(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-709/2018
प्रेम प्रकाश पुत्र स्व0 किशोरी लाल, निवासी माया बाजार, रेती रोड, गोरखपुर, यू.पी. (ओनर आफ बोलेरो जीप नं0-यू.पी. 53 ए.एफ. 8824)
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
1. ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस, लखनऊ, एचडीएफसी इरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0, रतन स्क्वायर, लखनऊ।
2. रिजीनल मैनेजर, एचडीएफसी नार्थ इरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0, सी-302, थर्ड फ्लोर, अंसल प्लाजा, हुडको प्लेस, एंडूर्जगंज, नई दिल्ली 110043 ।
प्रत्यर्थीगण/ विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुरेश चंद्र श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री मनोज दूबे।
दिनांक: 19.09.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-503/2011, प्रेम प्रकाश बनाम शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय लखनऊ एचडीएफसी इरगो जनरल इं0कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.02.2018 के विरूद्ध यह अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। अपीलार्थी के पास एक वैध पालिसी थी। वाहन चोरी होने पर बीमित धन दिलाए जाने का आदेश पारित किया जाना चाहिए।
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2. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. परिवादी के कथनानुसार वाहन संख्या-यू.पी. 53 ए.एफ. 8824 के लिए एक बीमा पालिसी दिनांक 01.06.2010 से 31.05.2011 तक की अवधि के लिए बीमा कंपनी से प्राप्त की गई थी। बीमित वाहन दिनांक 03.06.2010 को चोरी हो गया। इसी तिथि को थाने पर सूचना दर्ज कराई गई तथा पुलिस द्वारा विवेचना के बाद अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई।
4. बीमा कंपनी का यह कथन है कि दिनांक 01.06.2010 से दिनांक 31.05.2011 तक की अवधि के लिए पालिसी जारी की गई थी, परन्तु उपभोक्ता ने इस अवधि से पूर्व की पालिसी यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 से लेना बताया था, जबकि यह पालिसी फर्जी पायी गयी। इस बीमा कंपनी द्वारा यह प्रमाण पत्र जारी किया गया कि उनके कार्यालय से परिवादी प्रेम प्रकाश के पक्ष में वाहन संख्या-यू.पी. 53 ए.एफ. 8824 के लिए कोई पालिसी जारी नहीं की गई।
5. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस बिन्दु पर साक्ष्य का विश्लेषण करते हुए निष्कर्ष दिया कि परिवादी ने प्रश्नगत वाहन प्राप्त करते समय पूर्व में ली गई पालिसी के संबंध में असत्य सूचना दी। पूर्व में जो पालिसी दर्शायी गयी, वह फर्जी व बनावटी दस्तावेज है, जिस कार्यालय से यह पालिसी जारी की गई, उनके द्वारा यह प्रमाण पत्र जारी किया गया कि उनके कार्यालय से यह पालिसी जारी नहीं की गई, इसलिए गलत घोषणा के आधार पर पालिसी प्राप्त की गई। परिवादी किसी प्रकार का बीमा धन प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। अपील तदनुसार निरस्त हाने योग्य है।
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आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2