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Shri Prem Singh Thapa filed a consumer case on 05 Dec 2022 against Branch Manager Future Generali India Insurance Company Limited. in the Nainital Consumer Court. The case no is CC/24/2021 and the judgment uploaded on 07 Dec 2022.
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परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि- 20-03-2021
अन्तिम सुनवाई की तिथि- 22-11-2022
निर्णय आदेश की तिथि- 05-12-2022
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नैनीताल।
उपभोक्ता परिवाद संख्या-24/2021
श्री प्रेम सिंह थापा, पुत्रा श्री खड़क सिंह,
निवासी चाॅदमारी, ब्यूराखाम, काठगोदाम,
तहसील हल्द्वानी, जिला नैनीताल, उत्तराखण्ड।........ परिवादी/परिवादीगण
द्वारा-अधिवक्ता-श्री एम0एस0कोरंगा, श्री एन0एस0कैड़ा, श्री कमलेश सिंह विष्ट,
बनाम
ब्रान्च मैनेजर, फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्यौरेन्स क0लि0
आफिस कोड 1च्ए छवण्8 प्रथम तल, दुर्गा सिटी सेन्टर,
हल्द्वानी जिला नैनीताल। ... विपक्षी/विपक्षीगण
द्वारा-अधिवक्ता -श्री संजय सुयाल।
निर्णय
कोरम-
श्री रमेश कुमार जायसवाल- अध्यक्ष
श्रीमती विजयलक्ष्मी थापा- सदस्या
श्री लक्ष्मण सिंह रावत- सदस्य
(द्वारा-श्री रमेश कुमार जायसवाल) अध्यक्ष
प्रस्तुत परिवाद परिवादी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के अन्तर्गत विपक्षी ब्रान्च मैनेजर, फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्यौरेन्स क0लि0आफिस कोड 1च्ए छवण्8 प्रथम तल, दुर्गा सिटी सेन्टर,हल्द्वानी जिला नैनीतालके विरूद्ध निम्न अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
1- परिवादी को विपक्षी से क्लेम की धनराशि मुव 2,50,000/-रू0 मय 18 प्रतिशत व्याज सहित दिलवाया जावे।
2-परिवादी को उत्पन्न आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए मुव 1,00,000/-रू0 विपक्षी से दिलवाया जावे।
3- परिवादी को विपक्षीगण से अन्य परिवाद व्यय व अनुतोष जो माननीय फोरम/आयोग उचित समझे दिलवाया जावे।
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संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक-27-07-2020 को मुव 2,419/-रू0 प्रीमियम अदा कर एक कोरोना रक्षक पाॅलिसी क्रय की गयी थी जिसका नम्बर ब्त्च्.1च्.20.7517147.00.000 था। परिवादी को कम्पनी के अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि कोरोना पाॅजिटिव आने एवं उसके बाद इलाज हेतु भर्ती होने पर परिवादी को मुव 2,50,000/-रू0 की धनराशि अदा की जायेगी। परिवादी को यह भी बताया गया था कि उक्त पालिसी की अवधि (285 दिन) अर्थात दिनांक-27-07-2020 से 07-05-2021 तक बैध रहेगी। दिनांक-11-09-2020 को कोविड केयर सेन्टर मोतीनगर, हल्द्वानी में आर0टी0पी0सी0आर0 टैस्ट कराने पर परिवादी कोविड पाॅजेटिव आ गया जिसके बाद वह उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती हुआ और पूर्ण स्वस्थ होने के बाद दिनांक-17-09-2020 को अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी को दिनांक-12-10-2020 को अपने उपचार से सम्बन्धित सभी अभिलेख प्रदान कर क्लेम फार्म जमा किया गया। इसके बाद उसे पुनः पत्रा दिनांकित 05-11-2020 प्रषित कर अभिलेखों की मांग की गयी जिसकी जानकारी उसके द्वारा विपक्षी को दिनांक-08-12-2020 के पत्रा द्वारा दी गयी कि वह विपक्षी बीमा कम्पनी को पहले ही समस्त कागजात उपलब्ध करा चुका है। बाबजूद इसके पुनः दिनांक-14-12-2020 को विपक्षी के कर्यालय द्वारा डाॅक्यूमेन्ट रिकवरी इन्टीमेशन लैटर परिवादी को प्रेषित किया गया किन्तु उक्त पत्रा के माध्यम से मांगे गयेक ससभी डाॅक्यूमेन्ट परिवादी द्वारा पूर्व में ही विपक्षी बीमा कम्पनी को जमा करा दिये गयेक थे जिसकी जानकारी परिवादी द्वारा लिखित रूप में विपक्षी को दिनांक-18-12-2020 व 01-01-2021 को सूचना मय समस्त दस्तावेज विपक्षी को पुनः प्रेषित कर उक्त क्लेम अदा करने की प्रार्थना की गयी थी।
बाद भी जब उसे क्लेम की धनराशि अदा नहीं की गयी तो उसने दिनांक 22-01-2021 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को विधिक नोटिस प्रेषित किया गया जो विपक्षी पर तामील हुआ लेकिन उसे कोई भुगतान नहीं किया गया। उक्त बीमा पालिसी की शर्तों व दशाओं के अनुसार विपक्षी की देयता मुव 2,50,000/-रू0 की बनती है लेकिन उसे बेबजह परेशान किया जा रहा है और आज दिन तक उसे क्लेम की धनराशि अदा नहीं की गयी है जिसकारण उसे यह परिवाद योजित करना पडा है। परिवाद समयसीमा व माननीय जिला आयोग के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है और परिवादी परिवादपत्रा में चाहा गया अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है।
विपक्षी द्वारा जबाबदावा कागज संख्या-15/2-15/9 दाखिल किया गया है। जिसमें बीमा कम्पनी द्वारा प्रारम्भिक आपत्ति में कहा गया है कि परिवादी शुद्ध हस्त से परिवाद लेकर नहीं आया है। परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं है क्योंकि हैल्थ एण्ड फैमिली वैलफियर मंत्रालय की गाईड लाईन दिनांकित 17-03-2020 के क्लाॅज-2 ’’आपरेटिव क्लाज ’’ के अनुरूप कोबिड 19 के क्लीनीकल मैनेजमेन्ट के अन्तर्गत परिवादी का परिवाद नहीं आता है। पी0एच0सी0 नैनीताल द्वारा परिवादी को जारी मेडीकल सर्टिफिकेट के अनुसार परिवादी कोबिड केयर सेन्टर मोती नगर हल्द्वानी में बतौर ए-सिम्टोमैटिक भर्ती हुआ और कोबिड
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केयर सेन्टर में दिनांक-11-09-2020 से 17-09-2020 तक रहा जिसके बाद दिनांक-18-12-2020 से 25-09-2020 तक होम आईसोलेशन में रहा अर्थात परिवादी क्रिटीकल स्थिति में चिकित्साल में भर्ती नहीं रहा। परिवादी को दिनांक 14-12-2020 के पत्रा द्वारा उपचार के अभिलेखों की मांग की गयी लेकिन परिवादी द्वारा कोई अभिलेख दाखिल नहीं किया जिसके बाद परिवादी के क्लेम को दिनांक-23-12-2020 को निरस्त कर दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी को दी जाने वाली सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और परिवाद भारी हर्जाने से निरस्त होने योग्य है।
परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथपत्रा कागज संख्या-05-5/2, आधार कार्ड व फेहरिस्त कागज संख्या-7 द्वारा पालिसी प्रपत्रा,क्लेम फार्म, मेडीकल सर्टिफिकेट,डिस्चार्ज समरी, विपक्षी को लिखा पत्रा, ट्रैकिंग रिपोर्ट, डाक्यूमेन्ट रिकबरी इन्टीमेशन,विधिक नोटिस क्रमशः कागज संख्या-07/1 लगायत 7/17 तथा साक्ष्य शपथपत्रा कागज संख्या-17-17/3 दाखिल किये गये हैं।
विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में श्री नितिन तावरे, सीनियर एक्ज्यूक्यूटिव का शपथपत्रा कागज संख्या-15/10-15/11 व फेहरिस्त कागज संख्या-15/12 द्वारा हैल्थ मिनिस्ट्री ककी गाईड लाईन, पत्रा दिनांकित 14-12-2020, बीमा पालिसी, व परिवादी को लिखा पत्रा कागज संख्या-15/14 से 15/37 दाखिल किये गये हैं।
परिवादी द्वारा लिखित बहस दिनांक-26-07-2022 को कागज संख्या-19-19/2 दाखिल किया गया है। विपक्षी द्वारा लिखित बहस दिनांकित 28-06-2022 कागज संख्या-18-18/3 दाखिल किये गये हैं।
हमने परिवादी को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्य का विस्तार से अवलोकन व परिशीलन किया।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपने साक्ष्य शपथपत्रा के साथ परिवादी को दी जाने वाली पाॅलिसी ’’कोरोना रक्षक पालिसी’’ जिसकी अवधि दिनांक-27-07-2020 से दिनांक-07-05-2021 तथा जिसका वेटिंग पीरियड दिनांक-27-07-2020 से 10-08-2020 निर्धारित किया गया, पत्रावली में संलग्न कागज संख्या-15/32 पेपर नम्बर-31 है। परिवादी द्वारा उक्त कोरोना रक्षक पाॅलिसी लेने हेतु अदा किये गये प्रीमियम की विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिकृत हस्ताक्षरी द्वारा डिजिटल हस्ताक्षरित रसीद मुव 2419/- पत्रावली में कागज संख्या-15/34 पेपर नम्बर-33 संलग्न की गयी है। विपक्षी द्वारा साक्ष्य शपथपत्रा के साथ संलग्न एनेक्सचर-1 भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोबिड-19 के क्लिीनिकल मैनेजमेन्ट के लिए जारी की गयी गाईड लाईन्स की प्रति है जो पत्रावली में कागज संख्य-15/14 से 15/28 पेपर नम्बर-13 से 27 है।
उक्त गाईड लाईन के कागज संख्या-15/27 पेपर नम्बर 27 के कालम-4 में ैचमबपपिब ब्वअपक.19 ज्तमंजउमदजे ंदक बसपदपबंस तमेमंतबी के विषय में लिखा गया है
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कि कोबिड-19 के निश्चित अथवा संदेहास्पद मरीजोें के लिए अभी तक कोई विशेष विनिदिष्ट उपचार की विधि निर्धारित नहीं की जा सकती है। कोविड-19 के सही उपचार की विधि की सहित्यिक जानकारी के अभाव में अभी तक उसके उपचार के लिए कोई विर्निष्टि एण्टी बायरल की भी संस्तुति नहीं की जा सकती है। गाईड लाईन के पेपर नम्बर-15 कागज संख्या-15/16 के उपर ही लिखा हुआ है कि सामुदायिक रूप में उत्पन्न हुए न्यूमोनिया के मैनेजमेन्ट के लिए टेस्टिंग स्थानीय दिशा निर्देशों के अनुसार ही की जायेगी। गाईड लाईन के कागज संख्या-15/28 पेपर नम्बर-27 में कोविड के पाॅजेटिव मरीजों को लैबोरेटरी जाॅच में पुष्टि होने के उपरान्त ही लापिनेविस्ट/रिटोनेविर दवाई देने की विधि व प्रक्रिया वर्णित की गयी है जिसे प्रत्येक व्यक्ति के केस में अलग-अलग सावधानी पूर्वक देने की भी हिदायत दी गयी है क्योंकि कुछ मामलों में इस दवाई का भी मरीजों पर विपरीत प्रभाव पडने की जानकारी मिली थी। मरीज/व्यक्ति के कोबिड नेगेटिव होने के बाद भी उसे 7 से 14 दिन तक निगरानी करने के लिए कहा गया है। पेपर नम्बर-28 कागज संख्या-15/29 विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के ज्च्त्ए ठच्ए क्तनह ।कउपदपेजतंजपवदए ब्ीमेज कनतपदह ीवेचपजंसप्रंजपवद एवं परिवादी के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान की 2 प्रतियाॅं प्दकवतम बंेम चंचमते दिनांक-14-12-2020 को बाद में प्रेषित कर मांगी गयी थी, जिन्हें परिवादी द्वारा प्रदान कर दिया गया था।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत जबाबदावा के पैरा-1 के क्लाॅज 2 में तथा उनके द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस के पैरा-3 के क्लाज-1 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि बीमा की अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति कोविड पौजेटिव पाया जाता है तथा उसे भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अन्तर्गत 72 घण्टों से ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पडता है तो विपक्षी बीमा कम्पनी बीमा पालिसी में वर्णित सम्पूर्ण बीमित रकम का भुगतान बीमित व्यक्ति को अदा करेगी। किन्तु भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लेख विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दी गयी बीमा पालिसी में नहीं किया गया था। विपक्षी की लिखित बहस के पैरा-3 में वर्णित कथन परिवाद के तथ्यों का स्वयं ही समर्थन करते हैं।
विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदावे के पैरा पप में तथा उनके द्वारा प्रस्तुत की गई लिखित बहस के पैरा-4 में यह कथन किया गया है कि पी0एच0सी0 नैनीताल के स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्रा यह प्रमाणित करता है कि परिवादी में कोविड पाजेटिव होने के लक्षण पाये गये थे तथा उसे उपचार हेतु कोविड केयर सेन्टर, मोतीनगर, हल्द्वानी जिला नैनीताल में दिनांक-11-09-2020 से 17-09-2020 (एक सप्ताह) तक भर्ती रखा गया था। इसके बाद परिवादी को दिनांक 18-09-2020 से 25-09-2020 तक घर पर आईसोलेशन में रहने की सलाह देकर अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था। किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा यह कहकर अपने पक्ष में बचाव करने का प्रयास किया गया है कि परिवादी को किसी नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया था और उसके अस्पताल में भती रहने के दौरान उसे मुह से दी जाने वाली दवाईयाॅं ही दी गयी थी तथा उपचार की कोई सक्रिय पद्धति नहीं
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अपनाई गयी थी। परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पत्रावली में अपने द्वारा प्रस्तुत प्रपत्रों में कहीं पर भी यह स्पष्ट रूप में वर्णित/उल्लिखित नहीं किया गया है कि वह एक्टिव लाईन आॅफ ट्रीटमेन्ट किसे मानते हैं तथा परिवादी के उपचार में उनके अनुसार किस सक्रिय उपचार की पद्धति (एक्टिव लाईन आॅफ ट्रीटमेन्ट) का अनुपालन किया जाना चाहिए था।
विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदावे के पैरा पप व लिखित बहस के पैरा-4 में ही आगे विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा कथन किया गया है कि इससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी केवल बीमा पालिसी की रकम को हडपने के उद्देश्य से स्वयं ही अस्पताल में भर्ती हो गया था जिसके लिए वह अधिकारी नहीं था। परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपने इस कथन/आरोप की पुष्टि करने वाला कोई साक्ष्य अथवा परिवादी का कोई स्वास्थ्य प्रमाणपत्रा पत्रावली में प्रस्तुत नहीं किया गया है। हमारी समझ में कोविड-19 जैसी विश्वब्यापी महामारी के उस उठान के दौरान में कोई भी व्यक्ति स्वयं जानबूझकर अस्पताल में भर्ती होने का खतरा नहीं उठा सकता था जबकि घर से बाहर निकलने से पहले तथा वाहर से घर वापस आने पर ही व्यक्ति को अनेकों प्रकार की सावधानियों बरतनी पडती थी तथा अपने को कोविड-19 के प्रकोप से बचाये रखने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय करने पड रहे थे। अतः विपक्षी कम्पनी के इस आरोप को हम निराधार, अर्नगल व बेतुका मानकर खारिज किया जाना ही उचित समझते हैं।
विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किये गये जवाबदावे के पैरा पप व लिखित बहस के पैरा-5 में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के पत्रा दिनांकित 14-12-2020 के माध्यम से मांगे गये कागजात नहीं दिये गये थे जिस कारण परिवादी के आवश्यकीय रूप में अस्पताल में भर्ती होने की पुष्टि नहीं हो पायी थी। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किये गये जवाबदावे क पैरा पप व उनकी लिखित बहस के पैरा-6 में विपक्षी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी प्रेमसिंह थापा द्वारा कोरोना रक्षक पालिसी के तहत अपनी व्यक्तिगत बीमा पाॅलिसी लेने के लिए विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष अपना आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसे विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा मान्य व स्वीकार कर लिया गया था तथा परिवादी को बीमा पालिसी संख्या-ब्त्च्.1च्.20.7518147.00.000 जारी की गयी थी जो कि दिनांक- 27-07-2020 से 07-05-2021 तक पूरी तरह से लागू व प्रभावी मानी गयी थी। विपक्षी द्वारा दाखिल किये गये जवाबदावे के पैरा पपप व उनकी लिखित बहस के पैरा-7 में कथन किया गया है कि परिवादी ने कोविड केयर सेन्टर , मोटा हल्दू में भर्ती रहने के बाद अपने पत्रा दिनांक-12-10-2020 के माध्यम से अपनी बीमा पाॅलिसी की वीमित रकम मुव 2,50,000/-रू0 की अदायगी के लिए अपना क्लेम प्रस्तुत किया गया था।
विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किये गये जवाबदावे के पैरा पअ व उनकी की लिखित बहस के पैरा-8 में कथन किया गया है कि पत्रा दिनांकित 23-12-2020 के माध्यम से परिवादी को सूचित कर दिया गया था क्योंकि परिवादी/मरीज को उसके उपचार के दौरान मुह से खाने वाली टेबलेट्स ही दी गयी थी तथा परिवादी/मरीज को किसी सक्रिय उपचार की पद्धति से ईलाज अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि के दौरान नहीं किया गया था अतः उसका बीमा क्लेम निरस्त कर दिया गया है। इसके विपरीत परिवादी के अधिवक्ता द्वारा अपनी मौखिक बहस के
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दौरान जोर देकर कहा गया है कि परिवादी को कोविड के लक्षण पाये जाने तथा टेस्ट में पोजेटिव होने पर ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था तथा उसे डाक्टरों द्वारा अपनी समझ से परिवादी के लिए जो भी समुचित उपचार अस्पताल में उपलब्ध हो सकता था दिया गया था उस समय तक कोविड -19 के उपचार के लिए कोई सक्रिय उपचार की पद्धति या ईलाज खोजा नहीं जा सका था तथा कोविड के मरीजों का उपचार अस्पताल में भर्ती होने पर वहाॅं उपलब्ध डाक्टरों द्वारा अस्पताल में उपलब्ध दवाईयों के द्वारा ही किया जा रहा था। बीमा कम्पनी द्वारा बीमा पालिसी जारी करने के लिए दिये गये विज्ञापन में उक्त आधारों का कोई भी वर्णन नहीं किया गया था।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तत्समय कोविड-19 के सम्बन्ध में जारी की गयी गाईड लाईन्स में कोविड के उपचार की किसी सक्रिय एवं मान्य पद्धति का उल्लेख नहीं किया गया था। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दी गयी बीमा पालिसी तथा पाॅलिस वर्डिंग में कहीं पर भी किसी एक्टिव लाईन आॅफ ट्रीटमेन्ट के बारे में वर्णित नहीं किया गया है और ना ही उनमें भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोविड-19 के सम्बन्ध में जारी की गयी गाईडलाईन्स का कोई उल्लेख किया गया है। परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के बीमा क्लेम को निरस्त करने के लिए इन्हें आधार बनाया गया है जो कि हमारी समझ में उचित व विधिसम्मत नहीं हैं।
हम यहाॅं यह भी स्पष्ट करना आवश्यक समझते हैं कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को प्रदत्त बीमा पालिसी में ही नीचे ब्संनेम प्उचवतजंदज के बिन्दु वर्णित किये गये हैं जिसके बिन्दु संख्या-4 में यह स्पष्ट रूप में लिखा पाया गया है कि बीमित व्यक्ति के कोविड-19 पाये जाने तथा उसके तीन दिन (72 घण्टों) से अधिक अवधि तक अस्पताल में भर्ती रहने पर उसे 100 प्रतिशत बीमित रकम देय हो जायेगी। विन्दु संख्या-5 में वर्णित है कि सभी शर्ते, नियम व एक्सक्लूजन्स पालिसी के साथ संलग्न पालिसी वर्डिंग तथा एन्डोर्समेन्ट वर्डिंग के अनुरूप मानी जायेगी। विन्दु 6 में वर्णित है कि बीमा कम्पनी की करोना रक्षक पालिसी के तहत अधिकतम बीमित रकम 2,50,000/-रू0 का ही भुगतान किया जायेगा। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा कोरोना रक्षक पालिसी के साथ दी गयी पालिसी वर्डिंग में बिन्दु संख्या-3.7 से 3.11 में निम्नवत परिभाषित किया गया हैः-
3ण्7.भ्वेचपजंसपेंजपवद. डमंदे ंकउपेेपवद पद ं ीवेचपजंस कमेपहदंजमक वित ब्व्टप्क्.19 जतमंजउमदज इल ळवअमतदउमदजए वित ं उपदपउनउ चमतपवक व िैमअमदजल.जूव 72 ब्वदेमबनजपअम पद चंजपमदज बंतम ीवनतेण्
3ण्8. प्द.च्ंजपमदज ब्ंतम उमंदे जतमंजउमदज वित ूीपबी जीम पदेनतमक चमतेवद ींे जव ेजंल पद ं ीवेचपजंस बवदजपदनवनेसल वित उवतम जींद 72 ीवनते वित जतमंजउमदज व िब्व्टप्क्ण्
3ण्9.प्देनतमक चमतेवद डमंदे च्मतेवद ;ेद्ध दंउमक पद जीम ेबीमकनसम व िजीम चवसपबलण्
3ण्10. डमकपबंस ।कअपबम डमंदे ंदल बवदेनसजंजपवद वत ंकअपबम तिवउ ं डमकपबंस च्तंबजपजपवदमत पदबसनकपदह जीम पेेनम वत ंदल चतमेबतपचजपवद वत विससवू नच चतमेबतपचजपवदण्
3ण्11.डमकपबंस च्तंबजपजपवदमत. डमंदे ं चमतेवद ूीव ीवसके ं अंसपक तमहपेजतंजपवद वितउ जीम उमकपबंस बवनदबपस व िंदल ेजंजम वत उमकपबंस ब्वनदबपस व
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प्दकपं वत बवनदबपस वित प्दकपंद डमकपबपदम वत वित भ्वउमवचंजील ेमज नच इल जीम ळवअमतदउमदज व िप्दकपं वत ं ैजंजम ळवअमतदउमदज ंदक पे जीमतमइल मदजपजसमक जव चतंबजपबम उमकपबपदम ूपजीपद पजे श्रनतपेकपबजपवदय ंदक पे ंबजपदह ूपजीपद जीम ेबवचम ंदक रनतपेकपबजपवद व िजीम सपबमदेमण्
पत्रावली में उपलब्ध प्रपत्रों तथा जनपद नैनीताल के कोविड-19 के तत्समय रहे नोडल आफीसर द्वारा जारी प्रमाणपत्रा से यह सिद्ध होता है कि परिवादी दिनांक-09-09-2020 को कोविड 19 पाॅजेटिव पाये जाने के बाद सरकारी चिकित्सालय, कोविड केयर सेन्टर, मोतीनगर, हल्द्वानी जिला नैनीताल में दिनांक-11-09-2020 से 17-09-2020 (एक सप्ताह) तक भर्ती व उपचाराधीन रहा जहाॅं उसे आईसोलेसन में रखा गया था जिसके बाद परिवादी को दिनांक 18-09-2020 से 25-09-2020 तक घर पर ही आईसोलेशन में रहने की सलाह देकर अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था इस प्रकार हम पाते हैं कि परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से ली गयी कोरोना रक्षक पालिसी की शर्तो के अनुरूप ही अस्पताल में 72 घण्टे से अधिक अवधि के लिए भर्ती रहा था तथा इस आधार पर वह प्रश्नगत बीमा पालिसी में वर्णित सम्पूर्ण/अधिकतम बीमित रकम मुव 2,50,000/-रू0 विपक्षी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी व पात्रा बन गया था। जिसका भुगतान हमारी समझ में नियमानुसार विपक्षी बीमा कम्पनी को परिवादी के बीमा क्लेम का निस्तारण कर अदा कर दिया जाना चाहिए था।
पत्रावली में उपलब्ध प्रपत्रों का भलीभांति अध्ययन, परिशीलन व चिन्तन-मनन करने पर हम पाते हैं कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के बीमा क्लेम को निरस्त करने के लिए तीन अलग-अलग आधार बनाये गये हैं पहला, परिवादी को नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती नहीं करवाया गया था, दूसरा परिवादी का अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उपचार मांत्रा मुंह से दी जाने वाली टेबलेट्स देकर ही किया गया था और तीसरा, परिवादी के उपचार में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय के तहत निर्धारित सक्रिय उपचार की पद्धति का अनुसरण नहीं किया गया था। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपने बाद में प्रेषित पत्रा दिनांकित 14-12-2020 में वर्णित वांछित कागजात प्रदान नहीं किये जाने तथा बीमा की राशि को हडपने की मंशा से स्वयं ही जानबूझकर अस्पताल में भर्ती होने का अनर्गल आरोप भी लगाया गया है। हमारी समझ में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के बीमा को निरस्त किये जाने के सभी वर्णित आधार पूरी तरह से अतार्किक, असंगत व निराधार ठहरते हैं तथा परिवादी के स्वयं ही जानबूझकर मांत्रा बीमा राशि को हडपने की मंशा से अस्पताल में भर्ती होने का किया गया कथन/आरोप हमारी समझ में पूरी तरह से अनुचित,दुर्भावनापूर्ण व अनैतिक हैं।
हमारी समझ में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा निःसन्देह ही प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी के बीमा क्लेम को निराधार व अनुचित तरीके से निरस्त कर परिवादी को बीमित राशि का भुगतान करने में जानबूझकर व लापरवाही पूर्वक बरतकर सेवा में कमी की गयी है तथा उनके द्वारा परिवादी के बीमा क्लेम निरस्त करने के लिए स्वयं ही अलग-अलग आधार बना/निर्मित करके तथा परिवादी के उपर अर्नगल कथन/आरोप लगाकर अनुचित व्यापारिक व्यवहार का भी अनुसरण किया गया है। अतः हम न केवल विपक्षी बीमा कम्पनी को सेवा में कमी करने का
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दोषी पाते हैं बल्कि हम मानते हैं कि उनके द्वारा अनुचित व्यापारिक व्यवहार करने का भी कृत्य किया गया है जिसके लिए वह अर्थदण्ड से अधिरोपित कर दण्डित किये जाने के भी पात्रा ठहरते हैं।
अतः हम यह उचित एवं न्यायसंगत मानते हैं कि विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को जोकि कोविड-10 पाॅजेटिव पाये जाने के उपरान्त करोना के उपचार के लिए एक सप्ताह की अवधि के लिए कोविड केयर सेन्टर, हल्द्वानी में भर्ती रहा था, को उसके द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से ली गयी कोरोना रक्षक पाॅलिसी की सम्पूर्ण अधिकतम बीमित रकम 2,50,000/-रू0 का भुगतान उक्त रकम पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान किये जाने की तिथि तक का 8 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित जोडकर दिलवाया जावे। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी के व्यवहार से परिवादी को हुई मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए मुव 20,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में मुव 5000/-रू0 वह अलग से परिवादी को अदा करेगी। इसके साथ ही विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जानबूझकर सेवा में कमी करने व अनुचित व्यापारिक व्यवहार के कृत्य के लिए हम विपक्षी बीमा कम्पनी के उपर मुव 50,000/-रू0 का अर्थदण्ड भी अधिरोपित किया जाना पूरी तरह से न्यायोचित मानते हैं। जिसे वह जिला उपभोक्ता आयोग, नैनीताल के कार्यालय में जमा करवायेंगे। प्रस्तुत परिवाद तद्नुसार निस्तारित किया जाता है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश के डेढ़ माह (45 दिनांें) की अवधि के भीतर परिवादी को उसके द्वारा ली गयी कोरोना रक्षक पाॅलिसी की सम्पूर्ण अधिकतम बीमित रकम 2,50,000/-रू0 (दो लाख पचास हजार रू0) एवं इस पर परिवाद योजित करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 8 (आठ) प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज सहित जोडकर अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को उनके व्यवहार से हुई मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए मुव 20,000/-रू0(बीस हजार रू0) तथा वाद व्यय के रूप में मुव 5000/-रू0 (पाॅच हजार रू0) अलग से उपरोक्त निर्धारित अवधि के भीतर ही अदा करेगी। इसके साथ ही विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जानबूझकर सेवा में कमी किये जाने तथा उनके द्वारा अनुचित व्यापारिक व्यवहार के अनुसरणकिये जाने के लिए विपक्षी बीमा कम्पनी पर 50,000/-रू0 (पचास हजार रू0)का अर्थदण्ड भी अधिरोपित किया जाता है जिसे विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उपरोक्त निर्धारित समयावधि के भीतर ही जिला उपभोक्ता आयोग, नैनीताल के कार्यालय में जमा करवाया जावे।
पत्रावली में इस अन्तिम निर्णय आदेश से पूर्व पारित अन्तरिम आदेश स्वतः निरस्त समझे जायेंगे। निर्णय आदेश की एक-एक सत्यापित प्रति पक्षकारों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जावे। निर्णय आदेश को पक्षकारों के अवलोकनार्थ विभागीय वैबसाईट में अपलोड किया जावे।
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उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित समयावधि के भीतर सुनिश्चित न करने की दशा में विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 71 व धारा-72 के तहत वसूली/कारावास/अर्थदण्ड की कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। पत्रावली इस निर्णय आदेश की प्रति सहित दाखिल दफ्तर की जावे।
(लक्ष्मण सिंह रावत) ( विजयलक्ष्मी थापा) (रमेश कुमार जायसवाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
उद्घोषित करने की तिथि-05-12-2022
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