAKARI BANK BILASPUR BRANCH JANJGIR
JANJGIR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI R. S. SANGER
 
For the Opp. Party:
SHRI D.P.PATHAK
 
ORDER

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर.ग.//

 

                                             प्रकरण क्रमांक CC/01/2008

                                               प्रस्‍तुति दिनांक 18/01/2008

 

कृषि उपज मंडी समिति नैला, जांजगीर

जिला-जांजगीर चांपा छ0ग0

द्वारा सचिव

कृषि उपज मंडी समिति नैला, जांजगीर  

जिला-जांजगीर चांपा छ0ग0                    ......आवेदक/परिवादी

                    विरूद्ध

 

 जिला सहकारी केन्‍द्रीय मर्यादित बैंक

 बिलासपुर शाखा-जांजगीर

 द्वारा शाखा प्रबंधक महोदय

 जिला सहकारी केन्‍द्रीय मर्यादित बैंक

 बिलासपुर शाखा-जांजगीर

 जिला जांजगीर चांपा छ0ग0            ........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार

 

                                              आदेश

                         (आज दिनांक 08/05/2015 को पारित)

 

१. कृषि उपज मं‍डी स‍मिति नैला जांजगीर की ओर से उसके सचिव द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा जांजगीर के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया गया है और अनावेदक बैंक से फर्जी आहरण की राशि 1,29,1340/. रूपये को ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक समिति का अनावेदक बैंक में बचत खाता क्रमांक 16466 स्थित है, जिस खाते से दिनांक 29.11.2005 को चेक क्रमांक 342514 के जरिए 7,00,750/-रू. एवं दिनांक 13.01.2006 को चेक क्रमांक 342520 के जरिए 5,90,590/-रू. की राशि का आहरण कर लिया गया । यह कहा गया है कि समिति के खाते से राशि आहरण के लिए लेखापाल एवं सचिव अधिकृत होते है और उपरोक्‍त दोनों चेकों के जारी दिनांक बच्‍चूलाल शर्मा समिति के सचिव थे, जिसका स्‍पेशीमेन हस्‍ताक्षर अनावेदक बैंक में मौजुद था, किंतु उसका हस्‍ताक्षर उन चेकों पर नहीं था, ब‍ल्कि उन पर पूर्व सचिव अरूण पाठक एवं लेखापाल रविशंकर का फर्जी हस्‍ताक्षर थे,  किंतु उसके बाद भी अनावेदक बैंक द्वारा बगैर हस्‍ताक्षर का मिलान किए उन चेकों की राशि का भुगतान प्रेषित कर दिया गया, जबकि अनावेदक बैंक का यह कर्तव्‍य था, कि वह बडी राशि भुगतान के पूर्व यह तसदीक करता कि क्‍या ऐसा कोई चेक जारी किया गया है और इस प्रकार अनावेदक बैंक द्वारा कदाचरण का व्‍यवसाय कर सेवा में कमी की गई ।

3. आगे कथन है कि आवेदक समिति को उपरोक्‍त फर्जी  भुगतान की जानकारी वर्ष 2005-2006 के आडिट के समय दिनांक 10/10/2006 को हुई, तब इसकी शिकायत थाना जांजगीर में दर्ज कराई गई, जहां अपराध दर्ज कर जे0वेंकटचलन, बसंत कुमार सिंह एवं रविशंकर के विरूद्ध चालान न्‍यायालय में पेश किया गया तथा जिनमें से जे0वेंकटचलन एवं बसंत कुमार सिंह को न्‍यायालय द्वारा अपराधी पाते हुए दोषसिद्ध कर सजा दी गई । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक बैंक की लापरवाही एवं प्रमाद की वजह से उपरोक्‍त व्‍यक्तियों द्वारा फर्जी चेक के जरिये उनके खाते से 12,91,340/. रूपये की राशि का आहरण किया गया, यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।

4.  अनावेदक बैंक की ओर से जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि उनके बैंक में आवेदक समिति का बचत खाता स्थित है, साथ ही यह भी स्‍वीकार किया गया है कि उक्‍त खाते से उनके द्वारा प्रश्‍नाधीन चेकों के माध्‍यम से भुगतान प्रेषित किया गया, किंतु इस बात से इंकार किया गया है कि उनके द्वारा ऐसा किये जाने में किसी प्रकार की कोई लापरवाही बरती गई, बल्कि कहा गया है कि उनके कर्मचारियों द्वारा चेक के हस्‍ताक्षर मिलान उपरांत ही उक्‍त राशि का भुगतान प्रेषित किया गया था । आगे कथन है कि उनका यह कर्तव्‍य नहीं है, कि अग्रिम धनादेश प्राप्‍त होने पर वे जारीकर्ता से उसकी तस्‍दीक करें, क्‍योंकि चेक की वैधता 6 माह होती है। यह भी कहा गया है कि आवेदक समिति द्वारा उन्‍हें चेक चोरी होने की कोई सूचना नहीं दी गई और न ही स्‍टॉप पेमेंट के लिए उन्‍हें निर्देशित किया गया, उक्‍त आधार पर अनावेदक बैंक द्वारा प्रश्‍नाधीन चेक के भुगतान में अपनी कोई लापरवाही नहीं होना अभिकथित किया गया है। साथ ही कहा गया है कि यदि आवेदक समिति के कर्मचारियों द्वारा आपसी सांठगांठ कर अग्रिम धनादेश जारी कर भुगतान प्राप्‍त किया गया हो, तो उसके लिए वे स्‍वयं जिम्‍मेदार है । आवेदक समिति उनसे कोई राशि प्राप्‍त करने के अधिकारी नहीं । आगे यह अभिकथित करते हुए कि आवेदक समिति का उनके बैंक में खाता व्‍यवसायिक प्रयोजन का होने से भी उसकी स्थिति उपभोक्‍ता की नहीं । अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया गया है ।

 5. उभयपक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

6. देखना यह है कि क्‍या अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक समिति के साथ प्रश्‍नाधीन चेकों के भुगतान में लापरवाही बरत कर सेवा में कमी की गई है  

                                                         सकारण निष्‍कर्ष

7. आवेदक समिति का अनावेदक बैंक में बचत खाता क्रमांक 16466 स्थित होने तथा उक्‍त खाते से प्रश्‍नाधीन चेकों के माध्‍यम से 12,91,340/. रूपये की राशि का आहरण होने का तथ्‍य मामले में विवादित नहीं है ।

8. आवेदक समिति का कथन है कि उनके खाते से राशि आहरण के लिए सचिव एवं लेखापाल अधिकृत होते हैं तथा प्रश्‍नाधीन चेक जारी होने की तिथि पर बच्‍चूलाल शर्मा उनके सचिव थे, जिसका स्‍पेशीमेन हस्‍ताक्षर अनावेदक बैंक में मौजूद था, जबकि उसका हस्‍ताक्षर प्रश्‍नाधीन चेकों में नहीं था, बल्कि उन पर पूर्व सचिव अरूण पाठक तथा लेखापाल रविशंकर का फर्जी हस्‍ताक्षर था, फिर भी अनावेदक बैंक द्वारा बगैर हस्‍ताक्षर की जांच किये और बगैर उनसे तस्‍दीक किये चेकों का भुगतान कर कदाचरण का व्‍यवसाय करते हुए सेवा में कमी की गई । अत: आवेदक समिति द्वारा यह परिवाद पेश करना बताया गया है ।

9. इसके विपरीत अनावेदक बैंक का कथन है कि आवेदक समिति द्वारा उन्‍हें प्रश्‍नाधीन चेकों की चोरी होने के संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई और न ही उन्‍हें स्‍टॉप पेमेंट के लिए निर्देशित किया गया था । उनके द्वारा प्रश्‍नाधीन चेकों में पूर्व सचिव अरूण पाठक तथा लेखापाल रविशंकर यादव के हस्‍ताक्षर का विधिवत् मिलान करते हुए चेक की राशि का भुगतान किया गया था। आगे उनके द्वारा चेक भुगतान के पूर्व उसके संबंध में तस्‍दीक करने के अपने कर्तव्‍य से इंकार करते हुए यह भी कहा गया है कि यदि आवेदक समिति के कर्मचारियों द्वारा आपसी सांठगांठ कर अग्रिम धनादेश जारी कर उस पर पूर्व सचिव के हस्‍ताक्षर करवाकर राशि आहरित की गई हो तो यह उनकी स्‍वयं की जिम्‍मेदारी है, तथा जिसके लिए उन्‍हें जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्‍योंकि चेक की वैधता 6 माह होती है ।

10. आवेदक समिति द्वारा प्रस्‍तुत दस्‍तावेजों से यह स्‍पष्‍ट होता है कि वर्ष 2005-2006 के आडिट के समय दिनांक 10/10/2006 को प्रश्‍नाधीन चेकों के फर्जी आहरण के संबंध में जानकारी प्राप्‍त होने पर उनके द्वारा घटने की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई गई थी, जिसके आधार पर थाना जांजगीर द्वारा जे0वेंकटचलन, बसंत कुमार सिंह एवं रविशंकर को प्रथम दृष्‍टया अपराधी पाते हुए चालान न्‍यायालय पेश किया गया, जहां दोष सिद्ध होने पर जे0वेंकटचलन, बसंत कुमार सिंह को दंडित करते हुए रविशंकर यादव को दोषमुक्‍त किया गया । इस प्रकार मामले में प्रश्‍नाधीन चेकों के फर्जी आहरण का तथ्‍य स्‍थापित होता है।

11. आवेदक समिति के अनुसार जिस दिनांक को प्रश्‍नाधीन चेक जारी किया गया था, उस दिनांक उनकी समिति के सचिव बच्‍चू लाल शर्मा थे, किंतु उसके हस्‍ताक्षर उक्‍त चेकों पर नहीं था, जबकि उस दिनांक चेक जारी करने के लिए वही अधिकृत रहा तथा इस बात की सूचना अनावेदक बैंक को भी प्रदान की जा चुकी थी, साथ ही स्‍पेशीमेन हस्‍ताक्षर भी दिया जा चुका था, फिर भी अनावेदक बैंक द्वारा उसके पूर्व के सचिव अरूण पाठक एवं लेखापाल रविशंकर यादव के कुट रचित हस्‍ताक्षर के आधार पर बगैर हस्‍ताक्षर मिलान किए उन चेकों का भुगतान कर दिया गया, जो स्‍पष्‍ट रूप से अनावेदक बैंक के कदाचरण युक्‍त व्‍यवसाय को दर्शित करता है ।

12. इसके विपरीत अनावेदक बैंक द्वारा बचाव इस आधार पर लिया गया है कि आवेदक समिति द्वारा उन्‍हें प्रश्‍नाधीन चेकों के गुम होने अथवा चोरी होने की कोई सूचना नहीं दी गई थी और न ही उन्‍हें स्‍टाप पेमेंट के लिए निर्देशित किया गया था, जबकि अग्रिम धनादेश की वैधता 6 माह होती है, अत: उनके द्वारा प्रश्‍नाधीन चेकों पर पूर्व सचिव अरूण पाठक एवं लेखापाल रविशंकर यादव के हस्‍ताक्षर मिलान उपरांत ही उनका भुगतान किया गया था, जबकि मामले में अनावेदक बैंक इस बात से इंकार नहीं किया है, कि प्रश्‍नाधीन चेकों की तारीख पर बच्‍चू लाल शर्मा आवेदक समिति का सचिव था तथा जिसका स्‍पेशीमेन हस्‍ताक्षर उन्‍हें प्रदान किया जा चुका था, ऐसी स्थिति में तात्‍कालीन सचिव बच्‍चूलाल शर्मा के कार्यकाल के चेक में उसका हस्‍ताक्षर नहीं होने पर अनावेदक बैंक का यह कर्तव्‍य था, कि वह उन चेको के संबंध में तात्‍कालीन सचिव से तसदीक करने उपरांत उनका भुगतान करता, किंतु ऐसा न कर अनावेदक बैंक द्वारा कदाचरण का व्‍यवसाय करते हुए सेवा में कमी की गई ।

13. उपरोक्‍त विवेचन से यह स्‍पष्‍ट होता है कि प्रश्‍नगत मामला तात्‍कालीन सचिव के कार्यकाल में उसके पूर्व के सचिव के फर्जी हस्‍ताक्षर से रकम आहरण का है, जो तब तक संभव नहीं था, जब तक कि अनावेदक बैंक के अधिकारीगण इस बाबत सहयोग नहीं करते । यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि अनावेदक बैंक मामले में उन अधिकारीगण का बचाव कर रहा है । अत: इस संबंध में अनावेदक बैंक से यह अपेक्षा की जाती है कि सुसंगत समय में पदस्‍थ अधिकारीगण से इस बाबत स्‍पष्‍टीकरण लिया जावे कि इस तरह से फर्जी आहरणका उनके द्वारा पता क्‍यों नहीं लगाया गया तथा उनके विरूद्ध आवश्‍यक अनुशासनात्‍मक कार्यवाही किया जावे ।

14. अनावेदक बैंक अपने जवाब दावे में संशोधन समाविष्‍ट कर आवेदक समिति के परिवाद की पोषणीयता को इस आधार पर भी आक्षेपित किया है कि आवेदक समिति का उनके बैंक में बचत खाता व्‍यवसायिक प्रयोजन से संबंधित होने के कारण समिति की स्थिति उपभोक्‍ता की न होने से परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रचलन योग्‍य नहीं है, तथापि अनावेदक बैंक द्वारा इस संबंध में कोई युक्तियुक्‍त साक्ष्‍य अथवा प्रमाण पेश नहीं किया गया है, जिससे कि दर्शित हो कि आवेदक समिति का अनावेदक बैंक में स्थित खाता व्‍यवसायि‍क लाभ के लिए खोला गया था, अत: इस संबंध में अनावेदक बैंक की आपत्ति स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं । अत: निरस्‍त किया जाता है ।

15. उपरोक्‍त कारणों से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुचते हैं कि आवेदक समिति मामले में अनावेदक बैंक के विरूद्ध कदाचरण का व्‍यवसाय कर सेवा में कमी का मामला स्‍थापित करने में सफल रहा है । अत: आवेदक समिति के पक्ष में, अनावेदक बैंक के विरूद्ध निम्‍न आदेश पारित किया जाता है :-

अ. अनावेदक बैंक, आवेदक समिति को आदेश दिनांक से एक माह के भीतर दांडिक न्‍यायालय द्वारा दिलाए गये 67,000/-रू. को कम कर शेष राशि 12,24,340/-रू. (बारह लाख चौबीस हजार तीन सौ चालीस रूपये) अदा करेगा तथा उस पर आवेदन दिनांक से ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी अदा करेगा ।

ब. अनावेदक बैंक, आवेदक समिति को क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/-रू. (पचास हजार रूपये) की राशि भी  अदा करेगा ।

स. अनावेदक बैंक, आवेदक समिति को वादव्‍यय के रूप में 3,000/-रू. (तीन हजार रूपये) की राशि भी  अदा करेगा ।

                                 आदेश पारित

                                                                         

                             (अशोक कुमार पाठक)       (श्रीमती शशि राठौर)       (मणिशंकर गौरहा)

                                 अध्‍यक्ष                                  सदस्‍य                          सदस्‍य            

   

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.